ऑफीस में नंगी होके चूसा लंड

ही दोस्तों, मैं जानती हू की ऑफीस की रखैल के पिछले पार्ट्स आपको कितना पसंद आए थे. ये उसके आयेज की कहानी है. तो अब तक ज़ीशण जो की मेरा बॉस है, उसने मुझे अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी बना लिया है, और मैं किसी भी बात के लिए माना नही कर सकती हू. ज़ीशण ने कॅंटीन में सब के सामने मेरे मज़े लेने के बाद मुझे कॅबिन में दोबारा बुलाया. तो मैं सब के सामने सिर झुका कर ज़ीशण के कॅबिन में जेया रही होती हू. तभी मुझे सौम्या रोक लेती है.

सौम्या: तू तो बहुत बड़ी रंडी निकली. अब तू ज़ीशण की प्रॉपर्टी हो गयी है. इतनी जल्दी तू ज़ीशण के जाल में फ़ासस जाएगी मैने नही सोचा था.

मे: तुम्हे इसके बारे में कैसे पता?

सौम्या: मैं भी एक वक़्त पर ज़ीशण की प्रॉपर्टी थी. जब मेरी छूट फॅट गयी, तो उसने मुझे ऑफीस के बाकी लोगों को सौंप दिया. अब ऑफीस के बाकी मर्द मेरी लेते है. ना तो तू पहली है, ना ही तू उसकी आखरी प्रॉपर्टी होगी. वो तुझे भी मेरी तरह उसे करके फेंक देगा.

मैं शरम से रोने लगी. मुझे रोता देख सौम्या हासणे लगी. सब की हस्सी सुन कर ज़ीशण अपने कॅबिन से बाहर आया. उसको देख सब सांत हो गये. ज़ीशण चल कर मेरे पास आया.

ज़ीशण: तुझे मैने अपनी कॅबिन में बुलाया था, तू यहाँ क्या कर रही है?

मे: बस आ ही रही थी. सौम्या ने रोक लिया था.

तभी ज़ीशण ने सिगरेट जलाई और कुछ काश लिए. फिर सिगरेट बड सौम्या की क्लीवेज पर बुझा दी. सौम्या दर्द से तिलमिला उठी, मगर उसकी एक आवाज़ नही निकली. उसकी आँखों में आँसू थे, मगर चेहरे पर खुशी थी.

फिर ज़ीशण ने मुझे कुटिया बनने को कहा. मैं पहले तो हिचकिचा रही थी. मगर फिर मैं तुरंत ही कुटिया बन गयी. ज़ीशण ने मेरे ईद कार्ड को पत्ते की तरह फसाया और जैसे कोई मलिक अपनी कुटिया को सैर पे ले जेया रहा हो, वैसे ही मुझे अपने कॅबिन की तरफ ले गया. सब मुझे ही देखे जेया रहे थे. मैं भी कुटिया की तरह उसके साथ चलने लगी. अपने कॅबिन में ले जेया कर ज़ीशण ने अपने जूते मेरे आयेज किए और उन्हे चाटने को कहा.

मे: ज़ीशण प्लीज़ ये सब मत कारवओ. मैने ऐसे कुछ कभी नही किया. लोग मेरे बारे में ग़लत सोच रहे है.

तभी ज़ीशण आग बाबूला हो गया, और बोला: लोग जो सोचते है सोचने दे. तू मेरी है. मैं जो चाहु करू तेरे साथ. याद है ना हमारी डील?

मे: हा ज़ीशण याद है. करती हू, तुम जो बोलॉगे करूँगी.

फिर ज़ीशण ने दोबारा मुझे फ्लोर पे पटक दिया. मैने ज़ीशण के जूते चाटना शुरू किया. उसी वक़्त ज़ीशण ने मेरी स्कर्ट उपर की और एक हाथ से ही मेरी पनटी फाड़ दी. वो मुझे इतना ह्युमिलियेट कर रहा था. फिर भी मुझे उसमे मज़ा ही आ रहा था. ना जाने क्यूँ?

फिर ज़ीशण ने मुझे टेबल पर झुक कर खड़े हो जाने को कहा. मैने वैसे ही किया. फिर ज़ीशण ने अपनी बेल्ट निकली, और मेरी नंगी गांद पर बेल्ट से ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा. पहली बेल्ट लगते ही मैं दर्द से नीचे गिर गयी. ज़ीशण ने मुझे दोबारा उसी पोज़िशन में जाने को कहा.

मे: मुझे दर्द हो रहा है.

मैने ज़ीशण से रिक्वेस्ट की, मगर उस पर तो जैसे मेरी बातों का असर ही नही हो रहा हो. मैं दोबारा उस पोज़िशन में गयी, और ज़ीशण ने दोबारा मेरी नंगी गांद पर बेल्ट मारनी शुरू की. मेरी आवाज़ पुर ऑफीस में गूँज रही थी. अब तो सब समझ ही गये थे की मेरे साथ अंदर किया हो रहा था. ज़ीशण के कॅबिन के बाहर सब की भीड़ लग गयी.

फिर ज़ीशण ने मेरे मूह में मेरी ही गीली पनटी तूस दी. मैं समझ नही पा रही थी की अब ये मेरे साथ क्या करेगा. फिर ज़ीशण ने पीछे से आ कर मेरी शर्ट को पकड़ कर फाड़ दिया. शर्ट के आयेज के सारे बटन टूट गये. फिर ज़ीशण ने मेरी ब्रा भी खींच कर फाड़ दी.

अब मैं ज़ीशण के टेबल पर, मूह में मेरी ही गीली पनटी लिए, फाटती शर्ट में खड़ी थी. मेरे बूब्स लटक रहे थे, और गांद पूरी तरह से सूज चुकी थी. ऐसे में ज़ीशण ने मेरी फोटोस लेनी शुरू की.

फिर ज़ीशण ने मुझे पूरी तरह से नंगी होने को कहा. मैने इससे पहले पराए मर्द के सामने नंगी नही हुई थी. मैं अपने कपड़े धीरे-धीरे उतारने लगी.

ज़ीशण: साली रंडी, जल्दी उतार. नाटक मत कर!

मैं फ़ौरन ही सारे कपड़े उतार कर ज़ीशण के सामने पूरी नंगी हो गयी. ज़ीशण ने मेरे बालों को भी खोल दिया, और सारे इयररिंग्स, नोस रिंग सब उतार दिए. फिर ज़ीशण टेबल पर बैठ गया, और मुझे अपनी तरफ खीचा. फिर उसने टेबल की ड्रॉयर से एक कुत्ते का पत्ता निकाला, जिसपे लिखा था “प्राइवेट प्रॉपर्टी”. उसने वो मेरे गले पर बाँध दिया.

ज़ीशण: इसको तू अब कभी अपनी मर्ज़ी से नही उतार सकती. इसके बाद तुझे ऑफीस में भी स्पेशल ट्रीटमेंट मिलेगा. तुझे ईद कार्ड की भी ज़रूरत नही पड़ेगी. इसके बदले में तुझे मुझे शुक्रिया बोलना चाहिए.

मे: थॅंक योउ. थॅंक योउ ज़ीशण.

मुझे अंदर से पवरफुल वाली फीलिंग आ रही थी. अछा भी लग रहा था. बुत ज़ीशण की प्राइवेट प्रॉपर्टी बन के रहूंगी उसका दर्र भी था. बहुत अजीब सी फीलिंग थी.

ज़ीशण: चल अब भीख माँग लंड चूसने की. मेरी कुटिया को लंड कितना पसंद है मुझे भी तो पता चले.

मे: ज़ीशण प्लीज़ मुझे अपना लंड चूसने दो. प्लीज़.

ज़ीशण: ऐसे भीख माँगी जाती है? ठीक से माँग रंडी साली.

मैं तुरंत ही घुटनो पे बैठ गयी, और ज़ीशण का लंड उसके पंत के उपर से सहलाने लगी. फिर ज़ीशण के लंड को चूसने की भीख माँगने लगी.

मे: प्लीज़ ज़ीशण, मलिक अपनी इस कुटिया को लंड चूसा दो. तड़प रही हू मालिक. मुझे आपका लंड चूसना है. आप जो बोलेंगे मैं करूँगी, मगर अभी तो ये लंड चुस्वा दो. प्लीज़.

ज़ीशण ने मुझे सिर हिला कर हा की इज़्ज़त दी. मैने ज़ीशण के लंड को ही उसकी पंत से आज़ाद किया. तभी ज़ीशण ने मुझे रोक दिया, और लंड मेरे मूह पे रख दिया. उसका लंड मेरे लिप्स से फोर्हेड तक जेया रहा था.

ज़ीशण: बोल कुटिया, तू कितनी बड़ी रंडी है.

मे: मैं ऑफीस की रंडी हू. जो लंड चूसने को बेताब है. प्लीज़ ज़ीशण और मत तड़पाव, छोड़ दो मेरे मूह को. प्लीज़ ज़ीशण.

ज़ीशण ने मेरे मूह में गोट्ते डाल दिए और बोला: पहले इन्हे चूस.

उसके गोट्ते पसीने में भीगे हुए थे और बदबूदार भी थे. मगर उसकी खुसबू से मैं गीली होती जेया रही थी. ज़ीशण की बॉल्स मैने बहुत शिद्दत से चूसी. उसका लंड लंबा होता जेया रहा था. फाइनली ज़ीशण ने अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया, और एक बार में सीधा गले तक पहुँचा दिया.

मैं पहली बार में ही चोक कर गयी. मगर ज़ीशण ने मुझे साँस लेने तक की इजाज़त तक नही दी, और मेरे मूह को छोड़ता रहा.

मे: उग्ग ज़ीशण प्लीज़ धीरे, उग्गग, दर्द हो रहा है.

ज़ीशण ने मेरी बातों का कुछ जवाब नही दिया, और छोड़ता गया. ये सब होते वक़्त ज़ीशण मेरी वीडियो बना रहा था.

ज़ीशण: चूज़ साली आचे से चूस. पैसे बदवाने है तो आचे से चूस.

मैने भी ज़ीशण का लंड बड़ी शिद्दत से चूसा. ऐसे ही चूस्टे-चूस्टे ज़ीशण ने अपना सारा कम मेरे फेस पर गिरा दिया. उसका कम बहुत थिक था, सारा का सारा कम मेरे फेस पर चिपक गया.

फिर ज़ीशण जेया कर अपने चेर पे बैठ गया. मैं टिश्यू से अपना फेस सॉफ करने ही जेया रही थी की ज़ीशण बोला-

ज़ीशण: क्या कर रही है रंडी?

ये सबूत है की तू मेरी प्रॉपर्टी हो चुकी है. ऑफीस के बाहर इसी हालत में जेया. लोगों को पता चले की कितनी बड़ी रंडी है तू.

मे: नही ज़ीशण, प्लीज़ ऐसे मत करो. किसी ने मेरे घर पर बता दिया तो उनकी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी.

ज़ीशण: इज़्ज़त? तेरी इज़्ज़त तो मैं लूँगा अब बारी-बारी से. जैसा बोलता हू वैसा कर. शर्ट तक पहनने की ज़रूरत नही है.

ज़ीशण ने मुझे वैसे ही कॅबिन के बाहर फेंक दिया. सब लोग मुझे देखने लगे. मेरी हालत किसी रंडी की तरह हुई पड़ी थी. पूरी बॉडी पे मार्क्स और थूक थी.

मैने वैसे ही अपने कपड़े समेटे, टेबल पे गयी, और अपनी बाग ली. तभी एक सीनियर मेरे पास आया और बोला-

सीनियर: जब ज़ीशण का मॅन तुझसे भर जाएगा, तो हम खेलेंगे तुम्हारे साथ.

मैं सिर झुका कर ऑफीस से निकल गयी, और ऑफीस के बाहर खुद को सॉफ की, और कपड़े पहने. वॉचमेन तक मुझे नंगा देख. उसका लंड भी टाइट हो चुका था. उसकी नज़र मेरे चुचे से हॅट तक नही रही थी.

इसके आयेज ज़ीशण ने मेरे साथ क्या-क्या किया, वो अगले पार्ट में जानिए. अगर आपको मेरी ह्युमाइलियेशन पसंद आ रही है तो कॉमेंट्स में ज़रूर बताए.

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