शायद 22 मार्च का दिन था.. फ्राइडे था। उस दिन का काम खत्म करने के बाद सुनीता मेरे आई और उसने शनिवार और रविवार की छुट्टी का आवेदन मुझको दिया।
फाइव डे वीक होने के कारण शनि और रवि तो छुट्टी थी.. पर क्लोजिंग होने के कारण सभी एम्प्लाइज की छुट्टियाँ निरस्त कर दी गई थीं।
एप्लीकेशन देख कर मेरा तो पारा चढ़ गया.. पर मैंने कुछ कहा नहीं और स्वीकृति दे दी।
शनिवार और रविवार को बहुत ज्यादा बिजी रहा और रह-रह कर सुनीता पर गुस्सा भी आता रहा.. पर न तो किसी से कुछ कहा और न ही उसको मोबाइल किया। फिर आया सोमवार.. आज भी सुनीता अब्सेंट रही और मंगलवार को भी नहीं आई।
मेरे गुस्से का तो कोई ठिकाना नहीं था बुधवार को सुनीता जब काम पर वापस आई.. तो मैंने उसको बुला कर कहा- अब तुम मेरी स्टेनो नहीं रहोगी.. क्योंकि मैंने ऑफिस के एक दूसरे स्टेनो जो पुरुष है.. अपने अंडर में रख लिया है।
अब सुनीता के तो मज़े हो गए, उसे अब साढ़े दस पर आना और 5.30 को जाना। कोई झंझट नहीं.. कोई वर्क लोड नहीं।
उस दिन के बाद मैंने सुनीता पर कोई ध्यान भी नहीं दिया.. मार्च खत्म हो गया अप्रैल आ गया। अप्रैल खत्म होने को था और एक शाम को सुनीता मेरे पास आई और उसने मुझसे शिकायत की।
‘सर आपने मुझे अपने पास से हटा कर सजा तो दे दी.. पर मेरी गलती क्या थी.. यह जानने की कोई कोशिश नहीं की।’
कुछ रूखे अंदाज़ में मैंने बोला- मुझको आपके पर्सनल मामले में कोई इंटरेस्ट नहीं है और आपको जॉब से तो नहीं हटाया है.. बस सेक्शन बदल दिया है.. अतः आप मुझको तंग न करें।
इतना सुन कर सुनीता की आँखों में आंसू आ गए और उसने कहा- सर, काश मैं आपको बता पाती कि मेरी मज़बूरी क्या है।
बार-बार उसने आग्रह किया कि मैं उसको अपने अंडर ले लूं.. पर यह हो नहीं पाया।
कुछ दिनों बाद फिर से कोई ज़रूरी काम आया जिसके कारण देर तक रुकना पड़ा और जैसा कि होता है.. अधीनस्थ कर्मचारी समय पर गायब हो जाते हैं।
मेरे स्टेनो के साथ भी यही हुआ उसकी माता का देहांत हो गया और फिर ऑफिस में बच गई सुनीता.. मुझे काम उसके साथ करना तो नहीं था.. पर मज़बूरी थी।
हालाँकि मैंने उससे कुछ नहीं कहा.. पर जब उसको पता चला.. तो उसने खुद आकर कहा- सर मैं रुक जाती हूँ।
मेरी मज़बूरी थी.. उसकी बात मान ली।
देर रात तक काम करने के दौरान उसने मुझको बताया- मेरे पति सरकारी नौकरी में हैं और उनके द्वारा किए गए किसी गलत काम के कारण उन पर गबन का इलज़ाम लग गया है। उनको पुलिस ने जेल भेज दिया है और जिन दिनों मेरी ग़ैरहाज़िरी पर आप नाराज़ हुए थे.. उन दिनों मैं अपने पति की ज़मानत का इंतज़ाम करने गई थी.. पर ज़मानत नहीं हो पाने के कारण मैं समय पर नहीं लौट पाई।
मैं उसको सुनता रहा।
उसने यह भी बताया कि उसकी एक लड़की.. लगभग आठ साल की है.. जो अपनी दादी के ही साथ रह रही है। पति के बारे में पूछने पता चला कि उसने अपने पति के साथ प्रेम विवाह किया था। उसकी बातों से ऐसा लगा कि प्रेम विवाह का प्रेम काफी पहले खत्म हो चुका है।
उसकी बातें सुन कर मुझे काफी ख़राब लगा और अगले दिन से वो फिर से मेरे लिए काम करने लगी।
समय के साथ हम करीब आने लगे।