ऑफीस की कुँवारी और शादी-शुदा की चुदाई

सबसे पहले तो मैं आप सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहता हू मेरी पिछली स्टोरी को आपने इतना प्यार जो दिया है. बहुत सी मेल्स भी मुझे मिली, जिसमे बहुत कुछ हुआ. धीरे-धीरे मैं आपके सामने सारी कहानियाँ लाता जौंगा.

मेरे प्यारे छोड़ू दोस्तों और चुड़क्कड़ भाभियों, आप सभी को मेरा हवस भरा और चुदाई भरा नमस्कार.

आयेज बढ़ने से पहले मेरे सभी दोस्तों से अनुरोध है, की अपने लंड को हाथ में लेले, और भाभियों से प्यार भारी गुज़ारिश है, की वो अपनी-अपनी छूट को ज़रा मुट्ठी से मसल कर तैयार होने का इशारा मैल में ज़रूर कर दे.

तो आप लोग मुझे एमाइल करना जारी रखे, और जब मेरी किस्मत में आपकी रसीली छूट भोगना लिखा होगा, तो ज़रूर आपकी और मेरी हसरत पूरी होगी. टाइम ज़्यादा ना खराब करते हुए अब अपनी कहानी पर चलते है. ये कहानी ज़्यादा पुरानी नही है, अभी हाल-फिलहाल की ही है.

पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हू. मेरा नाम रक्षित है, और मैं देल्ही का रहने वाला हू. मेरी हाइट 6 फीट है, और मेरे लंड का साइज़ इतना है, जिससे कोई भी लॅडीस सॅटिस्फाइड हो जाए. मेरी शादी को 8 साल हो चुके है, और मेरी 1 बेटी है, और मेरी वाइफ का नाम आकाँशा है. मैं एक मंक में काम करता हू फाइनान्स डिपार्टमेंट में.

मॅनपवर शॉर्टेज होने की वजह से मुझ पर काम का लोड बहुत था. मैं ये बात बार-बार अपने सीनियर को याद दिलाता रहता था, की मुझे मॅनपवर की बहुत ज़रूरत थी. सीनियर के साथ मेरे रीलेशन बहुत ही आचे थे, जिसमे मैं उनके साथ पीटा, और वाकेशन पर घूमने जाता. कुल मिला के बिल्कुल फ्रॅंक था. वो मेरी बात सुनते और समझ भी लेते थे. जल्दी ही वेकेन्सी डाली गयी, और शॉर्ट लिस्टेड कॅंडिडेट्स को इंटरव्यू के लिए बूलया गया.

मेरे सीनियर ने मुझे बोला: रक्षित तुम भी इस बार पानेल में हो इंटरव्यू करने के लिए. क्यूंकी तुम्हारे डिपार्टमेंट के लिए सही बंदा तुम्हे लेना है. बाद में हुमको मत बोलना की बंदा काम करने वाला नही मिला.

मैने ओक में आन्सर किया. इंटरव्यू की डटे आज थी. मैने फॉर्मल कपड़े पहने हुए थे. ऑफीस के बाहर बहुत से लड़के और लड़कियों की इंटरव्यू के लिए भीड़ हो रखी थी. उनमे बहुत क्यूट टाइप लड़कियाँ भी थी. हम जैसों की नज़र लड़कों पर कम, लड़कियों पर ज़्यादा रहती है.

धीरे-धीरे लोग इंटरव्यू के लिए आते रहे, और हम क्वेस्चन्स करते रहे. पानेल में हम 5 लोग थे, जिसमे 3 मेरे सीनियर थे, और मैं, और एक ह्र से था. कॅंडिडेट्स में कुछ लड़के ज़्यादा एक्षपरिएनसे और नालेजबल थे. मैने अपने सीनियर को बोला-

मैं: सिर ये लड़का ठीक है?

तो वो बोले: अभी रूको, बहुत लोग है इंटरव्यू के लिए.

फिर उन्होने मेरे कान में बोला: बहुत सी लड़कियाँ भी है.

और मेरी तरफ 10 से 12 रेज़्यूमे फेंक दिए. मैने देखा तो मज़ा आ गया. फिर सोचा आने दो देखते है. 3 सीनियर थे वाहा. उनको अपने डिपार्टमेंट में भी ज़रूरत थी बंडो की.

वो बोले: लड़की को लेते है, सब का मान लगा रहेगा.

मेरे भी दिमाग़ में ये बात तुरंत बैठ गयी. हमारे में से ह्र का बंदा इंटरव्यू बीच में छ्चोढ़ के निकल गया. उसको एक अर्जेंट मीटिंग के लिए कॉल आ गया था. तभी एक लड़की, लड़की तो नही बोल सकते उसकी आगे 30 होगी, और उसका नाम दक्षिता था, और वो मॅरीड थी. उसको इंटरव्यू के लिए अंदर बुलाया गया.

मैने उसको देखा तो देखता ही रहे गया. उसको हमने बिताया, और नॉर्मल क्वेस्चन ही किए. इंटरव्यू पूरा होने के बाद हमने उसको बाहर वेट करने लिए बोल दिया. उसने फिर जाते-जाते बोला-

दक्षिता: सिर मुझे जॉब की बहुत ज़रूरत है. हो सके तो मेरा सेलेक्षन कर देना प्लीज़.

इतना बोल के वो बाहर वेट करने लगी. हुमको टोटल 8 लोगों को सेलेक्ट करना था, जिसमे से हमने 5 लड़कियाँ और 3 लड़कों को सेलेक्ट किया. मेरी टीम में दक्षिता और आकृति (ये दोनो ही बहुत ही खूबसूरत थी, और आकृति अनमॅरीड थी) और लड़का अनुज था.

2 महीने मुझे दक्षिता और आकृति को समझने में लग गये. वो किस टाइप की थी, क्या उनको पसंद था, और क्या नापसंद था. अनुज का इस बात पर बहुत ध्यान था, की मैं दोनो लड़कियों का ध्यान ज़्यादा रखता था, और काम भी कम दिया हुआ था.

फिर एक दिन मैं और अनुज दोनो ही ऑफीस में 11 बजे तक बैठे थे. बाकी के लोग 6:30 तक निकल गये थे.

अनुज: सिर आपसे बात करनी है.

मे (कंप्यूटर पर अपने काम में ध्यान लगा रखा था): हा अनुज बोलो.

अनुज: सिर ग़लत मत समझना, और गुस्सा भी मत करना प्लीज़.

मे: भाई बोलो भी क्या हुआ?

अनुज: सिर मुझे कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे आप दोनो लड़कियों को छोड़ने के चक्कर में हो.

मे: भाई मैं जिस पोज़िशन पर हू, उस हिसाब से अगर ये ग़लत है तो बताओ मुझे.

अनुज: सिर बिल्कुल सही है. मज़ा लेना भी ज़रूरी है. कब तक घर की डाल रोटी ही खाते रहेंगे (अनुज अनमॅरीड था)? सिर आप दक्षिता को छोड़ लेना. लेकिन आकृति को छ्चोढ़ दो. मेरे दिल में वो बस गयी है, और मैं शादी करने की सोच रहा हू, अगर वो मान गयी तो.

मे (हेस्ट हुए): भाई हम दोनो ही है इस टाइम यहा पर, इसलिए खुल के बात करते है. ये लड़की शादी टाइप नही है. उसको सिर्फ़ मज़े लेने है. इतना मुझे पता चल चुका है. बाकी तुम्हे लगता है तो ट्राइ कर लो मैं इतने में दक्षिता की ले लेता हू. जब तुम्हे लगे मैं सही बोल रहा था, तो बता देना, मैं फिर आकृति को छोड़ूँगा.

इसी तरह हम दोनो अपने-अपने काम में लग गये. करीब 8 महीने और निकल गये दक्षिता को भरोसा दिलाने में मुझे. दूसरी ही साइड अनुज और आकृति की बात वही की वही अटकी हुई थी. आकृति भी मेरी साइड अट्रॅक्ट हो रही थी, क्यूंकी दक्षिता की मैं बहुत केर करता था, बिल्कुल वाइफ की तरह. और दक्षिता भी खुद को मेरे साथ सेफ फील करती थी.

एक दिन मेरी वाइफ अपने भाई के साथ अपने घर चली गयी करीब 2 महीने के लिए. मैने सोचा बहुत दिन हो गये सीनियर के साथ बैठे हुए. तो मैने अपने सीनियर को फोन करके शाम को ड्रिंक का प्रोग्राम बना लिया. मैने अनुज को भी इन्वाइट कर दिया.

करीब 8 बजे सब आ गये, और मैं इससे पहले वोड्का की 3 बॉटल ले आया, और खाने के लिए स्नॅक्स ऑर्डर कर दिए थे, हमारे पड़ोस में ही एक कार्ट लगता था, वाहा से. मैने स्नॅक्स के लिए फोन किया, और उसने अपने लड़के को भेज दिया सारा समान देके एक-दूं गरम-गरम.

हम 4 लोग थे, 2 मेरे सीनियर्स, अनुज, और मैं. हम लोगों ने पीना स्टार्ट किया. करीब हुमको 11:30 हो गये थे. हम 4 लोग 2 बॉटल पी चुके थे.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अपनी फीडबॅक

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