हेलो देसी सेक्स स्टोरी रीडर्स, कैसे हो आप? आज मैं आपको मेरी लाइफ की रियल स्टोरी बताने जेया रहा हू, की कैसे मेरी मा और पड़ोसी के बीच प्यार हो गया.
ही मेरा नाम राहुल है, और मैं नगर, महाराष्ट्रा में रहता हू. मेरी फॅमिली में पापा, मा, मैं और छ्होटी बेहन रहते है. ये स्टोरी तब की है, जब में छ्होटा था 18 का. आज मेरी आगे 30 साल है.
हम लोग पहली बार शहर में रहने आए थे. मेरे पापा स्कूल टीचर थे. उनका कुछ दिन पहले आक्सिडेंट हुआ था, तो उसके इलाज के लिए हम लोग शहर रहने आए थे. ड्र. ने पापा को पैरों में रोज़ मालिश और पैरों की कसरत करने के लिए बोला था. इसलिए हम लोग गाओं से शहर आए थे.
मेरी मा के बारे में बताता हू. मेरी मा का नाम नेहा है. जब हम शहर आए थे, तब उसकी उमर 37 साल थी. वो देखने में बहुत खूबसूरत थी. गोरा रंग और लंबे सिल्क बाल थे. उनका फिगर 34-30-36 था, और वो हमेशा सिल्क सारी पहनती थी, जो उनकी बॉडी को चिपकी रहती थी.
वो काफ़ी फ्रेंड्ली भी थी. वो जब मार्केट में जाती तो सभी मर्द लोग हवस की नज़र से देखते. पर मा ने कभी किसी को भाव नही दिया. हम जब हमारे रिलेटिव के खाली बंगलो में रहने आए थे, तो वाहा पे हमारे एक पड़ोसी थे. उनका नाम अब्दुल था, और वो 2 ही लोग रहते थे. उसकी मा रुक्सर भाभी, और अब्दुल.
अब्दुल की बीवी माइके गयी थी. उनका झगड़ा हुआ था, तो वो वापस नही आई. एक दिन जब मा सुबा कपड़े सूखने बाहर गयी, तो हमारा पड़ोसी अब्दुल मा को देख के डांग रह गया. मा ने उस दिन रेड सारी और उसपे रेड ब्लाउस पहना था. उनके बाल खुले थे, क्यूंकी वो अभी शवर लेके आई थी.
मा ने अपनी सारी का दुपट्टा कमर में फ़ससा दिया था. उसकी वजह से उसकी गोरी कमर और पेट सॉफ दिख रहे थे. ये सब देख के अंकल की हालत खराब हो गयी थी. तभी रुक्सर भाभी बाहर आई और उसने मा को देखा तो वो बात करने आ गयी.
रुक्सर भाभी: हा जी कैसे हो? आपको पहली बार देखा यहा?
मा: हा ठीक हू. हम कल ही यहा रहने आए है. आप कैसे हो?
रुक्सर भाभी: मैं भी ठीक हू. क्या नाम है आपका बेटा?
मा: मेरा नाम नेहा है और आपका?
रुक्सर भाभी: मेरा नाम रुक्सर भाभी है. आओ छाई पीने घर, बातें करते है.
और उन्होने एक स्माइल दे दी.
मा: हा जी आती हू थोड़ी देर में.
अब्दुल ये सब बातें सुन रहा था. मा जाने लगी तो उनकी नज़र अब्दुल अंकल पे चली गयी. वो वही मा को ताड़ रहा था, और कसरत कर रहा था. अब्दुल और मा ने पहली बार एक-दूसरे को देखा. अब्दुल ने एक स्माइल दे दी, और हेलो बोला. तो मा ने भी पड़ोसी के नाते अब्दुल को स्माइल दे दी, और नज़रों से ही हेलो बोला, और चली गयी.
अब्दुल अंकल देखने में ठीक ताक थे. पर उनकी बॉडी ज़बरदस्त थी. हाइट भी बहुत थी. उनका रंग तोड़ा काला था. थोड़ी देर बाद अब्दुल अंकल की डोरबेल बाजी. अब्दुल अंकल ने डोर ओपन किया, और वो देखते ही रह गये. मा ने तोड़ा मेकप किया था, और पर्फ्यूम भी लगाया था. मा को देख के वो पागल सा हो गया था.
तभी रुक्सर भाभी आ गयी. उन्होने हमे अंदर ले लिया. मैं और मा दोनो सोफे पे बैठ गये. अंकल पीछे से मा की गांद देख रहे थे. मा रेड सारी में बॉम्ब लग रही थी.
रुक्सर भाभी (पानी देते हुए): ये मेरा बेटा अब्दुल है.
मा: नमस्ते (और स्माइल दी).
अब्दुल: नमस्ते (और स्माइल दी).
फिर मुझे पास बिताया और मेरा नाम पूछा.
मैं: मेरा नाम राहुल है.
रुक्सर भाभी छाई लेके आती है, और हम लोग छाई पीते है. वो बोलती है-
रुक्सर भाभी: अब्दुल बेटा तुम्हे दुकान जाना है ना?
अब्दुल (तोड़ा मायूस होके, क्यूंकी उसको मा को देखना था और मा से बातें करनी थी): हा जी, निकलता हू मैं.
फिर जाते वक़्त मा को स्माइल किया और चला गया. फिर मा और रुक्सर भाभी बातें करने लग गये.
रुक्सर भाभी: उसकी दुकान है कपड़ा बेज़ार में कपड़े की. और बताओ बेटा, यहा कैसे आना हुआ?
मा: मेरे हज़्बेंड का पैरों में चोट आई थी. उनके इलाज के लिए आए थे. उनको ड्र. ने रोज़ मालिश करने बोला है. और रोज़ पैरों की कसरत करने बोला है.
रुक्सर भाभी: अछा, मेरी कोई मदद लगी तो बोलना. बिल्कुल तुम्हारे घर जैसा समझना (और स्माइल दे दी).
मा (काफ़ी खुश होके): हा जी. थॅंक योउ.
तो मा ने भाभी को बोला: अब्दुल जी के कोई पहचान का जिम और मालिश करने वाला हो तो बताइए गा हमे.
रुक्सर भाभी: हा जी ठीक है. मैं अभी उसको ही बोल देती तू.
मा (थोड़ी शर्मा के हस्स दी और बोली): चलिए आप पूच लेना ज़रूर उनसे.
फिर हम घर जाने के लिए निकल गये, और मा ने उनको खाना खाने घर बुला लिया. मा ने पापा को बता दिया की अब्दुल अंकल और रुक्सर भाभी खाना खाने आने वाले थे. रात को खाना खाने के बाद-
अब्दुल अंकल: भाभी खाना बहुत अछा था. आपके हाथ में जादू है (और स्माइल दे दी).
मा अंकल से तारीफ सुन के खुश हो गयी, और स्माइल देके थॅंक योउ बोला.
पापा: अब्दुल भाई कोई मिला क्या मालिश वाला? और जिम है क्या पास में?
अब्दुल अंकल: जिम है ना, मेरे दोस्त की है. कल से जाय्न करा देता हू, और मालिश तो मैं कर दूँगा आपकी कोई बात नही.
पापा और मा खुश हो गये.
पापा: थॅंक योउ अब्दुल भाई.
फिर थोड़ी देर हम सब ने बातें की, और पापा सोने चले गये. उनको कल जल्दी उतना था. अब्दुल अंकल भी चले गये.
मा: रुक्सर भाभी, कल आप मेरे साथ शॉपिंग के लिए आएँगी क्या? मुझे कुछ समान लेना था.
रुक्सर भाभी: हा चलते है. क्या लेना है तुम्हे?
मा: कुछ सारी और ब्रा-पनटी लेनी थी.
रुक्सर भाभी: अब्दुल की भी ब्रा-पनटी और नाइट ड्रेस की दुकान है. उसके साथ जाते है कल.
और वो भाभी घर चली गयी. इस तरह अब्दुल और मा और हमारी पहचान हो गयी. अगले पार्ट में बतौँगा की कैसे मा और अब्दुल दोस्त बन गये, और अब्दुल ने कैसे मेरी मा को पहली बार प्रपोज़ किया.