इतने में मेरे नंदोई जी बोले: तुमको पता है भाभी तुम्हारी ननद तो मेरे ऊपर चढ़ जाती है। मेरा लंड तुम्हारी ननद की जबरदस्त चुदाई करता है। चुदाई के पूरे टाइम उसकी चूचियां मेरे होंठों और हाथों में ही दबी रहती है। भाभी आप बताओ ना, आप साले साहब के लंड पर चढ़ कर मजा लेती हो या नहीं?
मैं आह भरते हुए कहने लगी: तुम्हारे साले साहब का लंड इतनी देर खड़ा ही नहीं रहता कि मैं लंड की सवारी का मजा ले सकूं।
और मैं मन ही मन सोचने लगी कि आपकी बातों से तो मेरी चूत में आग लग गई है नंदोई जी।
फिर मैं बोली: आप शादी वाले घर पर चले जाओ। मैं नहा कर आती हूं उधर ही।
तो नंदोई जी बोले: भाभी आप नहा लो, मैं यहां बैठ कर टीवी देख लेता हूं। फिर चल चलेंगे उधर।
तो मैं बोली: ठीक है।
फिर मैं उठ कर दूसरे कमरे में कपड़े लेने गई, तो मैंने अलमारी से अपने कपड़े निकाले। फिर जैसे ही ब्रा और पैंटी को हाथ में लिया, तो नंदोई जी की चुदाई की गरम बातें याद आ गई, और मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी। उनके लंड चूत की बातों ने मेरी चूत में आग लगा दी थी।
मैं समझ गई कि ये मेरी बातें सुन कर मुझे चोदना की सोच रहे थे। अब मैंने भी सोच लिया कि अगर ऐसा कुछ होता है तो मैं भी चुदवा लूंगी, क्योंकि बहुत दिनों से मैंने भी अपने पति नहीं चुदवाया था।
मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी, तो वो बोले: भाभी चाय बना दो यार, फिर नहा लेना।
तो मैंने बोला: ओके।
और मैं चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर आई, और हम दोनों बेड पर बैठ कर बातें करते-करते चाय पीने लगे।
तभी नंदोई जी बोले: भाभी आपने जो सलवार कमीज पहन रखा है, उसमें आप मस्त माल लग रही हो। इनमें आपका उभरा हुआ जिस्म बड़ा सेक्सी लग रहा है। भाभी आपको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया यार। आपसे नज़र ही नहीं हटती मेरी भाभी।
मैं ये सुन कर शर्मा गई और जाने लगी। फिर उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरी गर्दन पर किस करने लगे। मुझे पूरा अंदाज़ा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ होने वाला था। में मुस्कुराती हुई उनसे छूटने की कोशिश कर रही थी, और सिसकारी लेकर बोल रही थी-
मैं: ओहहह आहहहह ऐसे मत करो नंदोई जी!
पर वो मुझे किस करते रहे, और बोले: भाभी आप चुदासी तो हो पर कुछ झिझक रही हो।
फिर वो मेरी कमीज और ब्रा के ऊपर से ही मेरे मस्त रसीले दूध मसलने लगे। उस समय मैंने अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। दोस्तों मेरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा और पैंटी देख कर कोई भी पागल हो जाये, और अपने लंड को मसलने लग जाये।
अब वो कपड़ों के उपर से ही एक हाथ से मम्मे को और एक हाथ से मेरी चूत को मसल रहे थे। मैं भी अब गर्म होने लगी थी, और कसमसा कर आहें भरने लगी। नंदोई जी का लंड पैंट फाड़ के बाहर आने को तड़प रहा था।
वो लंड की तरफ इशारा करके बोले: भाभी, रिहा कर दो इसको और देदो इसे वो सुख जो इसे चाहिए।
अब मैंने अपने हाथों से नंदोई जी को दूर कर दिया, और नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी। हमारे बाथरूम की लाईट खराब हो रही थी, तो मैंने सोचा कि नंदोई जी तो कमरे में बैठ कर टीवी देख रहे थे, तो मैं दरवाजा थोड़ा सा खुला रख कर नहा लेती हूं। तो मैंने बाथरूम के दरवाजे को थोड़ा सा खुला छोड़ दिया और नहाने लगी।
मैंने अपनी कमीज निकाल दी। अन्दर मैं आधी नंगी थी। मेरी चूचियां काले रंग की ब्रा में फंसी हुई थी। उसके बाद मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया। अब मैं काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी। कुछ पल के बाद मैंने अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी, ब्रा और पैंटी निकालने के बाद मैं दरवाजे की तरफ पीठ करके बैठ गई और नहाने लगी।
मैं अंदर पैर चौड़े करके पूरी नंगी होकर नहा रही थी। मेरी गोरी और नंगी पीठ और खुले बाल दरवाजे की तरफ थे। मैं हमेशा नंगी होकर नहाती हूं। जब मेरे हाथ चूचियों पर चले, तो मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगी। कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया, पता ही नहीं चला और मैं उंगली से चूत के दाने को रब करने लगी। फिर एक उंगली अपनी चूत में डाल कर आगे-पीछे करने लगी।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था। अब एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी, और एक हाथ से अपनी चूचियां मसल रही थी। धीरे-धीरे मैंने आंखें बंद कर ली। मैं लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।
मेरी उंगली चूत में और तेज चलने लगी और मेरे मुंह से आह्ह उफ्फ आह्ह की आवाज आने लगी।
मैं अपने चरम बिन्दु पर पहुंच गई, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। लेकिन अभी भी मेरा मन नहीं भरा था, और मैंने अपनी उंगली अपनी गांड में डाल दी, और उसे आगे-पीछे करने लगी।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि कोई मुझे नहाते हुए देख रहा था। मैंने चुपके से दरवाजे की तरफ देखा तो वो मेरे नंदोई जी थे। वो मेरी नंगी जवानी का दीदार कर रहे थे। मैं ये देख कर चैंक गई और उन पर चिल्ला उठी-
मैं: ये क्या बदतमीजी है! मैं आपकी भाभी हूं। आपको शर्म नहीं आती?
तो नंदोई जी बोले: भाभी आपकी गोरी नंगी चिकनी पीठ और मखमली गांड देख कर मैं उत्तेजित हो गया था।
मैं मन ही मन समझ गई थी कि नंदोई जी मेरी गांड मारने की सोच रहे थे। आज बस चले तो मुझे कुतिया बना कर मेरी गांड मारने लग जाये। नंदोई जी बहुत उत्तेजित हो गये थे, और पैंट के उपर से ही अपने लंड को सहलाने लगे थे। नंदोई जी के लंड का उभार देख कर मेरी चूत में तेज़ खुजली होने लगी थी।
फिर अचानक नंदोई जी बाथरूम में अन्दर आ गये और मुझसे बोले: गीले बालों में बहुत ही मस्त लग रही हो भाभी जी। जब आप नहाने आई तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया, और फटाफट कमरे से निकल कर यहां बाथरूम के पास पहुंच गया। फिर देखा कि दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, तो मैं आपके नंगे बदन को निहारने लगा।
नंदोई: जब आप मग्गे से अपने सिर पर पानी डालती, और फिर अपने पूरे शरीर पर साबुन लगा कर जब अपने हर एक अंग को दबाती, तो मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो गया था। तो मैं अपने लंड को पैंट के उपर से सहलाने लगा, और आपके पूरे शरीर को देखने लगा। मन तो कर रहा था कि बाथरूम का दरवाजा खोल कर अन्दर आ जाऊं और आपको चोद डालूं।
मैं चुपचाप सुन रही थी।
फिर वो बोले: भाभी आप घर का माल हो और मैं आपका नंदोई हूं। आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं होगी, और बदनामी का भी डर नहीं रहेगा।
मैं दबी हुई आवाज में बोली: तुम चाहते क्या हो?
तो उन्होंने कहा: आज मैं आपके साथ चुदाई चाहता हूं।
मैं उनके सामने नंगी खड़ी थी। यह सुन कर मेरे हाथ-पैर कांपने लगे थे। मेरे होंठ कांपने लगे थे। उन्होंने अपने दिल की बात आज मुझसे बोल दी।
मैं बोली: यह तो अच्छी बात नहीं है।
तो वो बोले: जो भी है, यही है भाभी।……
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं। आप सबके प्रत्युत्तर से ही में आगे और कहानी लिखूंगी। कोई भी सुझाव आप मुझे मेरी मेल आई पर दे सकते है। मैं आपके मेल का इंतजार करूंगी। मिलती हूं अगली चुदाई की कहानी के साथ