Nangi Nahati Chachi Ko Dekha Fir Chut Chudai

जब से मुझे पता चला कि अनिता चाची सब कुछ जानती हैं, तब से मैं उन्हें चोदने के लिए और भी बेकरार होने लगा और सही मौके की तलाश में था।

अगले दिन मुझे मेरे हॉस्टल जाना था पर अनिता चाची को चोदे बिना नहीं।
मैंने जानबूझ कर सुबह की ट्रेन मिस कर दी और स्टेशन से घर वापस लौट आया।

चाची नहीं जानती थी कि मैं घर पर हूँ, उनको लगा कि मैं जा चुका हूँ। यह उन्होंने मुझे बाद में बताई थी।

दोपहर के वक़्त मैं फिर से उनकी छत पर चला गया और वहाँ जाकर अनिता चाची को नहाते हुए देखने लगा। आज चाची नंगी नहा रही थीं।
जब उन्होंने अपनी आँखों पर साबुन लगाया.. तो मैं सीढ़ियों से नीचे चला गया।

चूंकि सीढ़ियों के सामने बाथरूम का दरवाज़ा है.. सो मैं सीधा बाथरूम में उनके सामने जाकर बैठ गया। क्योंकि अगर मैं खड़ा रहता तो मेरा सर उनके आँगन से कोई भी देख सकता था। वो भी बैठ कर ही नहा रही थीं।

चाची ने मुझे देखकर टांगें सिकोड़ लीं और चूचों अपने हाथों से छुपा लिए।
वो बोलीं- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैंने कहा- चाची, आप जानती हो।

यह कहते हुए मैं उनकी जांघों को सहलाने लगा। उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर जैसे ही उन्होंने अपनी चूचियों से हाथ हटाया, मैंने दूसरे हाथ से उनकी एक चूची पकड़ ली, उनके चेहरे पर दर्द दिखने लगा।

वो बोलीं- हरामी.. इन्हें इतने जोर से नहीं दबाते.. छोड़..
मैंने बोला- चाची प्लीज़ आप मान जाओ.. आप जैसे बोलोगी मैं वैसे ही करूँगा।

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चाची ने कहा- तू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा… अगर आँगन में कोई आ गया तो सब कबाड़ा हो जाएगा.. तू चला जा यहाँ से।
मैंने फिर से रिक्वेस्ट की.. तो वो बोलीं- अभी यहाँ से जा.. बाद में देखूँगी।
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मेरे को लगा कि मेरा काम बन गया, मैंने कहा- ओके.. अभी एक तो किस दे दो।
बोलीं- तू जाता है या नहीं..
मैंने आगे होकर उनके होंठ चूम लिए।

इस छोटी सी किस के बाद मैं वहाँ से अपने घर चला आया।
अब मुझे यह टेंशन हो रही थी कि अगर चाची ने मुझे आज चोदने नहीं दिया.. तो मेरे को कल पक्का हॉस्टल जाना पड़ेगा और पता नहीं ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।

शाम को चाची जानवरों को चारा डाल रही थीं, मैं भी वहाँ पहुँच गया और चाची से चाचा के बारे में पूछने लगा।
चाची ने बताया- तेरे चाचा अपनी बहन के यहाँ जा चुके हैं।

यह सुनते ही मैंने उनकी चूची दबा दी।
उन्होंने कहा- तसल्ली रख.. यहाँ कोई देख लेगा.. तू यहाँ से चला क्यों नहीं जाता।
मैं वहाँ से चला आया और रात होने का इंतजार करने लगा।

चाची की चूत चुदाई
वो लोग रात को छत पर खुले में सोते थे और मैं भी कभी-कभी छत पर सो जाता था। उस दिन मैं दो बार अनिता चाची के नाम की मुठ मार चुका था।

रात को मैं छत पर ही सोया और मैंने देखा कि चाची भी अपने दोनों बच्चों के साथ छत पर लेटी थीं और उनका आठ साल का लड़का उनसे बात कर रहा था।
मैं भी चारपाई पर लेट गया और आधा घन्टे बाद उनकी छत पर चला गया।

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चाची दोनों बच्चों के साइड में बिस्तर लगा कर लेटी हुई थीं और उनकी आँखें खुली हुई थीं।
मैंने जाते ही उनके ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूची पकड़ ली और उनके मुँह पर जाकर उनके होंठों को चूम लिया।
होंठ चूमते हुए उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया।

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