Nadan Umar Me Jawan Choot Chod di

मैं सब भूल गया था, पीछे से क्या लग रही थी वो… सामने उसके जैसी किसी की गांड हो.. और किसी मर्द का लंड उसको देखकर फनफना नहीं जाए.. तो समझो वो मर्द ही नहीं।

मैं बिना कुछ बोले पीछे से उसके बोबे दबाने लगा। पूछो मत इतना मज़ा आ रहा था ना कि मेरा नबाव मुझसे लड़ाई पर उतारू हो गया था।

वो चुपचाप बर्तन धोती जा रही थी। वहीं खड़े-खड़े मैं उसकी चूत को भी सहला रहा था। उसकी सिसकारियां मुझे पागल बना रही थीं।

जैसे ही उसके बर्तन पूरे धुल गए.. हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चाटने लगे।

मैं उसके बोबे दबा रहा था.. चूत को सहला रहा था। उसने अचानक खुद ही सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेरे लंड को पकड़ लिया।

जैसे ही उसकी सलवार नीचे गई.. मैंने देखा कि उसने पैन्टी नहीं पहन रखी थी। सलवार के हटते ही उसकी चिकनी चूत नज़र आ गई।

सच बताऊँ.. उस वक़्त मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। मैं ज्यादा समझदार नहीं था। तो मैं फिर भी बस ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था।

हम दोनों कमरे में आ गए।
वो बिस्तर पर लेट गई और उसने मुझसे बोला- मुझे कर।
मैंने बोला- करता हूँ।
मैं उसके बोबे चूसने में लग गया।

उसने बोला- अब अन्दर डाल।
मैंने बोला- मुझे नहीं आता।
उसने खुद ही मेरे नवाब को पकड़ा और डालने लगी।

फिर एकदम से वो बैठ गई और बोली- रुक अभी.. कुछ और भी करना है।
वो नीचे झुकी मेरे नवाब को मुँह में ठूंस लिया और एक हाथ से आगे-पीछे करने लगी.. साथ ही चूसने भी लगी।

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सच बताऊँ दोस्तों मुझे पता भी नहीं था कि ये सब क्या हो रहा है.. पर मेरा हाथ उसके बालों में था और मैं सिसकारियां ले रहा था।
वो चूसती रही.. और वो मुँह से थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर डाल-डाल कर चूस रही थी.. मैं झड़ गया था।

फिर कुछ मिनट बाद वो लेट गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया। उसने मेरे लौड़े को पकड़ा और चूत के छेद पर लगा लिया, तब वो बोली- झटका मार!

मैंने झटका मारा तो वो अन्दर गया ही नहीं.. दुबारा उसने ऐसा ही किया और मैंने जोरदार झटका मार दिया.. तो वो थोड़ा सा अन्दर चला गया।

अब वो जोर-जोर से चीखने लगी- आईई.. उईईइ.. निकाल।

मुझे भी उसकी ये आवाज सुनकर जोश आ गया.. मैंने नहीं निकाला.. तो उसने पैर से धक्का देकर मुझको हटा दिया।
थोड़ी देर बाद मैंने वापस से कोशिश की तो चला गया। उसने थोड़ा रुकने के लिए बोला।

वो हाँफ रही थी और अब मुझे मज़ा आ रहा था, फिर उसने बोला- अब धीरे से धक्का दे।

मैंने सोचा कि धीरे से दूँगा तो ये फिर से चिल्लाएगी और बाहर निकाल देगी। मैंने जोरदार धक्का दिया और उसकी गुफा में मेरा लौड़ा पूरा का पूरा फिट हो गया। इस बार उसकी तो हालत देखने लायक थी। न तो बोली.. न चिल्लाई.. बस मुँह को फुला कर मेरे पेट को पकड़ के ‘उहह..’ करने लगी।

मैं बोला- क्या हुआ?
तो मरी कुतिया सी आवाज में बोली- मर गई नीच..
मैं हँसा और बोला- फिर नाड़ा क्यों खोला था।

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थोड़ी देर बाद वो नार्मल फील कर रही थी। अब मैं भी आगे-पीछे होने लगा.. झटके देने लगा। उसके हाथ पेट से हटकर मेरे चूतड़ों पर आ गए थे और उछल-उछल कर मेरा साथ दे रही थी।

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