मम्मी-पापा की चुदाई देखने वाले लड़के की कहानी

मेरा नाम वैभव है. मैं बे मेकॅनिकल में पढ़ता हू ग्वेलियार में, और मेरा परिवार झाँसी में रहता है. आज मैं आपको अपनी लाइफ के सबसे आचे दीनो की सेक्सी स्टोरी सुनने जेया रहा हू. कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको मेरी फॅमिली में कों-कों है बताता हू.

मेरे फॅमिली में मेरी मा ( मीनाक्षी), मेरी बड़ी बेहन (आशा), मेरी छ्होटी बेहन( अनिता), और मेरे पापा (रमेश) रहते है.

हमारी जॉइंट फॅमिली है. इसलिए चाचा(प्रीतम), चाची ( राधिका ), और उनकी बेटी ( पूनम) साथ में ही रहते है.

हमारा घर 2 मंज़िला है, जिसमे नीचे हमारी फॅमिली और उपर चाचा की फॅमिली रहती है.

मेरी उमर 23 साल, रंग गोरा और हाइट 5 फुट 9 इंच है. मेरा कॉलेज ग्वेलियार में है, और मैं 4त सेमेस्टर में हू. अब मैं आपको मेरी मा ( मीनाक्षी ) के बारे में बाताता हू.

मेरी मा की उमर 55 साल की है, लेकिन वो अभी भी 45 की दिखती है. रंग गोरा है उनका, और फिगर 34-32-38 है. इस फिगर की मेषर्मेंट को देखने से क्या सुन कर ही किसी का मॅन कामुकता के लिए उभर उठेगा. अब आपका ज़्यादा समय ना लेते हुए सीधे मुद्दे पर आता हू.

ये उन दीनो की बात है, जब मैं कॉलेज के 4त सेमेस्टर में था. हमारे कॉलेज के एग्ज़ॅम्स ख़तम हो चुके थे, और एग्ज़ॅम ख़तम होने के बाद कॉलेज में एक कल्चरल फेस्ट होना था. उसके लिए हमे 24 दीनो की चुट्टिया मिली थी.

मुझे शुरू से ही किसी भी फंक्षन में कोई इंटेरेस्ट नही था, इसलिए मैने अपना समान पॅक किया, और मैं अपने घर झाँसी चला गया. मेरा घर मेरी सिटी से करीब 100 केयेम पड़ता है. इसलिए मैने झाँसी के लिए बस पकड़ी, और शाम को 3 घंटो में झाँसी पहुँच गया.

मैने अपने आने की खबर किसी को नही बताई थी. सोचा सब को सर्प्राइज़ दूँगा. जब मैं घर पहुँचा तो मेरे घर पर मेरी छ्होटी बेहन और मेरी मा थी. मेरी बड़ी बेहन अपने फ्रेंड्स के साथ घूमने बाहर गयी थी.

क्यूंकी मेरे पापा की झाँसी में दुकान थी, इसलिए वो सुबा 10 बजे वाहा चले जाते थे, और शाम को 9 बजे शॉप बंद करके घर आते थे.

मैं घर पहुँच कर दरवाज़े पर खड़ा हुआ, और बेल बजाई. दरवाज़ा खोलने के लिए मेरी बेहन आई. मेरे बिना बताए आने से वो सर्प्राइज़ हो गयी, और खुशी से मुझे गले से लगा लिया.

अनिता: अर्रे भैया, आपने आने की खबर भी नही दी इस बार, और हुमको सर्प्राइज़ कर दिया

मैं: हा बेहन, मैने सोचा इस बार सब को सर्प्राइज़ डू. इसलिए मैने आने की खबर किसी को नही दी. मा और बाकी सब कहा है?

अनिता: मा किचन में नाश्ता बना रही है. दीदी घूमने के लिए अपने फ्रेंड्स के साथ बाहर गयी हुई है. और पापा का तो आप जानते ही हो. वो शॉप में है.

मैं: अछा.

अनिता: अब बाहर खड़े ही सब जान लोगे, की अंदर भी आओगे आप?

मैने हा बोल कर अपना समान उठाया, और अंदर चला गया. अनिता ने मा को आवाज़ लगाई और कहा-

अनिता: मा देखो कों आया है.

मा बाहर आई, और मुझे देख कर खुश हो गयी. वो कहने लगी-

मा: आ गया मेरा लाड़ला.

मैं अपनी मा को देख कर खुश हो गया, और उनको गले से लगा लिया. मा भी शॉक हो गयी, और वो अनिता जैसे कहने लगी, तूने आने की खबर नही दी वग़ैरा-वग़ैरा.

मैं: हा मा मेरे कॉलेज के एग्ज़ॅम ख़तम हो गये, और कॉलेज में कल्चरल फेस्ट है. और उसके लिए 24 दीनो की छुट्टी मिली है. आप तो जानते हो मुझे शुरू से कोई शॉंक नही है, इन सब चीज़ों का, इसलिए मैं घर आ गया.

मा: अछा किया बेटा तू घर आ गया.

मैं: हा मा.

मा: तू कितना पतला हो गया है रे. हॉस्टिल में खाना नही मिलता क्या?

मैं: हा मा, आप तो जानते ही हो हॉस्टिल में कैसा खाना मिलता है. और स्टडी के कारण मुझे वक़्त नही मिलता, और मैं ज़्यादा खाना नही खा पाता.

मा: कोई बात नही. अब मेरा लाड़ला बेटा घर आ गया है ना, तो अब मैं उसकी अची खातिरदारी करूँगी.

ये कह कर मुझे फ्रेश होने को कहा, और मेरे लिए वो नाश्ता बनाने चली गयी.

मैं जब फ्रेश होकर बाहर आया, तो देखा की मेरी चाची आई हुई थी मुझसे मिलने. मेरी मा ने उनको मेरे आने की खबर बताई थी.

मेरी चाची ( राधिका ) की उमर 45 की है, उनका फिगर 36-29-7 है.

मैं मेरी चाची को देख कर चौंक गया. उस दिन उन्होने रेड कलर की सारी और रेड ब्लाउस पहना था. उसके अंदर ब्लॅक कलर की ब्रा सारी में से खूबसूरती से नज़र आ रही थी.

मैं इस गड्राई हुई चाची को देखता ही रह गया. मेरी आँखें नही तक रही थी. मैं उनको देखता ही रह गया. क्या हॉट माल लग रही थी वो.

इतने में चाची करीब आई और बोली-

चाची ( राधिका ): कैसा है वैभव तू?

मैं: मैं अछा हू चाची, आप कैसे हो? और पूनम और चाचा कैसे है?

चाची: तेरे चाचा और पूनम सब ठीक है बेटा. पर मैं ठीक नही हू.

मैं: क्या हुआ चाची?

चाची: मैं तेरे से नाराज़ हू.

मैं: क्यूँ?

चाची: तुझे हम लोगों की याद नही आती क्या?

लगता है तू हम लोगों को भूल ही गया है.

मैं (हेस्ट हुए): ऐसा नही है चाची. मैं आप लोगों को कैसे भूल सकता हू. आप लोग तो मेरी जान और सब कुछ हो.

चाची (हेस्ट हुए): तभी तू अपनी जान और सब कुछ को भूल गया है.

मैं: नही चाची, मेरे कॉलेज का तो आपको पता ही है. वाहा के लोग कितने टफ है. जब तक एग्ज़ॅम्स ख़तम ना हो जाए, तब तक हुमको आज़ाद ही नही करते. इसलिए मैं बहुत कम आ पाता हू.

चाची: कोई बात नही बेटा. हम सब तुमको देख कर खुश है.

मैं अपने घर में एक-लौटा लड़का था, अपने मम्मी-पापा और चाचा-चाची का, इसलिए मैं सबका लाड़ला था. मेरे चाचा चाची मुझे अपने सग्गे बेटे जैसा प्यार करते थे.

हम सब बात करने लगे, और साथ बैठ कर नाश्ता करने लगे. बातों ही बातों में 9 बाज गये, और पापा और चाचा घर आ गये.

मेरी चाची ने कहा: चल अब तेरे चाचा आ गये है. मैं उनके और प्रियंका के लिए खाना बनाने जेया रही हू. तेरा खाना भी वही है आज.

मैं बहुत दीनो बाद आया था, इसलिए मैं माना नही कर पाया, और मैने भी हा कह दी. मेरी मा ने भी माना नही किया. फिर 9:30 बजे उपर से आवाज़ आई चाची की-

चाची: दीदी खाना बन चुका है, चिकू ( मुझे प्यार से घर पर चिकू बुलाते है ) को भेज दो.

अनिता फिर मेरे कमरे में आई, और उसने बताया: आपको खाना खाने उपर बुला रही है चाची.

ये सुन कर मैं उपर चला गया. जब मैं उपर पहुँचा तो देखा, की मेरी चाची ने अपनी सारी चेंज कर ली थी, और ब्लू कलर की निघट्य पहने हुए थी. उस निघट्य में उनके बूब्स के चूचे उभर कर दिख रहे थे, और उनकी भारी-भारी कमर भी सेक्सी सी दिख रही थी.

हम लोग खाने की टेबल पर बैठे, और उन्होने खाने की टेबल पर सबके लिए खाना लगाया. फिर सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे.

चाचा: कैसा है बेटा चिकू? बड़े दीनो बाद आया है!? कैसे चल रही है तेरी पढ़ाई?

मैं: मैं अछा हू चाचा जी, और मेरी पढ़ाई भी अची चल रही है. बहुत दीनो से आप सब को देखा नही था, इसलिए मैं चला आया.

चाचा: कब तक रुका है बेटा तू यहा?

इतने में मेरी चाची बोली: अब वो आज ही तो आया है, और आप उससे ऐसा सब पूच रहे हो.

चाचा: अर्रे मैं ऐसा नही पूच रहा हू. बस पूच रहा हू की कितने दीनो के लिए रुकेगा यहा.

मैं: अभी मैं यहा महीने भर के लिए आया हू चाचा छुट्टी में.

चाची: अर्रे वाह! ये तो बहुत अची बात है. मुझे तो ये पता ही नही था.

टेबल पर सारी बातें हुई. हम सब ने अपना खाना ख़तम किया, और सोफे पर बैठ कर बातें करने लगे. मेरे चाचा काम से आए थे, तो थकान के कारण सोने चले गये. और उन्होने हमे बातें करने के लिए कहा, और अपनी बेटी प्रियंका को भी बोला-

चाचा: चलो बेटा, सुबा कॉलेज जाना है. तुम भी सो जाओ.

इतना कह कर वो दोनो चले गये. अब मैं और मेरी चाची दोनो एक साथ बातें करने लगे. मेरी चाची उस रात इतनी कामुक और हॉट लग रही थी, की मैं उनको ना देखते हुए बस उनके गोरे बदन और बूब्स को चुपके-चुपके निहारे जेया रहा था.

दोस्तों मैं आपको बता डू, की मैं ऐसा लड़का बिल्कुल भी नही था. मैं अपनी फॅमिली के बारे में कोई भी ग़लत विचार नही रखता था. पर उस रात वो इतनी हॉट लग रही थी, की मेरी नज़रे नही हॅट रही थी.

मेरी चाची मुझसे बात कर रही थी. कभी मैं उनको देखता, कभी उनके गोरे बदन को, तो कभी आस-पास की दीवारों को. मैं अपने आप को संभाल नही पा रहा था. फिर चाची ने मुझे उनके गोरे बदन को निहारते देख लिया था. इतने में उन्होने मेरी तरफ मुस्कुरा कर कहा-

चाची: क्या देख रहा है रे बदमाश?

मैं शॉक हो गया एक-दूं से, और दर्र के मारे अपनी नज़रे दूसरी तरफ घुमा ली.

मैं: कुछ नही चाची, बस ऐसे ही.

चाची: ऐसे ही क्या (हेस्ट हुए)?

मैने अपनी मंडी नीचे कर ली, और कहा शरमाते हुए: कुछ नही चाची.

चाची: कॉलेज जेया कर तो तू बड़ा स्मार्ट हो गया है.

मैं: नही चाची, आपको ऐसा लगता है क्या?

चाची: हा, और नही तो क्या, बड़ी सुंदर और हार्ड पर्सनॅलिटी हो गयी है तेरी, जिसको देख कर कोई भी लड़की पिघल जाए ( हेस्ट हुए). कोई कॉलेज में गर्लफ्रेंड वग़ैरा बनाई है की ऐसे ही नल्ला घूम रहा है?

मैं: नही चाची, मुझे कों देखेगा? मैं कहा उतना स्मार्ट हू. और मैं ठहरा मेकॅनिकल का स्टूडेंट. मेरे बॅच में लड़की मिलना मतलब रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिलना जैसा है.

चाची: तभी मुझे तब से घूरे जेया रहा है हैईना? शैतान कही के!

मैं: नही चाची, बस आपको बहुत टाइम बाद देखा ना, इसलिए आप से नज़रे नही हॅट रही है.

चाची: अछा बेटा, तभी अपनी ये तीखी नज़रों से चाची को देख रहा है( हल्की सी प्यारी मुस्कान के साथ).

मैने कुछ नही बोला, और मुस्कुरा दिया. हमे बातें करते-करते काफ़ी वक़्त बीट गया, और चाची ने मुझे कहा-

चाची: चल रात बहुत हो गयी है, सोने का वक़्त हो गया है. तुम बगल वाले कमरे में सो जाओ.

मैं: नही चाची, मैं नीचे घर पर जेया कर सो जौंगा.

चाची: तो ये घर नही है क्या?

मैं: वैसी बात नही है चाची. मेरा फोन नीचे ही है, और उसमे मुझे एक न्यू मोविए आई है उसको देखना है. इसलिए मैं नीचे जेया रहा हू. मैं अगले दिन आ जौंगा.

चाची: चल ठीक है तेरी मर्ज़ी. ये भी तेरा घर है. तुझे झा रुकना है रुक सकता है.

ये कह कर मैं घर आ गया. अब उस रात मुझे चाची का गोरा बदन मेरी आँखों के सामने ना जाने क्यूँ झूल रहा था.

उनके वो सेक्सी कमर और उनका कुल्हा, हाए मैं तो उस रात पागल सा हो गया था, और उनके बारे में ना चाहते हुए भी रह-रह कर सोचने लगा.

रात के 1:30 बाज चुके थे. मुझे नींद ही नही आ रही थी चाची के ख़यालो की वजह से. फिर तभी मैं पानी पीने के लिए किचन की और बढ़ा. वाहा से मेरी मा और पापा का रूम साथ ही था, और उनके रूम में से मुझे कुछ आवाज़े आ रही थी.

मैं ये सुन कर वापस मुड़ा, और दरवाज़े के पास खड़ा होकर सुनने लगा.उनका दरवाज़ा हल्का सा खुला हुआ था, तो मैने दरवाज़े के पास जेया कर देखा तो मैं डांग रह गया. मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी.

मेरी मा ब्रा और पनटी में थी, और मेरे पापा अंडरवेर में थे. वो एक-दूसरे को चूमे जेया रहे थे मदहोश हो कर. मेरी मा नीचे थी, और पापा उनके उपर. मेरे पापा उनके नरम-नरम गुलाबी होंठो पर किस कर रहे थे, और मेरी मा ने उनको कस्स कर पीछे से पकड़ा हुआ था.

वो एक-दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे, जैसे कोई चंदन के वृक्ष पर कोई साँप लिपटा हो. मैं अपने आप को रोक नही पा रहा था. मुझे उनको देखने का और भी ज़्यादा मॅन कर रहा था, क्यूंकी मैने अपने जीवन में पहली बार उनको एक साथ सेक्स करते देखा था.

हाए क्या नज़ारा था! जैसे मैं लिव किसी देसी आंटी को चूड़ते हुए देख रहा था. इसका स्वाद ही अलग आने लगा था. तभी मेरे पापा ने मेरी मम्मी की ब्रा-पनटी उतार दी, और अपने अंडरवेर को भी उतार लिया.

जब मैने अपनी मा के कौले और गोरे बदन को देखा, तो ना-जाने कब मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया. और वो खड़ा हो कर सलामी देने लगा था. इतने में मेरे पापा ने मा को कस्स कर पकड़ा, और अपना लंड मेरी मा की छूट में हल्के से डाल दिया, और उनको हल्के-हल्के से धक्के देने शुरू कर दिए.

मा के मूह से हल्की-हल्की सिसकिया निकल रही थी आहह आ की. मैं पागल सा हो गया था ये सब देख कर. मेरे पापा ने अपनी रफ़्तार बधाई, और उनको कस्स-कस्स कर छोड़ने लगे और मा मदहोश हो गयी. थोड़ी देर मा को छोड़ने के बाद उनके लंड से उनका स्पर्म छ्छूट गया, और मेरी मा की छूट में चला गया. फिर वो आहह आअहह करते हुए उनके उपर लेट गये.

मेरे पापा ने उनके साथ करीब 15-20 मिनिट तक सेक्स किया, पर फिर भी मा संतुष्ट नही हुए. मेरी मा चुप सी हो गयी, और तोड़ा उदास सी दिखने लगी. फिर उन्होने कहा-

मा: आपका तो रोज़ का हो गया है जी. आपका

इतना जल्दी बाहर निकल जाता है, की मेरा कंप्लीट ही नही हो पता.

पापा: क्या करू मीनाक्षी, मैं इतना ही कर पता हू.

अब पहले जैसी वो बात कहा रही मुझमे.

मा: हा लेकिन, पहले भी आप में वो बात नही थी.

पापा: अब क्या कर सकता हू मैं इसमे? मेरा हो जाता है, और मैं संत्ुस्त हो जाता हू.

मा: और मेरा क्या, जो इतने दीनो से यही देख रही हू? मैं कैसे संतुष्ट करू अपने आपको.

ये कह-कह कर पापा मा से अलग हो कर अपनी साइड में सो गये. मेरी मा ने उदासी के साथ अपने ब्रा-पनटी पहनी, और उनसे उल्टा मूह करके अपनी छूट को उंगली से सहलाने लगी. थोड़ी देर उंगली करने के बाद उनका भी पानी निकल गया छूट से, और वो ठंडी पद कर सो गयी.

ये सब देख कर मेरे मॅन में ना-जाने मेरी मा के लिए क्या ख़याल आने लगे. मैं अपने कमरे में चला गया, और सेक्सी मा की कहानी पढ़ने लगा. रात भर अपनी मा-पापा के बारे में सोचते-सोचते मेरी कब आँख लग गयी, मुझे पता ही नही चला.

अगली सुबा मैं लेट से उठा, और देखा, और कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी किस्मत का टाला खुल गया.

अब आयेज की कहानी अगले पार्ट में. अगले पार्ट में मैं आपको बतौँगा की कैसे मैने अपनी मा का दुख डोर किया, और कैसे उनको अपनी और आकर्षित किया.

अगर ये पार्ट आपको अछा लगा हो, तो मुझे कॉमेंट करे, या मैल करके बताए की आपको कैसा लगा, और आप कितने उत्सुक है मेरे अगले पार्ट के लिए.

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