मम्मी मैं आदमी वाला काम करूंगा तेरे साथ–2

गतांक से आगे………………… मम्मी मैं आदमी वाला काम करूंगा तेरे साथ–1

मैने अब मां का गुदा चोदना शुरू कर दिया. मैं और अम्मा दोनों अब बुरी तरह से उत्तेजित थे. मैंने उसे धीरे से पूछा “भोसड़ी की, मजा आ रहा है ना ?” मां बोली “हाय तू चुप चाप चोद रे हरामी, साला कितना मोटा लौड़ा है तेरा. मेरी फ़ाड़ रहा है, तेरे मामाजी जैसा ही है” अब मेरा पूरा लंड मां की गांड में गड़ा हुआ था. मेरे लंड का मोटा डंडा उसकी गांड में टाइट फ़ंसा हुआ था और मां के गुदा की पेशियां उसे कसके पकड़े हुए थीं. मां के स्तन लटक रहे थे और जब जब मैं गांड में लंड को घुसेड़ता तो धक्के से वे हिलने लगते.

कुछ देर मराने के बाद मां उठ कर सीधी खड़ी होने की कोशिश करने लगी. मैंने उसे पूछा कि सीधी क्यों हो रही है. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में था और जैसे ही वह सीधी हुई, उसकी पीठ मेरी छाती से सट गयी. मैंने उसकी कांखों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसके मम्मे पकड़ लिये और दबाते हुए उसे जकड़ कर बाहों में भींच लिया. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. मैंने पूछा “मम्मी मजा आ रहा है ना?” मां ने गर्दन हिलायी और धीरे से कहा “बेटा मेरा चुम्मा ले ले के चोद.”

मैने उसे अपना सिर घुमाने को कहा और फ़िर मां के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूमता हुआ खड़े खड़े उसकी गांड मारता रहा. बीस मिनट की मस्त चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य मां की गांड के अंदर झड़ा डाला. अपना लंड मैंने बाहर निकाला और मां ने कपड़े पहनना चालू कर दिया. अपनी उंगली से उसने अपने चुदे हुए गुदा द्वार को टटोला. अब तक पारो आगे जा चुकी थी.

मां ने तृप्त निगाहों से मेरी ओर देखा और कहा “बेटा आज रात को प्रीति की गांड पूरी लूज़ कर दे.” मैं बहुत उत्तेजित था. मैंने कहा “मम्मी आज की रात मैं अपनी बहन को नंगी कर के अपने लंड के नीचे कर के उसकी गांड में लंड दूंगा.”

मां भी मस्त थी और आगे झुककर मेरे होंठ चूमने लगी, बोली “बेटा मेरे चूतड़ों में भी लंड डाल के मेरी गांड मारेगा ना?” मैंने कहा “मम्मी तेरी गांड तो मैं पूरी खोल दूंग.”

मां मेरी ओर देख कर प्यार से बोली “साला मादरचोद!” मैंने उसके गाल सहला कर कहा “साली चुदैल रन्डी!” मां घर की ओर चल दी और मैंने अपने लंड की ओर नीचे देखा. मां की गांड के अंदर की टट्टी के कतरे उसपर लिपटे हुए थे. मुझे तो ऐसा लगा कि मैं खुद अपना लंड चूम लूं या उसे मां या पारो के मुंह में दे दूं.

मैं खुशी खुशी फ़िर काम पर निकल गया क्योंकि मुझे पता था कि आज रात मुझे मां के साथ साथ अपनी ही बहन को चोदने का मौका मिलेगा. अपनी छोटी बहन प्रीति को चोदने की कल्पना से ही मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया. मैंने हमारे नौकरानी को कई बार उसके परिवार में होने वाली भाई-बहन की चुदाई के किस्से सुनाते हुए सुना था. मुझे यह भी पता था कि हमारे गांव में बहुत से घरों में रात को भाई अपनी बहनों के कमरे में जाकर उनकी सलवार और चड्डी निकालकर चोदते हैं. मामाजी को मां को चोदते हुए कभी देखा तो नहीं था पर पूरा अंदाजा था मुझे.

उस शाम मैं एक दोस्त के साथ खेतों में घूमने गया. सुनसान जगह थी और आसपास कोई नहीं था. मैंने मौका देख कर उससे पूछा. “यार एक बात बता, जब तेरा लंड कंट्रोल में नहीं रहता है तो तू क्या करता है?”

उसने मेरी ओर शिकायत की नजर से देखा और कहा “तूने जवान होने के बाद हम दोस्तों के बीच में बैठना बन्द कर दिया है”

मैंने आग्रह किया “बता ना यार.”

वह बोला “मैं और मेरी दोनों बहनें साथ में सोते हैं, रात को दोनों को नंगी कर देता हूं. जब घर में ही माल है तो लंड क्यों भूखा रहे.”

फ़िर वह बोला “हमारे ग्रूप में सब दोस्त यही करते हैं. मैं तो अपनी मां को भी चोदता हूं. यार घर में अपनी मां बहनों को चोद के तो हम लोग अपने लंडों की गरमी दूर करते हैं.”

फ़िर उसने अपना लंड निकाल कर मुझे दिखाया “देख मेरा लंड, देख रात को मैं नंगा हो के घर में घूमता हूं और रात को मेरी मम्मी और बहनें लेट कर अपनी चूत से पानी छोड़ती हैं तो मैं उन सब की चूत मार के ठन्डी करता हूं. तुझे तो पता है मेरी मां कैसी है और मेरी बहनें भी मां जैसी ही हैं, रात को सब अपनी अपनी चूतें नंगी कर के लेट जाती हैं और चूत की खुशबू सारे घर में फ़ैल जाती है.”

फ़िर उसने भी मुझे घर जाकर अपनी मां और बहन को चोदने की सलाह दी. तभी खेत में से उसकी मां की आवाज सुनाई दी. मैं घबरा गया और जाने लगा पर उसे कोई शरम नहीं लगी. वह मुझे भी साथ ले जाना चाहता था पर मैं घर जाने का बहाना कर के वहां से चल पड़ा. मैं कुछ देर चलने के बाद चुपचाप वापस आया क्योंकि देखना चाहता था कि वे क्या करते हैं. छुप कर मैं ज्वार की बालियों में से उन्हें देखने लगा. वे पास ही थे. शाम हो चुकी थी पर अब भी देखने के लिये काफ़ी रोशनी थी.

मैने देखा कि मां और बेटे आपस में लिपट गये और आलिंगन में बंधे हुए चूमा चाटी करने लगे. दोनों बहुत गरमी में थे. आस पास कोई नहीं था. उसकी मां बोली “बेटा, हम अकेले ही हैं ना यहां?” वह बोला “हां मम्मी, कोई नहीं है, मजा आयेगा मां, चलो शुरू करें?”

फ़िर वह कुछ शरमा कर धीमी आवाज में बोला “मम्मी, आज तेरी गांड खाने का मन कर रहा है, खिला दे ना.”

उसकी मां ने घबरा कर आस पास देखा और कहा “बेटे, धीरे बोलो, कोई सुन लेगा, किसीको पता न चले कि हम आपस में क्या करते हैं.” फ़िर उसने हौले से मेरे मित्र से पूछा “मेरी गांड खायेगा बेटा?”

“हां अम्मा एक हफ़्ते से ज्यादा हो गया. मेरा बस चले तो रोज खाऊं” मेरा मित्र बोला.

उसने कपड़े उतारे और जमीन पर बैठ गयी. मेरा दोस्त उसके पीछे जाकर लेट गया और अपना मुंह उसकी मां की गांड के नीचे रख दिया. उसकी मां उसके मुंह पर बैठ गई. मुझे कुछ दिख नहीं रहा था. बीच बीच में वो जोर लगाती तो तो उसके पेट की कसी मांस पेशियां दिखतीं. मेरी मित्र मां की गांड से मुंह लगाकर कुछ खा रहा था. उसका मुंह चल रहा था, बीच बीच में वह निगल लेता. कुछ देर बाद उसकी मां घूम कर बैठ गयी और अपने बेटे के मुंह में मूतने लगी. उसने चुपचाप मां का मूत पी लिया.

इसके बाद दोनों चोदने में जुट गये जिसके दौरान उत्तेजित होकर उसकी मां कहने लगी “बेटा, अपना बीज अपनी मां के गर्भ में डाल दे, उसे गर्भवती कर दे, बेटा, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनना चाहती हूं, अपनी मां को चोद कर उसे बच्चा देगा ना?”

वह बोला, “हां मां, मैं तुझे चोद कर अभी अपना बीज तेरे पेट में बो देता हूं, तुझे मां बना देता हूं. अपना भाई पैदा करूंगा तेरे पेट से. वो बड़ा होगा तो वो भी अपनी बुढ़िया मां को चोदेगा” फ़िर वह हचक हचक कर सांड़ की तरह अपनी मां को चोदने लगा. मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था और वहां से घर की ओर चल पड़ा.

जब मैं घर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद था. मैं पिछवाड़े से धीरे से अंदर गया तो देखा कि मां गांव की एक महिला, अपनी सहेली के साथ बैठी गपशप कर रही थी. मैं उसे जानता था, हम उसे चाची कहते थे. पलंग पर बैठ कर वे किसी बात पर हंस रही थीं.

मैंने उसे कहते सुना “मैं तो रात को अपनी चूत नंगी कर के वरान्डे में लेट जाती हूं. रात को जिसका भी दिल करता है, आ के मेरी चूत मार जाता है.”

मां हंस रही थी, बोली “तेरी चूत का तो सुबह तक पूरा भोसड़ा बन जाता होगा?”

चाची बोली “हां मेरा जो दूसरा लड़का है, वह भी कोशिश करता है पर उसका लंड मेरी चूत में फंसता ही नहीं.” मां बोली “उसको गांड दे दिया कर.” चाची बोली “उसका तो मैं चूस देती हूं.”

उस रात खाने के बाद मैं पिछवाड़े गया. कुछ खेतों के बाद हमारी नौकरानी पारो की झोपड़ी है. रात काफी हो गयी थी. चारों ओर सन्नाटा था. मैंने पारो को झोपड़ी के बाहर आते देखा. शायद वह मूतने आयी थी. उसके पीछे पीछे मैंने किसी और को भी बाहर आते देखा. देखा तो उसका बेटा था. पारो खेत की मेड़ के पीछे गयी थी. उसके पीछे पीछे उसका बेटा भी अपना लंड पाजामे के ऊपर से ही पकड़ कर हिलाता हुआ गया, वह बड़ी मस्ती में लग रहा था.

हमारी नौकरानी पारो एक स्थान पर खड़ी हो गयी और अपनी सलवार की नाड़ी खोली. फ़िर दोनों को नीचे करके पैरों में से निकाल कर वह टांगें फ़ैला कर मूतने के अंदाज में बैठ गयी.

उसका लड़का उसके पास खड़ा होकर ललचायी निगाहों से उसकी ओर देख रहा था. बेटे की ओर देख कर पारो ने उसे साथ में बैठने को कहा. वह बैठ गया. पारो डांट कर बोली “अपना लंड निकाल के बैठ.” मां का कहा मानकर उसने लंड निकाल कर हाथ में ले लिया. फ़िर हाथ अपनी मां की जांघों के बीच बढ़ाकर उसने सीधे उसकी बुर को छू लिया.

पारो ने अपने पैर और दूर कर लिये और अपनी जांघें पूरी फ़ैला दीं. उसकी चूत के पपोटे अब बिल्कुल खुले थे. उसके बेटे ने फ़िर चूत छू कर कहा “मां तेरी चूत पूरी चौड़ी हो गई है.” पारो ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड पकड़ लिया

फ़िर उसकी ओर देख कर बोली “चल अब मूत लेने दे.” बेटे ने मां की ओर देख कर कहा “मां आज अपना मूत पिला दे ना.” पारो यह सुनकर उत्तेजित हो गयी और उसकी ओर मुंह कर के बोली “साला हरामी मादरचोद.” उसके पैर मस्ती से थरथरा रहे थे. उसने अपने बेटे के गले में बाहें डालीं और उसके कान में पूछा “बेटे, मेरा मूत पियेगा?” फ़िर खड़ी होकर उसने इधर उधर देखा और अपनी टांगें फ़ैला कर बेटे से कहा “बेटा मेरी चूत मुंह में ले.”

लड़के ने तुरंत मां की मान कर अपना मुंह खोला और पारो की बुर पर रख दिया. पारो अब उसके मुंह में मूतने लगी. वह अपनी मां का मूत पीने लगा. पारो उत्तेजित होकर गंदी गंदी गालियां देने लगी. “साले मादरचोद ले पी अपनी मां का मूत. भोसड़ी के मां की पिशाब पी ले.”

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मूतना खत्म होने पर वह खड़ा हो गया, उसका लंड तन्ना कर उसकी जांघों के बीच खड़ा था. उसकी मां उसके सामने पैर फ़ैला कर खड़ी थी और उसकी जांघों के बीच का छेद पुकपुका रहा था. वह बोली. “बेटा अपनी मां का छेद भर दे.” लड़के ने अपने कूल्हे आगे किये और मां से कहा “मां अपना छेद आगे कर.” पारो ने पैर और फ़ैलाये और चूत आगे करके अपनी बुर का छेद अपने बेटे के लिये पूरा खोल दिया.

मैं अब मां की चूत मे बेटे का लंड डलता देख उत्तेजित था. लड़के ने लंड अंदर घुसेड़ा और अपनी मां की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने शरीर से चिपका लिया. मां को दबोचे हुए वह बोला “साली जरा पास आ. बदन से बदन चिपका.” पारो ने भी उसे आलिंगन में भर के कहा. “हाय जरा लंड पूरा अंदर दे के चोद.”

मैं भी अब अपनी मां बहन को चोदने के लिये उतावला था. मैं जानता था कि कुछ ही देर में मेरा लंड मेरी मां की चूत में होगा. पर घर जाने के पहले मैं अपने दूसरे दोस्त से मिलना चाहता था जो खेतों के पास ही रहता था. रात बहुत हो गयी थी पर मुझे पता था कि वह मुझे जरूर कुछ बतायेगा. उसके घर के पीछे एक खलिहान था जहां वे अनाज रखा करते थे. खलिहान में से रोशनी आ रही थी. मुझे एक छोटी सी खिड़की दिखी. मैं देखना चाहता था कि वहां कौन है इसलिये एक पत्थर पर चढ़कर अंदर झांकने लगा.

अंदर दो खटिया थीं. मेरे दोस्त की अम्मा एक खाट पर पैर लटका कर बैठी थी और मेरा दोस्त उसके सामने जमीन पर मां के घुटनों को पकड़ा हुआ बैठा था. वे बातें कर रहे थे जो मुझे साफ़ सुनाई दे रही थीं.

मेरा मित्र बोला. “मम्मी थोड़ी टांगें खोल ना.” उसकी मां ने जरा सी अनिच्छा से अपनी जांघें थोड़ी सी फ़ैला दीं. ऐसा लगता था कि वह मां को सलवार उतारने को मना रहा था. “मम्मी सलवार उतार दे ना.” शायद उसकी मां चुदने को अभी तैयार नहीं थी, मुझे मालूम था कि शुरू में ऐसा होता है. मेरा मित्र मां को मनाता रहा.

वह धीरे धीरे रास्ते पर आ रही थी और चुदने की उसकी अनिच्छा कम हो रही थी. वह बोली “बेटा देख कोई देख तो नहीं रहा है.” वह उठा और आंगन में देखने के बाद दरवाजे की सिटकनी लगाकर वापस आ गया. बोला “मम्मी सब दरवाजे बंद हैं. हम दोनों अकेले हैं.” उसकी मां ने फ़िर पूछा “ठीक से देखा है ना?” वह बोला “हां मम्मी सब तरफ़ देखा है चल अब अपनी सलवार उतार.” मां को नंगा करने को वह मचल रहा था.

उसकी मां खड़ी हो गयी और अपनी कमीज ऊपर उठा कर सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार अब ढीली होकर उसके पैरों में गिर पड़ी और उसमें से पैर निकाल कर वह आकर फ़िर खाट पर बेटे के सामने बैठ गयी. मेरा दोस्त अब उतावला हो रहा था. अपनी मां की जांघों के बीच हाथ डालकर उसने अपना हाथ बढ़ाया और पैंटी के ऊपर से ही मां की चूत सहलाने लगा. उसके छूने से मस्त होकर उसकी मां ने भी टांगें और फ़ैला दीं.

क्रमशः………………..

गतांक से आगे…………………

दोनों अब जम के उत्तेजित थे. वह बोला “मम्मी कच्छी भी उतार दे.” वह उसकी ओर देख कर बोली “तू अपना लंड बाहर निकाल.” वह बोला “ठीक है, तू मेरा लंड देख़” उसने फ़िर अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना एक फ़ुट लंबा मोटा लंड बाहर निकाल लिया.

उसका मस्त लंड देखकर उसकी मां ने हाथ बढ़ाकर लंड हाथ में ले लिया और बोली “बड़ा भारी लौड़ा है तेरा. देख कैसा तोप की नाल की तरह खड़ा है” वह बोला “मम्मी इसको अपनी चूत तो दिखा.” उसकी मां खड़ी हो गयी और अपनी पैंटी भी उतार दी. उसकी फ़ूली सूजी हुई चूत अब उसके बेटे की आंखों के सामने थी और वह उसे बड़ी भूखी नजर से देख रहा था. उसकी जांघों के बीच उसका लंड अब और तन्ना रहा था. मां ने उसके चेहरे की ओर देख कर कहा “हाय बेटे तेरा लंड खड़ा हो गया है.”

उसने अपने मचलते लंड को देखा और फ़िर मां के चेहरे को तकने लगा. फ़िर बोला “मम्मी मेरे लंड को तेरी चूत चाहिये.” मां की कलाई पकड़ कर खींच कर उसने अपनी मां को गोद में बिठा लिया और फ़िर उसका बांयां स्तन पकड़ कर दबाते हुए बोला “मम्मी मरवाएगी?” उसकी मां हल्के से बोली “अपनी मां की चूत मारेगा?” मेरे मित्र ने अपनी मां की बुर मे उंगली करनी शुरू कर दी. फ़िर उसे खाट पर पटक कर उसकी जांघें खोलीं और अपना मुंह मां की बुर पर रख दिया.

फ़िर मुंह खोल कर मां की चूत चूसने लगा. कुछ ही देर में मां मस्त हो गयी और उसे बोली “रुक बेटे, मैं तेरे लिये चूत ठीक से खोलती हूं, जरा खाट के किनारे मुझे बैठने दे.” वह जमीन पर बैठ गया और मां खाट पर चढ़कर मूतने के अंदाज में जांघें फ़ैला कर बैठ गयी. फ़िर उसने अपने बेटे के कंधे सहारे के लिये पकड़ लिये और उसका मुंह खींच कर अपनी चूत पर दबा लिया. वह जोर जोर से मां की खुली हुई चूत चूसने लगा.

खुछ देर बाद बत्ती बंद हो गई. सब तरफ़ अंधेरा और सन्नाटा था. मैंने उसकी मां की धीमी आवाज सुनी. मां काफ़ी उत्तेजित लग रही थी. “बेटे मेरे साथ गांड खाने वाला काम करेगा?” वह मां की चूत रस ले लेकर चूसता रहा और कुछ न बोला. उसने फ़िर पूछा “हाय सुन मेरी गांड खा ना.” वह धीरे से बोला “मां, पूरा खिलाएगी? या बीच में छोड़ देगी जैसा उस दिन किया था” उसने उत्तर दिया “हाय गांड पूरी खिलाऊंगी बेटा, खाएगा?”

वह अब मस्त होकर मुठ्ठ मार रहा था, बोला “मम्मी मौका है आज तुझे, पता है तान्त्रिक भी कह रहा था कि मां की गांड का माल खाने से आदमी पूरा मस्त हो जाता है. मां बता ना तूने तान्त्रिक के मुंह में टट्टी की थी ना.”

वह बोली “हाय बेटे, वो तो साले सब गांड का माल खाते हैं. उनकी बात छोड़. तू खायेगा मां की गांड से?” मेरा मित्र बोला “मम्मी अपनी गांड आगे कर.” उसकी मां ने टांगें फ़ैला कर अपना गुदाद्वार बेटे के मुंह के आगे कर दिया. वह मां की गांड चाटने लगा. उसका लंड बड़ा बुरी तरह से खड़ा था और मस्ती में वह मां की चूत भी चूस रहा था. “मां, खिला ना”

“सबर कर, सुबह खिला दूंगी, मेरे कमरे में आ जाना” उसकी मां बोली.

उन्हें चोदते हुए देख कर मैंने अपनी मां की चूत के बारे में सोचना शुरू किया. मैंने आज देखा था कि मां की बुर का छेद बड़ा है, जिसे भोसड़ा कहते हैं. मुझे मां का भोसड़ा आराम से ठीक से देखने की तीव्र लालसा थी. मैं भाग कर घर पहुंचा. दरवाजा खटखटाया तो मेरी प्यारी सुंदर छोटी बहन प्रीति ने दरवाजा खोला. वह आधी नींद में थी. मुझे दरवाजा खोल कर वह अपने कमरे की ओर सोने चल दी.

पीछे से मैंने उसके भरे हुए कसे कमसिन चूतड़ देखे तो मन ही मन धीरे से बोला “साली क्या मस्त गांड है तेरी मेरी प्यारी बहना. ठहर जा आज रात तेरी गांड में लंड दूंगा.” मेरी बहन ने बड़े निर्दोष भाव से पीछे मुड़ कर पूछा “भैया कुछ कहा क्या.”

मैं बोला “कुछ नहीं तू जा.” मैं जानता था कि प्रीति को चोदने के लिये अभी वक्त था, पहले तो मुझे अपनी मां चोदना थी. मैंने अपनी बहन को पूछा “मम्मी कहां है?”

वह तपाक से मुड़ कर बोली “बाथरूम में भोसड़ा खोल के मूत रही है.” मैं उसे देखने लगा. प्रीति मेरी ओर देखकर शैतानी से मुस्कराई और अपनी चूत पर हाथ रखकर बोली “यह मेरा भोसड़ा है भैया, आज मम्मी का भोसड़ा मारा है आपने खेत में, मेरा भी मार दो.” मैंने उसकी ओर मुस्कराकर कहा “पहले मम्मी की चोद लेने दे, फिर तेरी मारूंगा. और भोसड़ा तो ममी का है, तेरी तो बुर है”

मैंने फ़िर ज़िप खोल कर अपना लंबा तगड़ा लंड उसे दिखाया और कहा “यह मेरा लंड देख रही है ना, यह साला पूरा तेरी चूत में दूंगा आज रात को”

वह मेरे खड़े लंड को देखकर चुप हो गयी. मैंने कहा “बहन, फ़िकर मत कर, मम्मी को चोद लेने दे, फ़िर आ के तुझे चोदता हूं” तभी मैंने देखा कि मां दरवाजे पर खड़ी थी. अभी अभी मूत कर आयी थी. मेरे लंड को देखकर बोली “बेटे, अपनी छोटी बहन को अपना लौड़ा दिखा रहा है?”

फ़िर मां मेरी छोटी बहन की ओर मुड़ कर बोली “तू क्या कर रही है खड़ी खड़ी, चल अपने भाई को अपनी चूत खोल कर दिखा”. प्रीति शरमा कर हिचकिचा रही थी तो मां ने उसे डांटा. “चूत जल्दी से नंगी कर ना ऽ अपनी” फ़िर मां हमें बोली. “जब मैं छोटी थी ना तब मैं अपने भाई को अपनी चूत पूरी नंगी करके दिखाती थी.”

अब तक मेरी बहन ने अपनी सलवार निकाल दी थी और अब चड्डी उतार रही थी. चड्डी उतार कर वह खड़ी हो गयी पर मां ने उसे डांट कर अपनी जांघें खोलने को कहा जिससे मैं ठीक से उसकी चूत देख सकूं. जैसे ही मेरी बहन ने अपनी जांघें खोल कर अपनी गोरी कमसिन चूत मुझे दिखाई, मेरा तन्नाकर और खड़ा हो गया. जब मां ने मेरा खड़ा लंड देखा तो बोली “हाय, भाई का खड़ा ना हो अपनी बहन की चूत देखकर, ऐसा कभी नहीं हो सकता है”

फ़िर मां बोली “जो लड़के अपनी मां बहनों की चोदते हैं, उनके लंड हमेशा टाइट रहते हैं.” फ़िर वह बोली कि सिर्फ़ मैं ही पीछे रह गया था नहीं तो हमारे इलाके में परिवार में चुदाई तो आम बात थी. बाहर कोई नहीं जानता पर सब परिवार के लोग आपस में एक दूसरे को खूब चोदते हैं.

मैंने पूछा “मां. सच बता, मामाजी चोदते हैं तुझे?”

“तू तो जानता है बेटा. मेरा भाई तब से मुझे चोदता है जब मैं इतनी सी थी.” मां ने कहा.

फ़िर मां मेरे पास आ कर बोली “बेटा, अब तो अपनी मां बहन को नंगी करके नचा दे” मैं अब बहुत उत्तेजित था और उन दोनों को कलाई पकड़ कर बेडरूम की ओर घसीटते हुए बोला “अच्छा! क्या तुम दोनों मेरे लिये नंगी होकर नाचोगी?” मां ने मुड़कर कहा “ठहर मैं घर के सारे दरवाजे बंद करके आती हूं, फ़िर तेरे सामने नंगी होकर ऐसे नाचूंगी कि तू मुझे रंडी कहेगा”

मां जब दरवाजा बंद करने गयी तो मेरी बहन मेरी ओर मुड़कर बोली “भैया, मेरी सब सहेलियों के भाइयों ने उनकी चूतें मार मार के खोल दीं हैं, वो तो सब बैठ के अपने भाइयों के लंड के बारे में बोलती हैं. पर भैया आपने मेरी चूत पहले क्यों नहीं मारी? मामाजी कितना चोदते हैं मां को हर रात, मुझे सब सुनाई देता है. तुम नहीं चोदोगे तो मैं मामाजी से चुदा लूंगी”

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मैंने उसे बाहों में लेकर कहा. “सुन, आज तेरी चूत खोल दूंगा.” वह बोली “भैया आज मेरे साथ गंदी गंदी बातें करो.” मैंने कहा “जरा मां को तो आने दे” हम पलंग पर बैठ कर मां का इंतजार करने लगे. मां वापस आकर हमारे पलंग पर बैठ गयी, मैं बहुत खुश था. आज मैं एक साथ अपनी मां और बहन को चोदने वाला था.

मां आयी और बोली “ऐसे ही बैठा है लंड पकड़कर? मुझे तो लगा था कि अब तक तू प्रीति की ले चुका होगा.”

“पहले तेरी लूंगा मां, फ़िर तेरे सामने प्रीति की खोलूंगा” मैंने लंड हाथ में लेकर कहा.

“हाय आज ली तो थी बेटा तूने खेत में! फ़िर पीछे से गांड भी ले ली थी. चल फ़िर से चोद ले मुझे” मां अपनी बुर को सलवार पर से रगड़ते हुए बोली. मैं मां का हाथ पकड़कर अंदर ले गया.

“प्रीति तू भी आ, मेरे बाद तेरी बारी है” मां ने कहा.

मां के कमरे में जाकर मैंने उससे कपड़े उतारने को कहा. मां ने सलवार का नाड़ा खोल दिया. उसकी सलवार नीचे गिर गयी. अंदर उसने कुछ नहीं पहना था.

“मां, कुरता भी निकाल दे, तेरे को नंगी देखूंगा” अपने लंड को पकड़कर मैं बोला.

मां मुझे तकती हुई बोली “हाय, बहन के सामने नंगी करेगा अपनी मां को”

“हां, मैं तो बहन के सामने मां को चोदूंगा. अब नखरे मत कर” प्रीति मेरे पीछे खड़ी थी. उसने अपनी कुरती उतार दी. मेरी छोटी बहन अब मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी.

“मां नखरा कर रही है भैया, तुम मेरी ले लो जल्दी से” मेरे लंड को पकड़कर वो बोली.

“प्रीति रुक, अभी देर है तुझे चुदने में” मां ने अपना कुरता उतार दिया. उसके भरे भरे मांसल स्तन अब मेरे सामने थे. उन्हें दबाते हुए मैंने मां को पूछा “बोल, गांड मरवायेगी या चुदवायेगी?”

“अभी तो चोद दे अपनी अम्मा को” मां ने कहा. अब तक गरमाकर वह अपनी फ़ुद्दी में उंगली कर रही थी.

भैया मां की चूत चाट लो. सब चाटते हैं अपनी मां बहन की चूत” प्रीति बोली. मां झल्ला कर बोली “अरे चोदने दे ना पहले, चाट तो कोई भी लेगा, तू कितना अच्छा चाटती है रोज”

मैंने प्रीति की ओर देखा “हां भैया, मां मुझसे फ़ुद्दी चुसवाती है, अब आप या मामाजी चोदने को नहीं रहोगे तो क्या करेगी? मुठ्ठ मारेगी?” प्रीति बोली.

मुझे तैश आ गया. लंड सनसना रहा था पर फ़ुद्दी चाटने की बात से मेरा सिर घूम रहा था. मां खाट पर बैठ गयी और अपनी बुर खोल दी. “ले देख ले, मरा जा रहा था ना अपनी अम्मा का भोसड़ा देखने को?”

क्रमशः………………..

गतांक से आगे…………………

मैंने मां की बुर को पास से देखा और फ़िर उसे लिटा कर मैंने अपना मुंह उसकी बुर के फ़ूले पपोटों पर लगा दिया और चाटने लगा.

“जायकेदार है ना भैया? मां की फ़ुद्दी का पानी मेरे को बहुत अच्छा लगता है … सिर्फ़ चाटोगे या चूसोगे भी?” प्रीति मेरी ओर देखकर बोली.

“तू इधर आ प्रीति” मां ने उसे पास बुलाया, प्रीति को आगोश में लेकर वह उसे चूमने लगी “उसे मत सिखा प्रीति, मेरा बेटा है, मां की चूत अपने आप चाट लेगा. साला मादरचोद, कल को मां का मूत भी पीने बैठ जायेगा, ये बेटे सब जानते हैं, मां की बुर को खुश करने में इनको देर ना लगे बेटी”

“वो तो सब पीते हैं अम्मा, सुमन बता रही थी कि उसका भाई पानी नहीं पीता, खेत पर प्यास लगती है तो घर वापस आता है अपनी अम्मा का मूत पीने, उसने छुप कर देखा था” प्रीति अम्मा से चिपट कर उसकी चूंचियां दबा कर बोली.

“जो बेटे सच में अपनी अम्मा से प्यार करते हैं, वे कुछ भी कर सकते हैं” कहकर मां मे मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया.

मैं अपनी मां की फ़ुद्दी जीभ से चाट रहा था. प्रीति बोली “भैया, कितना चाटोगे, अब मुझे चोद दो ना”

“उसे परेशान न कर प्रीति. तू आ इधर” मां ने प्रीति को अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चूसने लगी. प्रीति मेरी ओर देखकर बोली “भैया, मां रोज चाट देती है मेरी. कहती थी कि जब तक भैया तुझे ना चोदने लगे, ऐसे ही चुसवा लिया कर मुझसे”

मैंने उठ कर प्रीति को अलग किया और मां की टांगों के बीच बैठ गया. अपना सुपाड़ा जब उसके पपोटों पर रखा तो मां बोली “हाय बेटा, ये तो सुबह से भी ज्यादा बड़ा हो गया है” मैंने मां की बुर में लंड घुसेड़ दिया और उसपर लेट गया. प्रीति उठकर गौर से देखने लगी.

“हाय अम्मा, तूने भैया का पूरा ले लिया … इतना बड़ा”

“लंड की क्या बात है,इसको तो मैं पूरा ले लूं, यहीं से तो निकला था साला हरामी. अब चोद ना मेरे लाल!” मां ने सिसककर कहा. मैं मां को चोदने लगा. खाट चरमराने लगी. मां आंख बंद करके चुदवा रही थी. कूछ देर बाद आंखें खोलकर बोली “हां बेटा …. ऐसे ही … और जोर से चोद ना” मैं जोर जोर से मां को चोदने लगा. मां ने मुझे अपने पैरों में जकड़ लिया. मैं झुक कर मां के होंठ चूमने लगा. प्रीति मां के बाजू में लेट गयी और उसके मम्मे दबाने लगी. बीच में मैंने उसका भी चुम्मा ले लिया.

दस मिनिट कस के चोदने के बाद मां की बुर ने पानी फ़ेक दिया. मैं उठ गया.

“अम्मा अब मैं.” प्रीति मचल कर बोली.

“बेटी, तेरे भैया का लंड देख, कितना जम के खड़ा है, तू ऐसे मूसल से चुदवायेगी? तेरी पहली बार है, दरद होगा. एक बार झड़ जाने दे” अम्मा मुझे हाथ से पकड़कर खींचती हुई बोली.

“अम्मा, तू घोड़ी बन जा अब, पीछे से चोदूंगा तेरे को” मैं बोला.

“हां बेटा, चोद दे, गांड मारनी हो तो वो मार ले. प्रीति, तू मेरे सामने आ जा.” मां बोली. प्रीति को पकड़कर उसका चुम्मा लिया और फ़िर नीचे बिठा कर कमर आगे कर दी.

“मां भोसड़ा और आगे कर ना, मेरी जीभ नहीं पहुंचती” प्रीति बोली.

“नखरे ना कर, चल हरामजादी, आज फ़ालतू बड़ बड़ कर रही है” कहके मां ने प्रीति का सिर अपनी चूत पर दबा लिया.

मैंने मां के चूतड़ एक हाथ की उंगलियों से फैलाये और फ़िर लंड अंदर डाल दिया. फ़िर खड़े खड़े मां की गांड मारने लगा. मां ने मेरे हाथ पकड़कर अपनी चूंचियों पर रख दिये और गर्दन मोड़ कर मेरे मुंह पर अपना मुंह रख दिया.

झड़ने के बाद मैंने लंड पुक्क से बाहर खींचा. प्रीति अब उठ कर खाट पर बैठ गयी थी और अपना मुंह पोछ रही थी.

अम्मा बोली “प्रीति मुंह खोल और तेरे भाई का लंड ले ले”

प्रीति देखने लगी.

“अरी चूस कर खड़ा कर दे जल्दी, तब तो चोदेगा तेरे को”

प्रीति शायद हिचकिचा रही थी, मेरे लंड पर मां की गांड के माल के एक दो कतरे लगे थे. मां प्रीति के पास गयी और उसके गाल दबा कर उसका मुंह जबरदस्ती खोल दिया. “चल डाल दे बेटा, ये लौंडी आज नखरे करेगी”

मैंने लंड अंदर डाल के प्रीति का सिर अपने पेट पर दबा लिया. प्रीति कसमसाने लगी. मां ने उसकी चोटी खींची और कंधे पर चूंटी काट कर बोली “अब मार खायेगी. चल चूस जल्दी, तेरी मां के बदन का ही तो है”

फ़िर मां प्रीति के बाजू में बैठ गयी और उसके मम्मे सहलाते हुए उसकी बुर में उंगली करने लगी “तेरी बहन एकदम गरमा गयी है बेटा, बस अब इसकी आग ठंडी कर दे आज”

जब मेरा लंड खड़ा हो गया तो मैंने प्रीति के मुंह से निकाल लिया. प्रीति बोली “अब मेरी खोल दो भैया, मां की कसम”

मैंने प्रीति को खाट पर लिटाया और उसकी टांगों के बीच बैठकर उसकी बुर को सहलाया.

मां समझ गयी “चाटेगा क्या?”

“हां अम्मा, एकदम कलाकंद सी है प्रीति की बुर”

“खा ले खा ले, मैं तो रोज चखती हूं” मां बोली.

मैं लेट कर प्रीति की गोरी गोरी बुर चाटने लगा. प्रीति कमर उचकाने लगी “हा ऽ य भैया … अब चोदो ना … कैसा तो भी होता है”

“अभी चोद दे बेटा, ये कब से फनफना रही है, तू ऐसा कर, रोज स्कूल जाने के पहले इसकी बुर चूस दिया कर और जब ये वापस आयेगी स्कूल दे, तब इसे चोद दिया कर. अब आ जल्दी”

मां ने प्रीति की बुर फैलायी. मैंने सुपाड़ा जमाया और पेल दिया. प्रीति चिल्लाने वाली थी कि मां ने हाथ से उसका मुंह दबोच दिया “डाल ना मूरख, इसको देखेगा तो सुबह हो जायेगी”

“अम्मा … प्रीति को दर्द हो रहा है” मैं बोला.

“वो तो होगा ही … इत्ता बड़ा घोड़े जैसा तो है तेरा … फिकर मत कर, बहन बड़ी खुशी से ये दरद सहन कर लेती है, भाई से चुदने के अरमान के लिये तो बहन कुछ भी कर लेती है”

मैंने लौड़ा पूरा पेल दिया, प्रीति का बदन ऐंठ गया. मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मैं प्रीति पर लेट गया और चोदने लगा. हर धक्के से उसके बंद मुंह से एक दबी चीख निकल जाती.

“बस ऐसे ही चोद, अभी मस्त हो जायेगी तेरी छोटी बहन. मुझे याद है जब तेरे मामाजी ने चोदा था मेरे को तब मैं बेहोश हो गयी थी दरद के मारे. फ़िर भी रात भर चोदा बेदर्दी ने. बड़े मरते हैं मेरे ऊपर तेरे मामाजी” मां बड़ी शान से बोली.

मैंने प्रीति को आधा घंटा चोदा. पूरी खोल दी उसकी बुर. बेचारी आंख बंद करके पड़ी थी. “देखो अम्मा, खून तो नहीं निकला?” मैं बोला.

“अरे खून क्या निकलेगा बेटा, इसकी झिल्ली तो कब की फटी है, मैं रोज रात को मोमबत्ती से मुठ्ठ मार देती हूं, तू फिकर मर कर, कल सुबह देख कैसे चिपकेगी तेरे से”

मैं अपना खड़ा लंड पोछता हुआ बोला “माम, मामाजी दो दिन में आ जायेंगे … तब”

मां मेरी ओर देखकर बोली “फिकर मत कर मेरे ला, मैं रात को उनसे करवा लूंगी. तू बस दोपहर को मेरे कमरे में आया कर, जब तेरे मामाजी खेत में होते हैं. और सुन, प्रीति की जिम्मेदारी अब तेरी, उसे खुश रखना बेटा, हर रात उसको अपने साथ सुला लिया करना. जवान बहन की प्यास पूरी बुझा दिया कर, नहीं तो लड़कियां बिगड़ जाती हैं इस उमर में”

“अच्छा अम्मा” मैं बोला.

—- समाप्त —-



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