मम्मी की सहेली के साथ चक्कर चलाया

मम्मी सेक्स स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट-

मम्मी और अंकित की बात-चीत का सिलसिला चालू हो गया था. वो उसको हमेशा तरुण के करीब जाने के लिए कहती. अंकित बहुत चालाक निकला. उसने मम्मी को दिलासा दिया की वो उसकी तरुण से एक और बार मुलाक़ात करवाएगा. लेकिन उससे पहले वो मम्मी का पूरा मज़ा लूटना चाहता था.

मम्मी बिना चुडवाए रह नही सकती थी, तो वो अंकित से अपनी चुदाई करवाने लगी. मम्मी और अंकित ने ये बात वनिता आंटी से च्छूपा कर रखी. वनिता आंटी को उससे कुछ फराक नही पड़ने वाला था. लेकिन उनके साथ मम्मी धोखा कर रही थी.

अंकित को मम्मी की छूट मिल रही थी. तो उसने धीरे-धीरे वनिता आंटी पर ध्यान देना बंद कर दिया. और यही मेरे लिए सही मौका था मम्मी को सबक सीखने का. मैं ये मौका खोना नही चाहता था. मैं मम्मी और अंकित के बीच चल रही रासलीला के सारे सबूत इकट्ठा करने लगा. एक दिन वनिता आंटी मुझे मार्केट में मिल गयी. मैने देखा तो वो अकेली थी. मैं मौका देख कर उनके पास गया.

मैं: ही, कैसे हो?

वनिता आंटी: मैं तो ठीक हू. तुम कैसे हो?

मैं: मैं भी ठीक हू.

वनिता आंटी: घर में सब ठीक है ना?

मैं: हा घर में सब ठीक है.

वनिता आंटी: आज कल भावना बहुत बिज़ी हो गयी है.

मैं: क्यूँ क्या हुआ?

वनिता आंटी: काम की वजह से वो कहाँ रेग्युलर जिम आती है. उसके बिना मज़ा नही आता.

मैं: मम्मी तो रोज़ घर से जिम के लिए निकल जाती है. लगता है आप रेग्युलर नही रहे. आप घर पर लेने नही आते, तब वो अकेले चले जाती है.

वनिता आंटी: क्या बात कर रहा है!

मैं: हा आप नही आते, तब मम्मी घर से पैदल चले जाते है. अभी 2 दिन पहले आप नही आए, तो वो अकेले ही गये.

वनिता आंटी सोच में पद गयी. लेकिन उन्होने मुझे और सवाल नही पूछे. शायद वो समझ रही थी की वो मम्मी के बारे में ज़्यादा पूछेंगी तो मुझे शक होगा. और मैने वनिता आंटी के माइंड में मम्मी के लिए डाउट खड़ा कर दिया था. उनके चेहरे से पता चल रहा था की वनिता आंटी के माइंड में बहुत गहरी सोच चल रही थी. मैं फिर उनको बाइ कह के निकल गया.

मैं मम्मी का मोबाइल मॉनिटर कर रहा था, तो मुझे पता था की अंकित और मम्मी कब मिलने वाले होते थे. एक दिन मम्मी ने वनिता आंटी को कॉल करके बोला की आज घर पर बहुत काम है तो मैं जिम नही आ पौँगी. मुझे पक्का यकीन था की वनिता आंटी उनका डाउट क्लियर करने के लिए कुछ करेंगी.

मैं घर के पास किसी को दिखाई ना दे साकु ऐसी जगह खड़ा हो गया. मैने देखा की वनिता आंटी उनकी स्कूटी मेरे घर के थोड़ी दूरी पर पार्क करके मेरे घर के बाहर खड़ी हो गयी. उन्होने फेस पर दुपट्टा बाँध लिया था.

थोड़े टाइम बाद मम्मी ट्रॅक पंत और त-शर्ट पहन कर घर से निकली. उनके हाथ में जिम का बाग था. मैने देखा वनिता आंटी सड़क के किनारे उल्टा घूम गयी, जिससे मम्मी को पता ना चले की ये वनिता आंटी थी. अब मम्मी पैदल चलने लगी, और वनिता और मैं उनको डिस्टेन्स से फॉलो कर रहे थे.

उसके बाद अंकित उसकी बिके लेकर आया, और मम्मी उसके पीछे बैठ गयी. वनिता आंटी ने उनको होटेल तक फॉलो किया. उसके बाद वो थोड़ी देर वहाँ रुकी. मैं देख रहा था की वो काफ़ी परेशन लग रही थी. मैने सोचा यही सही मौका था उनके दिल और दिमाग़ को हिट करने का. मैने वहाँ उनके पास गया.

मैं: आप यहाँ क्या कर रहे हो? स्कूटी खराब हो गयी क्या?

वनिता आंटी: नही, ऐसा कुछ नही है.

मैं: तो अभी हाइवे पर… (वो सोच में पद गयी अब मुझे क्या बताए). चलो छ्चोड़ो, बहुत धूप है. चलो यहाँ पास में एक होटेल है, वहाँ जूस पीते है.

वनिता आंटी: नही-नही, मैं घर जेया रही हू.

मैं: हा अब आप मेरे साथ क्यूँ आएँगी?

वनिता आंटी: अभी, ऐसी कोई बात नही है.

मैं: तो चलिए ना (मेरे तोड़ा फोर्स करने पर वो मान गयी).

वनिता आंटी: ठीक है, लेकिन.

मैं: कोई नही देख रहा हमे, डॉन’त वरी.

वनिता आंटी ने स्माइल की, और वो मेरे पीछे अपनी स्कूटी लेकर चलने लगी. मैं उनको पास के एक होटेल में लेकर गया. फिर मैने हमारे लिए जूस ऑर्डर किया. वो अभी भी बहुत परेशन लग रही थी. मम्मी और अंकित के झूठ से उनको काफ़ी सदमा लगा था. मैने भी सोचा अभी सही समय नही था उनको परेशन करने का. मैने उनसे कोई बात-चीत नही की, बस वहाँ बैठा रहा. जब जूस आया तब भी उनका ध्यान नही था.

मैं: जूस आपका वेट कर रहा है.

वनिता आंटी: सॉरी, आज ना मेरा मूड ठीक नही है.

मैं: मुझे ऐसा लगा इसलिए तो आपको यहाँ लेकर आया हू. क्या हुआ बताइए?

वनिता आंटी: कुछ नही. बस ऐसे ही तोड़ा.

मैं: आप चाहो तो मुझसे कुछ भी शेर कर सकते है. बताइए ना क्या हुआ?

वनिता आंटी: अर्रे कुछ नही हुआ.

मैं: आपको देख कर लग रहा है, किसी बात को लेकर आप बहुत परेशन हो गये हो. क्या बात है? मुझे बताओ, शायद मैं आपकी कुछ हेल्प कर साकु (मैने हाथ उनके हाथ पर रख दिया).

वनिता आंटी (उनका हाथ पीछे खींच कर): अभी जूस के लिए थॅंक योउ. अब मैं अपने घर जेया रही हू.

मैं: यार, मुझे आपसे कुछ बात करनी थी. लेकिन आपको घर जाने की जल्दी है. तो आपको अब मैं कैसे रोक सकता हू?

वनिता आंटी: बताओ ना क्या बात है?

मैं: आप भी मेरी तरह परेशन लग रही हो.

वनिता आंटी: क्या परेशानी है तुम्हे? मुझे बताओ.

मैं: मैं आपको नही बता सकता. बस इतना समझ लो मुझे किसी ने धोखा दिया है. इस दुनिया में कोई अपना नही है.

वनिता आंटी (मेरी बात को ध्यान से सुन कर): सही कहा. आज के ज़माने में कौन कैसा है समझ नही आता. क्या हुआ तुम्हे? मुझे बताओ.

मैं: आपको बता दिया तो वो बात मम्मी तक चली जाएगी. आप और मम्मी बहुत अची दोस्त हो. और आप लॅडीस में कोई बात च्छुपाए नही च्छुपति.

वनिता आंटी: वो बात तो है. पर मैं अब से तुम्हारी मम्मी से कोई बात शेर नही करूँगी. तुम चाहो तो कह सकते हो.

मैं: मेरी परेशानी ये है की मैं बहुत लोन्ली फील कर रहा हू. अब ऐसा लग रहा है मैं अकेला पद गया हू. मुझे किसी दोस्त की ज़रूरत है.

वनिता आंटी (तोड़ा सोच कर): ह्म. तुम चाहो हो मैं तुम्हारी दोस्त बन सकती हू.

मैं: सॅकी?

वनिता आंटी: क्यूँ, हम दोस्त नही बन सकते?

मैं: ऑफ कोर्स. मुझे खुशी होगी अगर आप मेरी दोस्त बने. एक बात काहु?

वनिता आंटी: हा बताओ ना. अब तो हम दोस्त है.

मैं: आप पहले से ज़्यादा खूबसूरत लग रहे हो.

वनिता आंटी (नॉटी स्माइल के साथ): चल अब मैं घर जाती हू. आंड थॅंक योउ. तुमसे बात करके मेरा मूड ठीक हो गया.

मैं: सेम तो योउ.

उसके बाद हमने नंबर एक्सचेंज किए, और वहाँ से निकल गये. मुझे लगा वनिता आंटी मम्मी से दोस्ती तोड़ देंगी. लेकिन उन्होने ऐसा नही किया. उन्होने बिल्कुल जताया नही की वो मम्मी और अंकित के बीच चल रहे खेल को जानती थी. मेरी और वनिता आंटी के बीच अब मेसेज से बात होने लगी.
धीरे-धीरे हम दोनो के बीच अची फ्रेंडशिप हो गयी.

अंकित के पास मम्मी जैसा माल था, तो वो वनिता आंटी को भाव नही दे रहा था. मैने उसका फ़ायदा उठा कर उनसे नज़दीक हो गया. एक दिन रात को वनिता आंटी का मेसेज आया.

वनिता आंटी: ही, अभी सो गये क्या?

मैं: नही तो. और आज कौन सी दिशा मैं चाँद निकला है?

वनिता आंटी: ऐसा क्यूँ पूच रहे हो?

मैं: मेरा नसीब खुल गया. कभी आपसे इस टाइम पर बात करने का मौका नही मिला.

वनिता आंटी: हा, अब मेरे हज़्बेंड होते है तो कैसे बात करती?

मैं: आज वो नही है क्या?

वनिता आंटी: उनके दोस्त के घर कल शादी है, तो आज उनके घर पर गये है. वो रात को बहुत देर से आएँगे. और बच्चो को मेरा भाई वाकेशन करने माइके लेकर गया है.

मैं: श ऐसा है. अछा है इस बहाने हमारी बात भी होगी.

वनिता आंटी: हा मेरा टाइम नही जेया रहा था, तो तुम्हे याद किया. मैने तुम्हे डिस्टर्ब तो नही किया ना?

मैं: नही तो. मुझे आप पसंद हो, और आपसे बात करना भी.

वनिता आंटी: श, तो मैं तुम्हे पसंद हू?

मैं: हा. आप इतने आचे हो तो.

वनिता आंटी: वैसे मुझमे ऐसा क्या देख लिया की मुझे पसंद करने लगे?

मैं: मैं अगर सच बात बता दिया, तो आप मेरे उपर गुस्सा हो जाएँगी.

वनिता आंटी: मैं तुम पर क्यूँ गुस्सा करू. तुम एक ही तो मेरा सहारा हो.

मैं: सच काहु, तो आपसे बात करते-करते मुझे आप पसंद आने लगे हो. हमएसा मैं आपके बारे में सोचता रहता हू.

वनिता आंटी: क्या सोचते रहते हो?

मैं: बता दिया तो आप गुस्सा करोगे.

वनिता आंटी: नही करूँगी. प्लीज़ बताओ ना.

मैं: उस दिन आपके रिलेटिव के यहाँ फंक्षन था, और आप मम्मी को लेने हमारे घर आए थे. याद है आपको?

वनिता आंटी: हा याद है (उनको लग रहा था की मैं यही समझ रहा था की वो लोग फंक्षन में गये थे. लेकिन उनको ये नही पता था की मैं जनता था की वो और मम्मी अंकित और तरुण नाम के लड़कों से चूड़ने गयी थी).

मैं: उस दिन आपने जो पिंक सारी पहनी थी, आप बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उस दिन से आप मेरे फॅवुरेट हो गये हो.

वनिता आंटी: श… मुझे उस दिन तुम जिस तरह देख रहे थे, मैं समझ गयी थी की तुम नॉटी हो गये हो.

मैं: अब सेक्सी लेडी को देख कर नॉटी होने का तो मॅन हो जाता है.

वनिता आंटी: हा आज-कल तुम यंग लड़के बड़ी उमर की औरतों को देख कर नॉटी होने लगते हो. आप लोगों को यंग लड़कियाँ पसंद नही है क्या?

मैं: यंग लड़कियाँ नखरे करती है, और उनकी डिमॅंड बहुत होती है. लेकिन शादी शुदा एक्सपीरियेन्स्ड और सीधी-सॅडी होती है.

वनिता आंटी: तुम्हारी बातों से लगता है तुम जीतने भोले दिखते हो, उतने हो नही. लगता है तुम भी एक्सपीरियेन्स्ड हो.

मैं: एक बात पूचु?

वनिता आंटी: अब हम आचे दोस्त है. मेरे से कुछ भी बात कर सकते हो.

मैं: उस दिन आपको पिंक सारी में देखा तब से मैं आपके बारे में दिन रात सोचते रहता हू. मुझे आपका साइज़ क्या है वो जानना है.

वनिता आंटी: ये कैसा सवाल है?

मैं: अर्रे आपने तो कहा हम आचे दोस्त है. कुछ भी बात कर सकता हू. चलो ठीक है अगर आपको ये सब बातें पसंद नही है तो.

वनिता आंटी: नही ऐसा कुछ नही है. लेकिन आज एक-दूं से ऐसा पूच लिया तो.

मैं: अब हम दोनो काम की बातें नही करके दूसरी बातें करेंगे, तो दोनो का टाइम वेस्ट होगा ना. और आपको आचे से पता है मैं क्या कहना चाहता हू.

वनिता आंटी: ह्म. बात तो सही है तुम्हारी. लेकिन सोच रही हू तुमसे ये सब बात करना कहीं भावना को अछा नही लगा तो?

मैं: ठीक है, अगर आप दोनो एक-दूसरे के बारे में इतना सोचते है, तो अची बात है. बाकी आज के ज़माने में कौन अपने दोस्त के बारे में इतना सोचता है? सब अपना काम निकाल लेते है.

वनिता आंटी: बहुत सही कहा अभी तुमने. एक बात बताओ, तुम सिर्फ़ मुझे लीके करते हो या और कुछ भी सोच रहे हो?

मैं: सच काहु तो मेरे बुरे वक्त में आप ही मेरा सहारा बने हो. मैं चाहता हू की हम दोनो के बीच कुछ हो या ना हो, पर हम दोस्त बने रहे.

वनिता आंटी: हम दोनो की सोच मिल रही है. इसीलिए तुम मुझे पसंद हो.

मैं: थॅंक्स डियर. मेरा तो अभी आपको देखने का मॅन कर रहा है. वीडियो कॉल करू?

वनिता आंटी: अभी नही यार.

मैं: आप अकेले हो तो क्या प्राब्लम है?

वनिता आंटी: मुझे देखने का मॅन कर रहा है तो मिलने आना होगा. ऐसे वीडियो कॉल पर नही.

मैं: अछा तो अभी आ जौ?

वनिता आंटी: तुम बहुत उतावले हो रहे हो. कल तुम्हे बता दूँगी. चलो अब गुड नाइट.

मैं: गुड नाइट डियर, मिस योउ.

वनिता आंटी: मिस योउ टू.

तो बे कंटिन्यू…

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