मम्मी की नाराज़गी और होली पार्टी

मों सेक्स स्टोरी अब आयेज-

जगदीश अंकल के रिलेटिव के यहाँ शादी थी तो नीलम आंटी आए हुए थे. और मुझे पापा के कहने पर उनके घर हेल्प के लिए जाना पद रहा था. मम्मी को मेरे और नीलम आंटी के फ्रेंड्ली बिहेवियर से दिक्कत थी. नीलम आंटी मुझे पसंद करती थी, और उनको मेरे साथ टाइम स्पेंड करना अछा लगता था.

उनका नेचर बहुत अछा है, तो मुझे भी उनके साथ रहना अछा लगता था. मम्मी के माइंड में अब उससे क्या चल रहा था, मुझे पता नही. पर अब मैने सोचा आंटी तो बस थोड़े टाइम की मेहमान थी, पर मुझे मम्मी के साथ यहाँ रहना था. लेकिन अब जिसका नसीब खराब हो, वो इंसान क्या करे?

मैं और नीलम आंटी के बीच कुछ ऐसी बात, या अंजाने में हम दोनो एक-दूसरे से टकरा या चिपक जाते है, तब मम्मी आ जाती है. अब मेरा कोई ऐसा इरादा नही होता, की मैं नीलम आंटी से कुछ ऐसा करू. पर मम्मी को ऐसा लग रहा था की मेरे और नीलम आंटी के बीच कुछ था.

नीलम आंटी की भी थोड़ी हरकते ऐसी थी, की मम्मी का शक यकीन में बदल रहा था. उनके रिलेटिव के घर पर शादी थी, तो नीलम आंटी ने मुझे 3 दिन तक उनके घर पर रोक कर रखा था. मम्मी को उस बात का बहुत गुस्सा था की मैं नीलम आंटी का हर काम कर रहा था. कुछ दिन बाद मैने 2-3 बार मम्मी से खुल कर बात करने की कोशिश की, पर मम्मी मेरे से कोई भी बात करने को रेडी नही थी.

ऐसे ही बहुत दिन निकल गये, पर मेरे समझ नही आ रहा था की मम्मी के दिमाग़ में आख़िर चल क्या रहा था. वो मुझे टीज़ करती, मेरे से मस्ती करती, मुझे अपना जिस्म दिखा कर ललचाती, पर मुझे छ्छूने नही देती थी. मम्मी के ऐसे बिहेवियर से मैं तंग आ गया था. मैने सोचा मूव ओं करके लाइफ में कुछ और करना पड़ेगा.

मैने अब मम्मी की तरफ ध्यान देना, और उनके बारे में सोचना बंद कर दिया. क्यूंकी मैं अपनी तरफ से उनसे बात करने की हर कोशिश कर चुका था. मम्मी को अब मेरे से वो टॉपिक पर नही बात करना था, ना कोई रीलेशन रखना था. मैने भी सोचा शायद उनको अब गिल्ट फील हो रहा होगा, या अब समय के साथ वो मुझे छ्चोड़ना चाहती थी.

क्यूंकी अब मेरी शादी की उमर होने लगी थी, तो शायद वो अभी से मुझसे दूरी बना कर रहना चाहती हो, जिससे आने वाले समय में हम मा बेटे की तरह नॉर्मल लाइफ में रह सके.

ऐसे ही दिन निकल रहे थे. मैं भी अपने काम में बिज़ी हो गया, और मेरे कॅरियर के बारे में सोचते हुए फ्री होता तब पापा के साथ उनके बिज़्नेस में हेल्प करने लगा.

अब हाल ऐसा था की मैं मम्मी से ज़्यादा पापा के करीब चला गया. पापा भी बिज़्नेस के बारे में मुझसे सब कुछ शेर करने लगे थे. मम्मी को अब मैने उनके हाल पर छ्चोढ़ दिया. आप ऐसा समझो की हम दोनो इतना नॉर्मल लाइफ में रह रहे थे, जैसे हम मा बेटे के बीच कुछ हुआ नही था.

अभी इस साल मार्च में होली का फेस्टिवल था, तब पापा के एक फ्रेंड के फार्महाउस पर होली सेलेब्रेशन का प्रोग्राम रखा. पापा के सारे दोस्त और उनकी फॅमिली वहाँ मिलने वाले थे. मुझे पापा ने बोला की मैं भी उनके साथ वहाँ जौ, पर मेरा मूड नही था.

पापा: अभी तुम रेडी हो जाओ. हम सब को अब फार्महाउस पर जाना है.

मैं: मेरा आज मूड नही है. मैं घर पर रेस्ट करना चाहता हू.

मम्मी: क्यूँ अभी तुम हमारे साथ आना नही चाहते? क्या तुम्हे अब हम बुद्धो के साथ मज़ा नही आता क्या?

पापा: हा शायद, अब अभी की उमर हो गयी है. उसको अपने यंग दोस्तों के साथ होली खेलना होगा.

मैं: नही पापा, ऐसा नही है. मेरा कोई प्रोग्राम नही है.

मम्मी (मुझे अपना जिस्म दिखा कर): कोई प्रोग्राम नही है तो चल ना हमारे साथ. बहुत मज़ा आएगा.

मम्मी ने उस दिन वाइट सारी और वाइट ब्लाउस पहना था. आस यूषुयल मम्मी बहुत सेक्सी पताका लग रही थी. वो रेडी हो कर आई, तब से मैं उनको देखते रह गया था. वो मुझे सिड्यूस करने लगी. मैं भी ना चाहते हुए उनकी खूबसूरती पर मोहित हो रहा था. मैने सोचा मम्मी आज सामने से आचे से बात कर रही थी, तो उनकी बात मान लेता हू. शायद मुझे उस दिन एक उम्मीद नज़र आ रही थी.

मैं वाइट त-शर्ट और डेनिम जीन्स पहन कर रेडी हो गया. हम जब फार्महाउस पहुँचे, तब तक पापा के बहुत सारे दोस्त और उनकी फॅमिलीस आ चुकी थी. मैने देखा तो नीलम आंटी और जगदीश अंकल भी आए थे. उस दिन मोस्ट्ली सब ने वाइट कपड़े पहने थे. और उस दिन तो वाइट कपड़ों में सब आंटीस और भाभिस मस्त लग रही थी.

मैने देखा की जगदीश अंकल और बाकी के 3-4 अंकल मम्मी को घूर रहे थे. मम्मी का ब्लाउस पीछे से बहुत डीप था, बस 2 हुक पर टीका हुआ था. मम्मी की चिकनी कमर और उभरी हुई गांद देख कर हर कोई उसका दीवाना बन रहा था. उनका ब्लाउस बहुत टाइट था, तो उसके बूब्स में क्लीवेज बन रहा था. ओवरॉल काहु तो मम्मी सब आंटी और भाभी में सबसे सेक्सी लग रही थी.

उस दिन तो अंकल लोग तो ठीक, पर पापा के दोस्तों के बेटे भी मम्मी को होली के रंग लगा रहे थे. और सब लोग मम्मी को किसी ने किसी बहाने छ्छू रहे थे. उसके बाद किसी ने गार्डेन की पीपे से सब पर पानी डालना शुरू कर दिया. उससे सब के कपड़े ट्रॅन्स्परेंट होने लगे.

बहुत सी आंटी और भाभी की ब्रा दिखने लगी थी. मैं समझ रहा था की इतने सारे मर्दों के एक साथ छ्छूने से मम्मी अंदर से गरम हो गयी होगी. मम्मी की छूट में कितनी आग है, वो मुझे आचे से पता था. सब लोग होली खेलने में बिज़ी थे, और मुझे गीला होने की वजह से मूट लगा, तो मैं खेत के एक साइड हल्का होने चला गया.

मैने देखा की पापा के 5-6 दोस्त दारू पार्टी कर रहे थे. मैं हल्का होने के बाद थोड़ी दूरी बना कर वहाँ देख रहा था. वो लोग बातें कर रहे थे तो वो सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया. वो लोग मम्मी की बातें कर रहे थे, और बोल रहे थे की आज भावना भाभी को देख कर उनको छोड़ने का मॅन कर रहा है.

कोई बोला: हा यार, मुझे भी वो बहुत पसंद है.

एक ने तो ये कहा: मैने तो आज रंग लगाने के बहाने उनको रग़ाद लिया.

वो लोग और भी 2-3 आंटीस की बातें कर रहे थे.

आख़िर में कोई बोला: चलो अब उनके साथ मज़े करते है. ऐसा मौका रोज़ कहा मिलता है.

उसके बाद वो सब उठ कर होली खेलने आ रहे थे. मुझे इतना गुस्सा आ रहा था की क्या काहु. मैं भी सब के साथ होली खेलने लगा, पर मेरा ध्यान मम्मी की तरफ ज़्यादा था. जगदीश अंकल और नीलम आंटी के साथ मम्मी होली खेल रही थी, तब वो सब अंकल मम्मी और नीलम आंटी को रंग लगाने लगे.

वो लोग प्लॅनिंग के साथ आए थे, और मैने देखा की वो लोग मम्मी और नीलम आंटी की कमर और गांद पर हाथ घुमा रहा थे. वो दोनो भी मुस्कुराते हुए मज़े कर रही थी. उन 4-5 अंकल्स ने सिर्फ़ मम्मी और नीलम आंटी ही नही, लेकिन बाकी की सब औरतों को भी रग़ाद लिया था. लेकिन पापा के ग्रूप में सब मोस्ट्ली ओपन माइंडेड थे, तो किसी ने माइंड नही किया.

मैने सोचा क्यूँ ना मैं भी मम्मी के साथ जाम कर होली खेलता हू, क्या पता मम्मी के साथ मेरा रिश्ता सुधार जाए. मैं हाथो में रंग लेकर मम्मी के पास गया, तो वो मुझे देख कर दूसरे लोगों के पास चली गयी. मैं खड़े-खड़े देखता रह गया, और दूसरे अंकल और लड़के लोग मम्मी से होली खेल रहे थे.

मम्मी मुझे दिखा रही थी की वो और लोगों के साथ कितना एंजाय कर रही थी. जैसे मेरा उनकी लाइफ में होना ना होना कोई माइने नही रखता. मुझे उस दिन इतना बुरा लगा, की क्या कहूँ दोस्तों.

होली खेलने के बाद हम सब ने कपड़े चेंज कर लिए. सब को प्रोग्राम का पता था, इसलिए घर से दूसरे कपड़े लेकर ही आए थे. हम सब लंच कर रहे थे तब जगदीश अंकल, पापा, मम्मी, नीलम आंटी और मैं पास में थे. किसी अंकल ने पापा को आवाज़ लगाई तो पापा उनके पास चले गये. फिर उसी अंकल ने जगदीश अंकल को उनके पास बुलाया तो जगदीश अंकल जाने लगे. मम्मी ने आँखों के इशारे से माना किया तो जगदीश अंकल ने वो अंकल की आवाज़ अनसुनी कर दी, और गये नही.

बस ये नही मैने उस दिन 2-3 बार और ऐसा देखा की जगदीश अंकल मम्मी का हर ऑर्डर फॉलो कर रहे थे. मम्मी ने एक बार ना बोल दिया मतलब वो चीज़ नही करते थे. और मुझे याद आया की मम्मी ने मुझे कहा था की जगदीश मेरा पालतू है, इसलिए वो मुझे पसंद है. अब मुझे धीरे-धीरे समझ आया की मम्मी को मेरे से यही उमीद थी की मैं उनका भी पालतू बनू. उनका हर ऑर्डर फॉलो करो.

मेरा नीलम आंटी के घर जाना और उनके साथ घूमना उनको पसंद नही था. पर मैने ऐसा किया इसलिए वो मुझे तडपा रही थी. जगदीश अंकल की तरह वो भी मुझे अपना गुलाम बनाना चाहती थी.

पापा अपने मर्ज़ी के मलिक है. वो कभी मम्मी कहे ऐसा नही करते है. उनको जो अछा लगे वो उसी हिसाब से करते है, पर जगदीश अंकल मम्मी की हर बात को मानते है. वो जैसा कहे वैसा ही करते है. जगदीश अंकल इसलिए उनको ज़्यादा पसंद है. मैं जब तक मम्मी के कहने के मुताबिक करता था, तब तक उनको अछा लगता था. पर जिस दिन से मैने अपनी मर्ज़ी से रहना शुरू किया, तब से वो मेरे साथ नाटक करने लगी थी.

वैसे माना जाए तो ग़लती मेरी थी. मैं मम्मी को जगदीश अंकल को घर बुला कर चुदाई करने को बोला था. मेरा मम्मी की लाइफ में ज़्यादा इंटर्फियरेन्स होना भारी पड़ा. जैसा चल रहा था वैसे चलने देता, तो मुझे मम्मी की चुदाई करने को मिलती रहती. मम्मी के साथ सेक्षुयल रीलेशन के बाद मैने बाकी सब औरतों और लड़कियों से बात करना बंद कर दिया था. अब मुझे किसी की चुदाई करने को नही मिल रही थी.

मम्मी के माइंड में क्या चल रहा था, वो मुझे नही पता. पर इतना जानता था की मम्मी कुछ बड़ा सोच रही होगी. वो बिना चुदाई करवाए रह नही सकेंगी. वैसे भी जगदीश अंकल कुछ दिन के बाद ऑस्ट्रेलिया चले जाने वाले थे. उसके बाद मम्मी के पास कोई ऑप्षन नही बचने वाला था. मुझे अब जगदीश अंकल के जाने का इंतेज़ार था. अब मेरी लाइफ में आपको बताने लायक कुछ होगा तो मैं स्टोरी के मध्यम से आपको बता दूँगा.

ही दोस्तों मैं मूडछंगेरबोय, आपको मेरी लिखी अभी और उसकी मम्मी की स्टोरी कैसी लगी प्लीज़ कॉमेंट करके बताना

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