मोनिका की मॉम को भी चोदा

हैलो दोस्तो, नमस्कार मैं एक बार फिर आप के सामने अपने ओड़ीसा में बिताए 40 दिन के बारे में बताने के लिए अब तक 20 दिन हो चुके हैं और मैं मोनिका और उसकी दोस्त सोनी को चोद चुका हूँ। यह बात जानने के लिए आप को मेरी कहानियाँ पढ़नी पड़ेंगी।

मुझे उन दोनों को चोदने में बहुत मजा आया और आप लोगों के पत्रों को पढ़ कर लग रहा है कि आप लोगों को भी बहुत मजा आया है। इस बात मुझे आप लोगों के जबाब से ही मिल गया कि आप लोगों को कितना मजा आया और इस मजे को जारी रखते हुए अब कहानी पर आता हूँ।

तो अब आगे एक दिन मोनिका को अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ जाना पड़ गया और मुझे चोदने का मन हो रहा था, लेकिन सोनी भी नहीं आ सकती थी क्योंकि मोनिका तो थी नहीं और मेरा मन चोदने का हो रहा था।

अभी मन में सोच ही रहा था कि कोई तो मिल जाए जिसको मैं चोद सकूँ कि तभी मोनिका की माँ दिखी वो नाइट-ड्रेस में थी और शायद वो अन्दर कुछ नहीं पहने थी, जिससे उसकी चूची और गाण्ड को मैं फील कर सकता था।

वो बाथरूम में नहाने जा रही थी, तो मुझे उनके थिरकते हुए चूतड़ दिख रहे थे और फिर उनकी चूतड़ की बीच में नाइट-ड्रेस फंस गई थी, जिससे उनका पिछवाड़ा और भी खूबसूरत लग रहा था।

मैंने सोचा कि मैं चोदने के लिए इतना ढूँढ रहा हूँ लेकिन एक और चुदक्कड़ माल तो घर में ही है।
वैसे भी मोनिका के पापा 20 दिन से नहीं हैं, तो इनको भी चुदने का मन तो हो ही रहा होगा।

मैं उनको तब तक देखता रहा जब तक वो बाथरूम के अन्दर नहीं चली गईं।

जैसे ही वो बाथरूम में घुसीं, मैं भी बाथरूम के पास पहुँचा और कोई छेद ढूँढने लगा। मुझे छेद तो नहीं दिखा लेकिन मुझे बाथरूम का रोशनदान दिख गया और जब तक मैं रोशनदान तक पहुँचा, तब तक वो अपने कपड़े उतार चुकी थीं और मुझे उनका पूरा नंगा बदन साफ़-साफ़ दिख रहा था।

क्या सेक्सी लग रही थीं तब वो..! क्या कमाल का फिगर था यारो..! शायद 38-30-36 रहा होगा।
वो बड़ी-बड़ी और गोल-गोल चूचियाँ, मदमस्त कर देने वाले गोल-गोल चूतड़, गुलाबी होंठ, मादक नाभि और गुलाबी चूत..हय..!

वो नहा रही थी तब वो अपने बाल और चूची में शैम्पू लगा रही थीं और बीच-बीच में चूतड़ पर भी लगा रही थीं। कुछ देर ऐसा करने के बाद वो अपनी चूची को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगीं और फिर अपनी चूत को रगड़ कर साफ़ किया। उनकी चूत एकदम साफ़ थी, मुझे लगा कि वो एक-दो दिन पहले ही साफ़ की गई थी।

चूत साफ़ करने के बाद उन्होंने अपनी एक उंगली को चूत में डाल ली और अन्दर-बाहर करने लगीं।
फिर दो उंगलियाँ अन्दर-बाहर करने लगीं और बाद में चार उंगलियाँ तक घुसाने लगीं और एक हाथ से अपनी चूची दबाने लगीं।
इधर मैं भी अपना लंड को निकाल कर हिलाने लगा।

कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने पूरे बदन को पौंछ कर बाहर आईं लेकिन मैंने तो देख कर ही मन ही मन 3 से 4 बार चोद दिया।
अब मैं उनको चोदने की योजना बनाने लगा।

उन्हीं दिनों जिस्म-2 फिल्म लगी थी, सो मैंने सोचा कि क्यों ना दोनों मिल कर जिस्म-2 देखने जाएँ।

वो कपड़े पहन कर बाहर निकलीं तो मैंने पूछा- आज तो संडे है क्यों ना हम लोग मूवी देखने चलें..?
तो वो बोलीं- हाँ अच्छा आइडिया है.. तुम तैयार हो जाओ.. मैं भी हो जाती हूँ।

तो मैं बोला- प्लीज़ कोई आंटी टाइप ड्रेस मत पहनिएगा..।
तो वो बोली- आंटी हूँ तो और किस टाइप की ड्रेस पहनूँगी..!

तो मैं बोला- कौन कहता है कि आप आंटी हैं अभी भी टाइट और छोटे कपड़े पहन कर सड़क पर निकलोगी तो लड़कों की लाइन लग जाएगी।

तो मुस्कुरा कर बोलीं- क्या पहनूँ..!
तो मैं बोला- जीन्स और टॉप..!

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तो वो एक तीखी सी मुस्कराहट फेंक कर ‘हाँ’ बोल कर कपड़े पहनने चली गईं।
हम लोगों के बीच थोड़ा-बहुत हंसी-मज़ाक चलता था।

जब मैं तैयार होकर बाहर उनका इन्तजार करने लगा।
कुछ देर बाद वो भी बाहर आईं। उनको देख कर मुझे फिर से झटका लगा। वो तब वैसी ही माल दिख रही थीं, जैसी मोनिका दिख रही थी। जब मैंने उसको पहली बार देखा था।

आंटी भी एकदम टाइट फिटिंग ड्रेस में माल लग रही थीं। आज तो उनकी उम्र 25 के आस-पास लग रही थी।
मैं यही सब सोच रहा था कि वो मेरे पास आईं और इतरा कर बोलीं- अब देखते ही रहोगे.. चलना नहीं है..!

तो मैं बोला- कुछ नहीं बस आप को देख रहा था। आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं।
तो वो थोड़ा शरमा गईं।

तो मैं बोला- सच में आज आप को देख कर लग ही नहीं रहा है कि आप मोनिका की माँ हो। मुझे तो लग रहा है कि आप मोनिका की जुड़वां बहन हो।

वो थोड़ा और शरमाईं, लेकिन मुझे लग रहा था कि मेरा तीर निशाने पर लगा।

फिर हम दोनों एक मल्टिपलेक्स में आ गए और मैं टिकट लेने गया और जानबूझ कर जिस्म-2 का सब से पीछे वाले सीट के टिकट ही लिए।

उनके पास जाकर बोला- सिर्फ़ यही खाली है और सब बुक हैं।
तो वो बोली- चलो यही देखते हैं।

यह बात सुन कर मैंने मन में सोचा कि आज तो चोदूंगा ज़रूर..!

कुछ देर बाद हम लोग अन्दर गए तो अन्दर मुश्किल से 10 से 12 लोग होंगे.. वो सब भी आगे बैठे हुए थे। पीछे सिर्फ़ हम दोनों ही बैठे थे।

कुछ देर में मूवी शुरु हुई और गर्म-गर्म सीन आने लगे।
उनको देख कर वो और भी जोश में आ रही थी।

तभी मैंने उनके कंधे पर हाथ रख दिया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली तो अपना एक हाथ उनके जाँघों पर भी रख दिया। लेकिन वो तब भी कुछ नहीं बोल रही थी, तो मैंने हल्के-हल्के उसके कंधे और जाँघों को सहलाने लगा।

जब मैंने उनकी तरफ़ से कोई विरोध नहीं देखा तो हाथ को गर्दन पे लाया और सहलाने लगा और फिर एक हाथ को चूची पर और दूसरे हाथ को चूत पर ले जाकर सहलाने लगा।

फिर जब उनके टॉप के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा तो वो बोली- ये क्या कर रहे हो..!
तो मैं बोला- सॉरी आप इतनी हॉट लग रही थीं कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।

और मैं अलग हो गया। मैं तब वैसा महसूस कर रहा था कि बता नहीं सकता, कितना बुरा लग रहा था। लेकिन कुछ ही देर बाद वो अपना हाथ मेरे लंड पर लाईं और सहलाने लगीं, तो मैंने उनकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा दीं।

तब तो मेरा मन खिल गया और उनके टॉप में अपने दोनों हाथ डाल दिए और उनकी चूची को मसलने लगा।

फिर जब मैं उनकी चूची को बाहर निकालने लगा तो वो मना करके बोलीं- यहाँ नहीं कोई देख लेगा।

तो मैं मान गया और उनकी जीन्स का बटन खोल कर उनकी चूत को ऊपर से ही दबाने लगा तब तक वो भी मेरे लंड को बाहर निकाल चुकी थीं और हाथ से मसल रही थीं।
तो मैंने उनके सिर को पकड़ कर अपने लंड के पास ले आया तो वो पहले लंड को चूमने लगीं फिर चूसने लगीं और वो तब तक चूसती रहीं जब तक मैं झड़ नहीं गया।

जब मैं झड़ गया तो वो बोलीं- अब चलो, घर चलते हैं।
तो मैंने मन में सोचा लगता है सच में चुदने के लिए बेताब है।

हम लोग घर आ गए और रास्ते भर सोचता रहा कि किस-किस पोज़ में चोदूँगा।

घर पहुँचते ही हम लोग अन्दर गए और दरवाजा ठीक से बंद किया और वो आगे-आगे और मैं उनके पीछे-पीछे चलने लगा लेकिन मुझे चोदने की जल्दी थी सो और मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके कंधे पर चुम्बन करने लगा।

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वो सीधी हो गईं तो मैंने उनके गाल पर चुम्मी ली, फिर होंठ चूमने लगा तो वो मेरे शर्ट का बटन खोलने लगीं।
जब पूरे बटन खुल गए तो मैंने शर्ट उतार दी और हम दोनों चूमा-चाटी करने में मशगूल हो गए।

फिर कुछ देर के बाद मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा और कुछ देर मसलने के बाद उनके टॉप को खोल दिया और उनकी नंगी चूची को चूसने लगा।

फिर वो पीछे मुड़ गईं तो मैं उनकी नंगी पीठ पर चुम्बन करते हुए नीचे आया और उनकी जीन्स को नीचे कर दिया और मेरे सामने उनकी नंगे चूतड़ थे जिसको देख कर मैं दबाने लगा और चूतड़ों पर चुम्बन किया और दोनों चूतड़ को अलग कर के उनकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा फिर हाथ में थूक लगा कर उनकी चूत पर लगा के रगड़ने लगा।

अब मैं खड़ा हुआ और उनको चुम्बन किया और नीचे अपनी उंगली को चूत में डालने की कोशिश करने लगा। फिर कुछ देर बाद वो नीचे बैठ गईं और मेरे लंड को पैन्ट से बाहर निकालने लगीं तो मैंने अपना जीन्स पूरा उतार दिया।

वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और बोली- तुम्हारा लंड बहुत रसीला है.. चूसने में मजा आ जाता है।

और फिर कुछ देर चूसने के बाद वो झुकी और मेरे सामने उनकी बड़ी सी गुलाबी चूत थी। चूत को नज़दीक से देख कर लगा कि ये तो जम कर लंड खा चुकी है।

तो मैं भी अपना लंड को चूत के पास हल्के सा रगड़ा और फिर घुसा दिया और अन्दर-बाहर करने लगा और वो भी पूरा मजा ले रही थी।

इस बात का अहसास मुझे तब हो रहा था, जब वो ‘आहहा… आआआआ.. अहहाअ उउहऊऊओ..’ की प्यारी सी आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी जोश में आकर बीच-बीच में उसकी चूतड़ों पर एक चपत दे देता था।

फिर मैंने उनको लिटाया और एक टाँग को अपने कंधे पर लेकर लंड डालने लगा लेकिन थोड़ी परेशानी आ रही थी तो उसके चूतड़ को थोड़ा पीछे खींचा और अन्दर-बाहर करने लगा।

फिर कुछ देर बाद मैं नीचे लेट गया और उनको लौड़े पर बैठने को बोला।
वो बैठने लगी तो मैं उनके चूतड़ पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगा। फिर कुछ देर बाद वो रुक गई और मैं अपना कमर उठा-उठा कर चोदने लगा।

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और मैं फिर से लंड अन्दर-बाहर करने लगा।

फिर वो मेरे ऊपर सीधा हुई और फिर से मेरे लंड पर बैठ गई और मैं उनकी चूची को भंभोड़ रहा था और वो मेरे लंड पर बैठ कर चुदवा रही थी।

फिर कुछ देर बाद उसको अपनी गोद में उठा कर मैं सीढ़ी पर बैठ गया और वो मेरे ऊपर बैठ गई तो मैं फिर से उसकी चूची पकड़ के ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा।

फिर मैंने जितने भी पोज़ सोचे थे उसे उन सारे पोज़ में चोदा।
जब तक मोनिका नहीं आई और हम दोनों थक नहीं गए तब तक सिर्फ़ चुदाई करते रहे।

बाद में जब मोनिका आ गई तब से जब तक मैं राउरकेला में रहा, तीनों को चोदते रहा।

और और फिर मेरा राउरकेला-प्रवास ख़त्म हो गया और मैं जाने लगा और पूरे रास्ते उस 40 दिन के बारे में सोच-सोच कर लिखने लगा। मन में सोचा कुछ दिन और चोदने का मौका मिल जाता तो कितना अच्छा रहता।

लेकिन पता नहीं फिर से उन तीनों को फिर से कब चोदने का मौका मिलेगा लेकिन मन मे एक कसक रह गई कि मैं उन तीनों में से किसी की गाण्ड नहीं मार पाया।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह चुदाई मोनिका की माँ के साथ और कैसी लगी मेरा राउरकेला का प्रवास..!
ज़रूर बताना और अगर आप के कुछ सवाल हों तो आप मुझे मेल कर सकते हैं।



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