दोस्तों इसके पहले पार्ट में मैंने आप सभी को बताया कि किस तरीके से मैंने अपनी सगी सास के साथ चुदाई की। मेरी और मेरी सास के बीच में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था, लेकिन वह झगड़ा खत्म करने के लिए मेरी सांस ने मुझे अपने घर बुलाया था। और मैं अपनी कंपनी के काम से अपने ससुराल के इलाके में गया हुआ था। लेकिन किस्मत में जो होता है, वहीं मिलता है। तो मैं अब कहानी को आगे बढ़ता हूं।
उसे रात की गरमा-गरम चुदाई के बाद मैं थक के सो गया था। लेकिन सुबह मुझे कुछ हलचल महसूस हुई, और मुझे पता चला कि मेरी सास नहाने के लिए गई थी, और नहाने के बाद पूजा-पाठ करने बैठ गई थी। पूजा खत्म होने के बाद वह मेरे पास आई और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बड़े प्यार से कहा-
सासू मां: दामाद जी अब उठ जाइए आपको काम पर भी तो जाना होगा।
तब मैंने धीरे से उनके पास मुस्कुराते हुए देख कर उनका एक बॉल दबाते हुए कहां: आज मैं घर को छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। आज पूरा दिन और पूरी रात आपके साथ रहूंगा।
तो मेरी सास ने मुस्कुराते हुए कहा: मैं कहां जाने वाली हूं? मैं तो अब तुम्हारी हो गई हूं। चलो ठीक है आज काम पर मत जाइए, लेकिन पहले जाकर नहा के आ जाइए। मैं नाश्ता तैयार करती हूं।
और वह यह कह कर किचन की ओर चली गई। मैं भी रात की बातें सोच कर उठ गया, और बाथरूम की तरफ अपने कदम बढ़ा ही रहा था, तभी मुझे ख्याल आया अरे मैंने तो कोई भी कपड़ा पहना नहीं है, मैं पूरी तरीके से नंगा हूं।
अगर इस हालत में मुझे मेरी सासू मां देख ले तो क्या सोचेंगी।
फिर मैंने सोचा कि जिसको मैंने कल रात टांगे उठा-उठा कर उसकी चूत का बाजा बजा दिया, उसके सामने नंगे जाने में कौन सी शर्म? तो मैं बिंदास होकर उनके सामने से गुजर रहा था। तब वो मुझे इस हाल में देख कर पहले तो डर गई। फिर वो शर्मा गई और अपना मुंह फेर दिया।
तब मैंने अपनी सास से कहा: मैं नहाने जा रहा हूं, मेरी इच्छा है कि आप मुझे नहला दें।
तो यह बात सुन कर उन्होंने मेरे पास आकर कहा: ठीक है, चलो बाथरूम में।
हम दोनों बाथरूम के अंदर चले गए। मैं पूरी तरीके से नंगा और मेरी सासू मां साड़ी में थी। फिर उन्होंने मुझे नहलाना शुरू कर दिया। वो मेरा अंग-अंग रगड़ कर मुझे नहला रही थी, और मैं उनके बॉल दबाते हुए मजे ले रहा था। फिर उन्होंने अपने हाथों में अच्छे से साबुन मला, और मेरे लंड को रगड़ने लगी। मुझे तो बहुत मजा आ रहा था।
मैंने अपने सास से कहा: चलो बैड पर जाते हैं।
तब उन्होंने मुझसे कहा: कल रात को ही मुझे रगड़ा था, और अभी फिर से रगड़ना है क्या?
तब मैंने कहा: वह रात की बात थी, अब सुबह हो गई है। चलो एक और राउंड मार लेते हैं।
वह मुस्कुराते हुए बोली: अब पता चला कि मेरी बेटी मेरे दामाद से दूर क्यूं भागती है।
तब उन्होंने मुझ पर अच्छे से पानी डाल कर मुझे तौलिये से पोंछते हुए कहा: आप चलिए मैं आती हूं।
मैंने कहा: ज़रा जल्दी आईये, मेरे लंड से अब सब्र नहीं हो रहा।
यह कह कर मैं बेड की और चला गया। अब 2 मिनट बाद मेरी सास मेरे पास आकर बोली: कहिए दामाद जी, क्या सेवा करूं?
तब बेड पर मैं नंगा ही अपने पैर लटका कर बैठा हुआ था। तब अपनी सास को अपने करीब खींचते हुए उनकी आंखों में देख रहा था। वह शर्मा रही थी, लेकिन बेशर्मी उनके अंग-अंग से झलक रही थी। मैंने उन्हें अपने पास लेते हुए उनके ब्लाउज का एक-एक हूक खोल दिया। जैसे ही आखरी हूक खुला, उनके दोनों पपीते नीचे लटक गए। सही मायनो में कहां जाए तो वह पपीते नहीं तरबूज थे। मैंने उनके दोनों तरबूजों को अपने हाथ में मसलते हुए उनसे कहा-
मैं: आपकी बेटी के तो मौसम्मी जैसे है। लेकिन आपने तो तरबूज लटका रखे है अपनी छाती पर।
यह कहते हुए मैं उनके दोनों तरबूजों को बहुत अच्छे से देख रहा था। उनके निप्पलों के आजू-बाजू का जो गोल घेरा होता है, वह पूरा काला था और निप्पल उनसे भी ज्यादा काले थे। रात को चुदाई के नशे में और उस समय कम रोशनी होने के कारण मैं ठीक से देख नहीं पाया था, तो वह काम अभी कर रहा था।
मैंने उनके एक तरबूज को मसलते हुए उसको अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगा। जैसे ही मैंने चूसना शुरू किया मेरी सासु मां ने धीरे-धीरे सिसकियां लेना शुरू कर दिया। मैं कभी उनका दाया तरबूज चूस रहा था, तो कभी बाया तरबूज चूस रहा था। कम से कम 5 मिनट चूसने के बाद मैंने देखा कि उनके निप्पल काफी तन गए थे, और पूरी तरीके से गीले हो चुके थे।
तब मैंने अपनी सासू मां की साड़ी उतार कर बेड पर लिटा दिया, और उनके सिर के बाल खोल कर उनके मुंह में अपनी जुबान डाल कर किस करना शुरू कर दिया। वह भी उसी तरीके से मुझे किस करने की कोशिश कर रही थी। क्योंकि जिंदगी में कभी उन्होंने इस तरीके से कभी किस नहीं किया था।
उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे स्वर्गवासी ससुर जी जब भी सासू मां की चुदाई करने आते थे, तब सिर्फ साड़ी उठा कर अपना लंड उनकी चूत में डाल कर 10-15 धक्के मार कर अपना पानी चूत में छोड़ कर चले जाते थे। लेकिन कल रात उन्हें मालूम पड़ा कि असली मर्द और असली चुदाई क्या होती है।
अब हालात कुछ ऐसे थे कि मैं पूरी तरीके से नंगा था। मेरी सासू मां का ब्लाउज खुला और साड़ी गायब थी, और वह सिर्फ पेटीकोट में थी। मैं उनकी जांघों पर अपना हाथ चलाते हुए किस करे जा रहा था, और उनके तरबूज़ दबा रहा था। तब मैंने उनके पेटिकोट का नाड़ा खोलने की कोशिश की।
तब उन्होंने मुझे मना करते हुए कहा: प्लीज इसे मत निकालो, मुझे शर्म आती है।
तब मैंने उनसे कहा: कल रात को अपनी चूत में मेरा लंड ले रही थी तब शर्म नहीं आ रही थी तुझे?
तब उन्होंने कहा: वह तो अचानक हो गया था और उस वक्त रोशनी भी कम थी। लेकिन अब सुबह है और रोशनी भी अच्छी है। इसलिए मुझे शर्म आ रही है।
तब मैंने उनसे कहा: आज तुझे मैं पूरी नंगी करके ही चोदूंगा, चाहे कुछ भी हो।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। तब तक के लिए गुड बाय। अगर आपको यह स्टोरी पसंद आई है तो आप मुझे मेल भी कर सकते हैं मेरी ईमेल आईडी