मेरी सेक्सी कजन्स की हॉट चुदाई

दोस्तो यूँ तो आपने मेरी बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है और उन्हें सराहा भी है अब आपके लिए एक और कहानी पेश कर रहा हूँ दोस्तो मेरा नाम राज है और मैं जोधपुर में रहता हूँ और बी टेक का स्टूडेंट हूँ। घर में हम चार लोग हैं, मम्मी, पापा, दीदी (जो इंदौर में मेडिकल में पढ़ती है) और मैं।
हमारे घर में पढ़ाई का बहुत माहौल है, दीदी भी पढ़ाई में अव्वल हैं और मैं भी।
शायद इसी बात को सोच के मौसा ने अपनी दोनों बेटियों, रश्मि (बी टेक फ़र्स्ट ईयर) और डॉली (10+2) दोनों को पढ़ाई करने के लिए उनके एड्मिशन भी जोधपुर में करवा दिया और हमारे घर भेज दिया।
अब रिश्ते में तो वो दोनों मेरी बहनें लगती थी, मगर मैं था एक नंबर का कमीना, जब मैंने उन्हें देखा तो पहला ख्याल ही दिल में यह आया कि अगर दोनों में से एक भी सेट हो गई, तो भाई राज तेरे तो मज़े हो जाएंगे, क्योंकि दोनों की उम्र में चाहे दो साल का फर्क था मगर थी दोनों की दोनों सेक्स बॉम्ब।
बड़ी रश्मि करीब 21 साल की थी और बेशक पतली थी मगर फिर भी उसके बोबे और कूल्हे भरे हुये थे।
दूसरी डॉली का बदन पूरा भरा हुआ था, उसके बोबे और कूल्हे तो अपनी बड़ी बहन से भी बड़े थे।
जिस दिन वो आई, मैंने सबसे पहले उनके नाम की ही मुट्ठ मारी।
उसके बाद तो खैर रूटीन लाइफ शुरु हो गई।
हम तीनों एक दूसरे को नाम लेकर ही बुलाते थे। धीरे धीरे वो दोनों हमारे घर में ऐसे एडजस्ट हो गई जैसे हमारे ही घर में पैदा हुई हों। दोनों स्वभाव की बहुत अच्छी थी, मम्मी का हर काम में हाथ बंटाती, मेरे साथ बैठ के पढ़ती थी।
मगर मेरे पढ़ने का स्टाइल थोड़ा अलग था, मैं दिन भर में कभी नहीं पढ़ता था, रात को जल्दी सो जाता और करीब साढ़े बारह एक बजे उठ जाता और तब दिल लगा के 2-3 घंटे पढ़ता, फिर सो जाता।
इसी वजह से मैं क्लास में भी अव्वल आता था।
चलो अब मुद्दे पर आता हूँ, धीरे धीरे हम तीनों आपस में पूरी तरह से घुल मिल गए, मगर हमारा प्यार वही भाई बहन वाला था, इसमें कोई गंदगी नहीं थी, हां अगर थी तो मेरे दिमाग में थी।
मैं अक्सर स्कीमें बनाता कि कैसे इन दोनों में से किसी एक को तो पटा ही लूँ, मगर कोई बात नहीं बन रही थी।
जब भी उन दोनों का कोई जलवा देखता तो मन ही मन तड़प उठता।
आपको कुछ उदाहरण देता हूँ।
एक दिन रश्मि उल्टा लेट कर पढ़ रही थी, तो जब मैंने उसके कमीज़ के नीचे गिरे हुये गले में से उसके गोरे गोरे और गोल गोल बोबे देखे, मेरा मन किया कि इसकी कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर इसके बोबे दबा दूँ, मगर नहीं कर सकता था।
मैं बार बार चोरी चोरी उसके बोबे घूर रहा था, मुझे यह भी लगा कि शायद रश्मि ने मेरा उसके बोबे घूरना देख लिया है मगर वो वैसे ही लेटी रही, उसने भी उठ कर अपना सूट ठीक नहीं किया और मैं भी करीब 15-20 मिनट तक उसके कुँवारे यौवन का नेत्र भोजन करता रहा।
एक दिन डॉली की चप्पल बेड के नीचे थोड़ी दूर चली गई, तो वो नीचे झुक कर या यूं कहिए के घोड़ी बन कर बेड के नीचे से चप्पल निकालने की कोशिश कर रही थी, मैं वही बैठा अपनी कोई किताब पढ़ रहा था, जब मैंने डॉली का ये पोज़ देखा तो मेरे लंड ने तो फन उठा लिया।
मैंने अपना लोअर नीचे को खिसकाया और लंड बाहर निकाल लिया और किताब की आड़ में डॉली के पाजामे से उभार के दिखते उसकी गोल मटोल गाँड देख के लंड सहलाने लगा।
मेरा दिल कर रहा जाऊँ और डॉली का पाजामा नीचे करके पीछे से ही अपना लंड उसकी गाँड में घुसेड़ दूँ।
मगर यह संभव नहीं था।
ऐसी ही और भी बहुत सी उदाहरण थे जब मैं टाइट टी शर्ट, जींस, कैपरी वगैरह में उनके जवान जिस्मों की गोलाइयाँ देखता और मन ही मन आहें भरता।
फिर मैंने एक और स्कीम लड़ाई, मैंने उनके कमरे की खिड़की में एक बारीक सा छेद बनाया क्योंकि मेरे कमरे के साथ बाथरूम अटैच नहीं था, सो मुझे रात को बाहर वाले बाथरूम में जाना पड़ता था और रास्ता उनकी खिड़की के पास से होकर गुज़रता था तो मैं जान बूझ के रात को बाथरूम के बहाने एक दो बार जा कर देखता कि शायद उन दोनों को अपने कमरे में कभी कपड़े बदलते या वैसे ही कम कपड़ों में देख सकूँ।
और ऐसा हुआ भी, मैंने दोनों को कई बार कपड़े बदलते या कम कपड़ों में कमरे में घूमते हुये देख चुका था।
मगर अब बात यह थी कि इनके दिल में सेक्स की आग कैसे लगाऊँ।
फिर मैंने दूसरी स्कीम चलाई।
एक दिन रश्मि नहा रही थी, डॉली माँ के साथ किचन में थी, मैंने चुपचाप बीनू का मोबाइल उठाया और अपने मोबाइल के ब्लूटूथ से 3-4 बढ़िया बढ़िया ब्लू फिल्मों की क्लिप्स बीनू के मोबाइल में भेज दी।
अब मैं यह देखना चाहता था कि बीनू इन्हें कब देखती है।
उसी दिन रात को जब मैं बाथरूम के बहाने रश्मि के कमरे के पास से गुज़रा तो मैंने खिड़की के सुराख से देखा कि डॉली तो सो रही है, मगर रश्मि अपने मोबाइल पे कुछ देख रही है।
देखते देखते रश्मि ने अपना हाथ अपने पाजामे में डाल लिया और शायद अपनी चूत सहलाने लगी।
मेरा भी इंटरेस्ट बढ़ गया और मैं भी ध्यान से देखने लगा।
जैसे जैसे रश्मि मोबाइल पे देखती जा रही थी, उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी।
फिर उसने घुटनों तक अपना पाजामा उतार दिया, अपना कुर्ता भी ऊपर उठा लिया, मैं बाहर अपना लंड हाथ में पकड़ के खड़ा था।
मैं रश्मि के बोबे तो देख सकता था मगर मैं उसकी चूत नहीं देख पा रहा था, हाँ एक हल्की सी झलक उसकी झांट के बालों की ज़रूर देख सका था।
वो अंदर बेड पे लेटी मोबाइल देख कर हस्तमैथुन कर रही थी और मैं बाहर खड़ा उसे देख कर।
देखते देखते वो अंदर झड़ गई और मैं बाहर।
पानी छूटने के बाद वो भी सो गई और मैं भी अपने कमरे में आ कर लेट गया।
उसके बाद तो यही रूटीन बन गया, थोड़े से दिनों बाद मैं उसके मोबाइल में चुपके से 1-2 पॉर्न क्लिप्स डाल देता जिन्हें वो देखती और
हस्त मैथुन करती और उसे देख के मैं करता।

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एक रात जब रश्मि अपना मोबाइल देख कर हस्तमैथुन कर रही थी तो डॉली उठ गई और उसने रश्मि को नंगी हालत में देख लिया।
जब रश्मि ने उसे मोबाइल पे विडियो दिखाई तो डॉली भी उसे ध्यान से देखने लगी, दोनों बहने मोबाइल देख रही थी जब रश्मि ने डॉली का हाथ पकड़ के अपनी चूत पे रख लिया, डॉली अपने हिसाब से उसे सहलाने लगी तो रश्मि ने उसे समझाया के चूत पे किस जगह और कैसे सहलाते हैं।
डॉली वैसे ही करने लगी, जब डॉली गरम होने लगी तो रश्मि ने अपना हाथ उसके पाजामे में डाल दिया और उसकी चूत सहलाने लगी।
उसके बाद दोनों बहनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और रश्मि ने बड़े धीरे से डॉली के होंठों पे अपने होंठ रख दिये, उसके बाद मोबाइल
को रख के साइड पे दोनों बहने आपस में ही गुत्थमगुत्था हो गई।
मेरा तो उनको इस हालत में देख कर ही पानी छूट गया।
मगर मैं इस मौके को देखे बिना नहीं रह सकता था, तो पानी छूटने के बाद भी मैं वही खड़ा रहा।
दोनों बहनों ने एक दूसरे से बहुत प्यार किया, चूमते चूमते दोनों ने एक दूसरे के कपड़े खोले।
कमरे की धीमी रोशनी में आज मैंने पहली बार दोनों बहनों को बिल्कुल नंगी हालत में देखा।
क्या बोबे थे दोनों के… ये गोल गोल और बड़े बड़े चूतड़! मोटी मोटी जांघें, पतले सपाट पेट।
दोनों की दोनों बेहद सेक्सी और अब तो पूरी तरह से गर्म लंड लेने को तत्पर और बाहर मैं खड़ा था उन दोनों को चोदने को तत्पर।
मगर बीच में दीवार।
खैर दोनों बहनों ने एक दूसरे को खूब चूमा चाटा और दोनों ने एक दूसरे की चूत में उंगली की और दोनों की दोनों ने अपना अपना पानी छुड़वाया।
मेरा तो मुट्ठ मार मार के लंड भी दुखने लगा था, वैसे भी मैं तीन बार मुट्ठ मार के अपना पानी निकाल चुका था।
अब तो मेरे लिए और बढ़िया हो गया था, अब मैं अक्सर दोनों बहनों का लेस्बीयन सेक्स देखा करता, 4-5 बार करने के बाद तो वो इतना खुल गई के अपना कमरा बंद करने के बाद वो अक्सर लिप किसिंग, एक दूसरे के बोबे दबाना, एक दूसरी की गाँड में उंगली देना जैसी हरकतें करती।
फिर मैंने सोचा के इन का तो हो गया, अपना पपलू कैसे फिट करूँ।
फिर मैंने एक और स्कीम लगाई।
रश्मि अक्सर दोपहर को बाहर वाले बाथरूम में जाती थी और कई बार तो काफी देर लगा कर आती थी, मुझे इस बात का आइडिया था के वो हस्तमैथुन करने ही जाती है तो मैं इस बात का खयाल रखने लगा के वो कब कब वहाँ जाती है। एक दिन मैं जानबूझ के बाहर वाले बाथरूम में रश्मि के बाथरूम जाने के टाइम से थोड़ा पहले घुस गया और अपनी झांट रेज़र से शेव करके साफ करने लगा।
जब झांट साफ कर चुका तो वैसे ही अपने लंड से खेलने लगा, तो लंड महाशय भी खड़े हो गए, उस वक़्त मैंने सिर्फ बनियान पहनी हुई थी, नीचे से नंगा था।
बाथरूम का दरवाजा मैंने लॉक नहीं किया बल्कि थोड़ा सा खुला रखा था ताकि सामने से आने वाले पे नज़र रख सकूँ।
थोड़ी देर में ही मैंने देखा, रश्मि सामने से चली आ रही है, मैं उसके स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार था।
मैंने यूं ही लंड के आस पास रेज़र फेरना शुरू कर दिया और मुँह दरवाजे की तरफ ही रखा ताकि जो भी बाहर से आए वो सबसे पहले मेरे लंड के ही दर्शन करे।
वही हुआ, जैसे ही रश्मि ने आ कर दरवाजा खोला तो उसकी तो आँखें फटी की फटी रह गई, मैंने देखा उसकी नज़र मेरे तने हुए लंड पे ही अटक गई थी।
‘यह क्या कर रहे हो?’ वो बोली।
‘सफाई कर रहा हूँ, मुझे फालतू के बाल बिलकुल पसंद नहीं!’ मैंने थोड़ा बेशर्मी से कहा।
‘तो दरवाजा तो बंद कर लो!’ यह कह कर वो जाने लगी।
‘अरे सुनो, तुमने जाना है तो जाओ, मेरा तो हो गया!’ यह कह कर मैंने झट से अपनी निकर पहनी और बाथरूम से बाहर आ गया।
बहाने से मैंने रश्मि को अपना लंड दिखा दिया था और मैं अब उसका असर देखना चाहता था।
रश्मि काफी देर बाद बाथरूम से निकली। रात को रश्मि ने सारी बात डॉली को बताई, मैं खिड़की के बाहर खड़ा सुन तो नहीं सकता था पर समझ ज़रूर गया था कि दोनों बहनों ने उस दिन मेरे लंड के नाम का हस्तमैथुन किया था।
मेरे लंड दिखाने का असर यह हुआ कि एक दिन मैं जब रात को उठ कर बाथरूम करने गया, उस वक़्त रात के कोई डेढ़ बज रहे होंगे। मैंने देखा बाथरूम की बत्ती जल रही थी।
मुझे अचरज हुआ कि बाथरूम की बत्ती किसने जलायी।
मैं धीरे से बाथरूम के पास गया दरवाजे की दरार से अंदर देखा, अंदर रश्मि बैठी पेशाब कर रही थी।
‘ओह माइ गॉड…’ मेरा हाथ तो जभी लंड पे गया।
अंदर नंगी लड़की बैठी है और दरवाजा खुला है, मैंने अपना लंड सहलाया और जब लंड तन गया तो मैंने लंड को अपनी निकर से बाहर निकाला उसकी चमड़ी पीछे की और ऐसे बाथरूम में घुसा जैसे बहुत ज़ोर की लगी हो।
अंदर घुसते ही मैंने बड़ी हैरानी से पूछा- रश्मि तुम, यहाँ, क्या कर रही हो?
अब वो पाजामा उतार के बैठी पेशाब ही कर रही होगी, उसने मेरी तरफ और फिर मेरे लंड की तरफ देख कर वैसे ही बैठे बैठे कहा- बाथरूम आई थी।
‘ओ के, हो गया तो मैं भी कर लूँ…’ मैं अपने लंड को हाथ में पकड़ के हिलाते हुए बोला।
‘हाँ कर लो…’ यह कह कर वो उठी तो उसकी गोल गदराई हुई गाँड मेरी तरफ को थी। शायद एक सेकंड के हजारवें हिस्से में ही मैंने सोच लिया कि अब अगर तूने इस लड़की को पकड़ लिया तो पकड़ लिया वर्ना ते गई हाथ से।

बस उसी वक़्त मैंने बिजली की रफ्तार से एकदम से रश्मि को पीछे से बाहों में जकड़ लिया, मेरा लंड उसकी गाँड के सुराख पे लगा जिसे उसने वहीं पे भींच लिया।
मैंने उसे सीधा खड़ा किया, मेरे दोनों हाथ उसके दोनों बोबे पकड़े हुए थे, मैंने उसकी गर्दन पे किस किया, फिर कान के पास, फिर कान के नीचे जबड़े के पास अपनी जीभ से चाटा।
उसने अपने हाथ से मेरे बालों को सहलाया। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर डाल कर उसके दोनों बोबे पकड़ लिए और बड़े प्यार से सहला सहला के दबाये।
उसकी साँसें तेज़ होने लगी, मैंने उसका मुँह घुमाया और उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया। होंठों के बाद जीभें आपस में उलझ पड़ी।
फिर मैंने उसे घुमाया और उसका मुंह अपनी तरफ किया, इस बार हम दोनों ने एक दूसरे को बड़े ज़ोर से गले लगाया जैसे दोनों इसी दिन का इंतज़ार कर रहे हों।
मैंने अपना लंड रश्मि के हाथ में पकड़ा दिया और उसके दोनों निपल्लों को अपनी उँगलियों से मसला।
उसके मुँह से सिसकारी निकली।
‘अब सब्र नहीं होता, रश्मि, प्लीज़ मेरा लंड ले अपने अंदर ले ले!” मैंने कहा तो वो बोली- यहाँ नहीं कोई आ भी सकता है तेरे कमरे में चलते हैं।
मैंने बाथरूम की बत्ती बंद की और चुपके से रश्मि को लेकर अपने कमरे में आ गया। कमरे में डॉली सो रही थी, हम दोनों जाकर उसके साथ ही लेट गए।
लेट क्या गए बस लेटते ही एक मिनट में अपने अपने कपड़े उतार फेंके।
रश्मि ने अपनी टाँगें फैला कर मुझे अपने से सटा लिया और अपनी टाँगों का घेरा मेरी कमर के गिर्द कस दिया, फिर से होंठों से होंठ जुड़ गए।
मेरा लंड रश्मि के पेट से लगा था जिसे मैं उसके पेडू पे ही घिसा रहा था। रश्मि ने खुद मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पे रख लिया।
मैंने जब थोड़ा ज़ोर लगाया तो जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसा उसके मुँह हल्की सी चीख निकल गई ‘हाई माँ…’
जब उसने कहा तो पास में सो रही डॉली भी उठ गई, उसने साइड पे पड़ा टेबल लेंप जलाया तो देखा के हम दोनों बिल्कुल नंगे आपस में गूँथे पड़े थे।
वो हैरान हो कर बोली- यह तुम क्या कर रहे हो?
मैंने एक बार और ज़ोर लगाया और अपना लंड रश्मि की चूत में और अंदर ठेलते हुये कहा- सेक्स…
और जैसे ही मैंने दूसरा धक्का मारा रश्मि के मुँह से एक और हल्की सी चीख ‘हाय मेरी माँ, मर गई मैं…’ निकल गई।
डॉली बोली- बीनू रहने दे भाई, रश्मि को दर्द हो रहा है।मगर मुझसे पहले ही रश्मि बोल पड़ी- चुप कर साली, दर्द नहीं मज़ा आ रहा है मज़ा, तू लगा रह यार।
अब तक तो मेरा पूरा लंड रश्मि की चूत में घुस चुका था। जब लंड पूरा अंदर चला गया तो मैंने लंड आगे पीछे करके रश्मि को चोदने लगा। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते, जीभ से जीभ लड़ाते प्यार कर रहे थे और पास लेटी डॉली ये सब देख रही थी।
मैंने देखाडॉली के छोटे छोटे बूब्स जो उसकी टी शर्ट में थे उनके निपल कड़े हो गए थे।
मैंने डॉली के आँखों में देखा और अपना हाथ बढ़ा कर मैंने उसका बूब पकड़ लिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, शायद वो भी गरम हो चुकी थी।
रश्मि ने पूछा- यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- देखो डॉली भी जवान है, उसका भी दिल कर रहा है, क्यों न उसे भी अपने जवानी के खेल में शामिल कर लें।
रश्मि ने डॉली की तरफ देखा, दोनों कुछ नहीं बोली तो मैंने डॉली को अपनी तरफ खींच लिया, पास खींच कर मैंने उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिये।
वाह, क्या किस्मत थी मेरी भी, एक बहन की चूत में मेरा लंड और दूसरी बहन के होंठ मेरे होंठों में।
‘डॉली, तू भी अपने कपड़े उतार दे!’ मैंने कहा तो डॉली ने भी धीरे धीरे से अपने कपड़े उतारने शुरू किए, अब मुझे रश्मि में कोई खास इंटरेस्ट नहीं रह गया था, क्योंकि उसे तो मैं चोद चुका था।
मैंने खुद हेल्प करके डॉली को नंगी किया और उसके बाद उसे लेटा कर खुद उसके ऊपर लेट गया, उसके कच्चे कुँवारे बदन की महक ही अलग थी।
मैंने थोड़ी सी किसिंग की और उसके मासूम से छोटे छोटे स्तन चूसे, स्तन चूसने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत पे रखा।
रश्मि बोली- आराम से, वो छोटी है, अगर दर्द ज़्यादा हुआ तो निकाल लेना और मुझ से कर लेना, मगर इसका ख्याल रखना।
मैंने बड़े आज्ञाकारी की तरह हामी भरी और डॉली के होंठ अपने होंठों में अच्छी तरह से पकड़ने के बाद, यह पक्का करके कि अगर इसके मुँह से चीख निकली तो उसे मैं अपने मुँह में ही समा लूँगा, मैंने लंड पे ज़ोर बढ़ाया।
बेशक मैंने आराम से डाला मगर कुँवारी लड़की को तो तकलीफ होती ही है। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भींच के रखा और लंड को अंदर धकेल दिया।
वो तड़प उठी, मगर मैंने उसे बहुत मजबूती से पकड़ा था, रश्मि को भी लगा के डॉली को बहुत दर्द हो रहा था, उसने मुझसे कहा भी- रहने दे बीनू, उसे दर्द हो रहा है।
मगर मैं कुँवारी चूत को फाड़ने का सुख कैसे छोड़ देता। और कुछ नहीं तो ये तो बस मेरी मर्दानगी, मेरे अहंकार की संतुष्टि थी। बिना उसके दर्द की परवाह किए मैंने अपना पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत में उतार दिया।
उसके मुँह से चीख तो न निकल सकी मगर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।
अब तो रश्मि भी गुस्सा हो गई- क्या कर रहा है यार, देख उसको कितना दर्द हो रहा, निकाल बाहर।
मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुये, अपना लंड बाहर निकाल लिया। डॉली ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत पकड़ी और करवट ले कर लेट गई, और रोने लगी, रश्मि उसे चुप करवाने लगी।

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अब मेरे करने के लिए कुछ नहीं बचा था मैंने रश्मि से पूछा के क्या वो मेरे साथ करेगी, तो उसने मुझे बुरी तरह से डांट कर भगा दिया। मैं अपने कपड़े उठा कर अपने कमरे में आ गया।
कमरे में आकर देखा तो मेरे लंड पे थोड़ा सा खून लगा था।
आह, क्या सुकून मिला मन को कि मैंने एक कच्ची कली को मसल के फूल बना दिया।
इसी खुशी में मैं तो मुट्ठ मार कर सो गया।
उसके बाद दोनों बहनों ने मुझे नहीं बुलाया, करीब 15-20 दिनो तक मनमुटाव चला मगर धीरे धीरे सब ठीक हो गया।
उसके बाद तो एक रात मैं फिर से उन दोनों के कमरे में था। और इस बार दोनों बहनों ने मेरा बड़ा हंस कर स्वागत किया, वो खुश थी के उनको लंड मिलने वाला है और मैं खुश था कि मुझे चूत मिलने वाली है, और वो भी दो दो।



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