बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे के मम्मों से खेलते रहे, फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं ऑफिस न जाकर घर पर ही गई।
यह मेरा पहला व्यक्तिगत लेस्बियन था, 4 साल तक वो मेरे शहर रही और 4 साल तक मैं हर महीने उससे 4-5 में बार कभी कभी उससे ज्यादा बार भी लेस्बियन सेक्स किया।
फिर उसके पति का प्रमोशन हो गया, पर उसके बाद वो जब भी मिली, किसी भी तरह समय निकाल कर मजे करती।
पर अब उसके साथ वो मजा नहीं आता… हाँ, कभी कभी उसे किस जरूर करती हूँ और उसके मम्मे चूसती हूँ।
मेरा नंगा बदन
एक बार मेरे पतिदेव ने जरूर हमें रंगे हाथ पकड़ लिया होता!
छुट्टी का दिन था, सब घूमने गए हुए थे, कविता को भी मैंने घर पर बुला लिया था।
जब मैं सिर्फ़ तौलिये में थी और उसे किस करने ही वाली थी कि मेरे पति आये पर उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था।
हमारी तो जान में जान आई, मैंने उन्हें बाहर जाने के लिए कहा पर वो नहीं गए, तो मैंने उन्हें कविता के सामने ही उनके गाल पर चुम्मा देकर जाने की विनती की पर फिर भी नहीं गए।
अचानक मेरे दिमाग में शरारत सूझी क्योंकि मैं तो हूँ ही बेशर्म…
मैंने तौलिया निकालकर एक तरफ फेंक दिया और पूरी नंगी हो गई!
और अपने दोनों हाथ कविता भी मुँह पर रखकर आश्चर्य से मेरी तरफ देख रही थी और पतिदेव भी!
वो मुझे डांटने लगे, पर कब तक डांटते?
उन्हें ही बाहर जाना पड़ा।
जब वो बाहर गए तो हम दोनों खूब हंसी, मैं पूरे समय तक नंगी ही रही, और कविता के साथ बात करती रही।
पतिदेव ने जब कहा कि सब लोग आ गए हैं तब मैं कपड़े पहन कर बाहर निकली।
जब भी मुझे पतिदेव को ऐसे चिड़ाना होता है तो मैं कविता को बुला लेती और नंगी हो जाती!
और आज भी ऐसा ही करती हूँ, कोई न कोई बहाना बना ही लेती हूँ।
ठीक ऐसा कविता भी उसके पति के साथ कई बार चुकी है।
जब भी मैं इस बात की याद पतिदेव को दिलाती हूँ वो शर्म के मारे आँखें बन्द कर इधर उधर देखने लगते हैं और मैं हंसने लगती हूँ।