मेरी प्यारी पिंकी दीदी

हेलो फ्रेंड्स दिस इझ सॅंडी, जैसा की आप सभी जानते है मैं रायपुर से हू, इस बार मैं आपके सामने एक बहुत ही अच्छी स्टोरी पेश कर रहा हू, ये देसी सेक्स स्टोरी मेरे एक फ्रेंड ने मुझे बताई मुझे बहुत पसंद आई तो मैने सोचा की इसे अपने हॉर्नी फ्रेंड के साथ डीके पर शेयर करू.

इस स्टोरी को मैं अपनी ज़ुबानी से सुना रहा हू, ये स्टोरी पढ़ कर आप लोगो का लंड और जानेमन आप लोगो की चुत पक्का पानी छ्चोड़ देगी, तो आगे कहानी पर आते है.

ये कहानी मेरे कॉलेज टाइम की है, मेरे घर मे मेरी मम्मी मैं और मेरी दीदी पिंकी जो की 26 साल की है वो रहती है..

मेरे पापा की 4 साल पहले हार्ट-अटॅक मे डेत हो गई, वैसे तो पापा के इँसुरेंस के पैसो के कारण हमे कोई प्रॉब्लम नई हुई, पर जब दीदी 24 साल की हुई तो उनकी एक गॉव, बॅंक मे जॉब लग गई.

दीदी दिखने मे ज़्यादा सुंदर तो नही पर उनका फिगर बोहोत ही पर्फेक्ट और फिट था, उनका साइज़ 34डी,28,36 ना एक इंच कम ना एक इंच ज़्यादा था, कॉलेज मे ग़लत संगत मे रहने के कारण मेरी रूचि लड़की से ज़्यादा लड़को मे होने लगी थी.

मैने कई गे लड़को से दोस्ती कर रखी थी और जब भी मौका मिलता तब मैं उन लोगो से अपनी शारीरिक ज़रूरत पूरी कर लिया करता था, ये सिलसिला यूही 2-3 साल चलता रहा धीरे धीरे मेरा लड़की के प्रति आकर्षण ही ख़त्म हो गया, सेक्सी से सेक्सी और सुंदर से सुंदर लड़की को देख कर भी अब मेरे लंड मे उत्तेजना नई आती थी.

ये सब मेरी मम्मी और दीदी को नही पता था, आख़िर आख़िर एक दिन मेरी मम्मी कुछ दीनो के लिए रेश्टेदारी मे गई हुई थी और मेरी दीदी हमेशा की तरह बॅंक गई हुई थी, उस दिन क्लास मे बैठे बैठे मेरे एक गे फ्रेंड ने मेरे लंड से छेड-छाड शुरू कर दी और पीरियड ख़त्म होने के बाद मैं उसे अपने घर ले आया, और मैं उसकी गॅंड की चुदाई कर रहा था, तभी मेरी दीदी ने दरवाजा खोला और हम दोनो के होश उड़ गये..

दीदी ने सारा नज़ारा देखा और उनके मूह से हे भगवान निकला और मेरी तो आँखों के सामने अंधेरा सा च्छा गया और जैसे मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन ही खिसक गई, जैसे तैसे मैने कपड़े पहने और अपने फ्रेंड को विदा किया.

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मेरी तो हिम्मत ही नई हो रही थी दीदी का सामना करने की और उनसे नज़रे मिलाने की पर कभी ना कभी तो उनका सामना करना ही था मैं अपने कमरे मे लेटे लेटे यही सोच रहा था, फिर मैने कैसे भी कर के हिम्मत जुटाई और चल पड़ा दीदी के कमरे की ओर.

मैने दरवाजा क्नॉक किया तो दीदी ने दरवाजा खोला उनकी आँखे सूजी हुई और लाल थी, लग रहा था वो बहुत देर से रो रही थी, दीदी मुझसे बिना कोई सवाल किए सिर नीचे करके बिस्तर पर बैठ गई.

मैं डरते डरते उनके पास अंदर गया और मेरे मूह से बोल ही नही फुट रहे थे पर मैने कैसे भी कर के दीदी से सॉरी कहा दीदी ने नज़रें नीचे रखे हुए ही मुझसे पूछा कब से चल रहा है ये सब..?

मैने जवाब दिया दो साल दीदी ने मेरी तरफ गुस्से से देखा और बोली, दो साल? तुझे पता भी है तू क्या कर रहा है तेरा दिमाग़ तो ठिकाने पर है..?
वो सब क्या था जो मैने देखा…?

मैने घबराते हुए कहा दीदी वो हम सेक्स कर रहे थे, दीदी ने चौुक्ते हुए कहा क्या सेक्स एक लड़के के साथ, अरे यू गे? मैने पहली बार बिना हिचके जवाब दिया एस दी आई एम अ गे, ये सुन कर वो चौुक्ते हुए मेरे तरफ देखने लगी और 4-5 मिनट कुछ नई कहा.

मैं उनके बोलने का इंतज़ार करता रहा 5 मीं बाद वो बोली तुम जाओ हम इस बारे मे बाद मे बात करेंगे, और इसके उन्होने मुझसे कई दीनो तक बात-चीत नही की और मम्मी के आते ही सारी बात उनको भी बता दी.

मुम्मी ने भी मुझे कई बार समझाया पर मुझे तो चिकने गे लौंडे ही पसंद आते थे, मम्मी ने मेरे लिए ताबीज़ वग़ैरह भी बनवाई पर मेरा इंटरेस्ट फिर भी वही का वही रहा, एक दिन दीदी मेरे कमरे मे आई और तलाशी लेने लगी उन्हे 4-5 गे पॉर्न मज़्गिने मिल गई.

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जिन्हे वो अपने साथ ले गई और मुझे सख़्त हिदायत दी की आगे से उन्हे ऐसी कोई चीज़ मिली तो वो मुझे घर मे घुसने नही देगी, मम्मी और दीदी मे हमेशा ही कोई कोई ना कोई खिचड़ी पकती रहती थी और मेरे सामने आने पर वो नॉर्मल बिहेव करने लगती थी.

कुछ दिन बाद मुझे पता चला की दीदी का ट्रान्स्फर दूसरी सिटी मे हो रहा है, दीदी मेरे सामने ऐसा बिहेव करती जैसे वो इस ट्रान्स्फर से खुश नई हैं पर उन्होने जान-बुझ कर अपना ट्रान्स्फर करवाया था ताकि मुझे अपने गे दोस्तो से च्छुटक़ारा मिल सके.
कुछ दिन बाद दीदी का ट्र्नस्फ़ेर दूसरे शहर हो गया और दीदी ने अपने बॉस से कहकर मेरी जॉब एक बॅंक मे एझ अ कॅशियर लगा दी, इसके बाद दीदी और मम्मी ने चैन की सास ली की अब हो सकता है मेरी आदत मे कोई सुधार आ जाए..

दीदी को लगा मैं इन सब से जितना दूर रहूँगा मेरा सेक्स के प्रति उतना ही आकर्षण कम होगा.

और मेरा लड़कियो के प्रति आकर्षण बढ़ेंगा, पर ऐसा कुछ नई हुआ प्यासा तो अपने लिए कही से भी कुआ ढूँढ ही लेता है, मुझे बस मे जाते हुए एक गे मिल गया..

एक दिन दीदी ने मेरा मोबाइल चेक किया और उसका मेसेज पढ़ लिया जिसमे हमारे अगले दिन का मिलने का प्लान था.इसके बाद दीदी अपने बॅंक से अगले दिन हाफ टाइम लेकर मुझसे मिलने मेरे बॅंक पहुचि तो देखा की मैं अबसेंट था, इसके बाद जब मैं शाम को घर आया तो दीदी और मम्मी दोनो मुझ पर राशन-पानी लेकर चढ़ गई.

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कॉमेंट सेक्षन मे ज़रूर लिखे, ताकि देसीकाहानी पर कहानियों का ये दौर आपके लिए यूँ ही चलता रहे.

मैं भी घर छोड़ के निकल पड़ा मैने पूरी रात एक होटेल मे गुजारी और फिर सीधे वही से बॅंक के लिए निकल गया, दीदी के फोन बार बार आ रहा था तो मैने मोबाइल को स्विच ऑफ कर के रख दिया, फिर दीदी मेरे बॅंक पहुचि और मुझसे घर चलने की रिक्वेस्ट की मैने भी हान कर दी.

आगे की स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में..



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