मेरी पत्नी यही तो चाहती थी

एक स्केल.. जिसका मैंने पहले ही इंतजाम कर रखा था.. से उसके दोनों चूतड़ों पर दो बहुत जोर से जड़ दिए।
दीप के मुँह से सिर्फ ‘आह्हीईईस्स..’ की आवाज निकली।

फिर मैंने उसे सीधा करके अपना लण्ड पूरी ताकत से उसकी चूत में डाल दिया।
केवल 3 झटकों में मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया।

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वो दर्द से चीखने लगी- आह्ह्ह्ह्ह्.. ऊऊओहह.. निकालो इसे बाहर.. बहुत तेज दर्द हो रहा है।

दर्द के मारे उसका पूरा चेहरा लाल पड़ गया था और आँसू भी निकल आए थे। कुछ देर रुक कर मैं उसकी चीख को दबाने के लिए उसे किस करने लगा।

एक मिनट के बाद मैं फिर से तेज झटके देने लग गया।
वो दर्द भरी आवाज में बोलने लगी- प्लीज रुक जाओ.. दर्द हो रहा है।

मैं उसकी बात को अनसुना कर उसे चोदने लगा और उसे तमाचे भी मार रहा था।

वो बस ‘आअहह.. आह्ह्ह्ह्ह्..’ की आवाज निकल रही थी। लगभग 5 मिनट की चुदाई के बाद उसका स्खलन हो गया।

झड़ते ही दीप के चेहरे पर एक सुकून दिख रहा था।
मैं रुक गया और उसके दोनों निप्पल काटने लगा, वो सिर्फ सिसकारियाँ भर रही थी।

मैंने लण्ड निकाल कर फिर उसका मुँह चोदने के लिए आगे बढ़ाया.. तो उसने मुँह ही नहीं खोला और मना करने लगी।
मैंने फिर उसे थप्पड़ मारा और फिर जबरदस्ती लण्ड उसके मुँह में डाल चोदने लगा।

गांड में उंगली
थोड़ी देर के बाद मैं उसकी गाण्ड में उंगली डालने लगा.. तो उसने मना कर दिया।
बोली- मत करो दर्द होगा।
मैं- नहीं होगा.. एक बार कर लेने दो न।

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दीप- नहीं
मैं- अच्छा.. कैसे नहीं करने देगी? माँ की लौड़ी तुझे करना ही पड़ेगा।

इतना कहकर मैंने उसके बाल पकड़कर उसे घोड़ी बना दिया और फिर उसके बाल खींचकर उसके चूतड़ों पर स्केल से मारने लगा और बोलने लगा- ले माँ की लौड़ी आज तो तेरी गाण्ड फाड़ कर ही रहूँगा.. बहुत तड़पाया है तूने।

वो सिर्फ सिसकारियाँ और हल्की-हल्की चीख ही निकाल रही थी।
मैंने एकदम से उसकी गाण्ड में लण्ड डालना चाहा.. पर गाण्ड टाइट होने की वजह से वो फिसल गया।

थोड़ी कोशिश के बाद मेरा आधा लण्ड अन्दर गया और दीप की चीख निकल गई। फिर पूरी ताकत से मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में डाल दिया।

वो दर्द की वजह से छटपटाने लगी और कहने लगी- प्लीज छोड़ो मुझे.. बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।
लेकिन मेरे कस के पकड़े रहने की वजह से वो मेरी पकड़ से छूट नहीं पाई।

पर इतनी चीख से मुझे कहाँ सुकून मिलने वाला था, मैं और धक्के पर धक्के लगाता गया।
वो दर्द सह नहीं पाई और बिस्तर पर ही गिर गई।

एक हाथ से मैंने उसके बाल खींचकर पकड़ रखे थे.. तो दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों पर स्केल से जोर-जोर से बराबर मार रहा था।
मार से उसके चूतड़ लाल पड़ गए थे और निशान भी बन गए थे।

फिर दीप को सीधा करके मैं अपना लंड उसके मुँह में डालकर उसका मुँह चोदने लगा।
इस बीच मैं उसको थप्पड़ भी बराबर मार रहा था, दर्द उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था, पूरा चेहरा सुर्ख पड़ गया था।

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ऐसा करने में मुझे कितना आनन्द आ रहा था.. बता नहीं सकता।

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