मेरी पत्नी मिनी और डोली भाभी

हम लोग गावं के रहने वाले हैं. हमारा गावं शहर से 44 किलोमीटर दूर है. पास के ही एक गावं में भैया की शादी हो गयी. डोली भाभी बहुत ही अच्छी थी और खूबसूरत भी. भैया की उम्र 22 साल की थी. वो उम्र में भैया से 4 साल छोटी थी. मैं डोली भाभी से उम्र में 1 साल बड़ा था. डोली भाभी की उम्र 18 साल की थी. गावं में ये उम्र शादी के लिए काफ़ी मानी जाती है. शादी के बाद भैया की नौकरी यू.पी की एक कंपनी में लग गयी. वो पटना में ही रहने लगे. वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे. जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होने डोली भाभी को भी पटना बुला लिया. मम्मी तो थी नहीं केवल पापा ही थे. कुछ दिनो के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिए बुला लिया. मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर पढ़ाई करने लगा. मैने बी.ए तक की पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया .
अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुये 1 साल ही गुज़रा था की भैया का रोड ऐक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया. उस समय मेरी उम्र 21 साल की हो चुकी थी. अब तक मैं एक दम हटता कटता नौजवान हो गया था. मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्योंकी गावं में कुश्ती भी लड़ता था. मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी. अब घर पर मेरे और डोली भाभी के अलावा कोई नहीं था. वो मुझसे बहुत प्यार करती थी. मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी. डोली भाभी को ही घर का सारा काम करना पड़ता था इसलिये मैं भी उनके काम में हाथ बटा देता था. वो मुझसे बार बार शादी करने के लिये कहती थी. एक दिन डोली भाभी ने शादी के लिए मुझ पर ज़्यादा दबाव डाला तो मैने शादी के लिए हाँ कर दी. डोली भाभी के एक रिश्तेदार थे जो की उनके गावं में ही रहते थे. उनकी एक लड़की थी जिसका नाम प्रिया था. डोली भाभी ने प्रिया के साथ मेरी शादी की बात चलाई. बात पक्की करने से पहले डोली भाभी ने मुझे प्रिया की फोटो दिखा कर मुझसे पूछा, कैसी है. मैं प्रिया की फोटो देख कर दंग रह गया. मैं समझता था की गावं की लड़की है, ज़्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी. मैने हाँ कर दी. प्रिया की उम्र भी 18साल की ही थी. खेर शादी पक्की हो गयी. प्रिया के मम्मी पापा बहुत ग़रीब थे. 1महीने के बाद ही हमारी शादी गावं के एक मंदिर में हो गयी. शादी हो जाने के बाद दोपहर को डोली भाभी मुझे और प्रिया को लेकर पटना आ गयी. घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आये. जिसने भी प्रिया को देखा उसकी बहुत तारीफ की शाम तक सब लोग अपने अपने घर चले गये. रात के 8 बज रहे थे.
डोली भाभी ने मुझसे कहा, आज मैं बहुत थक गयी हूँ. तुम जाकर होटल से खाना ले आओ. मैने कहा , ठीक है. मैने थैला उठाया और खाना लाने के लिये चल पड़ा. मेरा एक दोस्त था विजय. उसका एक होटल था. मैं सीधा विजय के पास गया. विजय बोला, आज इधर कैसे. मैने उसको सारी बात बता दी. वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया. हम दोनो कुछ देर तक गपशप करते रहे. विजय ने मुझसे कहा,तुझे मज़ा लेना हो तो मैं एक तरीका बताता हूँ. मैने कहा, बताओ. वो बोला, तुम प्रिया की चूत को कुछ दिन तक हाथ भी मत लगाना. तुम केवल उसकी गांड मारना और अपने आप को काबू में रखना. कुछ दिन तक उसकी गांड मारने के बाद तुम उसकी चुदाई करना. मैने सोचा की विजय ठीक ही कह रहा है. मैने उससे कहा, ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा. उसने मेरे लिए सबसे अच्छा खाना जो की उसके होटल में बनता था, पैक करा दिया. मैं खाना लेकर घर वापस आ गया. हम सब ने खाना खाया. डोली भाभी ने प्रिया को मेरे रूम में पहुंचा दिया. उसके बाद उन्होने मुझे अपने रूम में बुलाया और कहने लगी, प्रिया अभी छोटी है. उसके साथ बहुत आराम से करना. मैने मज़ाक किया, मुझे करना क्या है. वो बोली, शैतान कहीं का. तू तो ऐसे कह रहा है की जैसे कुछ जानता ही नहीं. मैने कहा, मुझे कुछ नहीं मालूम है. डोली भाभी ने मुस्कुराते हुये कहा, पहले उससे प्यार की दो बातें करना. उसके बाद अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेना. फिर अपना औज़ार उसके छेद में बहुत ही धीरे धीरे घुसा देना. जल्दी मत करना नहीं तो वो बहुत चिल्लायेगी. वो अभी 18 साल की ही है. समझ गये ना.
मैने कहा, हाँ, मैं समझ गया. डोली भाभी ने कहा, अब जा अपने कमरे में. मैं अपने कमरे में आ गया. प्रिया बेड पर बैठी थी मैं भी उसके बगल में बैठ गया. मैने उससे पूछा, मैं तुम्हें पसंद हूँ. उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया. मैने कहा, ऐसे नहीं, बोल कर बताओ. उसने शरमाते हुये कहा, हाँ. मैने पूछा, कहा तक पढ़ी हो. वो बोली,केवल 6 तक. मैने कहा, मेरी डोली भाभी ने मुझे कुछ सीखाया है. क्या तुम्हें भी किसी ने कुछ सीखाया है. वो कुछ नहीं बोली तो मैने कहा, अगर तुम कुछ नहीं बोलोगी तो मैं बाहर चला जाऊगां. इतना कह कर मैं खड़ा हो गया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं उसके बगल में बैठ गया. मैने कहा, अब बताओ. वो कहँने लगी, मेरे घर पर केवल मेरे मम्मी पापा ही हैं. उन्होने तो मुझसे कुछ भी नहीं कहा लेकिन मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी ने मुझसे कहा था की तुम्हारे पति जब अपना औज़ार तुम्हारे छेद में अंदर घुसायेगे तब बहुत दर्द होगा. उस दर्द को सहने की कोशिश करना. ज़्यादा चीखना और चिल्लाना मत नहीं तो बड़ी बदनामी होगी.
अपने पति से कह देना की अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेंगे. मैने आज तक औज़ार नहीं देखा है. ये औज़ार क्या होता है. मैने कहा, तुमने आदमीयों के पेशाब करते समय उनकी नूनी देखी है. उसने कहा, हाँ, गावं में तो सारे मर्द कभी भी कहीं भी पेशाब करने लगते हैं. आते जाते समय मैने कई बार देखा है. लेकिन उसे तो गावं में लंड कहते हैं. मैने कहा, उसी को औज़ार भी कहते हैं. वो बोली, मैने तो देखा है की किसी किसी का बहुत बड़ा होता है. मैने कहा, जैसे आदमी कई तरह के होते हैं ठीक उसी तरह उनका औज़ार भी कई तरह का होता है. मेरा औज़ार देखोगी. वो बोली,मुझे शरम आती है. मैने कहा, अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा औज़ार देखना पड़ेगा. उसे हाथ में भी पकड़ना पड़ेगा. देखोगी मेरा औज़ार. वो बोली, ठीक है, दिखा दो. मैं पहले से ही जोश में था. मैने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. उसके बाद मैने अपनी पेन्ट और चड्डी भी उतार दी. मेरा 9″ इंच लंबा और खूब मोटा लंड फंनफनाता हुआ बाहर आ गया. मैने अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और कहा , देख लो मेरा औज़ार. उसने तिरछी निगाहों से मेरे लंड को देखा और शरमाते हुए बोली,तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. इतना कह कर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया. मैने उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे पर से हटा दिया और कहा , शरमाती क्यों हो.
जी भर कर देख लो इसे. अब तो सारी ज़िंदगी तुम्हें मेरा औज़ार देखना भी है और उसे अपने छेद के अंदर भी लेना है. मैने तो अपने कपड़े उतार दिये हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो. वो बोली, मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हूँ, मुझे शरम आती है. मैने कहा , अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगी तो मैं अपना औज़ार तुम्हारे छेद में कैसे घुसाऊगां. वो कुछ नहीं बोली. मैने प्रिया के कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो वो शरमाने लगी. धीरे धीरे मैने उसे एकदम नंगा कर दिया. मैं उसके संगमरमर जैसे खूबसूरत बदन को देख कर दंग रह गया. उसकी चुचियाँ अभी बहुत छोटी छोटी थी. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चुचियों को सहलाते हुये उसके होठों को चूमने लगा. मैने देखा की उसकी चूत पर अभी बहुत हल्के हल्के बाल ही उगे थे और उसकी चूत एकदम गुलाबी सी दिख रही थी. मैने उसकी चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया तो वो बोली, मुझे गुदगुदी हो रही है. मैने पूछा, अच्छा नहीं लग रहा है. वो बोली, बहुत अच्छा लग रहा है. मैने उसके निपल को मुहँ में लेकर चूसना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. उसके बाद मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. उसे गुदगुदी होने लगी. उसने मेरा हाथ हटा दिया तो मैने पूछा, क्या हुआ. वो बोली, बहुत ज़ोर की गुदगुदी हो रही है. मैने कहा , अच्छा नहीं लग रहा है क्या. वो बोली, अच्छा तो लग रहा है.
मैने कहा, तुमने मेरा हाथ क्यों हटाया. अगर तुम ऐसा ही करोगी तो मैं बाहर चला जाऊँगा. वो बोली, ठीक है, मैं अब तुम्हें कुछ भी करने से मना नहीं करूँगी. मैने कहा, फिर ठीक है. मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में उसकी चूत गीली होने लगी. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी. मैने एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी तो उसने ज़ोर की सिसकारी ली. मेरा लंड अब तक बहुत ज़्यादा टाइट हो चुका था. थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर करता रहा तो वो झड़ने लगी. झड़ते समय उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और बोली,तुम्हारे उंगली करने से मुझे तो पेशाब हो रहा है. मैने कहा , ये पेशाब नहीं है. जोश में आने के बाद चूत से पानी निकलता है. वो कुछ नहीं बोली, मेरी उंगली उसकी चूत के पानी से एकदम गीली हो चुकी थी. थोड़ी ही देर में वो पूरे जोश में आ गयी तो मैने कहा , अब मैं अपना औज़ार तुम्हारे छेद में घुसाऊँगा. तुम पेट के बल लेट जाओ. वो पेट के बल लेट गयी. मैने देखा की उसकी गांड भी एकदम गोरी थी. उसकी गांड का छेद बहुत ही हल्के भूरे रंग का था. मैं अपनी उंगली उसकी गांड के छेद पर फेरने लगा. उसके बाद मैने एक झटके से अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसा दी. वो ज़ोर से चीखी.
मैने कहा, अगर तुम ऐसे चीखोगी तो डोली भाभी आ जायेगी. वो बोली, दर्द हो रहा है. मैने कहा, दर्द तो होगा ही. अभी तो मैं अपना लंड तुम्हारी गांड में घुसाऊँगा. थोड़ी देर तक मैं अपनी उंगली उसकी गांड में अंदर बाहर करता रहा. वो बोली, मेरा छेद तो बहुत ही छोटा है और तुम्हारा औज़ार बहुत बड़ा. अंदर कैसे घुसेगा. मैने कहा, जैसे हर औरतों के अंदर घुसता है. वो बोली, तब तो मुझे बहुत दर्द होगा. मैने कहा,इसीलिये तो तुम्हारी डोली भाभी ने तुमसे कहा था की दर्द को सहन करनाज़्यादा चीखना चिल्लाना मत. वो बोली, मैं समझ गयी. मैं उसके ऊपर आ गया तो वो बोली, तेल नहीं लगाओगे. मैने कहा , लगाउगां. मैने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया. उसके बाद मैने उसकी गांड के छेद पर अपने लंड का सूपाड़ा रखा और उससे कहा, अब तुम अपना मुहँ ज़ोर से दबा लो जिससे तुम्हारे मुहँ से चीख ना निकले. उसने कहा ठीक है दबा लेती हूँ लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना. मैने कहा, हाँमैं बहुत धीरे ही घुसाउगां. उसने अपने हाथों से अपने मुहँ को दबा लिया. मैने थोड़ा सा ही ज़ोर लगाया था की वो ज़ोर से चीखी. मेरे लंड का सूपाड़ा भी अभी उसकी गांड में नहीं घुस पाया था. वो रोने लगी और बोली, मुझे छोड़ दो, बहुत दर्द हो रहा है. मैने कहा,दर्द तो होगा ही. तुम अपना मुहँ ज़ोर से दबा लो.
उसने अपना मुहँ फिर से दबा लिया तो मैने इस बार कुछ ज़्यादा ही ज़ोर लगा दिया. वो दर्द से तड़पते हुये ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, दीदी, बचा लो मुझे, नहीं तो मैं मर जाऊँगी. इस बार मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया. उसकी गांड से खून निकल आया था. वो इतने ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी की मैं थोड़ा सा डर गया. मैने एक झटके से अपना लंड बाहर खीच लिया. पक की आवाज़ के साथ मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड से बाहर आ गया. मैने उसे चुप करते हुये कहा, अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा. वो बोली, मैं क्या करूँ, बहुत दर्द हो रहा था. मैने कहा, थोड़ा सब्र से काम लो. फिर सब ठीक हो जायेगा. अब तुम अपना मुहँ दबा लो,मैं फिर से कोशिश करता हूँ. उसने अपना मुहँ दबा लिया तो मैने फिर से अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रख दिया. उसके बाद मैंने उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसे ज़ोर से पकड़ लिया. फिर मैने पूरी ताक़त के साथ ज़ोर का धक्का मारा. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थी लेकिन मैने उसे बुरी तरह से जकड़ रखा था. मेरा लंड इस धक्के के साथ उसकी गांड में 3″इंच तक घुस गया. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुये डोली भाभी को पुकार रही थी,दीदी, बचा लो मुझे नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे. बहुत दर्द हो रहा है. तभी कमरे के बाहर से डोली भाभी की आवाज़ आई, क्या हुआ. प्रिया इतना क्यों चिल्ला रही है. मैने कहा, मैं अपना औज़ार अंदर घुसा रहा था लेकिन ये मुझे घुसाने ही नहीं दे रही है. बहुत चिल्ला रही है. डोली भाभी ने कहा, तुम दोनो बाहर आ जाओ. मैं प्रिया को समझा देती हूँ. मैने लूँगी पहन ली और प्रिया से कहा, बाहर चलो डोली भाभी बुला रही है.
वो उठना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी. मैने उसे सहारा दे कर खड़ा किया. उसने केवल अपनी साड़ी बदन पर लपेट ली. मैं उसे सहारा दे कर बाहर ले आया क्योंकी वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. डोली भाभी ने प्रिया से पूछा, इतना क्यों चिल्ला रही थी. वो रोते हुये डोली भाभी से कहँने लगी, ये अपना औज़ार मेरे छेद में घुसा रहे थे इसलिये मुझे बहुत दर्द हो रहा था. डोली भाभी ने कहा, पहली पहली बार दर्द तो होगा ही. सभी औरतों को होता है. ये कोई नई बात थोड़े ही है. डोली भाभी ने मुझसे कहा, मैने तुझसे कहा था ना की तेल लगा कर धीरे धीरे घुसाना. मैने कहा, मैं तेल लगा कर धीरे धीरे ही घुसाने की कोशिश कर रहा था. जैसे ही मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और मेरे औज़ार का टोपा ही इसके छेद में घुसा की ये ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. इसके चिल्लाने से मैं डर गया और मैने अपना औज़ार बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैने इसे समझाया तो ये राज़ी हो गयी. मैने फिर से कोशिश की तो ये फिर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और मेरा औज़ार केवल ज़रा सा ही अंदर घुस पाया. तभी आप ने हम दोनो को बुलाया और हम बाहर आ गये. डोली भाभी ने कहा, इसका मतलब तुमने अभी तक कुछ भी नहीं किया, मैने कहा, बिल्कुल नहीं. तुम चाहो तो प्रिया से पूछ लो. डोली भाभी ने प्रिया से पूछा, क्या ये सही कह रहा है. उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया. डोली भाभी ने प्रिया से कहा, तुम कमरे में जाओ. मैं इसे समझा बुझा कर भेजती हूँ.
प्रिया कमरे में चली गयी. उन्होने मुझे समझाते हुये कहा, इस बार बहुत ही धीरे धीरे घुसाना नहीं तो मैं बहुत मारूँगी. मैने कहा, मैं तो बहुत धीरे धीरे ही घुसा रहा था लेकिन इसका छेद भी बहुत तो छोटा है. डोली भाभी ने कहा, फिर तो ऐसे काम नहीं बनेगा. तुम इसके साथ थोड़ी सी ज़बरदस्ती करना लेकिन ज़्यादा ज़बरदस्ती मत करना. ये अभी 18 साल की है इसलिये इसे ज़्यादा दिक्कत हो रही है. मैने कहा ,ठीक है. इतना कह कर डोली भाभी मुस्कुराने लगी. मैं कमरे में आ गया और मैने अपनी लूँगी उतार दी. मैने प्रिया से अपनी साड़ी उतारने को कहा तो उसने इस बार खुद ही अपनी साड़ी उतार दी. साड़ी उतारने के बाद प्रिया खुद ही बेड पर पेट के बल लेट गयी. मैने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसके ऊपर आ गया. उसके बाद मैने जैसे ही अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रखा उसने अपना मुहँ दबा लिया. उसके बाद मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो इस बार वो ज़्यादा ज़ोर से नहीं चीखी. मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया. मैने अपने लंड को उसकी गांड में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो वो आहें भरने लगी. थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो उसने ज़ोर की आह भरी और मेरा लंड उसकी गांड में 2″इंच तक घुस गया. मैने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने और रोने लगी. मेरा लंड बहुत मोटा था ही. अब तक उसकी गांड में 3″इंच ही घुस पाया था. मैं रुक गया लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी. मुझे गुस्सा आ गया तो मैने ज़ोर का एक धक्का लगा दिया. इस धक्के के साथ ही मेरा लंड उसकी गांड में 4″ इंच तक घुस गया. वो और ज़्यादा ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी,दीदी, बचाओ मुझे. मैं मर जाऊँगी. उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर डोली भाभी ने बाहर से पूछा, अब क्या हुआ. वो रोते हुए कहँने लगी, दीदी, मुझे बचा लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी.
तो डोली भाभी ने कहा, अच्छा तुम दोनो बाहर आ जाओ. मैने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और हट गया. मेरे लंड पर ढेर सारा खून लगा हुआ था. उसके बाद हम दोनो ने कपड़े पहने और बाहर आ गये. प्रिया ठीक से चल नहीं पा रही थी. मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया. बाहर आने के बाद डोली भाभी प्रिया को समझाने लगी, देखो प्रिया अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा. हर औरत को पहली पहली बार दर्द होता है और उसे उस दर्द को सहन करना पड़ता है. प्रिया रो रो कर कहने लगी, दीदी, मैने अपने आप को संभालने की बहुत कोशिश की लेकिन मैं दर्द को सहन नहीं कर पाई इसलिये मेरे मुहँ से चीख निकल गई. इनका औज़ार भी तो बहुत बड़ा है. डोली भाभी ने कहा, औज़ार तो सबका बड़ा होता है. लेकिन एक बार जब अंदर घुस जाता है फिर कभी भी बड़ा नहीं लगता. उसके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आयेगा. प्रिया बोली, दीदी, मेरी बात पर विश्वास करो, इनका औज़ार बहुत बड़ा है. मैने गावं में बहुत से आदमीयों को पेशाब करते समय देखा है लेकिन इनके जैसा औज़ार मैने आज तक कभी नहीं देखा. तुम चाहो तो खुद ही देख लो, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास हो जायेगा.
डोली भाभी ने मुझसे कहा दिखा तो सही अपना औज़ार. ज़रा मैं भी तो देखूं की ये बार बार क्यों तेरे औज़ार को बहुत बड़ा कह रही है. मैने कहा, डोली भाभी, मुझे शरम आती है. डोली भाभी ने कहा, मैं तो तेरी डोली भाभी हूँ, मुझसे कैसी शरम. अपना औज़ार बाहर निकाल कर दिखा मुझे. मैने शरमाते हुये अपनी लूंगी खोल दी. मेरा लंड पहले से ही खड़ा था. मेरा 9″इंच लंबा और खूब मोटा लंड फंनफनाता हुआ बाहर आ गया. उस पर खून भी लगा हुआ था. डोली भाभी ने जैसे ही मेरा लंड देखा तो उन्होने अपना हाथ मुहँ पर रख लिया और बोली, बाप रे, तेरा औज़ार सच में बहुत ही बड़ा है. मैने भी ऐसा औज़ार तो कभी देखा ही नहीं था. अब मेरी समझ में आया की प्रिया क्यों इतना चिल्लाती है. मैने देखा की डोली भाभी की आँखें भी मेरे लंड को देख कर गुलाबी सी होने लगी थी. उन्हें भी जोश आने लगा था क्योंकी मेरा लंड देखने के बाद उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था. मैने कहा, डोली भाभी, तुम ही बताओ मैं क्या करूँ. मैं अपना औज़ार छोटा तो नहीं कर सकता. डोली भाभी ने प्रिया से कहा , इसका औज़ार तो सच में बहुत बड़ा है. तुम्हें दर्द को सहन करना ही पड़ेगा नहीं तो बड़ी बदनामी होगी. डोली भाभी ने प्रिया को बहुत समझाया तो वो मान गयी. डोली भाभी ने प्रिया से कहा अब तुम अपने कमरे में जाओ.
मैं इसे समझा बुझा कर तुम्हारे पास भेज देती हूँ. प्रिया कमरे में चली गयी. रात के 2 बज रहे थे. डोली भाभी मुस्कुराते हुये मुझसे कहने लगी, देवर जी, तुम्हारा औज़ार तो वाकई में बहुत ही बड़ा है और शानदार भी. मैने आज तक अपनी ज़िंदगी में ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था. मेरा मन इसे हाथ में पकड़ कर देखने को कह रहा है, देख लूँ. मैने कहा, डोली भाभी, आप क्या कह रही हो. वो बोली, तुम्हारे भैया को गुज़रे हुये 1 साल हो गये. आख़िर मैं भी तो औरत हूँ और जवान भी. मेरा मन भी कभी कभी इधर उधर होने लगता है. तुम तो मेरे देवर हो. हर औरत अच्छे औज़ार को पसंद करती है. मुझे भी तुम्हारा औज़ार बहुत ही अच्छा लग रहा है. अगर मैं तुमसे लग जाती हूँ तो मेरी भी इच्छा पूरी हो जायेगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा. इतना कह कर उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी. मैं भी आख़िर मर्द ही था. मुझे डोली भाभी का लंड सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा इसलिये मैं कुछ नहीं बोला. थोड़ी देर तक मेरा लंड सहलाने के बाद वो बोली, तुमने अभी तक सुहागरात का मज़ा भी नहीं लिया है और मैं समझती हूँ की तुम भी एक दम भूखे होगे. मेरी इच्छा पूरी करोगे. मैने कहा, अगर तुम कहती हो भला मैं कैसे इनकार कर सकता हूँ. आख़िर मैं भी तो मर्द हूँ और तुम्हारे अलावा मेरा इस दुनिया में और कौन है. वो बोली, फिर तुम यहीं रूको, मैं अभी आती हूँ. इतना कह कर डोली भाभी प्रिया के पास चली गयी.
उन्होने प्रिया से कहा, अब तुम सो जाओ. रात बहुत हो चुकी है. मैं उसको को सब कुछ समझा दूँगी. उसके बाद मैं उसे सुबह तुम्हारे पास भेज दूँगी. मैं बाहर से दरवाज़ा बंद कर देती हूँ. प्रिया बोली, ठीक है, दीदी. डोली भाभी प्रिया के कमरे से बाहर आ गयी और उन्होने प्रिया के कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद कर लिया. उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गयी. मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था. लूँगी तो मैने पहले ही उतार दी थी. कमरे में पहूँचते ही डोली भाभी ने कहा, देवर जी, तुमने अपना औज़ार इतने दिनो तक कहा छूपा रखा था. बड़ा ही प्यारा औज़ार है तुम्हारा. मैने कहा, मैने कहा छूपाया था, यहीं तो था तुम्हारे पास. वो बोली, मेरे पास आओ. मैं उनके नज़दीक चला गया. वो बोली आज मैं तुमसे लग जाती हूँ. तुमसे लग जाने में मुझे बहुत मज़ा आयेगा.
लेकिन जैसे तुमने प्रिया के साथ किया था उस तरह मेरे साथ मत करना नहीं तो मुझे भी बहुत तकलीफ़ होगी और मेरे मुहँ से भी चीख निकल जायेगी. प्रिया पास के ही कमरे में है, इसका ख्याल रखना. मैने कहा, अच्छा. थोड़ी देर तक डोली भाभी मेरा लंड सहलाती रही. उसके बाद उन्होने भी अपने कपड़े उतार दिये और एकदम नंगी हो गयी. डोली भाभी भी बहुत ही खूबसूरत थी. उसके बाद वो बेड पर लेट गयी और बोली, अब थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगा लो और आ जाओ. मैने कहा, क्या डोली भाभी, आप ने तो भैया से बहुत बार चुदवाया है, आप मुझसे तेल लगाने को कह रही हैं. बिना तेल के ज़्यादा मज़ा आयेगा. वो बोली, फिर देर किस बात की आ जाओ. मैं डोली भाभी के पैरों के बीच आ गया. डोली भाभी ने कहा, आराम से घुसाना, जल्दी मत करना. जब मैं रोकूंगी तो रुक जाना. मैने कहा, ठीक है. वो बोली, चलो अब धीरे धीरे अंदर घुसाओ. मैने अपने लंड का सुपाड़ा डोली भाभी की चूत के मुहँ पर रख दिया और धीरे धीरे अपना लंड डोली भाभी की चूत में घुसाने लगा. जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा डोली भाभी की चूत में घुसा तो उनके मुहँ से आ निकल गयी. उनकी चूत मुझे ज़्यादा टाइट लग रही थी. मेरा लंड आसानी से घुस नहीं पा रहा था. मैं ज़ोर लगा कर धीरे धीरे अपना लंड डोली भाभी की चूत में घुसाने लगा. डोली भाभी आहें भरती रही. जब मेरा लंड 5″इंच तक घुस गया तो दर्द के मारे उनका बुरा हाल होने लगा लेकिन उन्होने मुझे रोका नहीं. उन्होने अपने होठों को ज़ोर से जकड़ लिया था. मैं ज़ोर लगाता रहा. जब मेरा लंड डोली भाभी की चूत में 6″इंच तक घुस गया तो वो बोली, अब रुक जाओ. मैं रुक गया तो वो बोली, बहुत दर्द हो रहा है.
अब सहन करना मुश्किल है. कितना बाकी है अभी. मैने कहा, 3″इंच. वो बोली, अब और ज़्यादा अंदर मत घुसाना. धीरे धीरे चुदाई करना शुरू कर दो. मैने धीरे धीरे डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी. उनकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. वो आहें भरती रही. मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था. आज मैं किसी औरत को पहली बार चोद रहा था. 5 मिनिट की चुदाई के बाद डोली भाभी झड़ गयी. उन्होने बहुत दिनो से चुदवाया नहीं था इसलिये उनकी चूत से ढेर सारा जूस निकला. उनकी चूत और मेरा लंड एकदम गीला हो गया तो उन्होने कहा, अब धीरे धीरे बाकी का भी घुसा दो. मैने इस बार थोड़ा ज़्यादा ही ज़ोर लगा दिया तो वो अपने आप को रोक नहीं पाई. उनके मुहँ से चीख निकल ही गयी लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाल लिया. मैने इस बार एक धक्का लगा दिया तो वो दर्द के मारे तड़पने लगी और बोली,अब कितना बाकी है. मैने कहा, 1″इंच. वो बोली, अब चोदो मुझे, बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना. मैने डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. डोली भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी. जैसे जैसे समय गुज़रता गया वो शांत होती गयी. अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था. तभी मैने एक धक्का लगा कर बाकी का लंड भी उनकी चूत में घुसा दिया. वो चीख उठी और बोली, पूरा घुस गया. मैने कहा, हाँ. वो बोली, अब ज़ोर ज़ोर से चोदो. तुम तो गावं में कुश्ती लड़ा करते थे ना. मैने कहा, हाँ. वो बोली, अब तुम मेरी चूत के साथ कुश्ती लडो. मेरी चूत को अपने लंड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लंड से खूब ज़ोर ज़ोर से वार करो. फाड़ देना आज इसको. मैने कहा, अगर फाड़ दूँगा तो बाद में मज़ा कैसे आयेगा. वो बोली, तुम इसका मतलब नहीं समझे. मैं सच में फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ. मैने बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुये डोली भाभी को चोदना शुरू कर दिया.
डोली भाभी तो बहुत ही सेक्सी निकली. वो हर धक्के के साथ अपना चूतड़ उछाल उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी. पूरा बेड ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था. कमरे में धप धप की आवाज़ हो रही थी. उनकी चूत से भी छप छप की आवाज़ निकल रही थी. मैं भी पूरे जोश में था और वो भी. 5 मिनिट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं. मैं खूब ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुये उनकी चुदाई कर रहा था. वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थी. थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया. डोली भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी. मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला तो मेरे लंड पर खून भी लगा हुआ था. डोली भाभी ने कहा, देख लिया तुमने अपने लंड की करतूत. इसने मुझ जैसी चूदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया. उन्होने मेरे लंड को कपड़े से साफ कर दिया. उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया. वो मेरे होठों को चूमने लगी और बोली,देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊं. ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला. मैने कहा, मैं प्रिया का क्या करूँ. वो बोली, मैने तुम्हारे भैया से इतने सालो तक चुदवाया था फिर भी मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ हुई. प्रिया अभी बहुत छोटी है. ज़रा सोचो की उसे कितनी तकलीफ़ होती होगी. मैने कहा, अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ. क्या मैं प्रिया को छोड़ कर केवल तुम्हारी चुदाई करूँ. वो बोली, मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ. अब की बार जब तुम प्रिया की चुदाई करना तो उसके ऊपर ज़रा सा भी रहम मत करना. वो चाहे कितना भी चीखे या चिल्लाये अपना पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना. उसकी चीख मुझे सुनाई पड़ेगी तुम इसकी परवाह मत करना.
मैने कहा, ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा. वो बोली, थोड़ी देर आराम कर लो. उसके बाद प्रिया के पास जाओ. अब की बार हार नहीं मानना पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चीखे या चिल्लाये. मैने कहा, मैं ऐसा ही करूँगा. सुबह के 5 बजने वाले थे. थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं प्रिया के पास चला गया. प्रिया सो रही थी. मैने उसे जगाया तो वो उठ गयी. मैने उससे कहा, जाकर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लंड पर ढेर सारा तेल लगा दो. वो बोली, मुझे शरम आती है. मैने कहा, अगर तुम मेरे लंड पर तेल नहीं लगाओंगी तो मैं ऐसे ही अपना लंड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा. वो बोली, ना बाबा ना, ऐसा मत करना. जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी. मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ. इतना कह कर वो उठी. उसने तेल की शीशी से तेल निकाल कर मेरे लंड पर लगा दिया. उसके तेल लगाने से मेरा लंड एक दम टाइट हो गया.
उसके बाद वो मेरे से कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली, धीरे धीरे घुसाना. मैं उसके ऊपर आ गया. मैने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसकी कमर को ज़ोर से पकड़ लिया. मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो उसके मुहँ से आ निकल गयी. मैने थोड़ा ज़ोर और लगाया उसके मुहँ से हल्की सी चीख निकल गयी. मेरा लंड उसकी गांड में 3″इंच तक घुस चुका था. मैने थोड़ा सा ज़ोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लंड 4″इंच तक घुस गया. मैने उसकी चीख पर ज़रा सा भी ध्यान नहीं दिया. मैने ज़ोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं. इस धक्के के साथ मेरा लंड 5″इंच तक घुस गया. मैने फिर से बहुत ही ज़ोर का एक धक्का और मारा तो अपने हाथों को ज़ोर ज़ोर से बेड पर पटकने लगी. उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. अब तक मेरा लंड प्रिया की गांड में 6”इंच तक घुस चुका था. मैने पूरी ताक़त के साथ फिर से ज़ोर का धक्का मारा तो वो बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. लग रहा था की जैसे वो मर जायेगी. मैं रुक गया. इस धक्के के साथ मेरा लंड उसकी गांड में 7″इंच घुस चुका था. मैने अपना लंड एक झटके से बाहर खीच लिया. पक की आवाज़ के साथ मेरा लंड बाहर आ गया.
मैने देखा की उसकी गांड का मुहँ खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लंड पर और उसकी गांड पर लगा हुआ था. मैने तेल की शीशी उठाई और उसकी गांड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया. उसके बाद मैने फिर से अपना लंड धीरे धीरे उसकी गांड में घुसा दिया. जब मेरा लंड उसकी गांद में 7″इंच तक घुस गया तो मैने पूरी ताक़त के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, दीदी,तुमने मुझे कहा फसा दिया. मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे. मैने कहा, अब चुप हो जाओ. मेरा पूरा लंड अब घुस चुका है. वो कुछ नहीं बोली केवल सिसक सिसक कर रोती रही. मैं अपना लंड उसकी गांड में ही डाले हुये थोड़ी देर तक रुका रहा. धीरे धीरे वो कुछ हद तक शांत हो गयी. तभी कमरे के बाहर से ही डोली भाभी ने पूछा, काम हो गया. मैने कहा, अभी तो मैने केवल अपना औज़ार ही पूरा अंदर घुसाया है. वो बोली, ठीक है, अब जल्दी से अपना पानी भी निकाल दो और बाहर आ जाओ. मैने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये तो प्रिया फिर से चीखने लगी. वक़्त गुज़रता गया और वो धीरे धीरे शांत होती गयी. 10 मिनिट में वो एकदम शांत हो गयी तो मैने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी. अब उसके मुहँ से केवल हल्की हल्की सी आ ही निकल रही थी. मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी.
तेल लगा होने की वजह से मेरा लंड उसकी गांड में सटा सट अंदर बाहर हो रहा था. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. प्रिया को भी अब कुछ कुछ मज़ा आने लगा था. मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेज़ी के साथ उसकी गांड मार रहा था. 10 मिनिट तक मैने उसकी गांड मारी और फिर झड़ गया. लंड का सारा पानी उसकी गांड में निकाल देने के बाद भी मैं उसकी गांड में ही अपना लंड डाले रखा और उसके ऊपर लेट गया. मैने प्रिया से पूछा, कुछ मज़ा आया. वो बोली, बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो की मज़ा आया. मैने कहा, मेरी कसम है तुम्हें, सच सच बताओ क्या तुम्हें ज़रा सा भी मज़ा नहीं आया. उसने शरमाते हुये कहा, पहले तो बहुत दर्द हो रहा था लेकिन बाद में मुझे थोड़ा थोड़ा सा मज़ा आने लगा था की तुम रुक गये. मैने कहा, अभी थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो जायेगा. उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गांड मारूँगा. वो बोली, नहीं, अभी रहने दो. तभी डोली भाभी ने पूछा, काम हो गया. मैने कहा, हाँ, मैने अपना पानी इसके छेद में निकाल दिया है. अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ. डोली भाभी ने कहा, ठीक है, जब दोबारा पानी निकल जाये तो बाहर आ जाना. मैने कहा, ठीक है.
मैने अपना लंड प्रिया की गांड में ही रखा और उसकी चुचियों को मसलता रहा. 15 मिनिट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैने उसकी गांड मारनी शुरू कर दी. अब उसके मुहँ से केवल हल्की हल्की सी आ ही निकल रही थी. थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियाँ लेने लगी. मैने पूछा, अब कैसा लग रहा है. वो बोली, अब अच्छा लग रहा है. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो थोड़ी ही देर में वो ज़ोर की सिसकारियाँ भरने लगी. मुझे भी उसकी गांड मारने में खूब मज़ा आ रहा था. 20 मिनिट तक मैने उसकी गांड मारी और फिर झड़ गया. मैने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया. मैने उसके होठों को चूमते हुये पूछा,कैसा लगा. वो बोली, इस बार कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया. मैने कहा, धीरे धीरे तुम्हें ज़्यादा मज़ा आने लगेगा. मैं प्रिया के पास से उठ कर बाहर चला आया.
क्रमशः………………

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