चुदाई का मस्त समां था और दो जवानियां टकरा रही थीं.. पम्मी भी पूरी मस्ती में थी- हाय.. राजा.. आह्ह.. ले..ले.. मैं तो गई राजा.. गई.. उफ़.. सी….बस ठोक दे अपना मूसल जैसा लन्ड चूत में.. उफ़ क्या मस्त घोड़े का लन्ड है.. हा..हा..
मैं भी पूरे जोश में था.. मैंने झट से पलटी मारी और पम्मी को अपने नीचे दबा लिया। उसने अपनी लम्बी-लम्बी टाँगें मेरी कमर पर कसके लपेट लीं.. मैं अब ऊपर से धमाधम झटके मार रहा था।
‘ले साली चुदक्कड़.. ले और ले.. उफ़ क्या मस्त चुदासी चूत है सारा लन्ड का रस निचोड़ रही है साली..’
मेरा भी निकलने वाला था।
‘देख कमल राजा अभी झड़ना नहीं.. दोनों साथ-साथ छोड़ेंगे।’
पम्मी चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा ले रही थी और झड़ने वाली थी। वो मस्ती में बड़बड़ा रही थी- ले साले चोदू सांड ले.. हाय.. सी.. उफ़.. गई राजा.. गई छोड़ दे अपनी जवानी का रस.. मेरी चूत में.. अहह.. सी.. उहह..’
जैसे ही पम्मी ने चूत कसने के लिए अपनी जांघों को मेरी कमर पर कसा और सांस रोक कर झटका मारते हुए अपनी चूत की पिचकारी मारी.. मैंने भी अपने लण्ड की पिचकारी उसकी चूत की जड़ में मार दी और हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए। साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.. होंठ जुड़े हुए थे।
थोड़ी देर के बाद हम दोनों अलग हुए और उठ कर फिर चिपक गए।
‘वाह कमल तेरे लन्ड में तो बहुत दम है.. यार क्या जोरदार चूत फाड़ चुदाई कर डाली साले.. मज़ा आ गया यार..’
पम्मी मुझे होंठों पर चूम कर अपने कपड़े पहन कर बोली- रात को नीचे मेरे कमरे में आना राजा.. फिर से मज़ा करेंगे।
‘ठीक है.. देखेंगे साली बदमाश बहुत चुदास चढ़ी है..’
यह कह कर मैं भी अपने कपड़े पहनने लगा और पम्मी चली गई।