आनन्द के सागर मैं गोते लगाने लगी। मुझे अथाह सुख मिलने लगा था। अब की बार उसने मुझे लेटा दिया और अपना लण्ड मेरे मुख मैं डाल दिया। लण्ड बहुत ही मोटा था। फिर भी मस्ती में मैंने उसे खूब दबा दबा कर चूसा। उसके सुपाड़े को को दांतो से खूब कुचल कुचल कर उसको मस्त कर दिया। वो तो मस्त जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। इस तरह मैं एक बार फिर गर्म हो गई।
अब कि बार उसने मुझे बेड के सहारे खड़ा कर दिया और मेरी चिकनी गाण्ड मैं अपना लण्ड घुसेड़ दिया। उससे मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुया। करीब आधा घण्टा तक मेरी गाण्ड चोदने के बाद वो ठण्डा हो गया। मेरा एक एक अंग दुख रहा था। उसके बाद उसने साढे तीन बजे तक मेरी पांच बार चुदाई की और फिर जल्दी से अपने कपड़े लेकर भाग गया। जाते जाते उसने कहा, मेम साहब मैं आपको हमेशा याद रखूंगा। तुम मेरी सेक्स की देवी हो। जो मज़ा तुमने मुझे दिया है वो आज तक किसी भी औरत मैं नहीं है।
उस दिन के बाद यह बात मैंने किसी को भी नहीं बताई, पर मुझे ये अपनी पहली चुदाई को हमेशा याद याद आती रहती है। सच मैं, मैंने भी इसमे काफ़ी मज़ा लिया था।
अगर कोई इसके बारे में कुछ भी पूछना चाहे तो मेल कर सकते है मेरी आई डी ये है