मायके आई लड़की की जलती जवानी

काफी देर तक वो मेरे और मैं उसके मुँह को चोदते रहे। तभी उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने मेरे मुँह में अपने कामरस की धार छोड़ दी।
कुछ कसैला सा उसका कामरस मेरे मुँह में भर गया तभी मेरा भी निकलने वाला था, लेकिन मैं रुक गया और लंड बाहर निकाल लिया।

वापस उसके ऊपर आकर उसके एक बूब को मुँह में डालकर दूध पीने लगा और दूसरा बूब हाथ से दबाने लगा।
उसके चूचुक को रगड़ने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

अब तक मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी थी। इतनी देर तक रगड़म रगड़ाई से उसकी चूत का बुरा हाल होने लगा था, वो मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगी और चूत में डालने का इशारा करने लगी।

उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियों के अलावा कोई आवाज़ नहीं निकल पा रही थी।
मैंने भी देर न करते हुए लंड को चूत के मुहाने पर रखकर एक झटका दिया और आधा लंड उसकी चूत में चला गया।

शादी के बाद भी उसकी चूत काफी कसी हुई लग रही थी।

पूछने पर उसने बताया कि उसके पति का लंड लंबा तो है पर मोटा नहीं है इसलिए मेरा लंड आसानी से नहीं जा पा रहा था।

मेरे अगले झटके से लंड उसकी चूत की गहराई में उतर चुका था।
उस समय मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे होते हैं जो उसकी गांड को महसूस कर रहे होते हैं होंठ उसके होठों को कब्जाए हुए और लंड चूत में अपना काम कर रहा होता है शरीर के सारे अंग अपने अपने काम में व्यस्त!

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इसी तरह करीब दस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ ही झड़ गए।

थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर मैंने चूत से लंड निकालना चाहा लेकिन उसने मना कर दिया और बोली- इसको ऐसे ही रहने दो। मैंने उसकी बात मान ली और लंड को अन्दर ही रहने दिया।

कुछ देर हम लोग ऐसे ही पड़े हुए बातें कर रहे थे लेकिन लंड चूत में कब तक सो सकता था। जल्दी ही लंड ने हमें बता दिया कि चूत उसका ऑफिस है जहाँ उसे काम करना होता है आराम नहीं!

और पूरी ईमानदारी के साथ लंड ने खड़े होकर चूत को सलामी देनी शुरू कर दी।

चुदाई के बाद भी लंड बाहर नहीं निकला था तो हम दोनों के कामरस की वजह से चूत बहुत चिपचिपी हो गई थी।
मैंने उसको बोला- मुझे तेरी चूत में पेशाब करना है।
वो बोली- मेरी चूत, गांड, मुंह और बूब्स सब तुम्हारा ही है। जहाँ भी जो भी करना है कर लो, मैंने कभी रोका है क्या?

मैंने अपने लंड को चूत से बाहर निकाले बिना पेशाब कर दिया जो उसकी चूत और मेरे लंड को धोता हुआ नीचे गिरने लगा।
हमने जगह बदल ली और फिर से चुदाई का खेल शुरू हो गया।

अब वो मेरे ऊपर आ गई थी और मैं उसके नीचे।
ऐसा हमेशा होता था, एक बार वो नीचे रहकर चुदवाती थी और एक बार मेरे ऊपर आकर!

अब वो मुझे ऊपर से चोद रही थी, कमरे में फच्च फच्च की आवाज़ और सिसकारियाँ ही सुनाई दे रही थी।

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मैं एक बार पहले झड़ चुका था तो अब दोबारा झड़ने में बहुत देर लगने वाली थी, अब मेरा लंड उसकी चूत में था और उसके दोनों बूब्स मेरे हाथों में थे जिन्हें मैं बारी बारी से चूस रहा था।

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