मौसी के साथ चूत-लंड का खेल

दोस्तों मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा की मैं सब्ज़ी वाली मौसी को चुदाई करने के लिए माना रहा था. अब आयेज-

मौसी: अगर किसी को पता चल गया तो क्या इज़्ज़त रह जाएगी हमारी?

मैं: देखो मौसी, आपकी इस उमर के हिसाब से किसी को शक भी नही होगा की आप इस उमर में आज भी लॉडा अपनी छूट में ले रही है. और बात रही किसी को पता चलने की, तो ना आप किसी को बताएगी, ना मैं किसी को बतौँगा. आख़िर हम दोनो के घर का सवाल है.

ये कह कर मैने उनके ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया.

मौसी: क्या सच में तू मुझे छोड़ना चाहता है (शरमाते हुए)? बाबू मुझे काफ़ी वक़्त हो गया है अपनी छूट में लॉडा लेकर. क्या पता कैसे कर पौँगी तेरे साथ. वैसे भी तेरा लॉडा काफ़ी अछा लग रहा था पंत के उपर से. कहीं तू मुझे मार ही ना दे.

मैं ( ब्लाउस का आखरी बटन खोल कर जब मौसी की चुचियों को आज़ाद किया, और निपल को मसालते हुए कहा): मौसी शायद शुरुआत के 1-2 झटकों में तकलीफ़ होगी. लेकिन उसके बाद तुम बड़े आराम से मेरा लॉडा अपनी छूट में लेती रहोगी. ये खेल तुम्हारे लिए नया नही है मौसी. हा लेकिन तरीका अलग हो सकता है

मौसी (सिसकियाँ लेते हुए मुझसे कहा): बाबू ज़रा आराम से मस्लो, मैं कहीं नही जाने वाली. अब तो तेरा लॉडा मेरी छूट में लेकर ही कहीं जवँगी ह्म अम्म्म. बाबू तोड़ा प्यार से.

लोहा गरम था. मैने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए झट से अपनी पंत और अंडरवेर निकाल दिए. मेरा लॉडा तंन के मौसी को सलामी दे रहा था. मौसी ने शर्मा कर एक हाथ से मेरे लॉड को पकड़ा, और सहलाते हुए बोली-

मौसी: बहुत ही भूखा दिख रहा है तेरा लॉडा. आज इसकी भूख मिटा देती हू. लेकिन बाबू मेरी भी छूट का ख़याल रखना. उसकी प्यास पिछले काई सालों से मिटी नही है.

मैने एक हाथ से उनकी एक चुचि पकड़ के, उनके निपल को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. फिर दोनो हाथो से उनके उनकी जांघों से सारी उपर उठा कर उनकी गांद को मसालने लगा. मौसी तो पागल हो गयी थी. वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी, और मेरे मूह में कभी एक चुचि, तो कभी दूसरी चुचि तूस रही थी.

मौसी: बाबू और ज़ोर-ज़ोर से चूसो. ह्म्‍म्म्म आआ आ रुकना नही.

उनकी दोनो चुचियाँ कम से कम 38″ साइज़ की होंगी, और उमर के हिसाब से लटके हुए थे. लेकिन उनके दोनो निपल काफ़ी बड़े और काले रंग के थे. ज़िंदगी में पहली बार मैं ऐसा निपल देख रहा था, जिसे चूसने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. जल्दी से मैने मौसी की सारी उतार के फेंक दी. मौसी कुछ इस हालत में थी-

उपर ब्लाउस खुला हुआ था, जिसमे से दोनो चुचियाँ लटकी हुई थी. और मेरे चूसने की वजह से उनके दोनो निपल पूरी तरीके से भीगे हुए थे, और तंन कर खड़े हो गये थे. नीचे पेटिकोट और उसके अंदर उनकी पनटी.

मैने अपनी त-शर्ट निकाल कर खुद को पूरी तरीके से नंगा कर दिया. फिर मौसी को बेड पर ले जेया कर लिटा दिया. उनके दोनो घुटने मोड़ कर मैने पेटिकोट उपर सरका लिया. अब मुझे उनकी पनटी नज़र आ रही थी, जो की काले रंग की फूलों वाली डिज़ाइन की थी. मुझसे रहा नही जेया रहा था. मैं पनटी के उपर से ही उनकी छूट पर अपनी ज़ुबान फेरने लग गया.

मौसी: बाबू ये क्या कर रहे हो? मुझे तो तुम पागल बना दोगे. लेकिन इस छूट को आज मत चाटना, कल चाटना. मैने अपनी झांतो को नही सॉफ किया है. तो मुझे अछा नही लगेगा की ये तुम्हारी ज़ुबान और मेरी छूट के बीच में वो आए.

मैं: वाह मौसी, शौकीन तो बड़ी लग रही हो आप. आपको पता है की छूट भी छाती जाती है

मौसी: माना मेरी उमर काफ़ी ज़्यादा है, और मैं पुराने ज़माने की हू. लेकिन मोबाइल पर आज-कल सब कुछ मिल जाता है. मैने वहाँ काई बार देखी है नये टाइम की चुदाई.

मैं: मौसी अब जो करना है करने दो. रोको मत मुझे.

ये कह कर मैने मौसी की छूट के उपर से पनटी को उतार दिया. मौसी रंग से काली थी, लेकिन उनकी जाँघ थोड़ी सी ब्राइट थी. पर उनकी छूट पूरी तरीके से झांतो से भारी हुई थी. मुझसे अब रहा नही जेया रहा था. मैं उनकी दोनो टाँगों के बीच में अपना मूह लेकर चला गया, और उंगलियों से झांतो को हटा कर देखने लगा.

मुझे जल्दी ही उनकी छूट के दर्शन हो गये. उनकी छूट के दरवाज़े पे हल्की झुर्रियाँ आ गयी थी. लेकिन पूरी तरीके से काली थी. मैने जब अपनी दोनो उंगलियों से उनकी छूट का दरवाज़ा खोला, अंदर मुझे गुलाबी रंग की छूट नज़र आ रही थी, जो पानी से पूरी तरीके से भीगी हुई थी.

उनकी छूट का दाना काफ़ी उभर कर बाहर आ गया था. मैने अपनी ज़ुबान को जैसे ही उनकी छूट पर रगड़ना शुरू किया, मौसी ने फफफ्फ़ उम्म्म्म आआ करते अपनी दोनो टाँगों को मेरे कंधों पर रख दिया, और मेरे सर को पकड़ कर अपनी छूट से लगा दिया. छूट में से अजीब सी नशीली खुश्बू आ रही थी, जिससे मैं और पागल हो रहा था.

मैं मेरी ज़ुबान से उनकी छूट के दाने को चाट रहा था. मौसी एक हाथ अपनी छूट पर ले गयी, और अपनी दो उंगलियों से अपनी छूट खोल कर मुझे उनकी छूट की घेराई दिखाई. मैं अब उनकी छूट की गहराई में अपनी ज़ुबान चलाने लगा, और मौसी चिल्लाते हुए कहने लगी-

मौसी: हा ऐसे ही उम्म्म मॅर गयी उफफफ्फ़, और ज़ोर से छातो. अंदर तक ज़ुबान डालो, आज मेरी छूट से सारा पानी चाट जाओ. बस ऐसे ही छातो. ओह माआ, मॅर गयी उफफफ्फ़.

वो नीचे से कमर उछाल-उछाल कर अपनी छूट को मेरे मूह पर मार रही थी. उनका पानी निकल रहा था. वो किसी भी हालत में अब मेरे सर को छ्चोढने नही वाली थी. मौसी अपनी छूट का सारा पानी मुझे पिलाना चाहती थी, और तभी उनका पानी छूटने वाला था.

मौसी: उम्म्म्म आअहह, और चाट भद्वे, क्या मस्त चाट रहा है तू बाबू. मेरा पानी आ रहा है आ आ.

ये कह कर उसने अपनी छूट का पूरा पानी मेरे मूह में छ्चोढ़ दिया, और मैं भी कुत्तों की तरह उनकी छूट छाते जेया रहा था. क्या बतौ यारों, मौसी के पानी का स्वाद नेहा के पानी के स्वाद से भी अछा था. मौसी अपनी छूट मेरे पुर मूह पर रगड़ने लग गयी. फिर मेरे बालों को पकड़ कर उन्होने मुझे उपर लाया, और मेरे मूह में अपना मूह डाल कर किस करने लग गयी.

2 मिनिट की किस के बाद हम अलग हुए. वो ज़ोर-ज़ोर से हाँफ रही थी. दोनो चुचियाँ हाँफने की वजह से उपर-नीचे हो रही थी. मौसी का ब्लाउस दोनो साइड से खुला था. उनके पैर घुटनो से मोड़ के, फैला कर लेती हुई थी. पेटिकोट उनकी कमर के उपर था, और उनकी छूट के दर्शन तो नही हो रहे थे. लेकिन झांतो के उपर उनकी छूट के पानी की बूंदे दिख रही थी.

मौसी: बाबू तूने जो आज मुझे मज़ा दिया है. वो ज़िंदगी में आज तक कभी मुझे मिला नही. ना ही आयेज मिलेगा. मैं कसम खाती हू जब तक मेरी छूट में ताक़त रहेगी, तब तक तेरा लॉडा इसमे जाता रहेगा. अब बारी मेरी है. मेरे बाबू को अब मैं मज़े दूँगी.

और ये कह कर वो बैठ गयी, और मेरी टाँगों के बीच में आ कर मेरे लॉड को सहलाने लगी. वो अपनी गुलाबी रंग की ज़ुबान निकाल कर मेरे लॉड के टोपे पर फेर दी, और चारों तरफ से मेरे टोपे को चाटने के बाद मुझसे कहा-

मौसी: बाबू ज़िंदगी में पहली बार किसी का लॉडा अपने मूह में ले रही हू. ये बस मैने मोबाइल पर देखा है. अगर कुछ ग़लती हो जाए तो तेरी इस रंडी मौसी को माफ़ कर देना.

ये कह कर मौसी मेरा आधा लॉडा मूह में लेकर अपने सिर को उपर-नीचे करने लग गयी. मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी. मैं उनको बालों से पकड़ कर उनके सिर को उपर-नीचे करने लग गया. लेकिन मुझे तोड़ा दर्द भी होने लग गया, क्यूंकी मौसी पहली बार किसी का लॉडा चूस रही थी. इसलिए एक्सपीरियेन्स नही होने की वजह से उनके दाँत लग रहे थे. लेकिन मैं मज़ा ले रहा था.

मैं: मौसी तुम्हारे दाँत लॉड को लग रहे है. तोड़ा आराम से चूसो.

मौसी ने मेरा लॉडा मूह में रख कर हाथो के इशारे से कहा ठीक है ठीक है, और उन्हे भी समझ में आ गया था की वो ग़लती कहाँ कर रही थी. फिर उन्होने बड़े प्यार से मेरे लॉड को चूसना चाटना शुरू किया.

मैं: मौसी ज़रा पूरा लंड तो अपने मूह में लेलो.

मौसी समझ गयी. वो धीरे-धीरे करते हुए मेरा पूरा लॉडा अपने मूह में लेकर मुझे परम सुख की और ले चली थी.

मैं: हा ऐसे ही.

वो आ आ करने लगी, लेकिन फिर मैने उनको रोक दिया.

मौसी: क्या हुआ बाबू? मज़ा नही आ रहा है क्या? पहली बार कर रही हू ना, सीख जौंगी धीरे-धीरे

मैं: नही मौसी आपकी कोई ग़लती नही. मज़ा तो पूरा आ रहा है, लेकिन मुझे आपके मूह में पानी थोड़े दूसरे तरीके से निकालना है.

मौसी: ठीक है.

फिर मैं उनकी छ्चाटी पर जेया कर बैठ गया, और अपना लॉडा उनके मूह में तूस दिया. मौसी भी समझ गयी और वो गर्दन उठा-उठा कर मेरे लॉड को अपने मूह में भरने लग गयी. अब वो पहले से भी बहुत आचे तरीके से मेरा लॉडा चूसने लगी. मेरा भी पानी छ्छूटने वाला था. तब मैने मौसी से कहा-

मैं: मेरा पानी छ्छूटने वाला है. मौसी थोड़ी तकलीफ़ होगी, लेकिन बर्दाश्त कर लेना.

मौसी ने इशारों में मुझसे कहा कोई बात नही. मैं फिर अपने लॉड से उनके मूह को ज़ोर से छोड़ने लग गया. इससे उन्हे तकलीफ़ हो रही थी. उनकी आँखों से आँसू आ रहे थे, फिर भी वो सब बर्दाश्त करते हुए मुझे परम सुख की और ले जाने लगी. मैं चिल्लाते हुए-

मैं: मौसी निकल रहा है. अफ आअहह मौसी तेरी बेटी को छोड़ू आ. उफ़फ्फ़ क्या रंडी की तरह चूस रही है छीनाल.

मैने अपने लॉड से पूरा पानी उनके मूह में उतार दिया, जिसको मौसी पूरा पी गयी. फिर मौसी ने मूह खोला, तो उसमे पानी भरा हुआ था. पसीने से चेहरा भीगा हुआ था उनका, और मेरे लॉड के पानी की कुछ बूंदे उनके होंठो और नाक के आस-पास थी. आँखों से आँसू आ रहे थे, लेकिन खुश बहुत लग रही थी. मौसी उठ कर मेरे पास आ कर बोली-

मौसी: जब शुरुआत इतनी बढ़िया तरीके से हुई है, तो चुदाई का तो मैं सोच भी नही सकती.

अगली सेक्स स्टोरी में बतौँगा की आयेज क्या हुआ. आपको स्टोरी कैसी लगी? मेरा नाम दिलीप है,

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