मौसी के लकड़े ने कंडोम पहन कर

‘दिलजीत !! भाई तू तो आज अपनी बहन को चोदकर बहनचोद हो गया!!” मैंने हसंते हुए कहा

‘हाँ कावेरी !!! अगर किसी की बहन तेरी जैसी माल होगी तो उसे मजबूरन बहनचोद बनना ही पड़ेगा” वो हँसते हुए बोला

फिर हम दोनों भाई बहन बड़ी देर तक प्यार भरी मीठी मीठी बाते करते रहे. फिर मैं कपड़े पहन कर अपने कमरे में चली आई. दूसरी शाम को दिलजीत मेरे काम में धीरे से बोला “कावेरी !! देगी क्या??’ वो बोला. मैं हँसने लगी. क्यूंकि दिलजीत मेरी चूत फिर से मांग रहा था. पर आज घर में पापा , मम्मी, चाचा चाची, और भी मेहमान थे. इसलिए मैंने दिलजीत से कहा की आज रात को मैं चुपके से उसके कमरे में आ जाऊँगी. फिर वो मुझे चोद सकता है. रात होने पर मेरी मम्मी मेरे कमरे में ही सो रही थी. बड़ी मुस्किल से मैं बिना आवाज करते हुए उठी. और चुपके से दिलजीत के कमरे में पहुची. अंदर जाते ही उसने मुझे गले से लगा लिया. हम भाई बहन किसी बॉयफ्रेंड गर्ल फ्रेंड की तरह एक दुसरे के गले से चिपके हुए थे. कुछ देर बाद हम प्यार करने लगे. दिलजीत ने एक एक करके कपड़े निकाल दिए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. फिर उसने अपने कपड़े भी निकाल दिए.

“दिलजीत !! मेरे भाई तुम आज कंडोम पहन कर मेरी चूत की सिटी खोलो वरना कहीं मैंने पेट से ना हो जाऊ” मैंने कहा.

दिलजीत ने अपना पर्स चेक किया. सनी लिओन के फोटो वाले ३ मैंनफ़ोर्स कंडोम मिनी कंडोम उसके पास पड़े थे. उसने एक कंडोम निकाला और फाड़कर अपने लंड पर चढ़ा लिया. मैंने टांग खोलकर किसी देसी चुदक्कड़ लड़की की तरह लेट गयी. मेरे मौसी के लड़के दिलजीत ने कंडोम वाला लंड मेरी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा. मुझे मजा आने लगा. ये मैंन फ़ोर्स वाले कंडोम में एक्स्ट्रा चिकनाई लगी हुई थी, इसलिए हमदोनो को किसी तेल की जरुरत नही पड़ी. दिलजीत का लंड सटर सटर अंदर बाहर हो रहा था. मैं फिर से अपने भाई से चुदने लगी. खूब मजा आने लगा मुझे. फिर मैंने अपनी दोनों टाँगे दिलजीत की कमर में फंसा दी. इससे उसे कसा कसा लगने लगा. वो मुझे गच गच पेलने लगा. मैं आह आह करके मजे मारने लगा.

“मेरे भाई !! मेरे सैयां ..मेरी जान .मेरे दिलबर ..आज चोद डालो अपनी बहना की गर्म बिलकती चूत को..चोदो चोदो .मुझे !!!!’ मैं इस तरह से उल्टा सीधा बडबड़ाने लगी. मेरी मौसी का लड़का दिलजीत और जोश में आ गया. वो और जोर जोर से बहुत गर्म गर्म धक्के मेरी गर्म पिघलती चूत में देने लगा. मुझे तो बहुत मजा मिल रहा था दोस्तों. जैसे मैं आसमान में उड़ रही हूँ. दिलजीत अपने लंड से मेरी चूत उड़ा रहा था. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. मेरे पुरे शरीर में खून बड़ी तेज से बह रहा था क्यूंकि मैं आज मस्ती से चुद रही थी. कुछ देर बाद दिलजीत ने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया.

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फिर वो मेरे खूबसूरत होठ पीने लगा. मैंने भी उसका पूरा सहयोग करने लगी. दिलजीत ने वो कंडोम निकालकर फेक दिया.

“भाई !! मुझे लौड़ा चूसा दो!” मैंने कह दिया.

दिलजीत ने अपना लौड़ा मेरे हाथ में दे दिया. फिर वो मेरे उपर लेटकर मेरे दूध पीने लगा. मैंने उसके लौड़ा को अपने कोमल हाथों से ले लिया और धीरे धीरे मसलने लगी. कुछ देर में मेरे भाई का लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था.

“भाई !! अब तुम रुक जाओ. बाद में मेरे दूध पी लेना. पहले मैं तुम्हारा लंड चूस लूँ” मैंने कहा. वो लेट गया और मैं अपने मौसी के लड़के दिलजीत का लौड़ा चूसने लगी. वाह दोस्तों!! कितना बड़ा और विशाल लौड़ा था उसका. मैंने मुँह में भरके मस्ती से लंड चूसने लगी. फिर मुझे और तलब लगी. मैं सर को हिला हिलाकर उसके लंड को अंदर गले तक ले जाकर चूसने लगी. आज मैं किसी रंडी की तरह लंड चूस रही थी. दिलजीत की गोलियां यौन उतेज्जना से बड़ी छोटी होने लगी. उसकी गोलियों ओर काफी बाल थे. मैंने चुदास के नशे में दिलजीत की गोलियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगी. मैं बिलकुल पागल हो गयी थी. मुझे सेक्स और वासना के सिवा कुछ नही दिख रहा था.

मैं सारी जिन्दगी अपने भाई से ही चुदवाना चाहती थी.

“कावेरी बहना !! कभी तूने गांड मराई है क्या???’ दिलजीत ने पूछा

“नही तो भाई” मैंने कहा

“तो ठीक है बहन. आज मैं तेरी गांड भी मार देता हूँ” वो बोला. दिलजीत ने मुझे दोनों हाथों और घुटनों पर झुका दिया. पीछे से आकर वो मेरी गांड पीने लगा. जब वो अपना लंड मेरी गांड के छेद में डालने लगा तो दोस्तों मुझे बहुत जादा दर्द होने लगा. पर मैंने किसी तरह बर्दास्त किया. दिलजीत ने फिर से एक कंडोम फाडकर अपने लंड पर लगा लिया था वरना मैं पेट से हो सकती थी. धीरे धीरे उसका लौड़ा मेरी गांड के बड़े महीन के छेद में जाने लगा. मुझे बहुत जादा दर्द हो रहा था. मैंने कहा ‘रहने दो भाई.मेरी गांड मत मारो. बड़ा दर्द होता है!!” पर दिलजीत नही माना. वो मेहनत करता रहा. धीरे धीरे उसका लम्बा सा लौड़ा मेरी गांड के छेद में पूरा अंदर तक घुस गया.

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रो रोकर मेरा बुरा हाल था दोस्तों. फिर दिलजीत अपना लौड़ा मेरी गांड में आगे पीछे करने लगा. उसने मेरा दर्द नही देखा , ना ही मेरी चीख पुकार सुनी. मेरी गांड चोदने लगा. उसे तो बहुत मजा आ रहा था, क्यूंकि मेरी गांड बहुत कसी हुई थी. पर मेरी तो गांड फट रही थी. क्यूंकि गांड तो मल त्याग करने के लिए होती है मारने के लिए नही होती है. दिलजीत ने मेरी एक बात नही सुनी और अपने घुटनों के बल बैठके मेरी गांड में लौड़ा अंदर बाहर करने लगा. करीब ४० मिनट बाद मेरा दर्द कम हो गया. अब मैं चुप थी. नही रो रही थी. और आराम से अपने मौसी के लड़के से अपनी गांड मरवा रही थी. अब मुझे धीरे धीरे मजा आने लगा था. मेरी गांड बहुत कसी थी. आजतक मैंने कितने लडकों से चुदवाया जरुर था, पर किसी से गांड नही मराई थी.

पर इस दिलजीत ने तो मुझे कहीं का नही छोड़ा और मेरी गांड इसने आखिर चोद ही ली. अब मैं शांत होकर कुतिया बनी हुई थी और दिलजीत घपा घप मेरी गांड ले रहा था. ये काण्ड मैं अपने ही घर में कर रही थी. अपने ही घर में गांड मरा रही थी और मेरी फैमिली को पता भी नही था. कुछ देर बाद दिलजीत ने अपना लम्बा लौड़ा मेरी गांड से निकाला और छेद की फोटो खींचकर मुझे दिखाई.

“ले छिनाल !! देख ले अपनी गांड! कैसे चोद चोद कर मैंने बड़ी कर दी है” दिलजीत बोला. दोस्तों अब मेरी गांड का सुराख सच में बहुत जादा बड़ा हो गया था. मैंने वो फोटो चूम ली. कुछ देर बाद रिश्ते में मेरे भाई लगने वाले दिलजीत ने फिरसे मेरी गांड में लौड़ा डाल दिया और किसी कुत्ते की तरह अपनी कुतिया को चोदने लगा. मुझे बहुत ही मनोहारी मीठा मीठा अहसास मिल रहा था. बहुत सुख मिल रहा था. ये बड़ा मीठा अहसास था. दिलजीत , आज मेरा भैया नही सैयां बन गया था. वो मेरे जिस्म के सबसे प्राइवेट भाग को खा रहा था. मेरी इज्जत लूट रहा था और मेरी गांड मार रहा था. मेरे पुरे बदन में मीठी मीठी लहरे दौड़ रही थी. घटों दिलजीत मेरी गांड लेता रहा फिर झड गया. उसने कंडोम अपने लौड़े से निकाल लिया.

मैंने उसका माल से भरा कंडोम उसके हाथ से छीन लिया और अपने मुँह के उपर मैंने कंडोम उल्टा कर दिया. सफ़ेद रंग का गाढ़ा दिलजीत का वीर्य सीधा मेरे मुँह में गिर गया. मैं किसी चुदासी कुतिया की तरह दिलजीत का सारा माल पी गयी.

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