तो फ्रेंड्स बात है मेरी मौसी की लड़की है अंजलि उसकी शादी के टाइम की. मैं और मेरे मों-दाद वाहा गये थे, और मुझे वाहा अंजलि की विदाई के बाद कुछ दिन के लिए रहना पड़ा.
क्यूंकी अंजलि मेरी बेस्ट फ्रेंड थी, और मैं उसे ना नही बोल पाई और (मौसी नही है उनके घर में सिर्फ़ अंजलि और उसके दाद रहते थे. एक भाई है जो बाहर रहता है). और उपर से लॉक्कडोवन् हो गया. इस बीच मेरा मौसा जी के साथ पहला सेक्स रिलेशन्षिप हो गया, और वो सब कैसे हुआ मैं इस कहानी में बताने वाली हू.
कहानी शुरू करने से पहले मैं इस कहानी के कॅरेक्टर्स के नाम बता डू.
1- प्रियंका आगे 26, फिगर साइज़ 36-26-36, रंग गोरा, हाइट 5 फीट 2 इंच, वेट 57 क्ग.
2- अंजलि, आगे 20, फिगर साइज़ 32-26-34, रंग गोरा, हाइट 5 फीट 4 इंच, वेट 55 क्ग.
3- रानी, आगे 19, फिगर साइज़ 34-26-34, रंग हल्का लाइट, हाइट 5 फीट 3 इंच, वेट 53 क्ग.
4- राहुल, आगे 48, हाइट 5 फीट 8 इंच, वेट 67 क्ग, लंड साइज़ 6.7 इंच, स्टॅमिना अनलिमिटेड.
5- सन्नी, आगे 19, हाइट 5 फीट 9 इंच, वेट 59 क्ग, लंड साइज़ 7 इंच, स्टॅमिना 7 से 12 मिनिट्स.
अब कहानी पर आती हू. अंजलि की विदाई के कुछ टाइम पहले अंजलि ने मुझे अपने रूम में बुलाया. फिर मुझे अपने गले लगा कर रोने लगी.
मैं: दी आप क्यूँ रो रही हो?
अंजलि: रानी मुझसे अपने दाद की ये हालत नही देखी जाती. वैसे भी मों के जाने के बाद वो अकेले हो गये थे. लेकिन मेरे होने की कारण वो फिर भी ठीक थे. पर अब तो मैं भी जेया रही हू, तो वो तो और अकेले हो जाएँगे.
इतना बोल कर दीदी रोने लगी. फिर मैने उनसे कहा: दीदी आप रो मत. मों-दाद यहा है. वो सब संभाल लेंगे.
अंजलि: वो तो मुझे पता है. लेकिन क्या तुम मेरी एक बात मानोगी?
मैं: हा दीदी, मैं आपकी हर बात मानूँगी. आप बोलिए क्या चाहती है मुझसे?
अंजलि: क्या तू कुछ दीनो के लिए यहा रह सकती है मेरे दाद के साथ?
मैं: दीदी आप ये क्या कह रही हो. मैं यहा कैसे?
अंजलि: सिर्फ़ कुछ दीनो के लिए अगर तू यहा रहेगी तो दाद को अछा लगेगा. उनको ऐसा लगेगा की अंजलि उनके साथ है. और कुछ दीनो बाद सब सही हो जाएगा, तब तू अपने घर चली जाना. अगर तू कहे तो मैं मौसी से भी तेरे लिए बात करू यहा रहने के लिए.
मैं: ऐसी कोई बात नही है दी. और आपके दाद मेरे दाद जैसे है. मैने मौसा जी को कभी अपने दाद से कम नही समझी.
अंजलि: तो फिर मैं बहुत खुश हू की तू मेरे दाद को अपने दाद जैसा समझती है. थॅंक्स मेरी हेल्प करने के लिए.
मैं: दीदी आप मेरी बड़ी बेहन हो, और आपकी हेल्प करना मेरे लिए खुशी की बात है.
अंजलि: ओह मेरी प्यारी रानी. तू मेरी सॅकी बेस्टीए है. और सुन, घर से ज़्यादा डोर मत जाना. क्यूंकी यहा आस-पास के लोग थोड़े ठीक नही है.
मैं: नही दी, मैं नही जौंगी. ज़्यादातर मैं घर में ही रहूंगी, मौसा जी के साथ. ठीक है?
और फिर अंजलि की विदाई के बाद सारे गेस्ट्स चले गये, और मेरे मों दाद भी चले गये. अब बस मैं और मौसा जी ही घर पर थे.
रात के 1:00 बजे-
मैं उपर वाले रूम में सो रही थी, और मुझे मौसा जी के रूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी. फिर रूम से बाहर आ कर मैने मौसा जी के रूम की खिड़की से झाँका तो अंदर का नज़ारा कुछ यू था.
मौसा जी सीधे बेड पर लेते थे, और उनकी जांघों की तरफ पिंकी बैठी थी. वो उनका लंड अपने हाथ में पकड़े हुए थी. वो झुक कर मौसा जी का लंड अपने मूह में लेकर कुलफी की तरह चूसने लगी. मौसा जी भी अपने मूह से हल्की आवाज़ में आ आ कर रहे थे. वो एक हाथ से पिंकी के सर पर दबाव दे रहे थे.
फिर अचानक से ये सब देख कर मेरे जिस्म में करेंट जैसा हो गया. ये सब देख कर गुस्सा होने के बजाए मुझे ये अछा लगने लगा. फर्स्ट टाइम मैं लिव चुदाई देख रही थी, और देखते-देखते मैं भी चुदाई में गुम हो गयी. ना-जाने कब मेरा हाथ मेरी सलवार के अंदर मेरी छूट पर चला गया, और मैं अपनी छूट को मसालने लगी.
अब मौसा जी ने पिंकी को डॉगी बना दिया था, और पीछे से घुटनो के बाल बैठ कर अपना लंड उसकी छूट में घुसा कर घपा-घाप चुदाई चालू कर दी थी. पिंकी के मूह से ह ह ह श ऑश उफफफ्फ़ आह अहह की आवाज़े निकल रही थी.
मौसा जी अपना लंड पूरा उसकी छूट में घुसाते और निकालते. करीब 10 से 15 मिनिट तक ऐसे ही पिंकी को छोड़ा. फिर पिंकी के छूट से अपना लंड बाहर निकाला, और पिंकी को घुटनो के बाल बिता दिया. उसके बाद खुद उसके मूह की तरफ आ कर खड़े हो गये, और अपना लंड उसके मूह पर रख दिया. अब वो अपने हाथो से लंड को उपर-नीचे करने लगे. फिर थोड़ी देर में पिंकी के फेस पर अपने लंड की पिचकारी छ्चोढ़ दी.
पिंकी फिर अपने हाथ की उंगलियों की मदद से लंड का सारा माल चाट गयी. और इधर मेरी सलवार के अंदर मेरी छूट ने भी अपना पानी छ्चोढ़ दिया. जब मैने अपनी सलवार से अपना हाथ बाहर निकाला, तो मेरी उंगलियों पर मेरी छूट का रस्स तपाक रहा था. मैने अपनी सलवार का नाडा बाँधा और दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गयी. वो दोनो मुझे देख कर चौंक गये.
मैं: ये आप दोनो क्या कर रहे हो?
मौसा जी: अर्रे रानी बेटा, ये तो बस.
मैं: क्या बस, और पिंकी तू ऐसा कर सकती है मैने सोचा नही था.
मौसा जी: क्या रानी, तू इसे जानती है?
मैं: हा मैं इसे जानती हू. अब आप दोनो अपने कपड़े पहनो (मैने मूह दूसरी तरफ कर लिया. फिर उन दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने). मुझे आप से ये उमीद नही थी मौसा जी, की आप अपनी बेटी की उमर की लड़की को इस तरह.
वो कुछ नही बोले और चुप-छाप बाहर चले गये.
मैं: पिंकी तुमने ऐसा क्यूँ किया? वो तुम्हारे बाप की उमर के है. तुम कैसे कर सकती हो ऐसा?
पिंकी: मैने कोई ग़लत काम नही किया है. मैने अंकल की हेल्प की है. वो बहुत उदास थे. मुझसे उनकी तकलीफ़ नही देखी गयी, इसलिए मैने उनके साथ कर लिया.
फिर मैं उससे आयेज कुछ नही बोली, क्यूंकी अंदर से तो मेरा भी मॅन हो रहा था उनके साथ करने का. इसलिए मैं चुप-छाप वाहा से चली गयी. फिर पिंकी भी अपने घर चली गयी. रात भर मैं उनके बारे में सोचती रही. मुझे लगता था पिंकी ने सही किया. वैसे भी मौसी के जाने के बाद मौसा जी अकेले हो गये थे.
उनको प्यार की ज़रूरत थी अकेलापन डोर करने के लिए. और पिंकी ने वही किया जिसकी मौसा जी को ज़रूरत थी. ये सोच कर मेरा भी मॅन करने लगा था की मैं भी मौसा जी को प्यार डू. उनका अकेलापन और तन्हाई डोर कर डू.
नेक्स्ट सुबह मैं किचन में थी, और सुबह की छाई-नाश्ता बना रही थी. फिर अचानक से मौसा जी आ गये मेरे पास, और बोले.
मौसा जी: ओह लव्ली डार्लिंग, क्या मैं तुम्हारी कोई हेल्प कर सकता हू?
मौसा जी को इस तरह बात करते हुए देख कर मैं हैरान रह गयी. मैं मौसा जी की आँखों में अलग ही चमक देख रही थी, इसलिए मैं चुप-छाप खड़ी रही, और कुछ नही बोली.
मौसा जी: मैं आज के छाई नाश्ते में तुम्हारी हेल्प करूँगा. और आज मेरी च्छुतटी है तो मैं आज का पूरा दिन तुम्हारे साथ रहूँगा.
उन्होने ऐसा बोला तो पता नही मुझे क्या हुआ, की मैं उनकी तरफ खीची जाने लगी. ये अलग सा एहसास था, जो पहली बार हो रहा था. फिर वो मेरे और करीब आने लगे, और मुझे अछा लग रहा था.
मौसा जी: मैं कल रात सो नही पाया. जैसे ही आँखें बंद कर रहा था, तब तुम्हारा चेहरा मेरे सामने आ रहा था. मुझे लगता है मैं तुमको पसंद करने लगा हू, इसलिए आज का दिन तुम्हारे साथ गुज़ारना चाहता हू.
उनके इस तरह बोलने से मेरे अंदर पता नही क्या हो गया की मैं भी उनके करीब हो गयी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो अगले भाग में बताती हू.