इस कहानी के माध्यम से आप लोगों को जरूर कुछ न कुछ एहसास होगा कि इस दुनिया में औरतें कैसी कैसी होती हैं ! खैर पहले मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ ! मेरा नाम नब्बू है, उम्र 28 साल है और मैं आजाद जिन्दगी जीने वाला हूँ, नागपुर में रहता हूँ, मैं एक अर्द्धसहकारी कंपनी में काम करता हूँ, मेरी अपनी जिंदगी कई लड़कियाँ आई और गई मैंने किसी से भी प्यार नहीं किया और ना ही करना चाहता था ! और मुझे इस बात का घमंड भी था ! लेकिन ऐसा हो न सका !
यह वो हकीकत है जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी, मैं आपको इस कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूँ, जिसका एक-एक पल आज भी मेरे आँखों के सामने आता है !
चलिये कहानी का मज़ा लेते हैं !
एक बार मैं अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गया था, मैं नागपुर से दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचा, सुबह के 9:30 बज रहे थे। मैंने एयरपोर्ट से बाहर निकल कर टैक्सी ली, मुझे मीटिंग अटेंड करनी थी जिसके लिए मैं पहले ही लेट हो गया था। मीटिंग ग्यारह बजे की थी और मीटिंग का अजेंडा मेरे पास था। मैं ऑफिस के गेस्ट हाउस पहुँचा, मीटिंग वहीं गेस्ट हाउस में थी। मैं समय पर पहुँच गया था।
मीटिंग में करीब 20 से 25 लोग होंगे। मीटिंग 12:00 बजे शुरू हुई।
मैंने नोट किया कि मीटिंग में एक औरत जिसकी उम्र 30 साल होगी, (नीली साड़ी में गोरी-चिट्टी पतली-दुबली और बड़ी-बड़ी आँखों में काजल लगाए हुए मेरे सामने बैठी थी) वो पेन्सिल को अपने कान के ऊपर बालों में घुमाते हुए अपनी कातिलाना नजरों से मुझे ही देख रही थी, मैं उसे अच्छी तरह से जानता था !
उसका नाम शैलीन था, वो मेरे दोस्त की बीवी थी ! कभी वो एक जानी मानी मॉडल हुआ करती थी, करीब 5 फ़ुट 9 इंच उसका कद होगा ! जिसकी शादी को अभी तीन साल भी नहीं हुए थे, दो महीने पहले मेरे दोस्त की मौत हो गई और उसके बाद उसे हमारी कंपनी ने अनुकम्पा नियुक्ति के आधार पर नौकरी दी थी। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे, उन्होंने लव-मैरिज की थी।
खैर मैंने उसे अनदेखा कर दिया !
मैं जब मीटिंग में खड़े होकर स्पीच देने के बाद जब मैं अपनी जगह बैठा तो सब लोगों की तरह वो भी जोर-जोर से ताली बजा रही थी। मेरी नजर अचानक उसके ऊपर चली गई। वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी। तो मैंने भी छोटी सी स्माइल दी ! जैसे तैसे शाम को चार बजे मीटिंग ख़त्म हुई, सब लोग लंच के लिए जाने लगे मुझे भी बड़ी जोर के भूख लगी थी मैंने यान में सिर्फ नाश्ता किया था और सुबह से कुछ नहीं खाया था !
मैं मेज़ पर से अपनी फाइल और पेपर समेटने लगा। शैलीन भी अपने पेपर उठा चुकी थी और उसकी नजरें मेरी ओर ही थी !
मैंने जैसे ही बैग उठाया और चलने लगा कि अचानक शैलीन ने आवाज दी।
शैलीन- नब्बू, यू डोंट नो मी?
मैं- ओह, शैलीन भाभी ! सॉरी, आई एम वैरी सॉरी ! वो क्या है न, मुझे बहुत जोर की भूख लगी है ! इसलिए मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है !
शैलीन- अभी भी बहाने काफी अच्छे बना लेते हो !
मैं- नहीं, मैं सच कह रहा हूँ !
शैलीन- चलो आज मेरे हाथ का खाना खाओगे तुम !
मैं- नहीं भाभी !
शैलीन- मुझे कुछ नहीं सुनना है ! अभी वो (शैलीन का पति अर्जुन मेरा लंगोटिया यार) होते तो तुम इन्कार करते क्या?
मैं- भाभी ऐसी बात नहीं है।
शैलीन(रोते हुए)- तुम भी यही समझते हो ना कि मैंने उनकी जान ली है।
मैं- भाभी, रोओ मत ! मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा, फिर तुम क्यों अपने आप को कोसती हो?
असलियत क्या थी? यह सिर्फ मैं जानता था कि अर्जुन ने खुदख़ुशी क्यों की थी।
भाभी के बहुत मनाने पर मैं भाभी के साथ घर जाने के लिए राजी हो गया। मैं यह भी जानता था कि भाभी बहुत जिद्दी है, वो मुझे अपने घर ले जा कर ही रहेगी।
मैं भाभी के साथ कार में बैठ गया और भाभी कार चला रही थी क्योंकि उसे साथ ड्राइविंग बहुत पसंद थी, मैं शांत बैठा था !
शैलीन ने बात शुरू की।
शैलीन- नब्बू यह बताओ कि तुम से तो अर्जुन कभी कोई बात नहीं छुपाता था ना?
मैं- नहीं ! हम दोनों में कोई भी बात राज नहीं रहती थी !
शैलीन- आप दोनों को नॉन-वेज बहुत पसंद था ना ?
मैं- हाँ !
शैलीन- दिल्ली में अभी कब तक हो?
मैं- कल दोपहर तक हूँ !
शैलीन- यहाँ पर कहाँ रुके हो?
मैं- होटल ओबेराय में !
करीब बीस मिनट के बाद हम शैलीन के घर, जो कनॉट प्लेस में है, पहुँचे। शैलीन ने अपने घर में नौकरानी को कुछ पैसे दिए और मटन लाने के लिए कहा ! फिर शैलीन तौलिया लेकर मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए कहा- नब्बू, तुम फ्रेश हो जाओ।
मैंने तौलिया लिया और बाथरूम में चला गया। 15 मिनट में मैंने फ्रेश हो कर ढीली-ढाली नाईट पैंट और टी शर्ट पहन ली और हॉल में बैठ गया। तभी नौकरानी मटन ले आई और मटन किचन में ले गई और शैलीन से कहा- दीदी, मैं जा रही हूँ !
कह कर नौकरानी चली गई। मैंने टीवी ऑन किया किया और मूवी देखने लगा। 10-15 मिनट के बाद शैलीन हाथ में एक पैकेट ले कर मेरे पास आई और मुझे देते हुए कहा- यह अर्जुन आपके लिए लाया था !
मैंने पैकेट खोल कर देखा तो उसमें 750 एम. एल. जिन (शराब) की बोतल थी !
मैं (बोतल वापस देते हुए)- भाभी, मैंने अर्जुन के जाने बाद पीना छोड़ दिया है !
शैलीन- इसका मैं क्या करूँगी? अर्जुन तुम्हारे लिए यह थाईलैंड से लाया था। और मैं थोड़े ही ना इसे पियूँगी?
इतना कह कर वो किचन की ओर चली गई।
मैंने बोतल को सामने मेज पर रख दिया और सोचा कि काश अर्जुन होता तो हम दोनों इसके मजे ले रहे होते !
उसके जाने बाद मैंने लगभग पीना छोड़ ही दिया था! तभी शैलीन गिलास और एक प्लेट में नमकीन व ठन्डे पानी की बोतल ले कर आई और मेरे सामने मेज पर रख दिया।
मैं- नहीं भाभी ! मैं नहीं पियूँगा, मैं सिर्फ अर्जुन के साथ ही पीता था !
शैलीन- मेरे सामने अर्जुन ने आप से वादा किया था ना कि जिन्दगी में कभी ना कभी वो तुम्हें जिन पिलायेंगे !
मैं- हां भाभी ! तब बात अलग थी ! लेकिन अब मैं नहीं पीता !
शैलीन- मुझे नहीं पता ! मैं अपने पति इच्छा पूरी कर रही हूँ !
मैं- ठीक है भाभी ! लेकिन मैं थोड़ी ही पियूँगा !
शैलीन- ओ के ! बाकी तुम अपने साथ ही लेकर जाना ! और हाँ ! तुम आराम से पियो, तब तक मैं खाना बना लेती हूँ ! “ठीक है ना ?”
मैं- हाँ ! ठीक है !
शैलीन ने ए.सी. ऑन किया उसके बाद शैलीन रसोई में खाना बनाने चली गई। मैंने जिन(शराब) की बोतल खोली और पैग बनाया और अर्जुन का नाम ले कर पीना शुरू कर दिया ! बड़ा मजा आ रहा था क्योकि मैं पहली बार जिन पी रहा था !
मेरे दिमाग ख्याल आया,”शैलीन क्यों ऐसा कर रही है, ऐसा करके शैलीन को क्या मिलेगा? कहीँ शैलीन मुझसे चुदना तो नहीं चाहती है? ना जाने शैलीन का मकसद क्या है? नहीं शैलीन को मेरे लंड से ही मतलब है, वो आज मेरे लंड से ही मतलब है क्योकि अर्जुन का खडा ही नहीं होता था !”
हां दोस्तो, अर्जुन नामर्द तो नहीं था ! लेकिन सेक्स में उसकी रूचि बिलकुल नहीं थी और वो बाप भी नहीं बन सकता था, क्योंकि उसका एक भी वर्षण नहीं था!
शायद यह बात शैलीन भी जान गई थी, इस कारण ही अर्जुन ने खुदखुशी की थी ! यह बात मैं ही जानता था ! मुझसे अगर शैलीन चुदवाना चाहती है तो इसमें गलत क्या है?
इतने में ही बाहर जोरों की बारिश होने लगी !
उसे जो अर्जुन से नहीं मिला वो मेरे से हासिल करना चाहती है, मैं शैलीन को चोदूँ या नहीं? जिंदगी में मेरे साथ कभी किसी को चोदने में ऐसी कशमकश नहीं आई थी! मुझे हल्का-हल्का नशा सा हो रहा था, अब तो मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था, लेकिन मैं शैलीन को चोदना नहीं चाहता था।
अगर शैलीन ने जबरदस्ती की तो?
मैं क्या करूंगा?
इसका जवाब तो मेरे पास भी नहीं था !
तभी पीछे से शैलीन की आवाज आई- खाना तैयार हो गया है ! हाथ-मुँह धोकर आ जाओ !
मैं जैसे पीछे मुड़ा और देखा तो मेरे पूरे शरीर में कंपकंपी सी होने लगी, जैसे मैंने बिजली का तार पकड़ लिया हो, क्योंकि शैलीन ने सफ़ेद नाईट हॉट मैक्सी (आधे सीने से ले कर जांघ के ऊपर तक का कपड़ा) पहनी थी जिसके आर-पार सब कुछ दिख रहा था, उसके खुले बाल गीले थे मतलब वो नहा कर आई थी! ऐसा लग रहा था कि संगमरमर को तराश कर इस मूरत (शैलीन) को बनाया गया हो ! मैं तो उसके बदन को ही निहार रहा था ! उस अदा में जो मैं देख रहा था, मैंने कभी इतनी खूबसूरत और सेक्सी बला कभी नहीं देखी थी! उसका कसा हुआ जिस्म !
शैलीन की आवाज़ से अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ।
शैलीन की आवाज़ से अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ।
मुझे देखकर ही पेट भर लोगे या खाना खाओगे? शैलीन ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैं बाथरूम में गया और हैण्ड वाश अपने लण्ड पर लगाया और जिंदगी में पहली बार मुठ मारी ! मैंने सोचा बारिश रुके या न रुके, खाना खाने के बाद तुरंत निकल जाऊँगा !
उसके बाद हाथ-मुँह धोकर डाईनिंग टेबल पर पहुँचा तो शैलीन मेरे सामने बैठ गई और खाना परोसने लगी, मैंने जैसे ही उसकी ओर देखा तो उसके दोनों गोरे स्तन साफ-साफ दिख रहे थे।
मैंने अपनी नजरे नीचे की और हम चुपचाप खाना खाने लगे ! मैंने घड़ी की ओर देखा तो रात के आठ बज रहे थे और बारिश लगातार हो ही रही थी।
शैलीन ने बात शुरू की !
शैलीन- नब्बू, यह बताओ कि तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की?
मैं- अभी तक ऐसी लड़की ही नहीं मिली जिससे मैं शादी करूँ !
शैलीन- और गर्लफ्रेंड?
मैं- भाभी मैंने वो सब छोड़ दिया है ! (मैं उसका इशारा समझ रहा था)
शैलीन- तुम्हें कैसी लड़की चाहिए?
मैं- आप जैसी ! (यह मेरे मुँह से क्या निकल गया)
शैलीन- मुझमे ऐसा क्या है?
मैं- भ…भा…भाभी! दूसरी बात करते हैं न? (मैं फंस गया था)
शैलीन- तो यह बताओ कि आज तक कितनी गर्लफ्रेंड फंसाई है? (वो इसी विषय पर बात करना चाहती थी)
मैं- बस एक ही !
शैलीन- सोनी ? (शायद अर्जुन ने इसे मेरे बारे में सब बता दिया होगा)
मैं- हां !(मैं चौंक गया)
शैलीन- उसे भी छोड़ दिया ! कभी उसकी याद नहीं आती?
मैं- मुझे कोई अफ़सोस नहीं ! (क्योंकि मैंने कभी किसी से प्यार किया ही नहीं था)
शैलीन चुप हो गई, मैं पानी पीने लगा, क्योंकि शैलीन के सामने वैसे भी मैं खाना नहीं खा पा रहा था क्योंकि मेरा पूरा ध्यान शैलीन पर था सच में वो बहुत ही खूबसूरत थी !
मेरी हालत खराब हो रही थी, ऊपर से जिन (शराब) का नशा ! ना जाने आज क्या होगा ! काश यह अर्जुन की बीवी न होती तो कब का इसका काम कर दिया होता !
तभी शैलीन ने कहा- और लो न नब्बू !
मैं- नहीं… भाभी बस हो गया !
शैलीन- और नहीं लिया तो मैं तुम्हें खुद अपने हाथों से खिलाऊँगी, तुम सोच लो !
मैं- नहीं भाभी, मैं और नहीं खा सकता !
मेरे इतना ही कहने की देर थी कि शैलीन अपनी कुर्सी से उठी और मेरी प्लेट में खाना जबरदस्ती डाल दिया और वो मेरी गोद में बैठ गई !
मैं चौंक गया !
मेरी जांघ और लण्ड पर उसकी कोमल-कोमल गांड का एहसास हो रहा था और मेरा लण्ड लोहे की छड़ बन चुका था !
इतने में ही शैलीन अपने हाथ से खाना मेरे मुँह के पास लाई और कहा- अब मुँह खोलोगे या नहीं?
मेरे मुँह से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी, मैं उसके हाथों से खाना खाने लगा। शैलीन को तो मौक़ा मिल गया था अपनी बात जाहिर करने का, लेकिन मैं क्या करूँ?
मेरे सब्र का बाँध टूट गया था, मैं नशे में अपनी औकात से बाहर हो रहा था।
तभी शैलीन ने अपना असली खेल शुरू किया।
शैलीन(मेरी गोद से उतरते हुए)- यह नीचे क्या चुभ रहा है? दिखाओ मुझे !
उसने मेरी नाईट पैंट और अंडरवेअर को एक साथ पकड़ के हटा दिया जिससे मेरा खडा लण्ड टन-टनाते हुए उसके सामने आ गया।
अच्छा तो यह है ! अर्जुन का तो इससे आधा था, उसकी गोद में बैठने से चुभता ही नहीं था।
मैं- भाभी अर्जुन के लिए बस करो, वरना तुम्हारी जिंदगी खराब हो जाएगी !
शैलीन- तो अभी क्या है !
गमगीन होते हुए वो मुझसे लिपट गई।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, सही-गलत समझ में नहीं आ रहा था। अगर शैलीन को कोई ऐतराज नहीं है, तो मैं क्यों संत बन रहा हूँ? मैं अभी इसकी जरुरत हूँ, यह मेरी ! सो मैंने भी शर्म छोड़ दी और शैलीन को दोनों हाथो से गोद में उठाया, बेडरूम में ले गया, प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके बाजू में करवट ले लेट गया।
तभी शैलीन भी मेरी ओर पलट गई उसने एक हाथ मेरे गाल पर रखा और कहा- नब्बू, आज मुझे औरत होने सुख दो ! मैं बहुत प्यासी हूँ !
इतना कहकर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।
मैंने उसे बाहों में लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर !
मैंने अपने होंट उसके नाजुक गुलाबी-गुलाबी होंटों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा।
शैलीन भी मेरी ओर पलट गई उसने एक हाथ मेरे गाल पर रखा और कहा- नब्बू, आज मुझे औरत होने सुख दो ! मैं बहुत प्यासी हूँ !
इतना कहकर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।
मैंने उसे बाहों में लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर !
मैंने अपने होंट उसके नाजुक गुलाबी-गुलाबी होंटों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा। एक हाथ से उसकी चिकनी-चिकनी जांघों को सहलाने लगा।
शैलीन ने दोनों हाथों से मुझे कस के पकड़ लिया! हम दोनों पहले से ही गर्म थे इसलिए हमें ज्यादा समय नहीं लगने वाला था !
मैंने पहले शैलीन की पैंटी उतारी फिर उसकी मैक्सी ! मैंने अपने भी पूरे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे !
शैलीन और मैं 69 की अवस्था में लेट गए, मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा ! मेरे लण्ड को उसके नाजुक-नाजुक होंटों और जीभ का स्पर्श होने से मेरा नशा और मजा दुगुना हो रहा था ! मैं सातवें आसमान की सैर कर रहा था !
मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर उसे रगड़ने लगा था ! मैं पहली बार किसी की चूत चाट रहा था, उसकी चूत का खारा पानी ! आह..ह..ह क्या मजा आ रहा था !
हम दोनों जरुरत से ज्यादा गर्म और उतावले हो चुके थे।
फिर मैं सीधे शैलीन के ऊपर लेट गया और उसके दोनों चुचूकों को पकड़ कर इकट्ठे चूसने लगा, अचानक मेरा ध्यान नाईट लैम्प के पास रखी शहद की बोतल पर गया। मैंने बोतल उठाई, खोली और थोड़ा शहद अपने लण्ड पर गिराया और थोड़ा शहद उसके दोनों स्तनों और चूत पर गिराया !
शैलीन समझदार थी, वो समझ गई थी कि उसे क्या करना है? वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर शहद चूसने लगी और मैं भी उसके बदन पर लगे शहद को चाटने लगा !
शैलीन बोलने लगी- आहह ! बहुत मजा आ रहा है इसमें !
मैंने भी पहले चूचियाँ फिर चूत को चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर दिया।
अब मैंने शैलीन को लिटा दिया और उसके ऊपर आकर दोनों टाँगें फैला दी, मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया अपना लण्ड जैसे ही चूत के छेद में रख कर धकेला,
“मम्मी..ई मम्मी.ई..ई….ई…..ई !” कहते हुए वो झट से सरक गई और दोनों हाथों से अपनी चूत पकड़ कर टाँगें सिकोड़ ली और करवट ले कर रोने लगी !
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और कहा- दर्द को भूल जाओ शैलीन ! फिर देखो, कितना मजा आता है !
मैंने शैलीन को सीधा किया और फिर वैसे ही उसकी टांगों के बीच में आ गया ! इस बार मैंने शैलीन को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और कहा- शैलीन, शुरू करूँ? शैलीन- लेकिन प्लीज़, धीरे करना, तुम तो जानते ही होंगे कि मुझे अर्जुन ने कभी नहीं किया है !
जैसे ही शैलीन ने अपनी बात ख़त्म की, मैंने जोर के धक्का मारा और मेरा लण्ड आधा अन्दर जा चुका था।
शैलीन छटपटाने लगी।
मैंने और कस कर शैलीन को पकड़ लिया और अंधा-धुंध धक्के पर धक्के मारने लगा।
शैलीन छटपटा रही थी, चिल्ला रही थी- मैं मर जाऊँगी ! आराम से ! मम्मी ! नब्बू छोड़ दो ! मेरे बर्दाश्त के बाहर हो रहा है!
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं तो चालू ही था ! यों तो मैंने न जाने कितनी ही चुदाई की थी लेकिन इतना मजा पहले कभी नहीं आया था। मैं अपनी पूरी ताकत लगा कर धक्के लगा रहा था, साथ में पूरा बेड भी चिर-चिर की आवाज करते हुए हिल रहा था !
शैलीन पूरा पसीने से भीग गई थी लेकिन मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! थोड़ी देर के बाद शैलीन का दर्द भी कम होने लगा था, वो भी अपने कूल्हे उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी थी। अब मेरा मजा दुगुना हो गया था, सो मैंने शैलीन को अपनी बाहों से आजाद कर दिया और उसके दोनों चुचूक को एक साथ मुँह में लेकर चूसने लगा।
मेरे सर पे तो शराब और शबाब का तो जैसे जुनून सवार था ! हम दोनों ही अपनी जवानी भरपूर मजा ले रहे थे !
मैं उसे जी भर चोदना चाहता था क्योंकि शैलीन जैसी चीज को मैंने पहले कभी नहीं चोदा था ! मैंने सोचा कि क्यों ना चोदने का कोई नया तरिका अपनाया जाये जो मैंने पहले कभी ना किया हो !
बेडरूम में एक चार फ़ीट की अलमारी थी, मैंने उसे दोनों हाथों से अलमारी पकड़ कर घोड़ी बनने को कहा।
वो झुक कर घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे आ गया, उसकी गोरी-गोरी गाण्ड देखकर तो मुझे और भी नशा आ रहा था ! मैंने उसकी एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली, इस तरह से उसकी चूत का मुँह पूरा खुल गया था। अब मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपना लण्ड उसकी चूत में दनदनाते हुए पूरा अन्दर तक डाल दिया और दनादन धक्कमपेल करने लगा।
शैलीन के मुँह से बस “आह..ह धीरे करो आह..ह..ह” की आवाज आ रही थी।
मैं इतनी जोर के धक्के लगा रहा था कि शैलीन के पूरे जिस्म के साथ-साथ वो अलमारी भी हिल रही थी।
इतने में शैलीन ने अपना पानी छोड़ दिया और चूत पूरी गीली हो गई थी और मेरा लण्ड भी ! जिसकी वजह से मेरा मजा किरकिरा हो रहा था।
मैंने उसे फिर बाहों में उठाया और बेड पर उल्टा लिटा दिया और उसकी दोनों टांगो को खींच कर बेड के नीचे कर दिया जिससे कि उसकी गांड का ‘0’ जैसा छेद साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने पीछे से उसके दोनों बगल में हाथ डाल के शैलीन को कस कर पकड़ लिया, मेरा लण्ड तो पहले से ही शैलीन के रज से गीला था, मैंने अपना लण्ड शैलीन की गांड पर रखा और उसका मुँह तिरछा करके उसके दोनों नाजुक होंटों को अपने दांतों से पकड़ लिया और एक जोर के झटका लगाया। मेरा आधा लण्ड उसकी गांड में चला गया !
बस फिर क्या था ?
शैलीन तड़पने लगी थी, लेकिन मैंने उसे ऐसा पकड़ा था कि वो छूट ही नहीं सकती थी ! मैंने गति और तेज कर दी और पूरी ताकत और रफ़्तार के साथ धक्के पर धक्के मारने लगा। मैंने आज तक ना तो ऐसी चूत चोदी थी और ना ही ऐसी गांड और ना ही इतना मजा आया था पहले कभी !
मैंने तब तक धक्के मारे जब तक मेरा पानी नहीं निकला। मैंने अपना सारा पानी शैलीन की गाण्ड में ही छोड़ दिया और उसकी बगल आ कर लेट गया।
हम दोनों की सांसें जोर-जोर से चल रही थी और दोनों पसीने से पूरे भीग गए थे। मैंने देखा की शैलीन को जरूरत से ज्यादा ही कमजोरी आ रही थी, उसका पूरा शरीर प्रतिरोध करने से लाल हो गया था।
रात के दो बज रहे थे, मैंने शैलीन को पानी दिया और आराम से सोने के लिए कहा। शैलीन अपने दोनों हाथों से मुझे पकड़ कर उसी बेड पर लेट गई !
हम दोनों नंगे ही थे ! मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला।
दूसरे दिन (दोपहर को तीन बजे जो मुझे पता ही नहीं था) मेरी नींद खुली, मेरा सर जोर से दर्द हो रहा था मानो कि सर फट रहा हो !
मैं अभी भी नंगा ही था और मेरे कपड़े वहाँ से गायब थे ! इतने में शैलीन आई मैंने उसे देखते ही रजाई ओढ़ ली! उसने काले रंग का गाऊन पहना था।
शैलीन (मुस्कुराते हुए)- अब क्यों इतना शरमा रहे हो?
मैं- न.न..नहीं भाभी ! वो मैंने कपड़े नहीं पहने हैं ना !
शैलीन- वो मैंने धो दिए, अभी सूखने हैं! कोई बात नहीं ! मैं अर्जुन के कपड़े ला देती हूँ!
कहते हुए वो चली गई। पांच मिनट के बाद शैलीन वापस आई और उसके हाथ में कपडे थे !
“ये लो” मुझे देते हुए !
मैंने जैसे हाथ आगे बढाया शैलीन अपने हाथ पीछे कर लिए!
मैं- यह क्या भाभी ?
शैलीन- वादा करो कि आज के बाद तुम मुझे सिर्फ शैलीन कहोगे?
मैं- ठीक है !
वैसे भी शैलीन बहुत जिद्दी थी।
शैलीन- जल्दी से फ्रेश हो जाओ !
मैं- क्यों भाभी ?
शैलीन- फिर भाभी?
मैं- सॉरी शैलीन, लेकिन क्यों?
शैलीन- सरप्राईज़ है तुम्हारे लिए !
शैलीन- जल्दी से फ्रेश हो जाओ !
मैं- क्यों भाभी ?
शैलीन- फिर भाभी?
मैं- सॉरी शैलीन, लेकिन क्यों?
शैलीन- सरप्राईज़ है तुम्हारे लिए !
मैं नहा धो के शैलीन के दिए हुए कपड़े पहन ही रहा था कि मेरा ध्यान घड़ी की ओर गया, जिसमें साढ़े तीन बज रहे थे ! मुझे एक बजे की ट्रेन से निकलना था जो शैलीन को भी पता था, तो फिर शैलीन ने मुझे जगाया क्यों नहीं? अब क्या चाहिए शैलीन को? खैर मैं जैसे ही हॉल में पहुचा शैलीन काली साड़ी पहने हुए खडी थी, माथे पर काली बिंदिया, आँखों में काजल और अन्दर से उसका गोरा-गोरा जिस्म !
शैलीन बहुत खूबसूरत लग रही थी, जी तो कर रहा था कि बस देखता रहूँ इसे हमेशा !
लेकिन जैसे ही शैलीन ने मुझे देखा, कहने लगी- मैं तुम्हारा कब से इन्तजार कर रही हूँ ! क्या कर रहे थे बाथरूम में?
मैं- शैलीन कहीं जा रही हो?
शैलीन- मैं नहीं हम !
मैं- हम मतलब?
शैलीन- मतलब यह कि (मेरे पास आते हुए) आज दोपहर में तुम्हें जाना था ना ! लेकिन तुम घोड़े की नींद सो रहे थे, जब मैं तुम्हें जगाने आई तो तुमने मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया था, बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आप को तुमसे छुड़ाया ! वैसे तुम बहुत गहरी नींद में सो रहे थे, तुम्हें जगाना मुश्किल था।
मैं- लेकिन मैं जाना चाहता हूँ !
शैलीन (उदास होते हुए)- क्या मुझसे कोई गलती हो गई?
मैं- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन रुकने का कोई कारण भी तो नहीं है !
शैलीन- कोई बात नहीं ! आज हम कुतुबमीनार देखने चलते हैं ! (मुझे बाहों में लेते हुए) और खाना भी बाहर ही खायेंगे !
मैं- यह क्या कर रही हो शैलीन ?
शैलीन- क्यों कल रात जो हमारे बीच हुआ, उसके आगे यह क्या है?
मैं- ठीक है लेकिन खाना मैं खिलाऊँगा !
शैलीन- ओ. के.
मैंने सोचा कि आज यहीं रुक जाता हूँ, कल चला जाऊँगा और शैलीन की बात भी पूरी हो जाएगी ! फिर हम दोनों निकल पड़े और लालकिला और क़ुतुबमिनार देखा ! शैलीन मेरे साथ ऐसे घूम रही थी जैसे कि मैं उसका पति हूँ। बीच-बीच में मेरे हाथों में हाथ डाल कर चल रही थी, मुझे भी उसके साथ घूमने में मजा आ रहा था !
और फिर रात को नौ बजे हमने होटल ताज पैलेस खाना खाया, फिर रात को करीब ग्यारह बजे के आस-पास हम वापस आ गए!
मैं हॉल में बैठ कर टीवी ऑन करके देखने लगा, तब तक शैलीन ने मेरे लिए पानी ले कर आई! मैं अपना बैग खोल कर बैठ गया जिसमें जिन की बोतल थी।मैंने पानी ले कर मेज़ पर रख दिया ! इतने में ही शैलीन ने मेरे हाथों से बैग छीन लिया और बाजू में रख दिया और कहा- नब्बू, आज तुम शराब नहीं पियोगे क्योंकि इसे पीने के बाद तुम जानवर बन जाते हो !
मैं समझ गया कि शैलीन बीती रात की बात कर रही है, मैंने कहा- मैं शराब नहीं पी रहा था, मैं तो लैपटॉप निकाल रहा था !
इतने में ही शैलीन मेरे गोद में बैठ गई और एक हाथ मेरी गर्दन डाला और दूसरे हाथ की ऊँगली से मेरे गाल और होटों को बड़े प्यार से सहलाने लगी और कहने लगी- मुझे पता है कि तुम मौके की तलाश में रहते हो ! अच्छा यह बताओ कि तुमने आज तक कितनी लरकियों के साथ सेक्स किया है?
मैं हैरान था कि साले अर्जुन ने मेरे बारे में इतना सब कुछ बता दिया और यह भी कि काला मेरा पसंदीदा रंग है !
“बोलो ना” शैलीन की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ।
मैंने कहा- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मेरे सारे दोस्तों ने ऐसी ही अफवाह फैलाई थी।
इतने में शैलीन अपनी उंगली से मेरे होंठों को सहलाने लगी ! वो मुझे गर्म कर रही थी क्योंकि उसे मौक़ा मिल गया था, मेरा लण्ड भी अपने पूरे आकार में आ चुका था। मानो कि लण्ड की चमड़ी फट रही हो।
इतने में ही शैलीन अपने गालों से मेरे गालों को सहलाने लगी, मैं आह-आह करते हुए मजा लेने लगा और शैलीन को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
अचानक शैलीन ने अपने दांतों से, होंटों से मेरे कान पकड़ लिए। मैंने एक हाथ से उसके स्तन पकड़ लिए और जोर-जोर से दबाने लगा।
शैलीन सिसकारियाँ ले रही थी ! मैंने सीधा एक हाथ से शैलीन के बालों को पकड़ा और उसके होंठों को चूमने लगा;
आह… क्या मजा आ रहा था? मैं बता नहीं सकता !
उसके होंटों का वो मीठा-मीठा स्ट्राबेरी फ्लेवर ! मैं जैसे हवा में उड़ रहा था ! अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था !
मैं सीधा खड़ा हुआ और शैलीन को सोफे पर लिटा दिया और मैंने अपना अंडरवीयर छोड़ कर सारे कपड़े फटाफट उतार दिए और शैलीन के ऊपर आकर पागलों की भान्ति उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर के बाद शैलीन ने मुझे अपने ऊपर से उठा दिया और अपनी साड़ी-पेटीकोट-ब्लाउज उतार दिया !
अब वो मेरे सामने काले रंग की पैंटी और ब्रा में खड़ी थी।
कहने लगी- यही तुम्हारा मनपसन्द रंग है ना?
मेरी तो जैसे आँखें फटी की फटी ही रह गई थी ! उसके गोरे-गोरे जिस्म पर वो काली पैंटी और ब्रा ! मैं तो उसे देखता ही रह गया !
अचानक शैलीन ने कहा- बस हमेशा देखते ही रहना ! कभी लड़की नहीं देखी है क्या?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- शैलीन, सच में तुम बहुत खूबसूरत हो ! मैंने आज तक तुम्हारे जैसी कभी किसी को नहीं देखा ! जी तो चाहता है कि तुम्हें हमेशा के लिए अपना बना लूँ !
तो शैलीन ने मुझे दोनों हाथों से अपने बाहों में भर लिया कहने लगी- अभी तो मैं तुम्हारी ही हूँ ना !
शैलीन ने अपना पूरा जिस्म मेरे हवाले कर दिया था जिसका मैं जो चाहूँ कर सकता था ! हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे और चुम्बन कर रहे थे।
मैं तो जरूरत से ज्यादा ही गर्म हो चुका था, अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैंने शैलीन की पैंटी और ब्रा फटाफट उतार दी और अपनी अंडरवीयर भी !
हम दोनों नंगे हो गए। अब मैंने उसे सोफे पर ही लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया !
मैं अपने लण्ड से शैलीन की चूत को सहला रहा था और उसके दोनों चूचों के चुचूकों को मुँह में लेकर चूस रहा था ! शैलीन भी मजा ले रही थी क्योंकि उसकी हालत भी मेरे जैसी ही हो गई थी !
उसने आखिर कह ही दिया- नब्बू, डालो ना ! अब और कितना तरसाओगे?
बस फ़िर क्या? मैंने शैलीन के कूल्हों के नीचे सोफे का तकिया लगाया जिससे शैलीन की चूत उभर कर ऊपर आ गई।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा क्योंकि शैलीन को अभी भी पिछली रात की चुदाई का दर्द था। मेरे लण्ड का ऊपर का हिस्सा (सुपाडा) ही अन्दर गया था कि शैलीन ने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ लिया और चूमने लगी।
इतने में ही मैंने दनदनाता हुआ शॉट मारा, मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया !
दर्द की वजह से शैलीन कराहने लगी लेकिन मैंने अपना कार्यक्रम जारी रखा और धीरे-धीरे शैलीन की कराहटें सिसकारियों में बदल गई। थोड़ी देर के बाद शैलीन ने अपनी टांग मोड़ ली और नीचे से अपनी गाण्ड उछालने लगी !
यह मेरे लिए हरी बत्ती थी। बस फिर क्या था मैंने अपनी गति और तेज कर दी ! शैलीन ने मुझे कस के पकड़ा था और आहह्.. आह… कर रही थी। मैंने भी अपना पूरा जोर लगा दिया। हमारी चुदाई से फच-फच की आवाज आ रही थी।
फ़िर मैंने शैलीन घोड़ी बना दिया और उसके पीछे आकर जैसे ही अपना लण्ड डाला, शैलीन झट से पलट कर मेरे सामने खड़ी हो गई और कहने लगी- इस तरह से मत करो ! मुझे बहुत दर्द होता है !
मैंने कहा- कोई बात नहीं !
फिर मैंने उसे सोफे पर बैठा दिया और मैं उसके सामने आया और शैलीन की दोनों टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रखी और उसकी चूत में लण्ड डाला और शुरू हो गया फचा-फच का संगीत !
शैलीन मेरा चेहरा अपने हाथों में थाम चूमने लगी ! शैलीन ने अपनी पूरी जिबान मेरे मुँह में डाल दी, मैं भी उसकी जबान को चूस रहा था, उसका भी एक अलग मजा आ रहा था ! कभी मैं शैलीन के मुँह में जबान डालता तो कभी शैलीन मेरे मुंह में !
जैसे ही शैलीन ने मुझे कस के पकड़ा मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है!
मैं अपना लण्ड शैलीन की चूत से निकाल कर सोफे पर बैठ गया और शैलीन को अपनी तरफ खींचा और उसकी दोनों टांगों को मोड़ कर अपनी जांघ बैठा लिया और उसके दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख लिए। इस तरह से मेरा लण्ड शैलीन की चूत टकरा रहा था और मेरे होठ शैलीन के स्तनों से !
फिर मैंने शैलीन की गाण्ड को दोनों हाथों से पकड़ कर हल्के से उठाया और उसकी चूत पर नीचे से अपना लण्ड जैसे ही लगाया, शैलीन समझ गई कि उसे क्या करना है।
शैलीन मस्त हो कर ऊपर-नीचे होने लगी, जिससे शैलीन के चूचे झूलने लगे ! मैंने शैलीन की कमर को पकड़ लिया और उसके चुचूक चूसने लगा।
शैलीन को और भी ज्यादा मजा आने लगा, वो सी-सी करते हुए बोली- नब्बू, यह सब कहाँ से सीखा? सच में तुम तो कमाल के मर्द हो !
मैंने कहा- शैलीन डार्लिंग ! अभी तो बहुत कुछ बाकी है ! जो तुम्हें अर्जुन ने भी नहीं बताया होगा !
फिर शैलीन मेरे दोनों गालों को अपनी हथेलियों के बीच पकड़कर मुझे चूमने लगी और इसी बीच शैलीन ने अपना पानी छोड़ दिया।
फिर मैं दोनों हाथों से शैलीन को पकड़कर वैसे ही खड़ा हो गया ! मेरा लण्ड अभी भी शैलीन की चूत में ही था ! शैलीन ने भी अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को पकड़ लिया और दोनों हाथों से मेरी गर्दन को इस तरह से शैलीन का सारा वजन मेरे पैर पर ही था! फिर मैंने अपने दोनों हाथ से शैलीन की गाण्ड को नीचे पकड़कर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। इस आसन में तो मुझे अलग ही मजा आता है दोस्तो !
थोड़ी देर बाद मेरा भी पानी निकलने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड निकाल लिया, शैलीन को सोफे पर बैठा दिया और कहा- मैं अपना पानी कहाँ गिराऊँ?
तो शैलीन ने कहा- जो तुमको पसंद है वही करो ! बाकी मैं देख लूँगी !
शैलीन तो सोफे पर ही बैठी थी मैंने उसकी दोनों टांगों को थोड़ा सा खींचा और टांगों उठा कर शैलीन को हाथों में पकड़ा दिया जिससे शैलीन की चूत की लाली साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला और अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा। पांच-सात मिनट के बाद मैंने शैलीन की चूत में ही सारा पानी गिरा दिया।
करीब दो घंटे की इस चुदाई में हम दोनों बहुत ज्यादा ही थक गए थे, शैलीन कहने लगी- नब्बू, प्लीज मुझे बेडरूम तक पहुँचा दो न?
मैंने कहा- क्यों नहीं !
मैंने शैलीन को दोनों हाथों से उठाया और उसे बेडरूम में बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके बाजू में ही लेट गया। आधे घंटे के बाद हमने फिर सेक्स किया और उसके बाद हम सो गए।
इस तरह मैं पाँच दिन तक शैलीन के घर (दिल्ली में कनॉट प्लेस) पर ही रहा। रोज रात में हम चुदाई करते थे और दिन में इन्डिया गेट, क़ुतुब मीनार, रेड फोर्ट, लाल किला और चांदनी चौक आदि खूब घूमा करते थे। इन पांच दिनों में मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी नई-नई शादी हुई हो और मैं अपनी बीवी (शैलीन) के साथ हनीमून पर आया हूं !
सच मानो तो मेरी वहाँ से जाने की मेरी इच्छा ही नहीं हो रही थी लेकिन वो मेरा घर भी तो नहीं था ! मेरे नागपुर आने के बाद भी वो मेरे दिलो-दिमाग में उसकी (शैलीन) की यादें और बातें घूम रही थी।
दो दिन पहले ही शैलीन का फोन आया, कहने लगी- तुम बाप बनने वाले हो, मुबारक हो !
यह सुन कर मैं खुश था और हैरान भी !
मैंने तभी ही शैलीन के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन शैलीन ने इन्कार कर दिया, कहा- तुम मुझसे शादी करके सिर्फ मेरा जिस्म ही पा सकते हो, आत्मा और बाकी रिश्ता तो मेरा अर्जुन के साथ ही मरते दम तक जुड़ा है और जुडा ही रहेगा ! रही बात तुम्हारे बच्चे की, जो मेरी कोख में है, तो दुनिया वालो के लिए मैं इसे अर्जुन का नाम दूंगी !
मैं- शैलीन तुम यह अच्छी तरह से जानती हो कि मैंने आज तक किसी से प्यार नहीं किया है, लेकिन अब मैं तुम्हें प्यार करता हूँ! मेरा दिल मत तोड़ो !
शैलीन रोते हुए कहने लगी- मैं कुछ नहीं जानती, यह सिर्फ तुम्हारी जानकारी के लिए है, मैंने तुम्हें सिर्फ़ इसलिए बताया कि तुम अर्जुन के सबसे अच्छे दोस्त हो और मैं तुम में अर्जुन की छवि देखती हूँ। लेकिन तुम अर्जुन नहीं हो ! मुझे गलत मत समझना ! खुदा तुम्हें सलामत रखे !
शैलीन ने बाय कहकर फोन काट दिया !
शैलीन की सिर्फ इस बात ने मेरे जीवन में औरत शब्द की परिभाषा ही बदल दी!
क्या यह शैलीन का मेरे प्रति प्यार था या हवस ?