मामी के साथ प्यारी शरारतें और गांड चुदाई

मैं मामी की चूचियों को दबा और चूस रहा था। मामी मेरे हाथ को पकड़ कर अपने मन से इधर-उधर ले जा रही थीं। कमर के ऊपर अच्छे से मसलने के बाद मैंने अपनी उंगलियां मामी की बुर में डाल दीं। मैंने मामी की चूत में उंगलियों को इतना नचाया और रगड़ा कि मामी पूरी तरह से गीली हो गईं।

मामी मेरे लंड को हाथ नहीं लगा रही थीं, मेरे बहुत बोलने के बाद मामी ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। फिर कुछ देर बाद मेरी जिद पर वो मेरे लंड को मुँह में लेने को तैयार हो गईं।

थोड़ी देर मामी के मुँह मे लंड रखने के बाद मेरे अन्दर मामी की चूत चोदने की आग लग गई। मामी ने बुर चुदवाने से मना कर दिया, लेकिन साथ ही उन्होंने गांड मारने के लिए हाँ कर दिया।

अब मैं मामी के पीछे आ गया, उनकी गोरी चिकनी गांड देख मेरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैंने अपने लंड का सुपारा मामी की गांड पर टिका कर अन्दर डालने का प्रयास किया, तो मामी को गांड में दर्द होने लगा।

फिर उन्होंने गांड में वैसलीन लगाने को बोला। मैंने पास में ही रखी वैसलीन को लगा कर फिर से लंड को मामी की गांड के छेद पर टिका दिया।

अबकी बार लंड फिसलते हुए पूरा मामी की गांड में चला गया। मामी की भी एक बार को ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई। शुरू में धीरे-धीरे धक्का देने का बाद मैंने तेज़-तेज़ धक्का देना शुरू कर दिया।
मामी भी सिसकारियां लेकर गांड मरवाने का आनन्द ले रही थीं।

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धक्का देते-देते मेरा वीर्य गिरने को हुआ, मैंने पूछा- मामी अन्दर ही गिरा दूँ?
मामी ने बोला- हाँ..
मैं उनकी गांड में ही खाली हो गया।
फिर बिना लंड निकाले हम दोनों एक-दूसरे से चिपके रहे।

थोड़ी देर बाद मैं उठा और बाथरूम जाकर स्नान करके आया। मामी के चेहरे पर सुकून था और मैं भी सुकून महसूस कर रहा था।

आने वाले बाकी दिन भी मजेदार रहे।

मुझे ध्यान न रहा कि मेरा और मामी का मामी-भांजे का रिश्ता कब का ख़त्म हो चुका है। अब मामी को मामी न मान एक अच्छा मित्र मानता हूँ।

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