मामा के भांजी को चोदने की सेक्सी कहानी

फिर मैं वापस रूम में आ गयी और पियू के साथ बेड पेर लेट गयी. पर नींद नही आ रही थी. क्यूंकी मेरे दिल दिमाग़ में बस मामा जी का लंड घूम रहा था.

मैं (मॅन में): यार मुझे क्या हो रहा है? मामा जी के लंड के बारे में क्यूँ सोच रही हू? मुझे खुद को रोकना होगा. ये ग़लत है.

लेकिन मैं क्या करू, मुझे नींद भी तो नही आ रही. आँखें बंद करती हू तो मामा जी का लंड सामने आ जाता है. क्या करू मैं?

और पूरी रात मैं मामा जी के लंड के बारे में ही सोचती रही, और ना जाने कब सुबा हो गयी.

फिर सुबा जैसे ही मेरी आँख खुली, तो देखा राजू और पियू दोनो रूम में नही थे. रूम से बाहर आई तो वाहा पर भी कोई नही था. फिर मुझे याद आया की मामी जी ने कहा था, की सुबा वो सवेरे 6:00 बजे घर से निकल जाएँगे, और मुझसे कहा था की मैं उठ कर खुद भी नाश्ता कर लू, और मामा जी को भी नाश्ता करा डू.

मैं फिर उठी, हाथ-मूह धो कर किचन में गयी. किचन के अंदर नाश्ता पहले से तैयार किया हुआ था. तो मैने सोचा पहले मामा जी को उठा कर आती हू, फिर साथ में बैठ कर नाश्ता करते है. और फिर मैं मामा जी के बेडरूम में गयी उनको जगाने के लिए.

मामा जी कंबल ओढ़ कर सोए हुए थे. मैने कंबल हटाया, तो देखा मामा जी का लंड अकड़ कर खड़ा था, हार्ड और फुल टाइट था. और वो नंगे सोए हुए थे. बेड पर उनको ऐसे देख कर मेरे दिल में गंदे ख़याल आने लगे. मैं क्या करती, उनका लंड ही ऐसा था.

मेरा दिल तो कर रहा था की मामा जी का लंड अभी पकड़ लू. लेकिन मुझे दर्र लग रहा था, की कही मामा जी जाग ना जाए. और शरम भी आ रही थी. फिर मैने मामा जी को कंबल ओढ़ा दिया और रूम के दरवाज़े पर जेया कर खड़ी हो कर मामा जी को आवाज़ दी. फिर वो जाग गये, और मैने उनसे कहा-

पिंकी: मामा जी, आप फ्रेश हो जाओ, मैं आपके लिए नाश्ता लगा देती हू.

मैं इतना बोल कर वापस किचन में चली गयी. फिर जब मामा जी अपने बेडरूम से बाहर आए, तो सिर्फ़ वो सिर्फ़ टोलिया लपेटे हुए थे, और सीधे बातरूम में चले गये.

थोड़ी देर बाद मैने सोचा क्यूँ ना मामा जी को नहाते हुए देखु. वैसे भी बातरूम के दरवाज़े की कुण्डी थोड़ी ढीली थी, तो तोड़ा दरवाज़ा खुला रहता था, जिसकी वजह से बातरूम में नहाते हुए को देख सकते थे.

मैने देखा मामा जी पुर नंगे खड़े थे शवर के नीचे और अपना लंड हाथ में पकड़ कर मेरा नाम ले रहे थे.

मामा जी: पिंकी तुम कितनी सेक्सी हो, तुम्हारे नाम से मेरा लंड खड़ा हो गया है. लगता है अब मेरे इस लंड को पिंकी की छूट चाहिए. मुझे पता है यार ग़लत है, लेकिन मेरा लंड खड़ा हो गया है. अब मैं क्या करू इस लंड का. बाहर जौ तो कैसे जौ? ऐसा करता हू टवल लपेट लेता हू.

और फिर मामा जी टवर लपेट कर बातरूम से बाहर आए. लेकिन आयेज से तोड़ा फूला हुआ लग रहा था. मतलब मामा जी का लंड खड़ा था अभी भी. मैने उनसे कहा-

पिंकी: मामा जी, आप फ्रेश हो गये हो, चलो कपड़े पहन लो, मैं नाश्ता लगा देती हू.

लेकिन मामा जी वही खड़े रहे, और जान-बूझ कर टवल नीचे गिरा दिया. वो मेरे सामने नंगे हो गये. उनका लंड एक-दूं टाइट हो कर खड़ा था. फिर मेरी तरफ मामा जी बढ़े, तो मैने उनसे कहा-

पिंकी: मामा जी, आप ये क्या कर रहे हो?

मामा जी: पिंकी मेरे सामने इतनी खूबसूरत सेक्सी लड़की खड़ी हो, और मैं उसे कुछ ना करू, ऐसा हो नही सकता.

और मैं जानता हू की मुझे ऐसा नही करना चाहिए. लेकिन मैं क्या करू, तुम इतनी सेक्सी हो की मैं खुद को रोक नही पा रहा हू.

पिंकी: लेकिन मैं तुम्हारी भांजी हू, और ये सब ग़लत है. ऐसा नही हो सकता.

मामा जी: मैं जानता हू तुम मेरी बेहन की बेटी हो. लेकिन जब से मैने तुम्हे नंगी देखा है, तब से मुझे मालूम नही क्या हो गया है. और पिंकी, मेरी हालत की ज़िम्मेदार तुम हो, क्यूंकी तुमने मेरे लंड को खड़ा किया है. अब तुम ही इस लंड को शांत कर सकती हो.

मैं मामा जी के मूह से ये सब सुन कर हैरान थी, की मामा जी मेरे बारे में ऐसा सोचते थे. लेकिन अब और मैं क्या कर सकती थी. तो मैने उनसे कहा-

पिंकी: मैं आपके लंड को कैसे शांत कर सकती हू?

मामा जी: तुम अपने हाथ में लेकर मेरे लंड को रागडो ( मतलब मूठ मारो). और जैसे मेरे लंड से पानी निकल जाएगा, वो शांत हो जाएगा.

पिंकी: ठीक है मामा जी.

और फिर मैं अपने हाथ में मामा जी का लंड लेकर उपर-नीचे करने लगी, मूठ मारने लगी. मामा जी अपने मूह से ह आह ऑश कर रहे थे. अब मुझे ऐसा करते हुए 5 मिनिट से उपर हो गये थे, लेकिन मामा जी का निकल ही नही रहा था. और ऐसे में वो मेरे बूब्स को मेरे कपड़ों के उपर से दबाने लगे.

पिंकी: ये क्या कर रहे हो मामा जी? आपने तो सिर्फ़ कहा था की मैं आपके लंड को हाथ में लेकर मूठ मारू.

मामा जी: हा, मैने सोचा था की तुम अपने हाथ से मेरे लंड को हॅंजब डोगी, तो ये शांत हो जाएगा. लेकिन मेरे लंड को तुम्हारे हाथ के साथ तुम्हारी छूट की ज़रूरत है. तब जेया कर मेरा लंड शांत होगा. और ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है.

अब क्या करती मैं, मेरे पास और कोई रास्ता नही था. तो मैने मामा जी से कहा-

पिंकी: ठीक है, आपको जो करना है करो मेरे साथ. लेकिन आप ये बात किसी को नही बताओगे. बस हम दोनो के बीच रहेगी ये बात.

मामा जी: हा मैं तुमसे वादा करता हू, की मैं किसी को नही बतौँगा.

इतना बोलने के बाद मामा जी मुझे किस्सिंग करने लगे. वो मेरे होंठो को अपने मूह में लेकर चूसने लगे. मुझे शरम आ रही थी, तो मैने आँखें बंद कर ली.

फिर मेरे कपड़े उतार दिए मामा जी ने. अब मैं उनके सामने ब्रा पनटी में खड़ी थी. वो घुटनो के बाल बैठ गये, और मेरी पनटी के उपर से मेरी छूट को चाटने लगे.

फिर थोड़ी ही देर में मेरी पनटी नीचे कर दी, और अपनी जीभ से मेरी छूट को छोड़ने लगे. वो अपनी जीभ मेरी छूट के अंदर-बाहर कर रहे थे, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी छूट गीली हो गयी थी, और पानी छ्चोढने लगी थी. मामा जी सारा पानी अपनी जीभ से चाट गये.

फिर वो खड़े हुए, और मेरी ब्रा निकाल दी. अब वो मेरे बूब्स के निपल्स को अपने मूह में लेकर चूसने लगे, और हाथो से बूब्स को दबाने लगे. मेरे मूह से हल्की-हल्की आह ह आह की आवाज़ निकालने लगी. फिर मामा जी ने मुझे घुटनो के बाल बिता दिया, और खुद खड़े हुए. फिर उन्होने अपना लंड मेरे मूह में दिया और मैं कुलफी की तरह चूसने लगी.

मामा जी के लंड का गुलाबी टोपा मुझे बहुत मज़ा दे रहा था, और बहुत हार्ड भी था, और गरम भी. मुझे लंड चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैने उनका लंड करीब 7 से 10 मिनिट तक अपने मूह में लेकर चूसा. अब तो मेरे होंठ भी दुख नही रहे थे.

फिर मामा जी मुझे अपनी गोद में उठा कर अपने बेडरूम में ले गये. उन्होने मुझे सीधी बेड पर लिटा दिया, और मेरे पैर फैला दिए. फिर वो खुद मेरे उपर आ गये, और मुझसे बोले-

मामा जी: पिंकी अब तुम तैयार हो? अब मैं अपना लंड तुम्हारी छूट में घुसने वाला हू.

पिंकी: हा मामा जी, मेरी छूट भी तैयार है आपका लंड अपने अंदर लेने के लिए. लेकिन धीरे-धीरे से अंदर डालना जिससे मुझे मज़ा आए और दर्द ना हो.

मामा जी: पिंकी तुम चिंता मत करो, मैं चुदाई करने में एक्सपर्ट हू. तुम्हे इतना मज़ा आएगा की तुम्हारी छूट हमेशा मेरा लंड ही माँगेगी छुड़वाने के लिए.

पिंकी: ठीक है मामा जी, अब बहुत देर मत करो, और डाल दो अपना लंड मेरी छूट में.

और फिर मामा जी ने धीरे-धीरे से अपना लंड मेरी छूट में घुसा दिया. वैसे मेरी छूट गीली थी, तो उनका लंड आराम से अंदर घुस गया, और घपा-घाप चुदाई चालू. मेरे मूह से अब ह ह ओह आह उउफ़फ्फ़ की सिसकियाँ निकालने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

पिंकी: मामा जी छोड़ो मुझे, छोड़ो मुझे, बहुत मज़ा आ रहा है.

और मामा जी भी नों-स्टॉप धक्के पर धक्का मार रहे थे मेरी छूट के अंदर.

मेरी छूट गीली थी, तो फू फा फू फा की आवाज़ भी निकल रही थी. और फिर हमने पोज़िशन चेंज. मैं डॉगी स्टाइल में और मामा जी ने मेरे पीछे घुटनो के बाल बैठ कर लंड मेरी छूट में घुसाया.

अब मामा जी ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर कर रहे थे. उनका लंड मेरी छूट की गहराई तक घुस रहा था, और मुझे चरम सुख मिल रहा था. ऐसे ही मामा जी ने 5 से 6 मिनिट तक छोड़ा, और फिर पोज़िशन चेंज करवाई.

नेक्स्ट पोज़िशन में मामा जी सीधे लेते, और मैं उनके उपर उनका लंड अपनी छूट में लेकर उपर-नीचे होने लगी. ऐसे तो और ज़्यादा मज़ा आने लगा मुझे. मैं तेज़-तेज़ सिसकियाँ निकालने लगी. इस पोज़िशन में मामा जी मेरे बूब्स भी दबा रहे थे, और निपल चूस भी रहे थे.

इससे मुझे कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, और ऐसे ही मैं 5 मिनिट के करीब उपर-नीचे हुई. फिर मामा जी के लंड ने मेरी छूट के अंदर ही पिचकारी छ्चोढ़ दी, और मेरी छूट ने भी अपना पानी छ्चोढ़ दिया. अब हम दोनो शांत हो गये. मैं मामा जी को कस्स कर लिपट गयी.

फिर हम दोनो ने अपने-अपने कपड़े पहन लिए, और फिर मैं मामा जी के साथ चली गयी, जहा मामा जी ने मेरी जॉब के लिए बात की थी. मुझे वाहा जॉब मिल गयी शॉपकीपर की.

फ्रेंड इससे आयेज क्या हुआ, इस कहानी के नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. और प्लीज़ मुझे कॉमेंट करना अगर मेरी ये कहानी आप सब को पसंद आई हो तो. प्लीज़ प्लीज़ कॉमेंट करना, मैं इंतेज़ार करूँगी आपके कॉमेंट्स का.

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