अब मैं अपने घर के बारे में बता डू. मैं, मेरी मा, पापा और एक छ्होटा भाई है मेरे घर में. हमारे घर की हालत कुछ ठीक नही थी, इसलिए मैं बड़ी सिटी में जेया कर नौकरी करना चाहती थी. तो मैने अपने मामा जी से अपनी नौकरी के लिए बात की.
उन्होने हा कर दी, और फिर जैसे-तैसे करके मैने अपनी मा और पापा को माना लिया सिटी जेया कर नौकरी करने के लिए. बस अब मैं तैयारी कर रही थी सिटी में जाने के लिए. वाहा मैं मामा जी के घर रुकने वाली थी.
मामा जी के घर में सुबा सवेरे राजू और पियू दोनो एग्ज़ॅम के लिए लड़ रहे थे.
मामा जी: अर्रे तुम दोनो क्यूँ लड़ रहे हो सुबा उठते ही?
पियू: फूफा जी, हमारे एग्ज़ॅम एक साथ है. तो राजू बोलता है की बुआ उसके साथ जाएगी मेरे साथ नही जाएगी.
राजू: हा-हा मों मेरे साथ जाएँगी, क्यूंकी वो मेरी मों है इसकी नही.
मामा जी: तुम दोनो लाडो मत, और राजू ऐसे नही बोलते. वो तुम्हारी बेहन है ना. और रही बात एग्ज़ॅम की, तो तुम्हारी मों तुम दोनो के साथ जाएँगी.
मामी जी: अगर मैं इन दोनो के साथ चली गयी, तो आप घर में अकेले होंगे, और आपका ख़याल कों रखेगा?
मामा जी: उसकी तुम टेन्षन मत लो. क्यूंकी कल सुबा पिंकी यहा हमारे घर आने वाली है. कल मैने फोन पर उससे बात की थी.
(फोन)
पिंकी: मामा जी, मैं पिंकी बोल रही हू. आप वाहा सब कैसे हो? राजू और मामी जी ठीक है?
मामा जी: हा पिंकी बेटा, यहा सब ठीक ताक है. तुम बताओ तुम और बेहन और जीजा जी कैसे है, और छ्होतू कैसा है?
पिंकी: नही मामा जी, यहा कुछ ठीक नही है.
मामा जी: क्यूँ, क्या हुआ है?
पिंकी: मामा जी ऐसी कोई बात नही है. बस घर की हालत कुछ ठीक नही है, और खर्चे बढ़ गये है. तो मैने सोचा क्यूँ ना मैं भी नौकरी पर लग जौ.
मामा जी: ये तो बहुत अची बात है, की तुम नौकरी करना चाहती हो. अपने घर का बोझ उठना चाहती हो. बोलो इसमे मैं तुम्हारी क्या हेल्प कर सकता हू?
पिंकी: क्या मुझे आपकी सिटी में कही पर नौकरी मिलेगी मामा जी?
मामा जी: हा बिल्कुल, तुम्हे मिल जाएगी. तो तुम यहा आ जाओ हमारे पास. मैं तुम्हारी कही ना कही नौकरी लगवा दूगा, ठीक है?
पिंकी: ठीक है मामा जी. मैं आज शाम की ट्रेन से निकलूंगी, और कल सुबा आपके घर पहुँच जौंगी.
मामा जी: ठीक है बेटा, और तुम यहा सिटी में पहुँच कर फोन करना. मैं स्टेशन पर आ जौंगा तुमको लेने.
पिंकी: ओके मामा जी, तो फिर मिलते है.
मामा जी: मुझे इंतेज़ार रहेगा.
मामी जी: तो ठीक है. मैं राजा और पियू के रूम में एक बेड लगवा देती हू.
पियू: नही मों, एक और बेड की ज़रूरत नही है. मैं और पिंकी एक साथ एक बेड पर सो जाएँगी.
ममीज़ी: ठीक है पियू, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.
(नेक्स्ट दे)
और फिर मैं घर से तैयार हो कर निकल गयी सिटी, मामा जी के घर के लिए. फिर स्टेशन पर पहुँच कर मैने मामा जी को फोन किया.
मामा जी: हेलो पिंकी बेटा.
पिंकी: मामा जी, मैं पहुँच गयी हू. स्टेशन पर खड़ी हू. आप आ जाओ मुझे लेने.
मामा जी: ठीक है पिंकी बेटा. मैं आ रहा हू तुमको लेने. करीब 30 मिनिट के अंदर पहुँच जौंगा स्टेशन.
पिंकी: ओके मामा जी, मुझे इंतेज़ार रहेगा आपका.
फिर मामा जी मुझे लेने आ गये. वो मुझे देख कर बहुत खुश हुए, पर मैने एक बात नोट की थी. उनकी नज़र सीधे मेरे बूब्स पर थी. अक्सर लोग जब भी मुझे देखते है, तो पहली नज़र मेरी छाती मेरे बूब्स पर ही जाती थी.
फिर जब मामा जी से मैं गले मिली, तब उनक लंड सीधा मेरी छूट को टच हुआ, और मेरे बूब्स उनकी चेस्ट को टच हुए. तब मेरे अंदर एक करेंट जैसा महसूस हो रहा था ( क्यूंकी 5 दिन पहले एक लंड मेरी छूट अपने अंदर ले चुकी थी ). और वो लंड किसका था, वो मैं आप सब को इस कहानी में आयेज बतौँगी,
मैं फिर मामा जी के साथ गाड़ी में बैठ कर उनके घर आ गयी.
मामी जी: मेरी प्यारी बेटी पिंकी, तुम कैसी हो?
पिंकी: मामा जी बिल्कुल ठीक-ताक हू, आप बताओ आप कैसी हो?
मामा जी: मैं भी ठीक हू. आप बैठो, इससे मिलो. ये है तुम्हारा छ्होटा भाई राजू,
पिंकी: ओह राजू, तुम तो काफ़ी बड़े हो गये.
वैसे फ्रेंड्स राजू काफ़ी हॅंडसम लग रहा था. मुझे पहली ना,आर में पसंद आ गया.
राजू: ठीक हू दीदी, वैसे आप बताओ, आप बड़ी डोर से आई हो, आपके वाहा कैसा है सब, बुआ और फूफा जी सब कैसे है?
पिंकी: सब ठीक ताक है राजू, और ये कों है?
पियू: ही पिंकी, मैं पियू हू. तुम्हारे मामा जी के भाई की लड़की.
पिंकी: ओह नाइस, तुम बहुत खूबसूरत गो.
वैसे पियू का फिगर काफ़ी अछा था 34-26-34. और फिर सब से मिलने के बाद मुझे मामी जी ने कहा की मैं फ्रेश हो जौ. फिर मैं बातरूम में चली गयी नहाने, और बाकी सब अपने काम में लग गये.
और वैसे ही सुबा मामी जी, राजू और पियू के साथ जाने वाले थे. उन दोनो के एग्ज़ॅम थे ना इसलिए. मैं जैसे बातरूम के अंदर गयी, और जैसे दरवाज़े की कुण्डी लगाई, तो कुण्डी टूटी हुई थी. तो मैने ऐसे ही अटका दी, और अपने कपड़े उतार कर नहाने बैठ गयी. थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा की कोई मुझे देख रहा था.
और वाहा कोई और नही मामा जी थे. तो मैने सोचा क्यूँ ना मामा जी के मज़े लिए जाए, मतलब मस्ती. मैने शवर ओं किया, और ठंडा-ठंडा पानी मेरे पुर जिस्म को मदहोश कर रहा था. वो पानी मेरे जिस्म को
मदहोश कर रहा था, लेकिन मेरी छूट तो गरम कर रहा था.
मैं बोली: काश इस समय इस बातरूम में मेरी छूट को कोई मस्त लंबा सा लंड मिल जाए, तो मज़ा आ जाए. चलो उंगली से ही काम चला लेती हू. लंड कहा मिलेगा यहा.
मैं जान-बूझ कर ऐसा बोल रही थी. क्यूंकी मैं तो नामा जी के मज़े ले रही थी, इसलिए. लेकिन मामा जी तो कुछ और ही समझ रहे थे. बातरूम के अंदर उनकी आवाज़ सुनाई दे रही थी की वो क्या बोल रहे है.
मामा जी: यार पिंकी, तो बहुत बिगड़ गयी है, और क्या सच में ये अपनी छूट रग़ाद रही है. लगता है ये सच में अपनी छूट रग़ाद रही है, तभी तो मेरा लंड खड़ा हो रहा है इसकी आवाज़ सुन कर. इसकी आवाज़ सुन कर मेरा लंड खड़ा हो रहा है, अगर मैने इसको नंगी देख लिया तो मेरा क्या हाल होगा?
मामा जी: लेकिन यार मेरी बेहन की बेटी है. मैं इसके बारे में ऐसा ग़लत क्यूँ सोच रहा हू?
मुझे अब यहा से जाना चाहिए. नही तो मैं खुद पर और कंट्रोल नही कर पौँगा, और कुछ ग़लत हो जाएगा.
पिंकी: मैने ये सुन कर दरवाज़ा खोल दिया, और मैं मामा जी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी (और जैसे उन्होने मेरी तरफ देखा, मैने दरवाज़ा बंद कर लिया).
अब कोई आवाज़ नही आ रही थी, तो मैने फिर से तोड़ा सा दरवाज़ा खोला. मैने देखा तो बाहर मामा जी नही थे. वो वाहा से चले गये थे.
नेक्स्ट रात डिन्नर के समय मैं मामा जी के सामने एक-दूं नॉर्मल थी, जैसे कुछ हुआ ही नही, और मामा जी भी ऐसे ही नॉर्मल थे. खाना खाने के बाद मैं पियू और राजू के रूम में चली गयी, और मैं पियू साथ उसके बेड पेर सो गयी.
रात के करीब 1:00 आम को पानी पीने के लिए उठी, तो मुझे मामा जी के बेडरूम से कुछ आवाज़ आ रही थी एयेए ऑश आआहह की. मामा और मामी दोनो नंगे थे, मतलब चुदाई चालू थी.
मामी जी डॉगी स्टाइल में थी, और मामा जी पीछे घुटनो के बाल बैठ कर अपना लंड मामी की छूट में डाल कर घपा-घाप छोड़ रहे थे. और मामी अपने मूह से आह ह आह ऑश की सिसकियाँ निकाल रही थी.
मामी जी: आह आह ऑश उफ़फ्फ़ डार्लिंग, और ज़ोर से करो. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. आप अपना पूरा लंड मेरी छूट में घुसा दो. ह आह ह आह ऑश उफ़फ्फ़ डार्लिंग करते रहो, रुकना मत. छोड़ो मुझे, और ज़ोर से छोड़ो. डार्लिंग मेरी छूट तुम्हारे लंड की प्यासी है.
मामा जी: हा डार्लिंग, मुझे भी तुम्हारी गीली रसीली छूट छोड़ने में बहुत मज़ा आता है.
उन दोनो की चुदाई देख कर मैं गरम होने लगी, और ना-जाने कब मेरा हाथ मेरी सलवार के अंदर मेरी छूट पेर चला गया, और मैं अपनी छूट को हाथ से रगड़ने लगी.
मामा जी: डार्लिंग अब मेरा निकालने वाला है.
मामी जी: डार्लिंग मेरी छूट के अंदर मत निकलना अपने लंड का पानी. मैं तुम्हारे लंड का पानी पीना चाहती हू, इसलिए तुम अपने लंड का पानी मेरे मूह में छ्चोढना. मैं कब से तड़प रही थी तुम्हारे लंड का पानी (कम) पीने के लिए.
पिंकी: अंदर मामा जी ने मामी के मूह में अपना पानी छ्चोढ़ दिया, और इधर मेरी छूट ने अपना पानी छ्चोढ़ दिया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.