आइसक्रीम, मालिश और माँ की चुदाई

मैं माँ के मम्मों को घूर रहा था… और माँ मेरे कैप्री के उभार को… मेरे लंड के उभार को देखकर माँ का चेहरा लाल हो रहा था।

मैंने गौर किया कि माँ की ब्लाउज पूरी तरह से पसीने में भीग चुकी है… और उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी, जिसकी वजह से माँ के निप्पल साफ़ दिखाई दे रहे थे।

तभी माँ बोली- जल्दी से मेरे शरीर पर लगी आइस क्रीम साफ़ कर दे।
मैं- माँ… कैसे साफ़ करूँ? यहाँ तो कोई बेकार कपड़ा भी नहीं है?
माँ मस्ती में बोली- चाट कर साफ़ कर दे!
मैं- सच माँ?
माँ – हम्म…
बोल कर मुस्कुराने लगी।

मम्मी बेड पर लेट गई और मैं उनके पेट पर लगी आइसक्रीम चाटने लगा। माँ के पेट में लगी आइसक्रीम का मजा ही कुछ और था।
फिर मैंने देखा कि माँ की गहरी और गोल नाभि में आइसक्रीम भरी हुई थी। मैं माँ की नाभि में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा और इस वजह से माँ गर्म होने लगी और उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

मैंने माँ की नाभि पर लगी आइसक्रीम चाट ली और फिर उसके बाद लाइट आ गई तो माँ ने कहा- जाओ.. अपने कमरे में सो जाओ।
मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में आ गया और माँ के बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

अगली सुबह मेरी आँख खुली तो मैं उठकर बाहर हॉल में गया… तो माँ उठ चुकी थी और उन्होंने केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था।
यह देख कर मेरा लंड फिर से तन गया और मेरे पैंट से बाहर आने को बेताब हो रहा था।

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मैंने माँ को पीछे से जाकर हग किया और मेरा लंड माँ की गांड में टच होने लगा… तो माँ मुस्कुराने लगी और कहा- बेटा.. जल्दी से नाश्ता कर ले…

फिर मैंने माँ से पूछा- मम्मी.. आपने आज साड़ी क्यू नहीं पहनी?
मम्मी ने कहा- मेरे बदन में दर्द हो रहा है और मुझे तुझसे मालिश करवानी है।
मैं बहुत खुश होने लगा और मैंने सोच लिया कि आज माँ को किसी भी तरह चोदना ही है।

मैंने और माँ ने जल्दी से नाश्ता खत्म किया।

अब माँ अपने रूम के बेड पर जाकर उल्टी लेट गई और मैं बॉडी ऑयल लेकर माँ के पास आ गया।
फिर मम्मी ने अपना पेटीकोट जांघों तक ऊपर कर दिया और मैं मम्मी की टांगों की मालिश करने लगा।

मैंने माँ से कहा- माँ… आपके पेटीकोट में आयल लग रहा है.. और मुझे मालिश करने में भी प्रॉब्लम हो रही है… आप इसे उतार दो!
माँ ने मेरी तरफ देखा और सेक्सी सी मुस्कान के साथ कहा- तू ही उतार दे!
मैंने झट से माँ के पेटीकोट का नाड़ा खींच कर उसे उतार दिया।

अब माँ केवल पेंटी और ब्लाउज में थी।

मैं माँ की जांघों की मालिश करने लगा… कभी कभी मैं माँ की गांड और चुत को उंगली से छू देता.. तो माँ सिहर जाती थी।

फिर मैंने माँ की पीठ की मालिश शुरू कर दी और माँ से बिना पूछे ही उनकी ब्लाउज की डोरियाँ खोल दी।
अब माँ पीछे से पूरी तरह नंगी थी… मैं उनकी मालिश करने लगा।
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थोड़ी देर बाद माँ ने खुद ही अपना ब्लाउज भी उतार दिया, माँ अब बेड पर सिर्फ एक पेंटी में मेरे सामने लेटी हुई थी।
मन तो कर रहा था कि अभी पेंटी खोल कर माँ की चुत में अपना लंड डाल दूँ।

फिर मैं माँ की मालिश करते हुए उनके मम्मों को भी टच कर देता… कुछ देर पीठ की मालिश करने के बाद माँ ने कहा- बेटा मेरे कूल्हों की भी थोड़ी मालिश कर दे।

माँ के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड पूरे उफान पर पहुंच गया, मैंने माँ से बिना पूछे ही उनकी पेंटी उतार फेंकी।
माँ थोड़ा शरमा गई।

मैंने माँ की गांड पर खूब सारा तेल डाला और वो तेल गांड की दरार से होता हुआ माँ की चूत तक जाने लगा। मैंने माँ की गांड की मालिश शुरु की और मैं बीच बीच में माँ की गांड के छेद और चूत में उंगली कर रहा था जिसके कारण माँ गर्म होने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी।

मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए एक हाथ से अपनी केप्री को नीचे कर दिया और अपना खड़ा हुआ लंड निकाल कर माँ की गांड से हल्के हल्के रगड़ने लगा… मुझे लगा कि शायद माँ को ये सब पता नहीं है।

इसी बीच माँ सीधी हो गई और उन्होंने मेरा तना हुआ लंड अपने हाथों में पकड़ लिया और मेरी आँखों मे आँखें डाल कर मुझे देखने लगी और फिर मेरे लंड को दबाने लगी।

मैं भी माँ के बड़े मम्मों को देख कर तुरंत उन्हें चूसने लगा और उनकी चूत में उंगली करने लगा।
धीरे धीरे माँ मदहोश होने लगी।

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