मजबूरी में रंडी बनी

ही दोस्तों, मैं रीना शर्मा आपको मेरी चुदाई कहानी बताने जेया रही हू. मेरी आगे अभी 26 साल है. मेरे बूब्स 34सी के, 30″ की कमर, और 36″ की चुड़क्कड़ गांद है. वैसे मैं अभी मुंबई बांद्रा के एक बार में नाचने के काम करती हू, और बड़े-बड़े बिज़्नेस्मेन से लेकर रोड के मज़दूर से पैसे के लिए चुड़वति हू.

मैं मेरे मम्मी-पापा के साथ पहले बिहार के छ्होटे से गाओं में रहती थी. मेरे पापा ट्रक चलते थे, और मा घर में ही रहती थी. लेकिन अचानक पापा का आक्सिडेंट हो गया, जिसमे उनको परॅलिसिस हो गया, और वो बेड पर ही रहने लगे. उसके बाद मम्मी घर से बाहर एक कॉंट्रॅक्टर के पास दिन की दिहाड़ी पर काम करती थी.

जैसे-तैसे हमारा गुज़ारा हो रहा था. लेकिन कुछ टाइम बाद सब ठीक हो गया. मम्मी भी खुश रहने लगी. लेकिन 4 साल बाद अचानक एक दिन मम्मी बीमार पद गयी. 2 हफ्ते बीट गये, लेकिन मम्मी की तबीयत ठीक नही हो रही थी. क्या करती समझ नही आ रहा था. फिर मैने सोचा 19 साल की हो गयी हू तो मैं भी काम कर सकती हू.

फिर मैं भी काम ढूँढने लगी, बुत कही मिला नही. तो मैं मम्मी जिस कॉंट्रॅक्टर के पास जाती थी, उनके पास गयी काम माँगने के लिए. तो वो बस मुझे घूर रहे थे बड़ी आँखों से. मुझे कुछ अलग ही लगा.

तभी वो बोले: ठीक है, ऑफीस में आओ बात करते है.

और वो ऑफीस में चले गये. मैं भी उनके पीछे-पीछे ऑफीस में चली गयी. उन्होने मुझे एक चेर पर बिताया, और मेरे पीछे खड़े थे.

उन्होने मुझे कहा: देखो रीना तुम छ्होटी हो, ये सब काम नही कर सकती हो. मेहनत का काम है ये.

मैने कहा: प्लीज़ साहब, कुछ भी काम डेडॉ आप. मैं सॉफ-सफाई झाड़ू-पोछा कुछ भी करूँगी साहब. प्लीज़ रख लो. घर में समान नही है खाने का मेहरबानी हो जाएगी.

मैं उनके सामने रोने लगी, और रिक्वेस्ट करना लगी. उन्होने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा-

वो: देखो रीना तुम चाहती हो तो तुम बिना काम किए भी पैसे कमा सकती हो, अपने मम्मी-पापा को संभाल सकती हो.

ऐसा कहते हुए उनके हाथ कंधे से नीचे होते हुए मेरे बूब्स पर आ गये, और वो उनको दबाने लगे. मैं झट से उठी, और उनको गुस्से देखने लगी.

मैं बोली: आप क्या कर रहे हो साहब? ये ग़लत है.

तो वो बोले: कुछ ग़लत नही है रीना. तुम चाहो तो सब सही होगा.

और वो मुझे फिर अपने पास खींचे. मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं वहाँ से निकल गयी. फिर क्या करू सोचते-सोचते घर आ गयी और रात के खाने के लिए देखने लगी. पर घर में समान भी नही बचा था. मुश्किल से एक वक़्त का आत्ता और थोड़ी सी डाल थी. मैं सुबा-सुबा बानिए के पास गयी सामान लेने. लेकिन उसने भी माना कर दिया.

मैने रिक्वेस्ट की: प्लीज़ अंकल डेडॉ, मम्मी की तबीयत खराब है. चाहो तो मैं आपका काम करूँगी कुछ भी, पर प्लीज़ डेडॉ भैया.

तो उन्होने कहा: ठीक है आ जाओ घर के अंदर.

और उन्होने दरवाज़ा खोला. मैं घर में चली गयी, और वो पीछे से आ गये.

मैने पूछा: बताओ अंकल क्या काम है?

तो उन्होने अपनी पंत उतरी, और कहा: चूसो इसे और ले जाओ अपना राशन.

मैने कहा: नही मुझे ये सब नही करना. आप दूसरा काम डेडॉ.

तो उन्होने माना कर दिया. मैं वहाँ से चली गयी. मैं घर जेया कर सोचने लगी क्या करू? कैसे लाउ घर का राशन और मम्मी की दवाइयाँ? यही सोच रही थी. तभी अचानक मम्मी की तबीयत बहुत खराब हो गयी, और उनको हॉस्पिटल में अड्मिट करना पड़ा.

हॉस्पिटल वालो ने 10000 भरने के लिए बोला. मैं सोच में पद गयी क्या करू और कैसे करू? फिर मैने सोचा जो होता है हो जाने दो, अभी कोई ऑप्षन नही है. फिर मैं कॉंट्रॅक्टर साहब के ऑफीस पर चली गयी. वो साइट पर थे. मैं सिर से मिलने गयी तो सिर ने मुझसे मिलने को माना कर दिया.

मैने बहुत रिक्वेस्ट की तब सिर ने बोला: ठीक है ऑफीस में जेया कर बैठो, मैं आता हू.

मैं ऑफीस में जेया कर बैठ गयी. 5 मिनिट के बाद सिर आए, और मेरे सामने खड़े थे.

मैने कहा: साहब मैं आप जो बोलॉगे, जैसे बोलॉगे, करने के लिए तैयार हू साहब. बस मुझे पैसे की ज़रूरत है अभी 10000 की. मम्मी को हॉस्पिटल ले जाना है. आप जो चाहो कर लो, पर मुझे पैसे डेडॉ.

तभी सिर ने अपनी पंत की ज़िप खोली, और लंड बाहर निकाला. उनका लंड 8 इंच बड़ा और काला था. मैं उसको देख रही थी. सिर ने मेरे बाल पकड़े, और ज़ोर से लंड मूह पर दबाने लगे. मैं कुछ बोल ही नही पाई. वो बस मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मूह को छोड़ने लगे. मेरे मूह से गप्प-गप्प की आवाज़े आने लगी. मेरी साँसे फूलने लगी, पर साहब मेरे मूह को छोड़ने में लगे थे.

5 मिनिट के बाद अचानक सिर के लंड से कुछ निकला, जिससे मेरा मूह भरने लगा. मुझे लगा वो मूतने लगे थे. उसका टेस्ट खट्टा था तोड़ा, और तोड़ा मीठा था. पर साहब ने मेरा मूह दबाए रखा, तो मुझे वो सब पीना पड़ा. उसके बाद सिर ने अपना हाथ हटाया और बोले-

वो: साली रांड़, चल सॉफ कर लंड चूस कर.

तो मैने उसे चूस कर सॉफ किया.

मैने सिर को बोला: मूट दिए मेरे मूह में ही?

वो: साली मूटा नही हू, पानी था मेरे लंड का. वो आज के बाद रोज़ पीना है तुझे.

फिर उन्होने ड्रॉयर से नोटो के 2 बंड्ल निकाले और मेरे मूह पर मार दिए.

उन्होने कहा: आज से रखैल है तू मेरी. मैं जो कहूँगा, जैसे कहूँगा, तुझे करना पड़ेगा, जैसे तेरी मा करती थी.

और फिर बाहर चले गये. मैं भी उनके पीछे-पीछे जाने लगी. तभी सिर ने मुझे सब के सामने पकड़ लिया और एक दीवार से दबोच लिया, और ज़ोर-ज़ोर से मुझे किस करने लगे.

मैं कुछ कर नही सकती थी मजबूरी थी. मैं भी उनका साथ देने लगी. वो मुझे काटने लगे, मेरे बूब्स उपर से दबाने लगे. 5 मिनिट बाद मुझे छ्चोढ़ दिया. तब मैने देखा तो सब मज़दूर मुझे देख रहे थे. मैं मूह नीचे करके वहाँ से चली गयी, और सीधा हॉस्पिटल आ गयी मम्मी को देखने. फिर डॉक्टर को पैसे दिए और इलाज के लिए बोला. तो डॉक्टर ने बताया की मम्मी को कॅन्सर था, वो भी लास्ट स्टेज.

ये सुनने के बाद मैं कुछ बोल ही नही पाई, और वहीं एक चेर पर बैठ गयी. डॉक्टर ने बोला ऑपरेशन करना पड़ेगा जिसके लिए कम से कम 5 लाख लगेंगे.

फिर कैसे मैने 5 लाख का इंतेज़ां किया, वो मैं आपको अगले पार्ट में बताती हू.

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