मैं और मेरा गे परिवार

दोस्तों यह मेरी पहली कहानी है। जो मैं आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूं। और ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। तो फिर शुरु करते है। मेरा नाम राज है, और ये कहानी मेरे और मेरे परीवार की है। तो मेरे परिवार में मैं, मेरा छोटा भाई, मेरे दादा, और मेरे चाचा है। मेरे परिवार में सिर्फ हम चार लोग ही बचे है। क्योंकि 3 साल पहले एक एक्सीडेंट में मेरे मम्मी-पापा और दादी कि मृत्यु हो गई थी।

तो पहले में अपने परिवार वालो के बारे में बता दूं। मेरा नाम राज है, और मैं 21 साल का हूं। मैं कॉलेज में पढ़ता हूं, और मैं हट्टा-कट्टा हूं, और जिम जाता हूं। मेरे भाई का नाम किरण है जो 19 साल का है, और कॉलेज में पढ़ता है। बिल्कुल लड़कियों की तरह चेहरा है उसका और आवाज भी लड़की जैसी है। और उसके हल्के-हल्के स्तन भी है।

फिर मेरे दादा जी, जिनका नाम बृजमोहन है, जो कि 55 साल के है, और पहलवान टाइप के है। और लास्ट में मेरे चाचा रूपेश जो कि 30 साल के है। ये तो बिल्कुल औरत लगते है। इनकी बड़ी-बड़ी चूचियां है, और गांड भी बहुत बाहर निकली हुई है।

तो कहानी शुरु करता है।

हम लोग मध्य प्रदेश के कटनी जिला में रहते हैं। वहां हमारा बड़ा सा घर है, और हम लोग थोड़ा जंगल टाइप के एरिए में रहते हैं। हमारे घर के 1 किलो मीटर तक कई घर वगैरा नहीं है। हमारे कई खेत है, जिन्हें दादा जी ने किराए पे दे रखे है, और घर में पैसों की कोई कमी नहीं है।

हमारा घर 1 मंजिला है, जहां नीचे दो कमरे है और ऊपर दो कमरे है। नीचे एक कमरे में दादा जी रहते है, और दूसरे में चाचा। वहीं ऊपर एक कमरे में मैं और मेरी जान मेरा छोटा भाई रहते है। तो ये बात 2 साल पहले की है, मम्मी-पापा और दादी की मृत्यु के एक साल बाद। तो शुरु करते है।

बात तब की है, जब मेरे और मेरे भाई की कॉलेज कि छुट्टियां पड़ गई थी, और मैं घर में अपने बेड पे बैठा सोच रहा था कि अब ये छुट्टियां कैसे बिना चुदाई के बिताऊंगा। क्यूंकी कॉलेज में मैंने कई लड़के और लड़कियों की चूदाई करी थी। क्यूंकी मैं बाई सेक्सुअल हूं। तो मैं यही सोच रहा था।

रात के 1:30 बज रहे थे, और मेरी नींद कोसो दूर थी, और प्यास लग रही थी। बगल में मेरी जान मेरा किरण सो रहा था। फिर मैं उठा और नीचे किचन में पानी पीने गया, और पानी पीके आ ही रहा था कि मुझे कुछ आवाज सुनाई दी, और उस आवाज का पीछा किया तो दादा जी के कमरे से आ रही थी। मैं कमरे पास गया तो फिर से आवाज सुनाई दी।

आह जी, ओर तेज करिए।

आह, मेरे स्वामी, मेरे राजा।

मैं ये आवाज सुन के चौंक गया। मैं सोचने लगा कि इतनी रात में दादा जी के कमरे में ये औरत की आवाज किसकी थी। तो मैंने रूम की खिड़की पे देखा कि खुली थी। अंदर मैंने देखा कि कोई औरत बेड पकड़ के झुकी हुई थी, और दादा पीछे से उसकी गांड में लंड डाले चोद रहे थे तेज-तेज। लेकिन अभी तक मुझे उस औरत का चेहरा नहीं दिखा था।

फिर एक-दम से दादा जी ने उसे घुमाया, और घुटनों पर बैठाया, और उसके मुंह में अपना लोड़ा ठूस दिया। और जब मैंने उस औरत का चेहरा देखा तो सन्न रह गया। क्यूंकी वो कोई और नहीं मेरे चाचा थे।

उनका शरीर एक-दम औरतों जैसा था 36″ के चूचे 30″ की कमर और 40″ की गांड। उफ्फ क्या मादक शरीर था। मैं तो फिदा ही हो गया था। मैं फिरसे देखने लगा उनकी चुदाई और दादा चाचा के मुंह को चोदते हुए बोल रहे थे।

दादा: चूस साली, चूस आह, तेरे मुंह में जाते ही मेरा लोड़ा पिघलने सा लगता है। आह, मेरा आने वाला है मेरी रानी पी जा मेरा माल आह मैं गया आह।

फिर चाचा उनका पूरा माल पी जाते है। और दादा जी के लोड़े को चाट-चाट कर साफ़ कर देते है। और फिर दोनों बेड पर लेट जाते है, और खुद को दुरुस्त करने लगते है। और इधर मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं अपने लोड़े को हिलाने लग गया। जब सामने देखा तो दोनों की बातें शुरू हुई।

दादा: ओह रूपा, मेरी रानी, तू मेरा कितना ख्याल रखती है। हमेशा मेरे लिए अपनी गांड खोल कर तैयार रहती है। कभी मना नहीं करती।

चाचा: क्यूं नही रखूंगी, आप मेरे पति हो, मेरे मालिक हो, मेरे पापा हो। तो क्यूं मना करूंगी कभी। आपके लंड लिए मेरी गांड और मेरा मुंह हमेशा खुला है मेरे राजा।

दादा: हां मेरी जान, तू ही है जो 12 साल से मेरे 8 इंच के लोड़े को झेल रही है। और मुझे खुश कर रही है। पर तू हमेशा ही साड़ी में रहा कर, और मेरा जब मन करे तो तेरी ये मटकती गांड बजाता रहूं, ऐसा मन करता है।

चाचा: हां, मैं भी चाहती हूं कि आपका जब मन करे तब मेरी गांड बजाए, मेरे दूध दबाए, चूसे, मुझे किस करे, और मेरे मुंह को चोदे। पर क्या करे, घर में बच्चे भी रहते है। उनको भी देखना पड़ता है।

दादा: चल वो सब छोड़ और मुझे अपना दूध पिला, और फिर दोबारा अपना खेल शुरू करते हैं।

चाचा: हां पियो ना मेरे राजा। आप ही ने तो इतने बड़े किए है चूस-चूस कर दबा-दबा कर, और हारमोंस के इंजेक्शन की वजह से अब तो मेरे चूचियों में से दूध भी आता है। और मेरे अंदर अब औरतों वाली फीलिंग भी आती है। जैसे कि राज और किरण मेरे ही बच्चे है, और मैं उनकी मम्मी और आप उनके पापा।

दादा: चलो अब चुदाई शुरू करते है। और कल से बच्चो कि छुट्टियां शुरु हो जाएंगी, तो संभल के रहना पड़ेगा।

चाचा: जी जैसा आप कहें मेरे राजा।

और फिर उनकी चुदाई शुरु हो गई। जिसमें दादा जी कभी चाचा को डोगी स्टाईल में चोदते, तो कभी घोड़ी बना कर, तो कभी लिटा कर, तो कभी अपने लोड़े पे बैठा कर। और उनकी चुदाई देखते-देखते मैं झड़ गया। और फिर अपने कमरे में आ गया और लेट गया, और दादा जी और चाचा जी के बारे में सोचते-सोचते सो गया।

सुबह मेरी आंख 5:30 पर खुली, तो देखा कि मेरे बगल मे जो मेरा भाई सो रहा था। उसकी लुंगी खुल गईं थी, और वो नंगा हो गया था।

एक बात मैं आप लोगों को बता दूं।‌ दोस्तों मैं और मेरा भाई सिर्फ लुंगी में ही सोते है। और ऊपर से इतनी गर्मी है तो इसीलिए। और हां, मेरे भाई और चाचा की आवाज बिल्कुल लड़कियों जैसी है। और चाचा के बाल भी लंबे है, जो कमर तक आते है, और उन्होंने बाल क्यू बड़े किए ये बाद में पता चलेगा।

तो मैं देखता हूं कि मेरा भाई बिल्कुल नंगा था, तो उसे देखते ही मुझे रात का दादा जी और चाचा वाला कांड याद आ जाता है। इससे मेरा हाथ अपने आप मेरे लोड़े पे आ जाता है,‌ और मैं उसे मसलने लगता हूं। और फिर पता नहीं मुझे क्या होता है, कि मैं अपने भाई की गोरी और चिकनी गांड को सहलाने लगता हूं। फिर थोड़ी देर बाद मैं उसकी गांड की ओर अपना मुंह ले जाता हूं, और चूमने और चाटने लगता हूं।

आगे कि कहानी अगले पार्ट में। शुक्रिया दोस्तों, धन्यवाद।

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