ही दोस्तों, मैं सुषमा अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. उमीद है की आपको पिछला पार्ट पसंद आया होगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की मैं अपने नौकर राजन को ढूँढ रही थी. और उसको ढूँढते हुए मैं उसके रूम तक पहुँच गयी. वाहा मैने उसको उसकी बीवी को छोड़ते देखा.
फिर मैने अपनी ज़िंदगी में पहली बार इतना बड़ा लंड देखा. उसका लंड देख कर मैं मोहित हो गयी, और अपनी छूट मसालने लगी. अपने बड़े लंड से उसको अपनी बीवी को छोड़ते देख कर मैं मदहोश हो गयी, और मेरी छूट ने भी पानी छ्चोढ़ दिया.
मेरी आहह की आवाज़ उन दोनो को भी सुन गयी, और वो बाहर मेरी तरफ देखने लगे. अब आयेज बढ़ते है.
वो दोनो मेरी तरफ देख रहे थे, और घबरा गये. मैने तभी दरवाज़ा खोला, और अंदर चली गयी. वो दोनो खुद को चादर से ढकने लगे. प्रेमा बेड पर लेती हुई थी, और उसने चादर ओढ़ ली.
राजन खड़ा हुआ था, और उसने भी चादर अपनी कमर कर की हुई थी. उसके खड़े हुए लंड की शेप चादर के पीछे से उभर कर दिख रही थी. तभी राजन बोला-
राजन: मेडम वो मैं. वो…
मैं: क्या हुआ, घबरा क्यूँ गये? तुम लोग कुछ ग़लत तो नही कर रहे. मिया-बीवी हो गर्लफ्रेंड-बाय्फ्रेंड थोड़ी हो, जो इतना घबरा रहे हो.
फिर मैने उसके लंड की तरफ देखते हुए कहा-
मैं: वैसे, ये मस्त है तुम्हारा.
ये बोलते हुए मैं उसके पास गयी, और चादर उससे खींच की. वो अपने हाथो से अपने लंड को च्छुपाने की कोशिश करने लगा. मैं घुटनो के बाल बैठी, और उसका हाथ हटा कर उसके लंड को पकड़ लिया. वो मेरी इस हरकत से हैरान हो गया.
फिर मैने उसकी तरफ देखते हुए उसके लंड पर जीभ फिराई, और बोली-
मैं: मुझे भी इसका मज़ा दोगे.
वो सब समझ गया था. फिर वो मुस्कुराया और बोला-
राजन: मराम मैं आपका सक्चा सेवक हू. आपकी हर तरह की सेवा करना मेरा धरम है.
ये बोल कर उसने मेरे बालों में हाथ डाला, और मेरा मूह अपने लंड की तरफ करने लगा. मैने मूह खोला, और उसका लंड मेरे मूह में दे दिया उसने. अब मैने उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया, और वो हल्की-हल्की कमर आयेज-पीछे करके मुझे लंड चुसवाने लगा.
तभी प्रेमा भी बेड से उतार कर मेरे पास आ गयी, और गाउन के उपर से मेरे बूब्स सहलाने लगी. फिर उसने मेरा गाउन धीरे-धीरे उतार दिया, और अब मैं ब्रा और पनटी में ज़मीन पर बैठी राजन का लंड चूस रही थी.
राजन का लंड एक-दूं सख़्त हो गया था, और उसके धक्को की स्पीड तेज़ हो रही थी. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे मूह में धक्के देके छोड़ने लगा. इतने में प्रेमा ने मेरी ब्रा निकाल दी, और मेरे मोटे-मोटे दूध से भरे बूब्स बाहर आ गये. अब वो मेरे निपल्स खींचने लग गयी.
राजन मेरी गर्दन तक अपना लंड लेके जेया रहा था. कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने मुझे खड़ा किया, और हम दोनो किस करने लग गये. प्रेमा नीचे ही बैठी रही, और उसने मेरी पनटी उतार दी. राजन मुझे किस करते हुए मेरे बूब्स दबा रहा था, और मैं उसका लंड सहला रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था.
तभी प्रेमा ने पीछे से मेरे चूतड़ खोल कर मेरी गांद में जीभ मारनी शुरू कर दी. अब मैं मस्त हो गयी थी, और अपनी गांद हिलने लग गयी. फिर राजन ने मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे बिस्तर पर ले गया.
मैं बिस्तर पर लेट गयी, और टांगे खोल कर राजन का स्वागत करने लगी. राजन मेरी छूट पर उपर से नीचे लंड रगड़ने लगा. जब भी वो लंड रगड़ता, तो मेरे जिस्म में सनसनी फैल जाती.
इतने में प्रेमा मेरे मूह पर आई, और अपनी छूट रख कर बैठ गयी. मैने उसकी छूट चाटनी शुरू कर दी.
तभी राजन ने मेरी छूट में ज़ोर का झटका मारा, और अपना आधा लंड अंदर घुसा दिया. मेरी जान निकल गयी, क्यूंकी मैं काफ़ी देर बाद लंड ले रही थी. मेरी चीख ज़ोर से ना निकले, इसलिए प्रेमा ने मेरा मूह अपनी गांद से दबा दिया, और छूट मेरे मूह पर रगड़ने लग गयी.
उसकी छूट का स्वाद राजन के लंड से भी अछा था. नीचे से राजन ने फिर तेज़-तेज़ धक्के देने शुरू किए, और कुछ ही धक्को में उसका पूरा लंड मेरी छूट के अंदर था. इतना बड़ा लंड लेने के बाद मुझे समझ आया, की इतने सालों तक मुझे पता ही नही था, की बड़े लंड का क्या मज़ा होता है.
फिर राजन ने अपने हाथ मेरे मोटे बूब्स पर रखे, और ताबाद-तोड़ मेरी छूट की चुदाई करने लग गया. इतना मज़ा आ रहा था दोस्तों, की मैं क्या बतौ आपको. उधर मैं प्रेमा की छूट में जीभ अंदर-बाहर करके उसको छोड़ रही थी. वो मेरे मूह पर अपनी छूट रग़ाद रही थी, और मेरे सारे फेस पर उसकी छूट का पानी था.
कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद हमने पोज़िशन चेंज की. राजन ने मुझे घोड़ी बना लिया, और मेरी गांद चाटने लगा. वो मेरे छूतदों पर अपने दाँत काट रहा था. फिर उसने अपना लंड पीछे से मेरी छूट पर सेट किया, और एक ही धक्के में पूरा अंदर डाल दिया.
छूट काफ़ी गीली होने से लंड पूरा अंदर चला गया, और मज़ा भी बहुत आया. प्रेमा मेरे सामने अपनी टांगे खोल कर बैठ गयी, और मैने उसकी छूट चाटनी शुरू कर दी. राजन पीछे से मेरी छूट में धक्के लगाने लगा.
जब उसकी जांघें मेरे छूतदों से टक्कर मार्टी थी, तो एक बड़ी मनमोहक सी ठप की आवाज़ आती थी. उधर प्रेमा बड़ी ही कामुक आवाज़ में मोन कर रही थी. ये सारी आवाज़े मिल कर माहौल को और भी ज़्यादा कामुक बना रही थी.
फिर राजन ने मेरे कंधो को अपने हाथो से पकड़ा, और अपने धक्को की स्पीड बढ़ने लगा. वो डबल ताक़त से धक्के मार रहा था, और पूरा लंड बाहर निकाल कर वापस पूरा अंदर तक डाल रहा था. मुझे बहुत सुकून मिल रहा था. उसका लंड जाके मेरी बच्चे-दानी को टच हो रहा था.
आधा घंटा वो मुझे इसी पोज़िशन में छोड़ता रहा. उधर मैं प्रेमा की छूट अपनी जीभ से चूस्टी रही. फिर राजन ने अपना लंड बाहर निकाला, और मैं और प्रेमा उसके सामने मूह खोल कर बैठ गयी. उसके माल की पिचकारी निकली, जिससे हम दोनो के फेस भीग गये.
उस दिन के बाद से जब भी मेरी छूट में खुजली होती है, तो मैं राजन के पास चली जाती हू. उमीद है आपको कहानी का मज़ा आया होगा.