मा ने करवाई बाप बेटी की चुदाई

हमारी फॅमिली में 4 लोग है, पापा (ध्रुव, पवत् जॉब, 58), मा (कविता, हाउसवाइफ, 47), मैं (रोहन, इंजिनियरिंग स्टूडेंट, 22), मेरी छ्होटी बेहन (दीप्शिका, स्टूडेंट 20). ये सब उनकी अभी की उमर है. पापा और मम्मी दोनो गुवाहाटी से है, लेकिन पापा के जॉब के लिए हम 20 यियर्ज़ तक कोलकाता में ही रहे.

पापा की हमेशा से नाइट ड्यूटी थी. हमे बताया गया था की दोनो की अरेंज मॅरेज हुई थी, बुत इस डेरी में कुछ और ही लिखा था. मैं बचपन से ही हॉस्टिल रहा हू, और घर में 2 या 3 महीने ही रहता था एक साल में.

मा बहुत ही फन्नी है, वो बातों-बातों पे सारकॅसटिक जोक्स मार्टी रहती है. तो मुझे ये तो पता चल ही गया था की मा बहुत एक्सट्रॉवर्ट है. और पापा भी काफ़ी हद तक सेम है. बुत कभी ऐसा फील नही हुआ की वो हमेशा हॉर्नी रहती है, क्यूंकी जब भी मैं घर पे रहता था, वो ज़्यादा बाहर भी नही जाती थी, लीके किटी पार्टीस ओर सम्तिंग. उनको मैने हमेशा सारी में देखा है.

ये बात तब की है जब मैं कॉलेज फर्स्ट एअर में था. पापा को एक नयी कंपनी में जॉब मिली गुवाहाटी में. तो सब खुश थे की फाइनली हम अपने फ्लॅट में रहेंगे. अब तक तो हम रेंट में रह रहे थे कोलकाता में. तो पूरी पॅकिंग करके हम फाइनली गुवाहाटी पहुँच गये. अब सबसे बड़ा काम था, वो था अनपॅकिंग और घर को सजना.

तो अनपॅकिंग स्टार्ट करते वक़्त मैं पूरा आक्टिव था और सब के बॉक्स मैं लेके जेया रहा था. सब अनलोड करते-करते हम बस किसी तरह एक रूम को ठीक करके उस रात को हम 4 एक रूम में ही सो गये. क्यूंकी जर्नी करके थोड़ी भी एनर्जी नही थी. खाना भी ऑर्डर किया हमने.

रात को सब सोए थे, और मैं उठा और बातरूम गया. आते वक़्त मेरी नज़र बॉक्सस पे पड़ी, और ऐसे ही बॉक्सस को उपर-उपर से देख रहा था. एक बॉक्स में कोई नाम या टॅग कुछ नही था, तो मैने खोल के देखा क्या था. कुछ पेपर्स, एक यियरबुक और एक डाइयरी मिली.

वो यियरबुक खोली तो मम्मी की यियरबुक थी. बहुत सारी उनकी पिक्चर्स, स्कूल के टाइम की, ऐसे ही रॅंडम पिक्स, और बहुत कुछ. एक पिक में मुझे पापा जैसा कोई दिखा तो मैने गौर किया तो वो पापा ही थे.

वो सब लोग शायद किसी पिक्निक गये थे तो उसकी पिक्स थी. तो मैं क्यूरियस हो गया, और जानना चाहता था, की पापा और मम्मी पहले कब मिले. क्यूंकी हमे तो कभी ऐसे नही बोला था किसी ने. तो मैने वो डाइयरी उठाई और पढ़ना स्टार्ट किया.

डाइयरी का टाइटल “मी लाइफ”.

चॅप्टर 1: टर्निंग मी लिट्ल डॉटर दीप्शिका इंटो आ बिग स्लट ओं हेर 19त बर्तडे.

चॅप्टर का नामे पढ़ते ही मेरा दिमाग़ खराब हो गया. मुझसे रहा नही गया, और मैने जल्दी से डाइयरी को अपने बाग में च्छूपा दिया. क्यूंकी अगर मा को नही भी मिली, तो वो मुझसे तो पूच नही पाएँगी. फिर मैं आराम से अपने रूम में अकेले में सब पढ़ लूँगा. तो मैं जाके सो वापस सो गया.

नेक्स्ट दे मैने सब छ्चोढ़ के पहले अपना रूम ठीक किया. फिर सब को हेल्प किया. मैने मा को नोटीस किया. वो बार-बार अपनी डाइयरी ढूँढ रही थी. पर मैने इग्नोर किया, और बस रात होते ही रूम लॉक करके डाइयरी निकली. मैं पूरा कंफर्टबल हो गया. पूरा नंगा होके, अपने लंड को सहलाते हुए डाइयरी का फर्स्ट चॅप्टर शुरू किया.

फर्स्ट चॅप्टर:-

आज मेरी प्यारी बेटी 19 की हो गयी है, और मैं उसकी बेस्टफ्र्ीएंड भी हू. मेरा बेटा कॉलेज में है, और घर पे सिर्फ़ हम 3 ही है. तो मैने अपनी बेटी के लिए वो पार्टी प्लान की, जो उसको सबसे ज़्यादा पसंद आएगी. और वो है उसकी पूरी रात चुदाई. उसको ये पता था की उसकी आज पूरी रात चुदाई होने वाली है. लेकिन किसके साथ, ये नही पता था. और मैने भी इसको सीक्रेट रखा.

दीप्शिका क्स ऑलरेडी 2 ब्फ्ज़ है, जिनसे वो बहुत चुड़वति है, और मुझे रोज़ आके सब कुछ कहती है. लेकिन आज मैं उसे कुछ अलग एक्सपीरियेन्स दूँगी. तो मैने उसको एक सेक्सी लाइनाये गिफ्ट की, और वो पहना के, ब्लाइंडफोल्ड करके, अपने बेडरूम में लेके गयी. वाहा वो पहले से ही लंड निकाल के लेते हुए थे.

अपनी बेटी को ऐसे देख के उनका लंड फंफना उठा, और अपनी जीभ निकाल के पुर हवसी हो गये. मैने उनको चुप रहने का इशारा किया, और आराम से दीप्शिका को बिस्तर पे बिता के उसको अपने ही बाप के लंड के पास लेके सूंघने को बोला. वो सूँगी और बोला-

दीप्शिका: मम्मी मुझे आपकी तरह रंडी बना दो.

तो मैने उसको किस किया और लंड चुस्वाया. मेरी भी छूट गीली हो रही थी, इसलिए उसे लंड चूस्टे देख के मैने अपने भी कपड़े निकले और चेर में बैठ के सब देखते हुए अपनी छूट को उंगली करने लगी. मैं डोर से ही इन्स्ट्रक्षन्स दे रही थी.

मैने ध्रुव को इशारा किया की वो फुल मूड में आ जाए. तो वो उठे और दीप्शिका को पटक के एक सस्ती रंडी की तरह 10-12 छानते लगाए, और उसके मूह को छोड़ा. इतना छोड़ा की उसकी मूह पे ही झाड़ गये. अपनी ही बेटी को छोड़ने को मिला, तो वो पागल से हो गये थे, और बहुत बेरेहमी से छोड़ रहे थे.

लेकिन मेरी बेटी को दर्द नही मज़ा आ रहा था. वो अपने होंठो को ज़ोर से बीते करके मज़े से अपने बाप का लंड ले रही थी. थोड़ी देर बाद जब दीप्शिका झड़ने लगी तो वो चिल्लाई, “माआ”, और झाड़ गयी. तब मैने उसके पास जाके उसको पूछा की उसको कैसा लगा?

वो बोली: मम्मी आप जिसको भी लाई हो, इसको रोज़ लाया करो. पहली बार इतनी जल्दी झड़ी हू मैं.

तो मैने उसकी ब्लाइंडफोल्ड खोल दी, और उसको दिखाया और बोला: ले ये रोज़ इसी घर पे ही रहेंगे, तो जब मर्ज़ी आए छुड़वा लेना.

दीप्शिका अपने बाप को देख के खुश सी हो गयी. क्यूंकी इन दोनो में हमेशा से एक सेक्षुयल टेन्षन था. बहुत बार मुझे छोड़ते वक़्त ध्रुव दीप्शिका का नाम लेते थे, और मैं भी उन्हे डॅडी बोल-बोल के मज़े देती थी. तो जब दीप्शिका ने अपने बाप को देखा, वो उनकी गोद में गयी, और दोनो फुल किस करने लगे.

दोनो फिरसे जोश में आने लगे, की मैने उनको रोक लिया, और बोला की अभी नही, अभी मेरी बारी. तो मैने दीप्शिका को बेड पे लिटाया, उसके मूह के उपर मैं डॉगी बन के ध्रुव का लंड लेने लगी. ध्रुव ज़ोर-ज़ोर से मुझे छोड़ रहे थे, और बोल रहे थे की “तू इस दुनिया की बेस्ट वाइफ है, जो मुझे अपनी ही बेटी की छूट दी”.

वो ये बोलते-बोलते झड़ने लगे तो मैं थोड़ी सी आयेज बढ़ गयी, और उनका लंड मेरी छूट से निकाल दिया. इससे सारा माल मेरी बेटी की मूह के उपर चला गया. मेरी प्यारी सी रंडी बेटी पुर माल को चाट-चाट के पी गयी. हम तीनो ने पूरी रात कड्ड्ल किया. ध्रुव कभी मेरे दूध चूस्टे तो कभी दीप्शिका के. और ऐसे ही हम सो गये.

सुबह को मैं पहले उठी, और घर का काम करने लगी. थोड़ी देर बाद ध्रुव आके पीछे से हग करके मेरे दूध को ज़ोर-ज़ोर से नोच के बोलने लगे “मेरी बेटी को अपनी जैसी रंडी बना दो”. तो मैं भी पुर जोश में बोलने लगी, “एस मेरी जान. आज से हमारी बेटी तुम्हारी रंडी है”. और ये कहते ही हमने बहुत रफ सेशन किया. फिर वो फ्रेश होने चले गये, और में ब्रेकफास्ट बनाने लगी.

दीप्शिका को मैने उठाया, और उसको फ्रेश होने को भेज दिया. ध्रुव और मैं ब्रेकफास्ट करने लगे. दीप्शिका फ्रेश होके नंगी ही आके टेबल के नीचे जाके अपने बाप का लंड निकाल के चूसने लगी. ये देख के मेरी छूट बहुत ज़्यादा गीली हो गयी.

पर मैने बाप-बेटी को तोड़ा क्वालिटी टाइम दिया, और अपने आप को उंगली करके शांत करने लगी.

दोनो के मूह से “आ पापा” “ओह मेरी प्यारी रंडी बेटी” ये सब सुन के मैं आख बंद करके ही उंगली करने लगी. एक अलग ही मज़ा था इसमे. हमने पूरा दिन चुदाई का प्लान किया.

ध्रुव ने बोला: आज से कोई घर पे कपड़ा नही पहनेगा. रोहन आने के बाद पहें लेना. लेकिन अभी जब हम 3 है, कोई भी कपड़ा नही पहनेगा.

और ये बोल के हम हासणे लगे, और एक-दूसरे को किस करने लगे. थोड़ी ही देर में मुझे एक आइडिया आया और हमने “ट्रूथ ओर डरे” ग़मे खेलना शुरू किया.

चॅप्टर 2: ट्रूथ ओर डरे.

कॉंड…

दोस्तों ये था मेरी मम्मी की डाइयरी का पहला चॅप्टर.

दूसरे चॅप्टर में मा के जो-जो राज़ खुलते है, इस ग़मे में वो पढ़ के मैं एक-दूं सुन्न पद गया था. और ये ग़मे खेलते हुए, मम्मी ने ज़ोमतो से कुछ ऑर्डर किया था.

तो मेरी मम्मी ने डरे लेके कैसे सिर्फ़ टवल में ऑर्डर रिसीव किया, ये सब पढ़ने के लिए मुझे ढेर सारा प्यार दीजिए, और मुझे एमाइल में बताइए आपको कैसा लगा.

और हा, अगर कोई कोलकाता से या गुवाहाटी से हो, तो एमाइल करना.

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