मा ने बेटी को सुनाई बाप-बेटी की चुदाई की कहानी

हेलो फ्रेंड्स! मेरा नाम सबीना ख़ान है. मैं एक रिसर्चर हू. मैने सोसाइटी बेस्ड फंडमेंटल्स पे बहुत सी रिसर्च की है. वैसे मुझे ये करने में बहुत मज़ा भी आता है, क्यूंकी रिसर्च करते टाइम ना सिर्फ़ हमे नयी-नयी जगहो से हो कर जाना होता है, साथ ही नये-नये लोगों के साथ मिल कर बात-चीत कर विचारों की गहराई में घुसने में एक अजीब सा मज़ा आता है.

जब मैं अपने कॉलेज के फाइनल एअर में थी, तभी उसकी शुरुआत में ही हमे किसी एक टॉपिक पर रिसर्च करके असाइनमेंट तैयार करना था. उसके बाद पूरी रात भर इंटरनेट पे टॉपिक्स ढूँढने लगी, जो काफ़ी ईज़ी हो, और कम से कम टाइम में कंप्लीट भी हो जाए.

मेरे बड़े भैया ने सजेस्ट किया की फॅमिली एतिक्स इस थे बेस्ट आंड ईज़ियेस्ट टॉपिक फॉर रिसर्च. क्यूंकी इसमे ज़्यादा सर खपाना नही पड़ता, और ज़्यादा कुछ करना नही होता. इसके अलावा ज़्यादा से ज़्यादा पेजस भरने की टेन्षन भी नही.

तो उनकी राय मान कर मैं फॅमिली एतिक्स से रिलेटेड चीज़े ढूँढने लगी. लेकिन मुझे कुछ ख़ास नही बस वही रिपीटेड चीज़े ही मिली. मुझे ज़्यादा मज़ा नही आ रहा था.

रात के 2 बजे थे, लेकिन मुश्किल से मैं 2 पेजस भी लिख नही पाई थी. तब मुझे एक बात समझ आई की ये टॉपिक सुनने में और दिखने में जितना ईज़ी है उतना तो था नही. तभी मैं एक सिगरेट लेके बाल्कनी में खाड़ी होके सोचते-सोचते सिगरेट पीने लगी. सिगरेट का पूरा डिब्बा कब खाली हो गया कुछ पता नही चला.

मेरी बाल्कनी के ठीक सामने एक बिल्डिंग के एक कमरे की लाइट जाली. कमरे में रह रहे कपल जैसे इसी टाइम की वेट कर रहे थे. दोनो ने एक-दूसरे के कपड़े उतारने चालू किए, और किस करते-करते पूरी तरह से एक-दूसरे में गुम हो गये. उनकी ऐसी हरकत देख मेरा मूड खराब हुआ और मैं पॉर्न साइट पे चली आई.

सहा मुझे डिफरेंट वेराइयेटीस के पॉर्न देखने को मिले. 3-4 हार्डकोर देखने के बाद मेरी नज़र नेक्स्ट पॉर्न रेकमेंडेशन्स पे पड़ी, जिसने मेरी असाइनमेंट को नयी डाइरेक्षन दे दी. और वो रेकमेंडेशन कुछ ऐसी थी, जिन पर शायद ही मेरी नज़र और ध्यान नही गया जैसे “डॉटर सिड्यूस्ड दाद”, “सीक्रेट्ली दाद फक्स डॉटर”, “मों अलोस हिज़ सोन तो लीक हेर पुसी” एट्सेटरा.

अगली सुबा मैं कॉलेज जाने के लिए बिल्कुल भी रेडी नही थी. क्यूंकी अब मुझे अपने असाइनमेंट के लिए कुछ और ऐसा ही ढूँढना था जैसा मैने रात में देखा था. मुझे उसके बारे में और कुछ ढूँढना और जानना था. फिर मैं बेज़ार गयी. मुझे यकीन था अगर पॉर्न साइट्स पे ये था, तो कुछ ना कुछ ऐसा ही मिलना चाहिए, या इसकी बुक्स वग़ैरा होनी चाहिए.

घर लौट-ते हुए मैं अपने बाग में लगभग 10 किताबे “पारिवारिक यौन संबंध” पे ले आई. पूरा दिन उनको ख़तम करने के बाद मैं बस इसी कंक्लूषन पे पहुँची की फॅमिली में सेक्स रीलेशन बनने के कार्नो में मजबूरी, और सीधा-पन्न शामिल थे.

लेकिन फिर मेरे दिमाग़ में ख़याल आया की ये सब फॅंटेसी भी तो हो सकती थी. तभी दूसरा ख्याल आता है की “किसी ने तो एक्सपीरियेन्स किया होगा, तभी तो लिखा होगा”.

मैं फिर से हंतो में सिगरेट लिए बाल्कनी में खड़ी हुई. तभी पीछे से अम्मी आई और मुझ पर चिल्लाने लगी “यह सब क्या पढ़ रही है तू? क्या इसीलिए इतनी आज़ादी दी तुझे की किताबे पढ़ने की जगह ये गंदी-गंदी किताबे पढ़ रही है?” मैने अम्मी को शांत कर उन्हे समझाया-

अम्मी: लेकिन ये तो.

मैं: कुछ चीज़ो की गहराई तक जाने के लिए कुछ गंदा पढ़ना पढ़ता है. या तो कुछ गंदा करना पड़ता है.

अम्मी शांत बैठ गयी. तभी सोचा अम्मी से पूच लू, की क्या कभी अम्मी ने ऐसा देखा या एक्सपीरियेन्स किया हो.

मैं: अम्मी क्या तुमने कभी फॅमिली मेंबर्ज़ मतलब भाई, बेहन, बाप, बेटी या अम्मी, बेटे के बीच सेक्स रिश्ता बनता देखा या सुनना है?

मेरी बात सुन कर अम्मी पहले तो थोड़ी हैरानी में आई. फिर नॉर्मल हो कर कॉफी का कप साइड में रख कर जाने लगी. मैने उनको कहा, “अम्मी तुमको कुछ याद आए तो बताना प्लीज़. मेरी थोड़ी हेल्प हो जाएगी”. गाते तक पहुँच अम्मी ने बाहर देखा और गाते को बंद कर वापस बेड पर आ गयी.

अम्मी: देख जो भी मैं कह रही हू, उसे किसी से मत बोलियो. और हा, घर से बाहर भी नही जानी चाहिए.

मैं: तो क्या तुमने कही देखा है फॅमिली में सेक्स रिश्ते बनते हुए.

अम्मी थोड़ी देर शांत रही, और एक लंभी साँस छ्चोढते हुए: हा!

मैं: कब? कहा?

अम्मी मेरे कान की तरफ आ कर, हल्की आवाज़ में: मेरे परिवार में.

मैं: तुम्हारे परिवार में? क्स्के बीच.

अम्मी: मेरी बड़ी बेहन (नसीर) और मेरे अब्बू के बीच में.

मैं: अम्मी? तुम तोड़ा सॉफ-सॉफ बता सकती हो प्लीज़?

अम्मी: मुझे ये तो नही पता उनकी बीच ये कब से चल रहा था. लेकिन मैने उनको करते हुए देखा था.

मैं: कब?

अम्मी: यही जब मेरी शादी नही हुई थी.

मैं: मुझे शुरुआत से बताओ अम्मी.

अम्मी: तब मैं 18 साल की थी, और नसीर 21 की. गाओं में मेला था. मैं बहुत ज़्यादा उतावली थी मेले में जाने के लिए. लेकिन अब्बू की तबीयत खराब थी, तो अब्बू ने अम्मी से कहा-

अब्बू: अगर तू यहा (घर पर) मेरे लिए रुकेंगी तो ये दोनो मेला नही जेया पाएँगी. इसका (मेरा) बड़ा मॅन था, इसलिए तू इसको अपने साथ ले-जेया. नसीर मेरा ख़याल रख लेगी.

अम्मी ने भी हम्मी भर दी, और आस-पड़ोस की औरतों को लेकर मेले के लिए चल पड़ी. मेले के लिए मैने कुछ पैसे जमा कर रखे थे. वो मुझे आधे रास्ते में याद आए. तभी एक और खाला को याद आया की वो भी कुछ भूल गयी थी. इसलिए मैं और वो वापस घर की तरफ आए. खाला अपने घर की तरफ मूडी, और मैं अपने.

घर में घुसते ही सीधा अब्बू-अम्मी का कमरा था, वही साइड में मुझे नसीर पीछे से दिखी. वो पूरी नंगी थी, और अपना मूह अब्बू के लंड की तरफ झुका कर लंड चूस रही थी. ये देख मैं अपने कदम धीरे-धीरे बढ़ने लगी, की तभी नसीर की गांद पर अब्बू का हाथ पड़ा और वो मस्त नसीर की गांद को मसालने लगे. मैं वही दीवार से लग कर खड़ी हो कर उनकी हरकते और बातें सुनने लगी.

मैं: बातें? तो क्या अम्मी तुम्हे उनकी बातें याद है की क्या-क्या हुई थी?

अम्मी: ह्म बिल्कुल, वो भी अची तरीके से, क्यूंकी वो बातें काफ़ी ज़्यादा वो थी.

नसीर: अब्बू आपका हथियार तो दिन-बा-दिन बड़ा और मोटा होता जेया रहा है.

अब्बू: तुझे मोटा और लंबा पसंद है ना? बस इसीलिए. और तेरी गांद और तेरी चूचियाँ भी कम फूलती नही जेया रही है?

नसीर: इन दोनो में आपका ही हाथ है अब्बू, ज़्यादा बनो मत.

अब्बू: वो कैसे?

नसीर: क्यूंकी मेरी अम्मी और बेहन को बाहर भेज के जो कारनामे करते हो ना, उसका असर है.

अब्बू: तुझे मज़ा नही आता क्या मेरी जान?

नसीर: मज़ा नही आता तो मेरी चूत लंड लेने के लिए थोड़ी ना तड़पति.

अब्बू: तो फिर चढ़ जेया ना.

नसीर अब्बू के लंड के ठीक उपर अपनी छूट फैला कर अपने ही हाथो से उसे अपनी छूट में लेने लग जाती है. फिर कुछ देर तक वही उपर-नीचे उपर-नीचे होने लगती है. तभी मैने आती हुई खाला को देखा, और झट से बाहर आई, जिससे उनको इनके बारे में कुछ पता ना चले.

आयेज की कहानी अगले पार्ट में.

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