आप सभी का फिरसे यहा आने पर बहुत-बहुत धन्यवाद. आप मेरी कहानी को इतना प्यार देते आ रहे है, ये देख कर मुझे बहुत ही अछा लगता है. दरअसल ये कहानी थोड़ी लंबी हो सकती है, लेकिन कहानी में मज़ा और सेक्स भरपूर है. ये कहानी मेरी सौतेली मा और मेरे बीच की है. तो देर ना करते हुए आए कहानी को जाने और आनंद ले.
मेरा नाम कामदेव है, और मैं 24 साल का हू. हमारे घर पर सब ठीक चल रहा था, की अचानक से एक दिन मम्मी को पापा के अफेर के बारे में पता चल गया. मम्मी ने पापा को बहुत समझाया लेकिन पापा नही माने. तो इस बात से दुखी हो कर मम्मी ने एक दिन घर छ्चोढ़ दिया. उस दिन से लेकर आज तक कभी भी मम्मी घर वापस नही आई.
शुरू में हमे मम्मी की बहुत याद आई. लेकिन बाद में धीरे-धीरे आदत पद गयी. एक दिन पापा अचानक शादी करके उस औरत को घर ले आए और बोले-
पापा: आज से ये तुम्हारी मा है और तुम इनको ही मा बोलॉगे.
मैं उनको मा नही बोलता था, इस बात को लेकर डेली घर में झगड़े होने शुरू हो गये. तो फाइनली मैं उन्हे मा बोलने लगा, और डेली-डेली के झगड़े ख़तम हो गये.
मेरी सौतेली मा की आगे 38 है और पापा 47. मा अब भी जवान दिखती है, और पूरा मेकप वग़ैरा करती है. घर में वो शॉर्ट्स, खुले टॉप, सब डाल लेती है. उनका रंग गोरा है, और बूब्स भी आचे है, 32″ के होंगे. उनके पैर भी बहुत गोरे है, लेकिन मैं उनकी इन सब चीज़ों पर ध्यान नही देता था. लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की मेरे को ध्यान देना पड़ा ना चाहते हुए भी.
वो सनडे का दिन था. मैं और मेरी बेहन मस्ती कर रहे थे, और मस्ती करते-करते उससे कुछ समान नीचे गिर गया और टूट गया. आवाज़ सुन कर मा भाग कर वापस आई, और बोली-
मा: तुमसे कुछ काम तो होता नही. मेरा काम और बढ़ा देते हो.
ये बोल कर वो नीचे झुकी, और सफाई करने लगी. उनकी गांद मेरे आयेज थी, और ये देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. वो बीच-बीच में चिल्ला रही थी, जिसकी वजह से उनकी गांद बहुत ज़ोर से हिलने लगी. पहली बार उनकी गांद इतनी अची और बड़ी लगी मेरे को. जब वो सफाई करके खड़ी हुई, तो उनका ध्यान मेरे लंड पर गया. उन्होने धीरे से एक स्माइल पास करी, और अंदर चली गयी.
कुछ दिन बाद मेरी बेहन लंडन चली गयी, और पापा कॅनडा. घर पर सिर्फ़ मैं और मा रहते थे. मैं उनसे तभी बोलता था जब मेरे को काम होता था. एक दिन मैं रूम में बैठा था, और मा मेरे रूम का वॉशरूम उसे कर रही थी. अचानक से उन्होने गाते खोला और बोली-
मा: बेटा अगर तुम्हे कोई दिक्कत नही हो तो मैं बाहर सिर्फ़ टवल में आ जौ. अंदर कपड़े पहनते हुए बहुत गर्मी लगती है.
मैं: हा आ जाओ.
ये बोल कर मैं बाहर जाने लगा. तभी मा बोली-
मा: तुम बाहर क्यूँ जेया रहे हो?
मैं: आप आराम से कपड़े पहन लेना यहा.
मा: तेरे होते हुई भी आराम से ही पहनुँगी. तू कोई मेरे कपड़े थोड़ी ले लेगा.
मैं: ठीक है, जैसा आपको सही लगे.
जब मा बाहर आई, तो उन्हे देखता रह गया. उनकी गोरी कमर, गोरे पैर, गीले बाल, मोटे बूब्स, और उभरी हुई गांद. मेरा लंड फिरसे आज शॉर्ट्स में खड़ा हो गया. आज पहली बार मा को पास में जेया कर छूने और चाटने का मॅन करा.
अब मा ने सबसे पहले पनटी पहनी, फिर ब्रा, फिर शॉर्ट्स, और एक लूस सा टॉप. मा रेडी हो कर नीचे चली गयी, और मैने मॅन में सोचा ये सब ग़लत था, और इन सब चीज़ों पर ध्यान नही दूँगा. रात को मा किचन में काम कर रही थी, और मैं रूम में था. मा रूम में आई. आज मा ने सारी पहनी थी बड़े दीनो बाद, और बोली-
मा: तू कुछ ज़रूरी काम कर रहा है क्या?
मैं: नही मा, बोलो.
मा: तोड़ा सा आयिल गरम कर ला, और मेरे बालों में लगा दे.
मैं: ठीक है.
अब मैं आयिल ले आया और लगाने लगा.
मा: अची मालिश करता है तू, कहा से सीखा?
मैं: दादी से.
मा: ओह नाइस. बेटा एक बात बोलू?
मैं: हा बोलो मा.
मा: मुझे पता है तुम मुझे ज़्यादा पसंद नही करते. लेकिन कभी मेरी साइड से सोच कर देखो की बिना तुम्हारा प्यार मिले घर के और तुम्हारे सारे काम करती हू.
मैं कुछ नही बोला. लेकिन पहली बार मेरे को उनकी बात सही लगी और दाद ग़लत. क्यूंकी दाद ने अफेर किया था. इनको तो दाद का प्यार मिला, और इन्होने रख लिया.
मा: चल ये सब छ्चोढ़, मेरा एक काम और करेगा?
मैं: हा बोलो ना.
मा: तोड़ा सा आयिल पैरों में भी लगा दे.
मैं: ठीक है.
अब मा पेट के बाल बेड पर लेट गयी, और मैं उनके पैरों के पास आ गया और मालिश करने लगा.
मा: ओह बेटा, मज़ा आ गया. रिलॅक्स हो गयी बॉडी. घर के काम कर करके पैर दुख जाते है.
मैं: हा, ये तो है मा.
मा: श हो बेटा, मस्त मालिश कर दी तूने पैरों की तो. अब एक काम कर, थोड़ी सी सारी उठा कर जांघों की और कर दे, रात को नींद अची आएगी.
मैं: हा कर देता हू.
अब मैने सारी को जांघों तक उठा दिया, और मालिश करने लगा.
मा: हा-हा यही पर बेटा. यही पर, बड़े दीनो बाद नींद अची आएगी. इतना दर्द रहता है वरना पूछो ही मत.
मैं: कोई नही अब नही होगा मा आपको दर्द.
मा: श बेटा, श जांघों को कस्स कर दबा और तेल लगा. साली बड़ा दर्द देती है.
मैं: हा मा, अगर ज़्यादा दबाने से दर्द हो तो बता देना.
मा: हा-हा बेटा, बिल्कुल.
मैने 10-15 मिनिट तक जांघों की मालिश करी, और बोला-
मैं: लो मा हो गयी. अब बिना दर्द के सोना.
मा: बेटा तेरे को दुखी नही करना चाहती, वरना थोड़ी मालिश और कर देता.
मैं: इसमे दुखी क्या होना? आप मेरे लिए तो इतना काम करती हो.
मा: चल छ्चोढ़, रहने दे.
मैं: बोलो ना मा.
मा: मैं सोच रही थी थोड़ी सी मालिश तू मेरे छूतदों पर भी कर देता तो. आक्च्युयली वाहा रॅशस पद गये, और आयिल लगाने से आराम मिलेगा.
मैं: हा, अभी कर देता हू.
मेरे मॅन में बिल्कुल भी ग़लत नही था उनको लेकर. क्यूंकी आज मैने उन्हे दिल से मा मान लिया था.
मा: रुक मैं सारी को छूतदों तक उठा लेती हू.
मैं: हा.
मा: जैसे जांघों पर करी थी वैसे ही यहा भी मालिश करना.
मैं: हा मा बिल्कुल.
मा: हा-हा बेटा, ऐसे ही. ओह हो. गरम तेल की मालिश करवा कर अलग ही मज़ा आता है.
मैं: ये तो है मा.
मा: बेटा.
मैं: हा मा.
मा: तोड़ा सा तेल गेर ले, चूतड़ सूख गये है.
मैं: हा मा.
मा: श हू बेटा, मज़ा ही आ गया. अब तो अपने बेटे से ही मालिश करवाया करूँगी. इतना अछा बेटा है मा की सेवा करता है. ऑश ऑश बेटा मज़ा ही आ गया. मॅन कर रहा है लगे हाथ एक काम और कर लू.
मैं: क्या काम है मा बोलो? मैं कर दूँगा.
मा: नही वो मैं ही कर लूँगी.
मैं: ठीक है मा.
मा: बेटा तू मेरी जांघों पर बैठ जेया, और फिर छूतदों की मालिश कर.
मैं: ठीक है मा?
मा: हा ऐसे ही बेटा. अब लगा दूं, और कर बढ़िया मालिश अपनी मा के छूतदों की.
मैं: जी मा.
मा: अछा एक प्रॉमिस कर की जो अब मैं अपना पर्सनल काम करूँगी, तू अपने पापा को या किसी को नही बताएगा, और ना ही मेरे को आयेज से कभी माना करेगा. और ना ही यहा से जाएगा मालिश छ्चोढ़ कर.
मैं: हा मा प्रॉमिस.
मा: ओह मी लव्ली बेटा! थॅंक योउ.
ये बोलते मा ने अपने हाथ की उंगलियों को चूसा, और उन पर थूका, और अपनी उंगलियाँ सीधा छूट पर ले गयी. मैं ये देख कर एक-दूं से शॉक रह गया. लेकिन प्रॉमिस की वजह से वाहा से जेया नही पाया.
मा: ह अहह अहह ष्ह. बेटा उपर से तू मालिश कर रहा है, नीचे मैं अपना काम कर रही हू. अगर तेरे को बुरा ना लगे तो मैं कुछ ग़लत वर्ड्स उसे कर लू?
मैं: हा मा कर लो.
मा: ओह थॅंक्स बेटा, सब को ऐसा ही सेवा करने वाला बेटा मिले. आ बेटा, तूने तो आज मज़ा दे दिया. अची मालिश करी तूने.
मैं: थॅंक्स मा!
मा: आह बेटा, रुक मत, करता रह मालिश. नीचे मैं अपनी छूट को ठंडा कर रही हू ह ह ष्ह मज़ा आ रहा है आज तो उंगली करते हुए तो.
अहह बस पानी निकल जाए एक बार ह अहह ष्ह.
मैं: कही और भी मालिश करनी है क्या?
मा: और क्या, मेरी छूट पर मालिश करेगा ब्स्दक! छूतदों को मसल, गांद का च्छेद है ना जो, वाहा तेल लगा.
मैं: जी मा!
मा: आह आह बेटा इस च्छेद पर आह ह गांद की मालिश कर दी बेटा तूने, तो ह अहह बस मेरा पानी भी निकालने वाला है आह ह अहह.
ये बोलते हुए मा ने सारा पानी बेड पर निकाल दिया. आज मेरे को पता लगा की मेरी सौतेली मा में कितनी हवस भारी हुई थी.
मा: चल बेटा, अब सो जाते है. तू भी तक गया होगा मालिश करते-करते.
मैं: जी मा.
हाथ ढोते हुए मेरे को मा की वो सिसकियाँ याद आ रही थी. लेकिन मैने सोचा मा है वो, उनके बारे में सोचना ग़लत है. हाथ धो कर हम दोनो सो गये.
इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. मुझे मैल पर रिप्लाइ करके फीडबॅक ज़रूर दे. गमाल:- कामदेवबबा996@गमाल.कॉम
कोई ऐसे ही सेक्स करना चाहता है तो मैल करके रिप्लाइ दे. और अगर मुझसे कुछ ग़लती हुई हो, तो मैं आप से माफी चाहूँगा.
इस कहानी को लेकर कोई आइडिया या सजेशन हो तो प्लीज़ मैल करके बताए.