माँ का गरम दूध और नंगी चूत

फिर मैंने उसके सर को पकड़कर कहा कि चूस ले ना अब इसका मलाई वाला दूध और इतना कहकर मैंने अपने लंड को माँ के मुहं की तरफ धकेल दिया और अब तो वो उसको अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और कुछ देर बाद वो मेरे लंड को अपने मुहं से अंदर बाहर करके ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी। उनके मुहं से उम्म्म्म उम्म्म अहह्ह्ह्ह की आवाज़ आ रही थी और तब तक मेरा लंड तनकर बहुत बड़ा हो गया था और वो मेरी माँ की चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार होकर खड़ा था। माँ भी अब बहुत जोश में होने की वजह से रुक नहीं पा रही थी और माँ की चूत भी मेरे लंड को पाने के लिए बड़ी बेकरार थी और मेरा लंड भी अब माँ की चूत से मिलने के लिए उतना ही बेकरार था। अब माँ बिल्कुल सीधी होकर लेट गई थी, जिसका मतलब एकदम साफ था कि उसने मुझे अपनी चुदाई का निमंत्रण दे दिया था और वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर अब वो मज़े लेना चाहती थी। फिर में भी अब तुरंत ही माँ के ऊपर आ गया और अपने लंड को उनकी गीली कामुक चूत के मुहं पर रखकर मैंने एक ही जोरदार झटके में माँ की चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया और उसके बाद माँ भी नीचे से अपनी कमर को उठाकर मेरे लंड को और अपनी चूत को उन दोनों को आपस में मिलाने में अपनी तरफ से पूरा पूरा सहयोग देने लगी थी। वो दोनों उस समय इस प्रकार मिल रहे थे कि मानो वो बरसो बाद एक दूसरे से मिले हो। फिर मैंने अपने धक्को की स्पीड को बढ़ाते हुए उससे पूछा कि में अब क्या करूँ मेरी रानी माँ? तब माँ बोली कि अंदर तक तो कर दिया, अब तू मुझसे पूछता है कि क्या करूँ? चल चुदक्कड़ कहीं का उन्होंने मेरे होंठ चूम लिए और वो बोली किए जा जैसी तेरी इच्छा। में अब और धक्के लगा रहा था और माँ की चूत नीचे से उनका जबाब दे रही थी और उस समय हमारी घमासान चुदाई चल रही थी और माँ के मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी थी वो आहह्ह्ह्हह्ह आईईईईईईई क्या कर रहा है रे थोड़ा ज़ोर से धक्के देकर चोद मेरे राजा चोद मेरी चूत भी कम नहीं है, थोड़ा कस कसकर धक्के मारो मेरे राजा, चोदो ज़ोर से मेरी इस चूत को, जो हमेशा तुमसे हर एक पल चुदने के लिए बेचैन रहती है, हाँ ज़ोर से धक्के देकर चोद दो तुम मुझे।

दोस्तों अब तो में भी उनका वो जोश देखकर एकदम तूफान मैल की तरह धक्के देकर चुदाई करने लगा था। में उनकी चूत से अपना पूरा लंड बाहर निकालता और फिर धक्का देकर उसको पूरी गहराई तक अंदर डाल रहा था और में तो उस समय स्वर्ग की हवाओं में उड़ने लगा था। में कहने लगा वाह क्या मस्त मज़ा आ रहा है मेरी रानी ले खा जमकर खा मेरा लंड। फिर वो बोली हाँ मेरे राजा थोड़ा और ज़ोर से आईईईईईइ मुझे भी बड़ा मज़ा आह्ह्हह्ह् आ रहा है हाँ और ज़ोर से ओह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह ओह्ह्ह मेरे राजा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। फिर में भी अब ऊपर से कस कसकर धक्के पे धक्के लगाते हुए बोल रहा था हाँ मेरी रानी आआईईई तुम्हारी चूत ने तो आज मेरे लंड को पागल बना दिया है वाह में तो इस सुंदर चूत का आज बिल्कुल दीवाना हो गया हूँ और में इसको चोद चोदकर जब तक तुम चाहोगी में जन्नत की सैर करूँगा, रानी मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है।

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फिर माँ भी बोली उईईईईईई चोद चोद और ज़ोर से धक्के देकर चोदो मेरे राजा साथ साथ गिरना ओह्ह्ह् आईईईईई आ जाओ चोद दो ओहह्ह्ह ओहहह हाँ मेरे सनम अब में नहीं रुक सकती ओह्ह्ह्ह में गई। तो इधर में अपनी तरफ से उसको कस कसकर लगातार धक्के लगाकर हम दोनों साथ साथ ही झड़ गए और सचमुच इस चुदाई से में बहुत खुश था और माँ भी पूरी मस्ती में आकर मेरे साथ अपनी चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी और अब हम दोनों ही झड़ चुके थे। अब मैंने माँ का एक जोरदार किस लिया और माँ के दोनों बूब्स के बीच में अपने सर को रखकर में उनके ऊपर थोड़ी देर पड़ा रहकर अब में माँ के बगल में ही लेटने के बाद उनके पास उनसे लिपटकर सो गया। फिर दूसरे दिन सुबह माँ ने मुझे उठाया और उन्होंने मुझसे कहा कि उठाना नहीं है क्या? और उन्होंने मेरे लंड को हल्का सा दबा दिया कहा कि जल्दी से फ्रेश हो जाओ। फिर मैंने उठकर ब्रश किया और फिर माँ मेरे लिए चाय ले आई और हम दोनों ने चाय पी और फिर मैंने कुछ देर बाद देखा कि माँ अब अपने दोनों मोटे मोटे कूल्हों को मटकाती हुई बाथरूम की तरफ चली गयी। अब में भी तुरंत माँ के पीछे पीछे बाथरूम में चला गया और अंदर जाकर मैंने दरवाजे को बंद कर दिया। मैंने देखा कि अब माँ ने अपने पूरे कपड़े एक एक करके उतार दिए और मैंने भी अपने सभी कपड़े उतार दिए और अब मैंने फव्वारे को खोल दिया, जिसकी वजह से अब हम दोनों के नंगे गरम जिस्म पर पानी की फुहार पड़ने लगी थी और में बाथरूम में लगे बड़े आकार के शीशे में सब देख रहा था। दोस्तों उस पानी के नीचे माँ के उत्तेजक गोरे बदन और उनके बड़े बड़े बूब्स पर पानी टपक रहा था और वो बूब्स से टपकता हुआ पानी जो उनके दोनों पैरों के बीच में उनकी चूत से होता हुआ पैरों पर छोटी छोटी धार बनाते हुए नीचे गिर रहा था, जो बहुत ही सेक्सी लग रहा था और मेरी छाती से नीचे गिरता हुआ मेरे लंड पर से धार बनाकर बहता हुआ वो पानी आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अब माँ ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और लंड के ऊपर की चमड़ी को वो खोलने और बंद करने लगी थी। मेरा लंड उनके हाथ में आते ही एकदम कड़क होकर खड़ा हो गया और अब मैंने माँ के बूब्स को और उनके पूरे शरीर को अपनी छाती से चिपकाकर उनके होंठो को अपने होठों में ले लिया। अब माँ के कसे हुए बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से रगड़ खाने लगे थे और फिर माँ ने मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत से सटा लिया और थोड़ा पैर फैलाकर चूत पर रगड़ने लगी। फिर मैंने माँ के पूरे बदन पर साबुन लगा दिया और उसके बाद उनके बूब्स को और चूत के ऊपर भी मैंने साबुन लगाकर मसल दिया और फिर हम दोनों एक दूसरे के बदन पर फिसलने लगे और माँ अपने बूब्स को मेरे पूरे बदन पर दबाकर फिसला रही थी, जिससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर मैंने पानी को तेज कर दिया और साबुन को धो दिया इसके बाद में माँ के बूब्स को दबाते और सहलाते हुए माँ के होठों को चूस रहा था और मेरे लंड को माँ की चूत अपने होंठो से सहला रही थी। अब नीचे बैठकर नहाने के लिए रखे स्टूल पर माँ ने अपना एक पैर उठाकर रख लिया और अब मेरे लंड को चूत में जाने का मौका मिल गया और मुझे उस शीशे में उनकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर होते हुए साफ साफ दिख रहा था। वो देख रही थी कि उनकी प्यारी चूत से मेरा लंड खिलवाड़ कर रहा था और अब माँ की चूत उसको पूरा अपने मुहं में लेने की कोशिश कर रही थी। फिर तभी कुछ देर बाद माँ अपने आपको छुड़ाकर नहाने के टब को पकड़कर नीचे झुक गयी और माँ के गोल गोल बड़े बड़े कूल्हे ऊपर उठे हुए थे और में उन्हे दबा दबाकर अपनी जीभ से चाटने लगा और दाँत से काट भी रहा था। तब माँ बोली कि तू यह क्या करता है अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है और में माँ की चूत को देखने लगा। अब मैंने उस पर अपने तने हुए लंड को लगाकर धक्का दे दिया और मेरा पूरा लंड गप से माँ की गीली जोश से भरी हुई चूत में पूरा समा गया और फिर क्या था लंड और चूत का वही पुराना खेल शुरू हुआ और सामने लगे उस शीशे में जैसे कोई ब्लूफिल्म चल रही हो, जिसकी हिरोइन मेरी माँ थी और उसका हीरो में खुद। मेरा लंड माँ की चूत में अंदर बाहर हो रहा था, जिससे माँ की चूत बिल्कुल पागल हो रही थी, लेकिन मुझे शीशे में लंड का घुसना और निकलना बहुत अच्छा लग रहा था और उस फुवारे से पानी की वो फुहार हम दोनों पर पड़ रही थी। हम लोग उसकी परवाह ना करके अपने तन की आग को मिटाने में लगे हुए थे और में पीछे से माँ के दोनों बूब्स को पकड़ कर बराबर धक्के लगाए जा रहा था। अब उस शीशे में अपनी चुदाई को देखकर माँ भी बहुत गरम हो चुकी थी, इसलिए माँ भी अपने कूल्हों को अब लगातार आगे पीछे करके मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर कर रही थी और वो अपनी चूत में मेरे लंड को गपागप ले रही थी और वो अब बोलती जा रही थी अरे यार आह्ह्ह्हहह मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ और ज़ोर से धक्के देकर चोदो मेरे सनम उफ्फ्फ हाँ आज तुम जिंदगी का पूरा मज़ा ले लो आईईईई मेरे चोदू बलम तुम्हारा यह लंड बड़ा ही जानदार है हाँ और मारो मेरे राजा धक्का मुझे और ज़ोर से आह्ह्ह मेरे राजा और ज़ोर से और ज़ोर से हाँ तुम आज इस जालिम लंड से मेरी इस चूत को फाड़ दो आह्ह्हह्ह मुझे बहुत अच्छा उह्ह्ह्हह्ह लग रहा है आईईईईई। फिर मैंने उनसे कहा कि पीछे से धक्के देकर चुदाई में मेरे हाथ झुके झुके अब बहुत दुखने लगे है, तब माँ बोली उफफ्फ्फ्फ़ मेरे राजा तुम अब ज़रा रूक जाओ, इस तरह पूरी चुदाई नहीं हो पा रही है और मुझे लगता है कि लेटकर चुदने में पूरा लंड चूत की गहराई तक जाता है और तब झड़ने में बहुत मज़ा आता है। फिर मैंने अपने लंड को माँ की चूत से बाहर निकाल लिया और उसके बाद पानी को बंद किया और अब माँ वहीं पर गीली ज़मीन पर उसी समय नीचे लेट गयी और वो मुझसे बोली कि अब तुम मेरे ऊपर आकर मेरी जमकर मज़ेदार चुदाई करो।

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