माँ की मस्ती का मीठा दर्द

हैल्लो दोस्तों, आज में आपको मेरी सेक्सी माँ की एक नयी स्टोरी सुना रहा हूँ। यूँ तो अब में माँ के साथ सेक्स आनंद उठा चुका था इसलिए में मौका ढूंढता था कि कब मेरे पापा कोई टूर पर जाएँ? और में माँ के साथ मस्ती करूँ? फिर एक दिन जैसे ही मुझे पता चला कि पापा आउट स्टेशन जा रहे है, तो में खुश हो गया। अब वो शाम की ट्रेन से चले गये थे। फिर जब में कोचिंग करके लौटा, तो माँ ने कहा कि जल्दी खाना खा लो, मुझे नींद आ रही है, में आज बहुत थक गयी हूँ। तो मैंने माँ से कहा कि क्या कोई स्पेशल आइटम है क्या? तो वो बोली कि खाओ तब पता चलेगा आज क्या स्पेशल चीज है? फिर उन्होंने खाना डाल दिया, तो में खाना खाने लगा। अब जब वो परोस रही थी तो उनके झुकते समय उनका पल्लू नीचे सरक गया और उनके बूब्स भी दिखने लगे थे, उनके बूब्स बड़े मस्त और गोल-गोल, मोटे-मोटे थे, मुझे उनके बूब्स को देखने में बड़ा मज़ा आता था।

फिर खाना खाने के बाद वो बोली कि अरे दूध पिएगा क्या? उसने आज केशर का दूध बनाया था, मलाई भी डालकर दी थी और साथ में ड्राई फ्रूट्स भी थे। फिर मैंने और उसने दूध पी लिया और बोली कि कैसा लगा मज़ा आया? तो मैंने हंसकर गिलास में बचे हुए दूध की बूँद उनके ब्लाउज में डालकर कहा कि मुझे तो इनका दूध पीना है, उससे ज़्यादा मज़ा और कहाँ है? मुझे यही भाता है। तो वो मादक तरीके से मुस्काराई और बोली कि तू आजकल बदमाश हो गया है और बोली कि मुझे बहुत ज़ोर की नींद आ रही है, अब में सोने जाती हूँ और फिर वो अपने हाथ मुँह धोकर चेंज करने लगी। तो तब मैंने कहा कि में भी चेंज कर लेता हूँ और फिर मैंने भी हाथ मुँह धोया और अपने बदन में बॉडी स्प्रे किया और हाफ पैंट पहनकर तैयार हो गया। अब माँ ने रूम का दरवाज़ा जानबूझकर खुला रखा था।

फिर माँ ने अपने कमरे में जाकर सबसे पहले अपनी साड़ी को खोला और फिर उसके बाद अपने ब्लाउज को खोला। फिर जब माँ अपने ब्लाउज को खोलकर एक हेंगर पर टांकने के बाद अपनी ब्रा को खोलने की कोशिश करने लगी तो तभी में समझ गया कि आज की रात मस्त होगी और फिर में माँ के रूम की तरफ गया। फिर में रूम में अंदर गया तो उस समय माँ अपनी ब्रा को खोलने में लगी हुई थी, उनकी पीठ दरवाजे की तरफ थी। फिर में माँ के पास आ गया और उनकी पीठ पर अपना एक हाथ रखकर अपने हाथ को रगड़ने लगा। तब माँ अचानक से घूम गयी और बोली कि अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तो तब में बोला कि मुझे भी यहीं सोना है, तुम बोलो तो सो जाता हूँ, क्यों अच्छा नहीं लगा क्या? तो तब वो बोली कि नहीं मेरा मतलब है कि तुम यहाँ अचानक आ गये? तो में बोला कि मैंने देखा कि आप अपनी ब्रा को खोलने में असमर्थ थी, तो मैंने सोचा कि में आपकी मदद कर दूँ।

अब उसमें उनकी हामी साफ दिख रही थी। फिर मैंने उनकी चूची को दबा दिया और फिर उनकी ब्रा का हुक खोल दिया, तो उन्होंने अपने बदन से उसे उतारकर नीचे डाल दिया। अब उनकी बड़ी-बड़ी चूची बाहर उछलकर आ गयी थी। अब में जोश में आकर उनकी रसीली चूची से जमकर खेलने लगा था, क्या बड़ी- बड़ी चूचीयाँ थी, खड़ी-खड़ी चूची और लम्बे-लम्बे निप्पल। फिर यह सब देखकर मुझसे रहा नहीं गया तो में ज़ोर-ज़ोर से उनकी चूचीयाँ मसलने लगा और फिर उन्हें चूसने लगा था। फिर में बोला कि आज तो में यही दूध पीऊंगा, मुझे तो यह मस्त कर देता है। तो तब वो बोली कि पी लेना जल्दी क्या है? अब मेरा लंड खड़ा होने लगा था और मेरे अंडरवेयर से बाहर निकलने के लिए ज़ोर लगा रहा था। अब मेरा 8 इंच का लंड पूरे जोश में आ गया था। अब में माँ की चूची मसलते हुए उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और अब मेरा लंड उनकी जाँघो में रगड़ मारने लगा था।

फिर मैंने भी माँ की चूत को अपने एक हाथ से सहला दिया। तो तब माँ ने मेरी पैंट की तरफ देखा और सहलाते हुए बोली कि अरे यह तो बड़ा टाईट हो गया है और पहले से ज़्यादा मोटा और बड़ा हो गया है। फिर इतना सुनने के बाद मैंने माँ के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया, तो वो सरककर जमीन पर जा गिरा। अब में माँ की दाहिनी चूची को धीरे-धीरे दबाने लगा था। फिर तब वो बोली कि आज क्या इरादा है, लगता है तैयार हो गये हो और फिर उसने मेरी पैंट भी खोल दी। फिर मैंने कहा कि आज जब से मैंने आपके भीगे हुए बदन को देखा है मेरे मन में आग सी लगी है और भगवान का शुक्र है आज ही मौका मिल गया, आज में बैचेन हो गया था, आज में आपकी हर कामना को पूरा करना चाहता हूँ और फिर इस तरह से कहते हुए में माँ की चूचीयों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा था।

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फिर मैंने देखा कि अब माँ भी उम्म, सस्स्सस्स, उम्म्म, नहीं, हाईईईईईई, आआअहह की आवाज निकालने लगी थी। अब में भी माँ के कंधे के पास से उनके बाल को हटाते हुए अपने होंठो को माँ के कंधे और गर्दन के बीच में धीरे-धीरे रगड़ने लगा था और माँ के बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसते हुए अपने दूसरे हाथ से माँ की चूत को सहलाने लगा था। फिर जैसे ही मैंने माँ की चूत को सहलाना कुछ देर तक जारी रखा, तो वो अपने आपको रोक नहीं पाई। अब वो अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लगी थी और अब वो मेरे लंड को कसकर पकड़े हुए अपने एक हाथ को मेरे लंड की जड़ तक ले गयी थी, जिससे मेरा सुपाड़ा बाहर आ गया था। अब वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थी और कस-कसकर दबा रही थी। अब तो हम दोनों ही मस्ती में थे। अब हम दोनों बेड पर आ गये थे। अब हल्की रोशनी का लाल नाईट बल्ब जल रहा था, जो माँ के नंगे बदन को और मादक बना दे रहा था। अब वो मेरे लंड को ज़ोर-जोर से हिलाने लगी थी। अब में उनके बूब्स को पकड़कर बारी-बारी से चूसने लगा था। फिर तभी माँ बोली कि अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भरकर दबाओ, चूसो और मज़े लो, में तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ, जैसा चाहे वैसा ही करो।

अब में ऐसे कस-कसकर उनकी चूचीयों को दबा-दबाकर चूस रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़कर पी लूँगा। अब माँ भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। अब उनके मुँह से ओह, ओह, आह, सस्स्स्स की आवाजें निकल रही थी। अब वो मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी। फिर माँ ने अपनी दोनों टांगो को फैला दिया, तो तब मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच में छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला। अब नाईट बल्ब की हल्की रोशनी में चमकते हुए नंगे जिस्म को देखकर में बहुत उत्तेजित हो गया था और अब मेरा लंड खुशी के मारे झूमने लगा था। फिर में तुरंत उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूची को दबाते हुए उनके रसीले होंठो को चूसने लगा था। अब माँ ने भी मुझे कसकर अपने आलिंगन में कसकर जकड़ लिया था और मेरे चुम्मे का जवाब देते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी थी, हाए क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी उनकी? अब में भी उनकी जीभ को ज़ोर शोर से चूसने लगा था।

फिर में उनकी चूची को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा। अब उसकी चूत गीली हो गयी थी। फिर मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत की दरार में घुसा दी, तो वो पूरी तरह से अंदर चली गयी। फिर जैसे जैसे-जैसे मैंने उनकी चूत के अंदर का मुआयना किया तो मेरा मज़ा बढ़ता गया। फिर जैसे ही मेरी उंगली उनकी चूत के दाने से टकराई, तो उन्होंने ज़ोर से सिसकारी लेकर अपनी जाँघो को कसकर बंद कर लिया। अब माँ बेबस हो गयी थी और फिर माँ अपनी दोनों जाँघो को फैलाते हुए बोली कि अब देर क्यों करता है? जल्दी से अपने इसको मेरे अंदर डालो और शुरू हो जाओ। फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत के पास ले जाकर जैसे ही एक धक्का मारा तो मेरा सुपड़ा अंदर चला गया। अब इससे पहले की माँ संभले या आसान बदले, मैंने दूसरा धक्का लगाया तो मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया था। फिर तभी माँ चिल्लाई उईई, हाईईईईईईउहहहह, ओह मेरे राजा ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं, हाए बड़ा जालिम है तेरा लंड।

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अब माँ भी अपनी कमर को हिलाने लगी थी और अब इस तरह से माँ भी मेरी मदद करने लगी थी और अब में माँ की एक चूची को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा था और अपनी कमर को हिलाने लगा था और अब वो भी अपनी कमर को हिला रही थी। अब माँ मेरे हर एक झटके के साथ-साथ एक अजीब सी आवाज निकाल रही थी। फिर कुछ देर के बाद में बोला कि क्या हो रहा है? तो तब माँ बोली कि आह बहुत मज़ा आ रहा है, उम्म, सस्स्सस्स, सस्स्सस्स, आहह, उम की आवाज के साथ ज़ोर-ज़ोर से सांसे लेने लगी थी। अब में अपना लंड उनकी चूत में घुसाकर चुपचाप पड़ा था। अब माँ की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लंड को मसल रही थी। अब उनकी उठी-उठी चूचीयाँ काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी। फिर मैंने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसकी दोनों चूचीयों को पकड़ लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था। तो तब माँ को कुछ राहत मिली और फिर उन्होंने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। फिर माँ मुझसे बोली कि राजा और ज़ोर से करो, चोदो मुझे, ले लो मज़ा जवानी का मेरे राजा और अपनी गांड हिलाने लगी थी। फिर माँ और में लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही अपने काम को अंजाम देते रहे और फिर मैंने अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी, आह अब में क्या मस्ती ले रहा था? अब माँ के मुँह से अजीब- अजीब सी आवाजे निकलने लगी थी। अब में कभी-कभी बीच में ज़ोर-ज़ोर के झटके लगाता, तो माँ पूरी तरह से हिल जाती थी। अब माँ ने अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर रख लिया था और मेरी पीठ को सहला रही थी। अब माँ भी मस्ती में अजीब ही आवाजें निकाल रही थी। फिर कुछ देर के बाद मैंने माँ को फिर से झटके देने शुरू किए तो माँ ने अपनी गर्दन को उठा-उठाकर आहें भरना शुरू कर दिया। फिर मैंने झटके मारते हुए माँ से पूछा कि मस्ती आ रही है क्या? तो तब माँ ने एक अजीब सी आवाज में कहराते हुए जबाब दिया कि मस्ती का मीठा-मीठा दर्द हो रहा है, ऑश, आहह, आआहह और ज़ोर से चोद दे और ज़ोर से, ऊऊओ और झटके दे, आह।

अब मैंने भी अपनी कमर की स्पीड बढ़ा दी थी और अब कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड माँ की चूत में चला गया था, क्योंकि माँ की चूत से पच-पच की आवाज आ रही थी। अब माँ को पूरी मस्ती आ रही थी और अब वो नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर मेरे हर शॉट का जवाब देने लगी थी। फिर कुछ देर के बाद मैंने माँ के होंठो को अपने होंठो में दबा लिया और अपने लंड को माँ की चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर अंदर बाहर करने लगा था। फिर यह सिलसिला पूरे आधे घंटे तक चला। फिर तब जाकर हम दोनों शांत पड़ गये और फिर हम दोनों ऐसे ही सो गये। फिर सुबह जब मेरी नींद खुली तो में माँ की बाँहों में था। फिर माँ ने मेरे गाल पर एक चुम्मा लिया और बोली कि रात को मज़ा आया ना? अब बता तूने कभी गांड मारी या चोदा है क्या? में आज रात को तुझसे गांड मरवाऊंगी, तुझको भी मज़ा आएगा। तो तब मैंने कहा कि वादा, तो वो बोली कि वादा और मेरे लंड पर चुटकी काट दी। फिर मैंने भी उनके बूब्स पर ज़ोर से किस कर लिया। तो माँ सस्स्स्स्सम्म्म की आवाज के साथ पूरी तरह से झटपटा उठी और बोली कि सारी मस्ती आज ही कर लेगा क्या? अभी तो कई रातें है। फिर मैंने भी अपने कपड़े पहने और बिस्तर पर लेटा रहा और फिर माँ भी अपने कपड़े पहनकर उठकर चली गयी ।।



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