मा की काम-वासना

दोस्तों ये कहानी एक सॅकी कहानी है. तो शुरू करता हू. मेरे कॉलेज के दीनो की बात है. मेरे कॉलेज का फंक्षन रखा था. सो पेरेंट्स के साथ आना था. मंडे को दोपहर को फंक्षन था, सो पापा का ऑफीस होने के कारण वो नही आ सकते थे. सो मैं और मा हम दोनो ही जेया रहे थे.

मेरी मा का नाम गीता है. तब मा की उमर 40-41 थी. मैं 1स्ट्रीट एअर में था, और 19 साल का था. मा दिखने में ठीक-ताक है. सावला सा रंग है, लेकिन गड्रीले बदन की मालकिन है. बदन पूरा भरा हुआ है. पके हुए पॅपीट जैसे माममे है मा के.

मा ने उस दिन ड्रेस पहना था मस्त सेक्सी सा. उस दिन तक मेरे दिमाग़ में मा को लेके कभी ऐसे विचार नही आए थे. लेकिन उस हादसे ने मुझे हिला दिया, और मैं अपनी मा को छोड़ने का सोचने लगा, और जल्द ही उसमे कामयाब भी हुआ. कैसे छोड़ा मैने मा को, ये मैं अगले हिस्से में बतौँगा. अभी ये कहानी सुनीएगा.

फंक्षन के लिए मा एक-दूं मेकप करके तैयार होके आई थी. हमारे सिर भी मा के बारे में बातें कर रहे थे. मैं उनके पीछे बैठा था, और उन्हे पता नही था वो मेरी मा थी. सिर बोल रहे थे-

सिर: क्या माल है यार. इसका पति कितना नसीब वाला है. क्या मज़े से छोड़ता होगा इसको.

दूसरा सिर: अर्रे मैं तो ऐसी बीवी को घर से बाहर ही नही निकालने देता. क्या चूस्टी होगी लंड. अगर ये मिल जाए ना, तो मज़ा आ जाएगा छोड़ने में.

मैं ये सब सुन कर गुस्सा होने की बजाए मज़े ले रहा था. पता नही उस दिन से मैं मा के बारे में अलग सोचने लगा था. दोपहर को फंक्षन ख़तम होने के बाद हम बस से घर जेया रहे थे. बस में भीड़ थी, सो मा ने लॅडीस सीट पर मुझे बिता दिया, और खुद मेरी साइड में खड़ी हो गयी.

मैं (मॅन में): मैं मा के बारे में ऐसे कैसे सोच सकता हू? ची! थ है मेरे उपर.

मैं ऐसे पूरी गिल्ट में सोच रहा था. फिर अचानक अगले स्टॉप पे और कॉलेज स्टूडेंट्स चढ़े. कंडक्टर सब को आयेज जाके खड़े रहने पर चिल्ला रहा था.

तभी एक लड़का मा के पीछे आके खड़ा हुआ. वो दिखने में मस्त था गोरा, हटता-कटता. उसको मूचे और दाढ़ी एक-दूं स्टाइलिश थी. मैं खुद देख रहा था उसको, की कॉलेज में उसके जैसे ही बन के जौंगा.

फिर बस चल पड़ी, तो अचानक धक्का लगा. तभी वो लड़का मा को चिपक गया. मा ने पीछे देखा, और मा भी उसको देखती रह गयी. वो बहुत खूबसूरत था. उसने मा को सॉरी बोला, तो मा मान गयी झट से.

ऐसे ही धक्के-धक्के में एक बार मा पीछे गिरने वाली थी उसके उपर, तो उसने पकड़ा मा को कमर पर हाथ रख कर. मा ने उसको थॅंक्स बोला.

अब वो मा को पीछे से चिपक कर खड़ा था. मुझे पता नही लेकिन मा उसको कुछ बोल नही रही थी. शायद वो मा की गांद पर लंड रग़ाद रहा था. अब मा हुलचल कर रही थी. वो बार-बार अपने आप को ठीक कर रही थी झुक के. हिल-डुल के मा शायद उसके लंड को गांद की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी.

मा मुझे देख रही थी, तो मैं सोने का नाटक कर रहा था. मा ने 1-2 बार मुझे पुकारा, लेकिन मैने आँखें बंद कर ली, और जवाब नही दिया. अब उनकी बात चल रही थी.

मा उसको सब बता रही थी अपने बारे में. फिर मैने देखा उसका एक हाथ पीछे आके सीधे मा के मम्मो पर पड़ा. वो मा का मम्मा सहला रहा था 2-3 सेकेंड, और मा कुछ नही बोली. फिर मा ने हाथ नीचे किया, और बोली-

मा: ये क्या कर रहे हो? लोग देख रहे है. फिर उसने मा को अपना कॉलेज का बाग दिया, जो मा ने सामने से पहना जिसकी वजह से उसके अंदर जो कुछ हो वो सामने ना दिखे. अब उसका हाथ मा की छूट को ढूँढ रहा था. शायद क्यूंकी मा बहुत हिल रही थी इसलिए छूट ढूँढनी पद रही थी.

फिर मा ने अचानक अपना हाथ बाग के अंदर के हिस्से की तरफ लिया. मैने देखा मा ने अपनी सलवार का नाडा खोला, और उसका हाथ अंदर डलवा लिया. अब मा आँखें बंद कर रही थी. हल्की-हल्की सिसकिया ले रही थी वो.

बस में कुछ ज़्यादा कर नही सकते थे, इसलिए जब हम उतरे, तो वो भी हमारे साथ उतरा. फिर उसने मुझसे और मा से बातें चालू की. मा ने उसको बोला-

मा: चलो घर छाई पीने.

और वो झट से मान गया. फिर हम घर पर आए. मा ने मुझे शक्कर लाने भेजा. मैं जाना नही चाहता था, लेकिन मैं दौड़ के गया, और वापस दबे पावं आया.

वो सला हरामी किचन में था. वो मेरी मा को बाहों में भर कर चुम्मा छाती कर रहा था. मा उसको कह रही थी-

मा: तोड़ा इंतेज़ार करो. मैं आशु को नीचे भेजती हू.

फिर मैने झट से वापस बाहर जेया कर दरवाज़ा बजाया. मा आई सहमी हुई. फिर छाई पीने के बाद मा मुझे खेलने जाने बोलने लगी.

मैने भी दिमाग़ लगाया, की अगर मैं यहा से नही हिला, तो ये लोग कुछ नही कर पाएँगे. तो मैने मा से कहा-

मैं: मैं दोस्त के घर जाता हू, रात को सीधा खाने पे लौटूँगा.

मैं जाने से पहले कंप्यूटर पर कॅमरा ओं करके वाहा से साइबर केफे चला गया. वाहा जेया कर मैने उस कॅमरा को ओपन किया. 5-7 मिनिट्स तो मेरे रूम में कोई नही आया. फिर अचानक दरवाज़ा खुला.

मा उस लड़के के गोदी में थी, और दोनो चुम्मा-छाती कर रहे थे. उसने मा को मेरे बेड पर पटका, और दरवाज़े की कुण्डी लगाई. फिर वो दोनो नंगे हुए.

पहली बार लिव सेक्स वीडियो देख रहा था मैं, और वो भी अपने खुद की मा की. लंड खड़ा हो गया था मेरा. मा का बदन देख मेरा हाथ लंड पर चला गया. मा की छूट बालों से भारी थी. उसने मा के सर को पकड़ कर लंड पर लगाया. मा भी बिना हिचके लंड मूह में लेके चूसने लगी.

वो बाल पकड़ कर मा के मूह को छोड़ रहा था. अब मा ने पैर फिलाए तो मा की बालों से भारी छूट दिखी. उसने बिना कॉंडम लंड डाला, और छोड़ने लगा. मा मस्त गांद उठा-उठा कर चुड रही थी. अब वो तक गया तो वो नीचे लेट गया, और मा को उपर चढ़ाया. मा उछाल-उछाल कर लंड ले रही थी अंदर.

अब वो मा को कंप्यूटर की तरफ डॉगी बना कर पीछे से छोड़ने लगा. मा के पॅपीट जैसे माममे ऐसे उछाल रहे थे जैसे कभी भी गिर जाएँगे. वो मा की गांद पर फटके मार रहा था, और मा भी मज़े से छुड़वा रही थी.

मा अपने बाल पकड़ कर उसको दे रही थी. और बीच-बीच में उसके हाथ पकड़ कर मम्मो पर रखवती थी. सला ऐसे मसल रहा था जैसे दूध निकाल रहा हो. फिर वो मा के अंदर ही झाड़ गया.

अब मैं देर से जाने वाला था, सो सेयेल ऐसे ही नंगे सो गये थे. फिर वो वापस गरम हो रहे थे. बातें चल रही थी, हस्सी मज़ाक चल रहा था. वो मा के हाथ में लंड देकर चूसने को बोल रहा था.

अब इस बार मैने ये वीडियो रेकॉर्ड कर ली, क्या पता कब काम आए. फिर और एक बार मा को छोड़ने के बाद वो चला गया. मा ने घर की सॉफ सफाई की, और नहा के ऐसे ही घर में नंगी घूम रही थी.

थोड़ी देर बाद मैं घर गया. मेरे कमरे में जेया कर मैने कंप्यूटर पर वो रेकॉर्डिंग डाउनलोड करी. मेरे बेड की बेडशीट बदल दी थी मा ने. शायद उस पर वीर्या के निशान पड़े होंगे. मा की पनटी ग़लती से यही मेरे कमरे में रह गयी थी बिस्तर के नीचे. मा 2-3 बार आ कर ढूँढ रही थी. पर मेरे पूछने पर कुछ नही कह कर चली गयी.

रात को जब मुझे वो पनटी मिली, उसपर वाइट दाग पड़े थे. शायद बस में जब उसने मा की छूट गीली की थी, उसका धब्बा था. मैने सूँघा तो मा की पसीने की, औट गीली छूट की स्मेल थी. वो स्मेल लेके मैने रात को हिलाया. और पहली बार इतना ज़्यादा सफेद माल निकला.

मैने वो पनटी से ही पोंचा. अब मैने तान लिया था मा की छूट छोड़े बिना नही रहूँगा. उसके लिए मुझे 3 साल लगे, लेकिन मा मेरे जाल में फ़ासस गयी. अब वो कैसे फ़ससी, ये अगली कहानी में पढ़िएगा.

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