मा की चूत मे पड़ोसी का पानी

तो मे सबसे फेले आपको बता देता हू की मई देल्ही मे रहता हूँ और इस कहानी मे कों कों है.

फादर – राजेश (जॉब करते है).

मदर- सुषमा (तूतिओं टीचर).

मे- शुभम (स्टूडेंट).

मेरा छोटा भाई – इमरान (मुस्लिम अंकल का बेटा) यह आपको आयेज पता चलेगा.

यह कहानी लॉक्कडोवन् के टाइम की है. मई जनता हूँ की लॉक्कडोवन् हुए बहोट टाइम हो गया है. लेकिन मुझे कहानी सोच के लिखने मे टाइम लग गया. ताकि उस पल की एक एक बात आपको बता पौन.

मेरी मा की उमर लगबघ 36 के आस पास होगी. उसका रंग सावला है, बूब्स बहोट बड़े है और गांद एकदम उठी पड़ी है. ऐसे दिखती है की आप देख के ही मूठ मार लो, साइज़ आपको आयेज पता चलेगा.

पापा की उमर जयदा है, 48. मेरी उमर 16 की है.

मेरे पापा एक इंजिनियर है तो यूयेसेस टाइम वो अपने बॉस के साथ बिज़्नेस तौर पे गये थे बिज़्नेस डील करने. लेकिन किसे पता था की उस टाइम करोना आ जाएगा और लॉक्कडोवन् लग जाएगा. तो उस वजह से पापा फॉरिन मे रुक गये. पापा के बॉस काफ़ी पैसे वेल थे इसलिए कोई तकलीफ़ नही हुई उनको और हुमको.

हमारा अपना घर था इसलिए कोई तकलीफ़ भी नही हुई. पर हमारा घर फ्लोर मे था जो की सिर्फ़ 3 फ्लोर का ही था. ग्राउंड फ्लोर मे एक फॅमिली रहती थी और टॉप फ्लोर खाली था.

जिनका वो टॉप फ्लोर था वो एक मुस्लिम फॅमिली थी जो अब क़ुअतेर मे सिफ्ट हो गयी थी क्योंकि उनके बेटे की वही जॉब लग गयी थी. तो उपेर फ्लोर वाला खाली था.

एक दिन पापा का कॉल आया तो कॉल मैने उठाया. मम्मी उस टाइम पूजा कर रही थी. आपको बता दूं की मम्मी भगवान को बहोट मानती है दिल से.

पापा- कैसे हो बेटा?

मे- ठीक हूँ आप बताओ?

पापा- मई भी ठीक हूँ.

मे- पापा आपकी बहोट याद आती है.

पापा- मेरे को भी बेटा, तेरी और तेरी मा की (उदास आवाज़ मे) याद आती है.

मे- रूको पापा मे मम्मी को फोन देता हू.

पापा- ठीक है.

मई आवाज़ लगते हुए तेज – मम्मी पापा का कॉल आया है..

मम्मी जल्दी से भागते हुए आई, मम्मी एकदम खुश हो गयी और बोली – कैसे हो आप? आपकी बहोट याद आती है, जल्दी से लॉक्कडोवन् ख़तम हो जाए तो आप से जल्दी मिल पौन, खाना खाया अपने की नही?

(इतने सारे सवाल सुन के पापा की तो बोलती ही बंद हो गयी. लेकिन करते भी क्या दूर जो है हम से).

पापा- अरे मेरी बात तो सुनो, एक ज़रूरी बात है, बहोट ज़रूरी.

मम्मी- हन बोलो क्या हुआ?

पापा- अरे वो अपने टॉप फ्लोर वेल जो मुस्लिम फॅमिली रहते है ना. उनका कॉल आया था, वो कह रहे थे की उनका कोई दोस्त है जो की बंगाल से देल्ही घूमने आया था. पर वो लॉक्कडोवन् की वजह से फस गया है. वो अभी होटेल मे रुके है.

मम्मी- ह्म बड़ी तकलीफ़ मे होंगे बेचारे.

पापा- हन वो तो है. इसलिए टॉप फ्लोर वेल फॅमिली ने बोला है की उन्हे उनके फ्लोर जो खाली है काई सालो से उसमे उन्हे रुकने को बोल दिया है. उनका कॉल आया था की हमारे पास जो ड्यूप्लिकेट के है वो उन्हे डेडू. पर उन्हे नही पता की मई खुद फॉरिन मे फसा हूँ. तो तुम उन्हे वो के दे देना, वो आज या कल तक आ जाएँगे.

मम्मी- लेकिन मई उन्हे पहचअनूँगी कैसे?

पापा- उनका नाम असीम करिशी है, तुम उनसे उनका नाम पूछ लेना.

मम्मी- ठीक है पर उनके साथ कों कों है?

पापा- उनकी फॅमिली है और कोई नही है.

मम्मी- चलो ठीक है मई दे दूँगी.

पापा- अछा एक बात बोलूं.?

मम्मी- हन बोलो?

पापा- अगर तुम्हे कोई परेशानी ना हो तो टॉप फ्लोर वेल घर की सफाई कर देना. जब वो उनके लिए इतना कर सकते है तो हम क्यों नही.

मम्मी- सही बोलूं तो मई भी यही सोच रही थी. हमे भी थोड़ी मदद कर देनी चाहिए.

पापा- हन चलो ठीक है मिलते बहोट जल्दी.

मम्मी- हन बहोट जल्द मिलते है.

पापा- अछा सुनो एक और बात उन्हे हिन्दी बहोट कम आती है तो तुम देख लेना.

मम्मी- ठीक है.

फिर थोड़ी देर बाद मम्मी ने टॉप फ्लोर वेल घर की चाबी ली और उपर जाने लगी. तभी मैने पूछा कहा जेया रहे हो? मम्मी ने मुझे सारी बाते बताई.

तब मई भी मम्मी के साथ उपर चला गया हेल्प करने.

जैसे ही मम्मी ने डोर ओपन किया तो धूल से छींख नही रुक रही थी. तब मैने और मम्मी ने मूह पे कपड़ा बाँध के सफाई की.

सफाई के डॉरॅन हमे फ्लोर से फटे हुए कॉंडम, फटी हुई निघट्य, फटी हुए ब्रा, पनटी और सेक्स टॉय भी मिले. यह देख मम्मी चोंक गयी की यह सब चीज़ यहा क्या कर रहे है.

आपको बता दूं की जो सेक्स टॉय है वो मुझे सोफे के नीचे मिला था जो की एक फेक छूट (पुसी) थी. मई उसको हाथ मे लेके खेने लगा तभी मम्मी ने देखा और बोला-

मम्मी- यह क्या है तेरे हाथ मे?

मे- पता नही मम्मी सोफे के नीचे मिला था.

मम्मी- दिखा ज़रा देखु क्या है.

मम्मी देख के चोंक गयी और उसे मेरे हतों से चीन लिया और बोला तू नीचे जेया मई आ रही हूँ.

थोड़ी देर बाद मम्मी नीचे आई तो मैने मम्मी से पूछा क्या था वो?

मम्मी- नही वो एक क्लीनर था.

मे- किस चेज़ का?

मम्मी- अभी तू वो सब छोड़ और पढ़ने बैठ (क्योंकि मम्मी एक टूटर भी थी तो बहोट स्ट्रिक्ट भी थी पड़ाई को लेकर).

तभी रात करीब 11:00 भजे हमारी डोर बेल बाजी. मई और मम्मी सोने जेया रहे थे तभी हम दोनो देखने गये की इतनी रात को कों आया होगा. हुँने डोर ओपन किया तो देखा 2 आदमी और एक बचा था साथ मे.

मम्मी- जी आप कों हो, क्या चाहिए आपको?

यूयेसेस समय मम्मी ने निघट्य पहनी थी जो की ब्लॅक कलर की थी और वो भी हाफ जो सिर्फ़ जाँघो (थाइस) तक को दाख रही थी और बहोट टाइट भी थी. मम्मी के बूब्स बड़े होने के वजह से वो फिट नही हो रहे थे.

अंकल- जी मेरा नाम असीम करिशी है आपको कॉल आया होगा?

मम्मी- जी हन आइए अंदर बैठिए.

अंकल- नही नही बहोट रात हो चुकी है अभी हम आपको परेशन करना नही चाहते, आप हमे हमारा फ्लोर बता दीजिए.

मम्मी- ठीक है एक मीं रुकिये मई के लेके आती हूँ.

जब मम्मी जाने लगी तब दोनो अंकल मम्मी की गांद देख रहे थे.

(आपको बता दूं के उनके साथ उनका बेटा जो के 5 साल का है. वो उनका बेटा था लेकिन उनके साथ कोई लेडी नही थी. वो दोनो बाप बेटा धोती मे आए थे क्योंकि बंगाल मे धोती जयदा चलती है और रात भी थी इसलिए.)

जब मम्मी चाभी लेके आई तब अंकल ने चाभी ली और बोला की- आप सो जाइए, मई आप से कल बात करता हूँ और अपने घर वालो से मिलता हूँ.

मम्मी- ठीक है कल आप छाई नास्टा यही करना.

अंकल – जी बिल्कुल अब तो आपकी ही की छात्रा छाया है (स्माइल देते हुए.)

नेक्स्ट पार्ट मे आगे की स्टोरी.

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