मा की चुदाई, और बहन के साथ सेक्स की कहानी

मा ( बुरी तरह हाँफ कर सिसकिया लेती हुई): आअहह हुहह हुहह हा मेरा पति रोज़ छोड़ता है मुझे.

ये सुन कर गग्गू दादा और नागपाल और भड़क गये, और पीछे से नागपाल, का लंड गत्री की नंगी गांद में जाने लगा. गग्गू दादा ने आयेज से गत्री का चूचा पकड़ कर बुरी तरह भींच दिया. मा चिल्ला पड़ी.

गग्गू दादा: कितना छोड़ता है तुझे, बता? दिन में कितनी बार छोड़ता है?

मा ( हानफते हुए): हुहह हुहह, पूरा दिन. जब उनका मॅन करता है तब हुहह हा. बस, बस, बस.

गग्गू दादा: हुहहुऊंम्म पता था मुझे साली, तू चीज़ ही ऐसी है. अब तेरी इस गीली गुलाबी छूट को देख कर मेरा तो शैतान बाहर आ रहा है. बोल साली, उसके लंड का पानी भी पीटी है ना तू?

मा ने सिसकिया भरते हुए हा में सिर हिला दिया.

गग्गू दादा: साली रोज़ तेरा पति तेरी छूट को फाड़ता है ना. आज देख हम दोनो तेरा कैसे भोंसड़ा बना देंगे.

और इतना बोलते ही पीछे से पकड़े हुए नागपाल ने मा का मूह बंद कर दिया, और एक ही झटके में मा की गांद में लंड घुसेध डाला.

मा: आअहह

गत्री काँप गयी. उसकी गांद चीरते हुए नागपाल का लंड अंदर चला गया, और बेचारी चिल्ला भी नही पाई. मा आयेज होने लगी, लेकिन आयेज से गग्गू दादा ने कस्स के मा की कमर पकड़ कर लंड उसकी गीली छूट में डाल दिया.

बहनचोड़, गत्री तो बस एक कुटिया की तरह उनके बीच में फ़ासस गयी. उसकी मादक गांद और क़ास्सी हुई गीली छूट में जब दोनो ने लंड घुसेध दिए, तो गत्री की आँखें उपर चढ़ गयी और काँपते हुए उसने चूड़ना शुरू कर दिया.

नागपाल: बहनचोड़, क्या गांद है. ले साली अंदर तक आज तो.

गग्गू दादा: आहह आहह आहह आहह साली. तेरे जैसी छूट नही मारी आज तक. बहुत गरम औरत है तू.

मा चाह कर भी कुछ बोल नही सकती थी. उन दोनो ने उसका मूह कर रखा था. उसकी गांद और छूट बुरी तरह चुड रही थी, और चेहरा लाल पद गया था. आँखें लाल पद गयी थी, पर वो चिल्ला नही सकती थी. ऐसे मादक जिस्म को नागपाल और गग्गू दादा ने जितना रगड़ने का दूं था रगड़ा. उन्होने बुरी तरह गत्री की गांद और छूट में लंड घुसेध कर उसको छोड़ डाला.

30 मिनिट हो चुके थे. गत्री की हालत किसी गांद मर्री कुटिया की तरह हो चुकी थी. वो कब से उन दोनो के बीच में कुटिया बन कर चुड़े जेया रही थी, और ये दोनो उसका मूह बंद करके उसको छोड़े जेया रहे थे. बहुत मादक सीन था, और आख़िर-कार दोनो का लंड पानी निकालने को हो गया.

दोनो ने अपना लंड गत्री की छूट और गांद से निकाला, और गत्री एक-दूं नीचे गिर पड़ी हाँफती हुई. उसके चुड़े हुए मादक जिस्म पर दोनो ने अपने लंड का पानी निकाल दिया, और मुस्कुराते हुए वही बैठ गये.

नागपाल: क्या चीज़ है साली हुहह. साली मेरी बीवी होती, तो तुझे पर्धन नही, अपने बिस्तर की कुटिया बना कर रखता. तुझे छोड़-छोड़ कर बच्चे पैदा करता, और बच्चो के साथ तेरे इन मोटे चूचों का दूध निचोढ़ देता.

मा बस नीचे पड़ी हुई गहरी साँसे ले रही थी. तीनो नंगे होके पड़े थे, और दोनो मर्द नंगी पड़ी हुई गत्री के जिस्म को घूर रहे थे. छोड़ने के बाद भी दोनो का मॅन नही भरा था. दोनो की नज़र मा की क़ास्सी हुई गुलाबी छूट पर पड़ी, और उसको देखते हुए दोनो की लार टपकाने लगी.

गग्गू दादा: देख नागपाल, क्या छूट है इसकी. साली इतनी गुलाबी, और क़ास्सी हुई छूट है, जैसे कोई 20 साल की अप्सरा हो. मॅन करता है इसकी छूट को चूस कर इसका पानी पी जौ.

मा शर्मा कर मुस्कुराने लगी, और अपनी मुलयूं गुलाब जैसी मासूम क़ास्सी हुई छूट को च्छुपाने लगी. तभी नागपाल ने मा की टाँग फिर से खोल दी, और उस छूट को मसालने लगा.

नागोआल: अहहुऊँ, सही बोले दादा. इतना चूड़ने के बाद भी एक-दूं क़ास्सी हुई मुलायम छूट. उउंम्म, क्या चीज़ है तू?

मा: आहह हुहह एल

नागपाल इतनी मुलायम गुलाबी छूट को पकड़ कर मसालने लगा, और उसकी फाँक से खेलने लगा. मा की सिसकिया और साँस और भी गहरी हो गयी. वो सोचने लगी, की अब क्या करेंगे ये दोनो. अभी तो दोनो ने मिल कर छोड़ा था उसको. पर नागपाल और दादा अब गत्री की छूट को और मसालने लगे.

मा: ह हुहह.

गागु दादा: देख साली कैसे तड़प रही है. तेरे अंदर अभी भी गर्मी है साली. लगता है तेरी इस गुलाब जैसी मुलायम छूट का पानी निकालना पड़ेगा.

नागपाल: उम्म्म्म, सच में दादा, अप्सरा है ये पूरी. मॅन करता है इसको छोड़-छोड़ कर इसकी इस गुलाबी छूट का पानी पीटा राहु बस.

और अगले ही सेकेंड दोनो ने मा की टाँग खोल दी, और एक साथ मा की फाँक को कुत्टो की तरह चूसना शुरू कर दिया. मा को एक-दूं झटका लगा. उसकी आँखें बंद होने लगी, और जिस्म अकड़ने लगा.

नागोआल: उउम्म्म्मम, क्या स्वाद है तेरा मेरी जान.

मा ( गहरी साँस भरते हुए ): आ ह्म उफ़फ्फ़.

नागपाल और गग्गू दादा मा के जवान अप्सरा जैसे जिस्म की उस नाज़ुक काली जैसी छूट के अंदर जीभ डाल उसकी नाज़ुक खाल को चूस रहे थे. मा और पागल होती जेया रही थी, और लास्ट में-

मा: आहह मम्मी, बस-बस मेरा पानी आहह.

और आख़िर दोनो ने कुत्टो की तरह चूस चूस कर गत्री की उस क़ास्सी हुई छूट का पानी निकाल दिया. एक तेज़ प्रेशर के साथ गत्री की छूट से पानी निकल गया, और दोनो ने मुस्कुराते हुए उसको पीना शुरू कर दिया.

नागपाल और गग्गू दादा को जैसे अमृत मिल गया हो. मा अभी भी हाँफ रही थी, और कुछ देर बाद तीनो वाहा से आ गये. 2 बार रग़ाद कर चुड चुकी मा भी अब शर्मा कर बाहर आ गयी, और शाम तक रॅली में दोनो ने मा का पीछा नही छ्चोढा.

इतना छोड़ने के बाद भी वो उसकी कमर और चूचों को मसल-मसल कर मज़ा करते ही रहे. फिर रात को जैसा की मैने वादा किया था, की मा की रात भर जमके छूट मारी, और छोड़-छोड़ कर उसकी क़ास्सी हुई गुलाबी छूट को अपने वीर्या से भर दिया. सुबा चाची नंगी चूड़ी हुई, और लेती हुई गत्री के पास पानी का ग्लास लेके आई.

चाची: पूरा जानवर है, देख कैसे तेरी जान निकाल दी. इसकी शादी क्यू नही करवा देती.

मा: हुहह हुहह, नही करेगा वो शादी दीदी. जब तक मेरे जिस्म को पूरा निचोढ़ नही देगा.

चाची ( मुस्कुराते हुए): उसकी भी ग़लती नही है. तेरे जैसी इतनी मादक मा हो तो बेटा तो रोज़ ऐसे ही छोड़ेगा ना.

मा भी मुस्कुराने लगी. ये सब चल ही रहा था, की सुबा-सुबा अचानक रोशनी दीदी आ गयी. रोशनी वही चाचा जी की लड़की जिसकी शादी के दिन मैने उनको छोड़ा था. घर में आके उनकी आवाज़ सुन कर चाची और मा एक-दूं रेडी हो गये.

चाची: अर्रे रोशनी, बेटा तू? अर्रे दामाद जी, आप भी आए है.

उनके साथ एक 2 साल बच्चा भी था उनका. कुछ देर बाद मा भी बाहर आ गयी.

मा: अर्रे रोशनी बेटा, कैसी है तू?

रोशनी: नमस्ते गत्री चाची. मैं अची हू, आप कैसी है?

मा: मैं भी ठीक हू. अर्रे दामाद जी, आप कैसे है.

मनीष: जी ठीक हू, नमस्ते.

मा: नमस्ते.

रोशनी दीदी अपने बच्चे और पति के साथ शादी के बाद माइके आई थी. मैं बाहर गया था. फिर सभी बात करने लगे और नाश्ता करने लगे. कुछ देर बाद मैं आया, और रोशनी दीदी को देखते ही फ्लॅशबॅक हो गया. रोशनी दीदी शर्मा कर मुस्कुराइ, और मूह नीचे कर लिया. लेकिन मनीष जीजा को तो कुछ पता नही था, और कोई ज़रूरत भी नही थी.

मनीष: अर्रे सुनील, कैसे हो?

मैं: नमस्ते जीजा जी, अछा हू आप सूनाओ.

मनीष: बस मैं भी बाड़िया हू. अपनी दीदी से मिलो

मैं: कैसी हो दीदी?

रोशनी( शरमाते हुए): अची हू सुनील.

सच काहु तो मेरी नज़र सीधा दीदी के पल्लू के अंदर चमक रही उनकी कमर और पेट पर थी. दीदी पहले से हेल्ती हो गयी थी. और अब तो उनका पेट और भी मुलायम और चर्बी वाला हो गया होगा. उम्म्म्म, कमर भी और चिकनी हो गयी होगी.

इतने टाइम बाद कोई नया माल आया था. मेरा दीदी को देख कर दिमाग़ चलने लगा, की अब तो दीदी को बहुत छोड़ूँगा. शादी के बाद घर आई नयी भाभी को छोड़ने का अपना मज़ा है. पर रोशनी दीदी जीजा जी के सामने तोड़ा श्रीफ बन रही थी, और ये नॉर्मल ही था.

उन्होने देख लिया था, की मैं घूर रहा था, पर वो कुछ बोली नही. शाम तक मैं बिज़ी रहा रॅली में. मा और चाची और दीदी सब बातें कर रहे थे. शाम को जब मैं घर आया, तो मैने देखा जीजा जी मा और चाची बाहर बात कर रहे थे. मैं अंदर गया, और सारी में अंदर रोशनी दीदी छाई बना रही थी.

उम्म्म्म, इतने दीनो बाद रोशनी दीदी की चिकनी कमर देखी थी. उम्म्म्म, साली को पकड़ कर नोच लूँगा. सुबा से मैं भी भरा हुआ था.

फिर मैं गया और एक-दूं से दीदी की चिकनी कमर मसालते हुए उनके पल्लू के अंदर हाथ घुसा कर पकड़ लिया. ओह बहनचोड़! ये तो और भी मुलायम हो गयी थी. पर वो थोड़ी शॉक हो गयी.

रोशनी: आहह हा, कों है? सुनील.

मैं: क्या दीदी आप भी इतना दर्र गयी. मैं ही तो हू.

रोशनी दीदी तोड़ा दर्र गयी क्यूंकी बाहर जीजा जी थे, और चाची भी. वो तोड़ा दर्र गयी, और मेरा हाथ हटाने लगी.

रोशनी: हुहह सुनील देखो हुहह रूको, अभी ये सब नही. देखो रूको तोड़ा. सुनील अब शादी हो गयी मेरी.

लेकिन रोशनी का मुलायम पेट मसल कर मज़ा आ रहा था. मैने और ज़ोर से उसका पेट मसल दिया, और रोशनी दीदी की सिसकिया निकालने लगी.

रोशनी: हुहह हुहह सुनील, मान जाओ, बस अब.

मैं: दीदी इतने दीनो बाद आई हो, उउम्म्म्म. तुम्हे छोड़ना है अब मुझे.

फिर मैने पेट मसालते हुए दीदी की नाभि में उंगली डाल दी, और मसालने लगा.

रोशनी: आहह, बस करो. नो प्लीज़ सुनील.

तभी रोशनी दीदी का वो छ्होटा बच्चा किचन में खेलते हुए आ गया. उसका नाम कमाल था.

कमाल: मम्मी, मम्मी, मम्मी.

हम दोनो एक-दूं पीछे हो गये, और

रोहनी बोली-

रोशनी: क्या हुआ बेटा?

कमाल: मम्मी मुझे बाहर घूमना है.

ये सुन कर मैं सोचने लगा: नही यार रोशनी दीदी को बाहर कैसे जाने डू. इनको तो अभी बहुत चूसना है, और छोड़ना भी है.

रोशनी: हा बेटा, अभी चलेंगे.

मैं: अर्रे कमाल, मैं तुझे बहुत खिलोने और आइस क्रीम दिलौँगा. मेरे साथ चल

बच्चा.

खिलोने सुन कर वो मान ही जाता है, और कहता है-

कमाल: तो चलो ना भैया. अभी चलना है मुझे.

मैं: बस बेटा अभी आया. ये ले 50 रुपय, बाहर जाके खेलो, मैं बस अभी आया.

और कमाल चला गया, जिससे मुझे सुकून मिला. रोशनी दीदी मुस्कुराने लगी, और मैने देखा उन्होने पल्लू साइड कर लिया और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.

मैं: क्या बात है दीदी. इतना क्यू मुस्कुरा रही हो?

रोशनी ( शरमाते हुए): तुम अपने बच्चे को पहचान नही पाए.

मैं: क्या मतलब?

रोशनी: अछा जी, शादी के दिन हमने कितना सेक्स करा था, और फिर तुमने सारा पानी अपना मेरे अंदर भर दिया था. तुमने मुझे शादी से पहले ही प्रेग्नेंट कर दिया था.

मैं: क्या बात है दीदी.

दीदी शर्मा कर मुस्कुराने लगी.

मैं: और जीजा जी?

रोशनी: उनको लगता है उनका ही है.

मैं: और तुम्हे कैसे पता ये मेरा है?

रोशनी: तुमने मेरे अंदर इतना भर दिया था, तो मैने अगले दिन चेक करा.

मैने रोशनी को कस्स के पकड़ ल्लिया, और पल्लू खींचने लगा.

रोशनी: आआहह, हुहह, हुहह, रूको सुनील.

मैं: दीदी अब तो आपको इतना छोड़ूँगा, की 1 नही 2-2 बच्चे पैदा होंगे तुम्हारे.

दीदी मुझे रोकने लगी, पर मैने उनका पल्लू खींच लिया, और एक-दूं ब्लाउस के उपर से दीदी के चूचे आधे बाहर निकले हुए थे. उनकी साँस तेज़ चल रही थी.

मैने आव देखा ना ताव, और सीधा उनकी च्चती को कुत्टो की तरह चूसने लगा.

बहनचोड़! इतने महीनो बाद दीदी की मुलायम दूध से भारी च्चती. दीदी ने आवाज़ बंद करने के लिए अपना मूह बंद कर लिया. पर उनकी सिसकिया निकल रही थी. किसी तरह अपना मूह बंद करके वो मुझे अपनी च्चती चूसने दे रही थी.

रोशनी: ह ह्म.

वो सिसकिया तो लेना चाहती थी, पर ले नही सकती थी. तभी जीजा जी ने एक और आवाज़ लगाई, और हम रुक गये. दीदी अपनी च्चती पर मेरी लार देख कर मुस्कुराने लगी.

रोशनी: अभी भी वही जानवर है तू.

मैं: दीदी ये जानवर आपको छोड़ने के लिए तड़प रहा है.

फिर दीदी बाहर जाने लगी, और मैने एक-दूं से उनको पकड़ ल्लिया.

रोशनी: आउच! जाने दे ना, तेरे जीजा जी बुला रहे है.

मेरी आँखों में भूख देख कर दीदी समझ गयी, और बोली-

रोशनी ( शरमाते हुए): मैं रात को इनके सोने के बाद तेरे पास आ जौंगी. सुनील अब मेरी शादी हो गयी है, रहने दे ना.

मैं: दीदी नही आई ना, तो जीजा जी के बिस्तर पर ही आपको छोड़ूँगा.

रोशनी दीदी मुस्कुराती हुई बाहर चली गयी. उसके बाद थोड़ी बात होने लगी. जीजा जी बहुत शांत और शरीफ इंसान थे. उनसे बात करके मैं भी फ्रॅंक हो गया था. वो भी ज़मींदार के बेटे थे, और उनका भी अछा ख़ासा सब्ज़ियों का बिज़्नेस था.

पर अब क्या कर सकते थे, दीदी को छोड़ना ही था ना. दोपहर का टाइम था, और सब बातें करके और खाना खा कर सो चुके थे. हालाँकि दीदी दर्र रही थी की अब शादी हो चुकी थी उनकी, पर मेरी हवस का क्या करेगी.

अब मैं पागल हो रहा था दीदी को देख कर. तो मैं भी अब आराम कर रहा था, क्यूंकी रात भर मेरे से चूड़ने का वादा कर चुकी थी दीदी. तो इसलिए अब बस आराम करना था.

मा कपड़े धो कर सूखा रही थी. दीदी और चाची आराम कर रहे थे, की तभी कपड़े धोती हुई मा के पास जीजा जी गये, और आराम से खड़े होके देखने लगे.

मा: अर्रे दामाद जी, आप यहा? आराम नही कर रहे?

मनीष जीजा: अर्रे वो तो रात को कर लेंगे. बस आपको देखा तो आ गया.

एक तो मा का ऐसा मादक जिस्म, उपर से धूप में पसीने में उनकी दूध से भारी च्चती, और कड़क मादक लग रही थी. निपल चोली में पसीने में भीग कर लंड खड़ा कर रहे थे, और पीछे से नंगी कमर एक-दूं.

उम्म उसके नीचे मोटी गोल गांद की लाइन, और सामने इतना मुलायम पेट. साली धूप में एक-दूं चूड़ने के लिए तैयार अप्सरा लग रही थी मा. कुछ और बात होने लगी फिर होते-होते. मा के जिस्म को देख कर मेरे शरीफ जीजा के जज़्बात बाहर आने लगे.

अब वो मा पर लाइन मारने लगे. धूप में घग्रा चोली में कपड़े धो रही मा भी शर्मा कर उनसे बात करने लगी. वो भी शायद समझ गयी थी, की उसका जिस्म देख कर शायद दामाद जी होश खो रहे थे. उसने देख लिया की दामाद जी उसका पेट और च्चती घूर रहे थे.

मनीष: आप तो काफ़ी सुंदर हो अभी भी.

मा (शरमाते हुए): अर्रे नही, अब तो बस ऐसे ही.

मनीष: अगर रोशनी नही होती, तो मैं आपसे शादी कर लेता.

ये सुन कर मा शर्मा गयी,

मनीष: मैने तो अपने घर में बता दिया मेरी चाची बहुत सुंदर और जवान है अभी.

मा( शरमाते हुए): क्या दामाद जी, आप तो मेरे पीछे पद गये.

मनीष: अर्रे आप हो ही इतनी सुंदर, अब क्या करू मैं? पर मैं आपसे नाराज़ हू.

मा: क्यू भला, इतना अछा नाश्ता करवाया आपको, बताओ क्या ग़लती है हमारी?

मनीष: आप मेरे से गले नही मिली, घर के दामाद का ऐसा वेलकम कों करता है?

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में.

यह कहानी भी पड़े  सगी बहन की पेंटी देख कर चुदाई की


error: Content is protected !!