मा के साथ शादी

हेलो दोस्तो मैं पुजारा लेकर आया हूँ मेरी प्यारी सी सीरीस “मा से प्यार” का नेक्स्ट पार्ट. जैसे की पिछली पार्ट मेी आप लोगो ने पढ़ा था की मैं और मा दोनो अब शादी के बंधन में भांड ने जा रहे है मेरे वापिस शहेर मेी जाने से पहले. क्यूंकी अब मा मुझे पति के रूप मेी देखने लगी थी और मेी उनको पत्नी के रूप में.

उधर पापा हम दोनो के इश्स अनोखे रिश्ते हो कॅप्चर करने में लगे टेयै. तो चलिए अब कहानी में आयेज आते है. दिल थाम के बेतिए और लड़के अपना लंड हिलाए कहानी को एंजाय करते हुए और लड़किया अपनी छूट में उंगली करे और आनंद ले आचे से.

तो अब कहानी में आयेज:-

जैसे ही मैं और मा दोनो अग्नि के आयेज बेते और पापा को कॅमरा दे दिया हुमारी इश्स अनोखी शादी को आचे से रेकॉर्ड कर सके और तब ही मैने कहा-

मैं: मा अब हुमारी शादी होने जा रही है और इश्स शादी में जैसा मैं कहूँगा वैसे ही करना होगा तभी शादी को माना जाएगा.

मा: ठीक है बेटा तू जैसा कहे मैं त्यार हूँ हर चीज़ के लिए.

जैसे ही मा ने ऐसा कहा मेरा लंड वही खड़ा हो गया. पर फिर अपने आप को कंट्रोल कर के फिर से शादी की तरफ फोकस करने लगा. और कहा चलो अब चालू करते है शादी का प्रोग्राम.

इतना कहते ही मैने अग्नि खुंद मेी आग लगाई और फिर साइड से अपना फोन निकल के शादी के मंतरा चालू किए. जिसमे हम दोनो अग्नि खुंद मेी पूजा की सामग्री डालने लगे और पहले एक प्रॉपर हिंदू रिवाज़ मेी शादी करना के शुरुवत की हम दोनो ने. फिर उसके बाद मंतरा कठाम होते ही मैने फोन बाँध किया और कहा-

मैं: मा अब मंतरा तो हो गये अब हम दोनो को साथ फेरे लेने हैं और हर फेरो के बीच मेी एक एक वचन देना है. जिसमे शुरुवत मेी शुरू के 4 वचन मैं कहूँगा और बाकी के 3 वचन आप कहेंगी पहले ठीक है?

मा: ठीक है बेटा.

इतना बोलते ही हम दोनो वही खड़े हो गये और मा ने कहा-

मा: चल फिर चालू करे फेरे?

इस पर मैने जवाब दिया.

मैं: अरे अरे रूखो मा इतनी क्या जल्दी है?

मा: क्यू इसमे जल्दी क्या यही रसम करनी थी ना ह्यूम तो?

मैं: हा यही रसम करनी है लेकिन रूखो इसमे एक ट्विस्ट है मेरी रंडी मा.

मा: क्या?

मैं: फेरे शुरू होने से पहले हम दोनो को कपड़े उतरने पड़ेंगे और फिर फेरे का असल रूप सामने आएगा.

मा: अछा ऐसा हैं क्या ठीक है फिर रुख़ उतार देती हू सारी में फिर.

मैं: नही मई उतरूँगा आपकी सारी और आप मेरी धोती उतारना.

मा: ठीक है बेटू.

जैसे ही मा ने ठीक है बोला उससी वक़्त मैं तुरंत उनकी तरफ मोड़ा और उनके खांडे से सारी का पल्लू हल्का सा किंचा और उतरना चालू किया धीरे धीरे उनके बदन से.

देखते ही देखते मैने देखा मा पूरी तारा नंगी हो चुकी थी. बदन पे बस उनके पैरो मेी पायल और बदन पर कुछ गहने टेयै. जो उन्होने शादी के लिए ही पहेना था बस. उर्फफ्फ़ क्या हुसून की महिला लग रही थी सच में बता नही सकता. बस मॅन कर रहा था की वही पकड़ के छोड़ डू बस उनको अपनी रंडी बना के आहह…

तभी मा ने मुझे होश मेी लाई मेरे आँखो के सामने चुटकी बजा कर और मैने कहा-

मैं: अरे सॉरी मुम्मा वो आपका नंगा बदन देख कर मेी तोड़ा बहेक गया था. साची मेी बढ़ी खूबसूरत लग रही हो आप ऐसे अपने नंगे बदन पद गहनो के साथ उर्फफ्फ़…

मा: श सभार रख ले बदमाश थोड़ी देर बाद तो तू जो चाहता है वो होगा ही.

और इतना कहते ही मा ने मेरी धोती पर हाथ रखा और सीधा उनका हाथ मेरे लिंग पर लगा. जो पूरी तरह से ताना हुआ है. और मा ने मेरी तरफ स्माइल करके धोती किंचने लगी.

2 रौंद के बाद मेरी धोती मेरे जंगो से अलग हो गयी. और देखते ही देखते हम दोनो मा बेटे पूरी तरह नंगे हो गये फेरे लेने के लिए और मैने कहा-

मैं: चलो मा मैं आयेज खड़ा होता हूँ आप मेरी गांद को पकड़ के चलिएगा ठीक है और फेरे लेते हुए वचन भी दूँगा आपको मैं.

मा: ठीक है.

इतना कहते ही मा ने मेरे गांद को पकड़ लिया फेरे लेने के लिए उफ़फ्फ़…

जैसे ही पहला फेरा मैने चालू किया सीधे तरफ चल कर अग्नि के चारो तरफ घूमने के लिए. तभी मैने पहला वचन कहा-

मैं: (1स्ट्रीट वचन) मैने माना की मई शादी के खिलाफ था. लेकिन जब से तुमने मुझे अपना बदन दिया है संभोग के लिए मेरे विचार ही बदल गये है शादी को ले कर मा. मेरा वचन यह है की मैं कभी भी आपको अकेला नही छ्चोड़ूँगा. हमेशा अपने पास रखूँगा और वो सारी खुशिया दूँगा जो एक पत्नी अपने पति से एक्सपेक्ट करती है.

मा: मैं भी तुझे एक पल के दुखी नही देख सकती हूँ बेटा. तुझे मा और पत्नी दोनो का सुख प्राप्ति दूँगी हर रोज़.

जैसे ही पहला वचन कठाम हुआ हम दोनो अग्नि की तरफ मूह करने के बाद एक दूसरे की तरफ मूह कर के खड़े हो गये. और मैने तुरंत उनकी छूट पे हाथ रखा और मसालने लगा. मसालते हुए इशारा किया की मेरा लंड मसले.

वो दूसरे वचन के पहले वो मेरा लंड मसालने लगी और मई उनकी छूट को सहलाने लगा आचे से. दोनो इतने गरम हो गये की बस कंट्रोल से बाहर जा रहा था सब कुछ. तभी मैं होश मेी आया और फिर कहा चलो दूसरा वचन चालू करते हैं.

(दूसरा वचन)

हम दोनो ने एक दूसरे के बदन से हाथ हटाया और फिर मा ने मेरी गांद पकड़ी. और मैं आयेज खड़े रह कर चलने लगा और वचन दिया.

मैं: वधा करता हूँ मा तुम्हे जिस शान्न से तुम मेरी पत्नी होगी उससी शान्न से टुमरे बदन के एक अंग को प्यार करूँगा और कभी अकेला या सुना नही छ्चोड़ूँगा जीवन में.

मा की तरफ देखा तो वो मुझे देख कर स्माइल कर रही थी. फिर मेरी गांद मेी उंगली घुसाने लगी वो जोश में अहह…

(तीसरा वचन)

मैं: पति होने के नाते मा तुझे अब मेरी हर बात माननी पड़ेगी. और मैं जैसा चाहूँगा वैसा तुम्हे करना होगा चाहे कुछ भी हो मेरी प्यारी रंडी मा..

मा: जी मेरे होने वेल पातिदेव मैं टुमारा सारा कहना मानुगी हमेशा बिना किसी शिकायत के.

जैसे ही मा ने यह कहा मैं खुश हो गया. फिर उससी वक़्त मॅन में सोच लिया था की मैं क्या करवाने वाला हूँ झो आप लोगो को आयेज पता चलेगा… आहह तो चलिए अब आयेज आता हूँ कहानी में.

(चौटा वचन)

यह आखरी वचन हैं जिसमे मैं आयेज खड़ा हॉंगा. बाकी के वचन में मा खड़ी होगी उफ़फ्फ़.. तो बढ़ता हूँ आयेज कहानी में.

मैं: जल्दी ही मैं टुमारा पति बनने वाला हूँ तो अब तुम मुझे बेटा नही मालिक बोलॉगी मेरी रंडी..! और वचन लेते लेते मैने पीछे हाथ कर के मा की छूट में उंगली घुसा दी और चलने लगा.

मा: आअहह मालिक आराम से करिए ना…

चौटा वचन होते ही मैं पलट के हासणे लगा और कहा मेरी भोली भली रंडी आदत डाल लो अब इसकी आचे से उम्म्म यह लो आहह…

छूट से उंगली निकल के मा को देखते हुए उंगली चूसने लगा. मेरी उंगली पर छूट का पानी लगा हुआ और कहा अब तुम्हारी बारी है आयेज चलने की मेरी रंडी.

मा: क्या आप तुम भी ना बेटा उर्फफ्फ़ चल आयेज आने दे मुझे फिर.

मैं तोड़ा पीछे हटा और फिर मा आयेज आई और मेरे खुद कुछ बोलने से पहले ही मा ने मेरा पवितरा लिंग पकड़ लिया और मसालने लगी और कहा मुझसे-

मा: चालू करू मैं फिर फेरे लेना बेटू?

मैं: मदहोशी में रहते हुए कहा-

हा चलो मा चालू करिए फेरे लेना आप, आपके पीछे पीछे चलूँगा.

जैसे ही मा ने अग्नि के फेरे लेने चालू किए और पाँचवा वचन कहा-

(पाँचवा वचन)

बेटा जैसे तूने मुझे महसूस कराया की घर पर ही सुख की प्राप्ति होना क्या होता है.न उससी पल से मैने भी सोच लिया था की अब मैं अपना बदन और अपना सब कुछ सिर्फ़ तुझे दूँगी और तेरे इशारो पर चलूंगी हमेशा तेरा ही हुकुम मानुगी हमेशा मेरे पुत्रा उर्फ मेरे मालिक.

मैं यह वचन सुन के बड़ा खुश हुआ और तुरंत जवाब दिया-

मैं: मैं भी यही चाहता हूँ मेरी रंडी की तुम अब सिर्फ़ मेरा हुकुम मानो और मेरे इशारो पे चलो मेरी प्यारी रंडी मा!

ऐसे ही हम दोनो ने पाँचवा वचन लिया और चाटते वचन की और चलने लगे तब मा ने कहा-

(चट्टा वचन)

बेटू मैं मेरे दिन की शुरुआत अब से इसी शान्न से टुमरे लिंग के दर्शन करके ही करूँगी. और सुबह का पहला पप्पी तुम्हारे लंड को दूँगी और फिर उससे निकालने वाला पवितरा पेशाब पी कर करूँगी.

मैं: आहह मेरी मा क्या बात कही आपने सुन कर मज़ा आ गया मुझे तो उफ़फ्फ़… बिल्कुल आपकी यह इचा हमेशा हमेशा पूरी होगी.

मा ने मेरे लंड को पकड़ कर ही रखा था और पीछे मूढ़ स्माइल की और सातवे वचन के लिए त्यार हुई.

(सात्वा वचन)

मा: भले हम मा बेटे है रिश्ते मेी बेटू लेकिन एक औरत होने के नाते अब से तुम मेरे मालिक भी हो. जिसका मतलब तुम्हारे पर मेरा उतना ही हक़्क़ होगा जितना एक पत्नी का होता हैं अपने पति पर. इसका मतलब की अब से तुम्हे मुझे हमेशा अपने पास रखना होगा और बिस्तर पर मुझे खुश करना होगा जीवन भर.

मैं: बिल्कुल मा मैं हमेशा आपको सिर्फ़ बिस्तर पर नही घर के हर कोने मेी खुश रखूँगा. और और अपने लंड के पानी से नहलवँगा हमेशा और टुमरे सिवा मेरे जीवन मेी कोई दूसरी औरत नही आएगी कभी भी मुआः!

जैसे ही हम दोनो ने सभी फेरे कठाम किए और वचन बोले उससी के तुरंत बाद मा ने अपना हाथ मेरे लंड से अलग किया. तभी पापा ने कहा-

चलो अब दोनो वापिस अपनी जगह बेतो और आयेज की रस्म पूरी करो.

और हम दोनो मंडप पर बेते और मा ने इशारा किया मंगलसूत्रा पहनने का. तब मैने ताल में से मंगलसूत्रा उठाया और उनके गले मेी बाँधने से पहले उसको अपने खड़े लंड पर लटकाया. फिर उसपे तोड़ा सा कुमकुम डाला और फिर निकल कर मंगलसूत्रा को उनके गले में भाँढने लगा.

मा की तरफ देखा तो वो शरम से लाल थी और चेहरे पर खुशी दोनो जालक जालक कर दिख रही थी.

जैसे ही मैने मंगलसूत्रा भांडा उनके गले में और फिर अपने हाथ पीछे कर के सिंधूर उठाया और खड़ा हो गया और मा से कहा-

मैं: अब वक़्त आ गया हैं आपके माँग भरने का और पवितरा करने का आपको हमेशा हमेशा के लिए.

मा: तो रूखा क्यूँ है फिर बेटू भर दे मेरी माँग.

जैसे ही मा से पर्मिशन मिली मैने वही खड़े खड़े अपने लंड के सूपदे पे सिंधूर लगाया आचे से. फिर उनके चेहरे के पास जा कर कहा-

मैं: यह देखो मेरा अनोखा तरीका आपसे रिश्ता झोड़ने का.

इतना बोल के मैने सीधा उनकी माँग मेी अपने खड़े लंड से सिंधूर लगा के भरने लगा प्यार से. देखते ही देखते मैने माँग भर दी और तभी पापा ने कहा हम दोनो से-

पापा: अब यह शादी संपर्ण हुई और तुम दोनो अब हमेशा हमेशा के लिए पति पत्नी हो चुके हो एक मा बेटे के साथ साथ.

मैने मा को देखा और स्माइल के साथ उनका हाथ पकड़ा और कहा अब आपको लीगली मैं छोड़ सकता हूँ मेरी रंडी और तुम किसी के लिए माना नही करोगी मुआहह..!

मा: अब तो कोई सवाल ही नही माना करने का आपको मेरे मालिक, मेरे लिंग देवता.

मैं: आए हाए मॉमी लिंग देवता सुनके मज़ा आगेया सुनके उर्फफ्फ़…

चल अब मैं ख़ास रात के लिए सबर नही हो रहा हैं. जल्दी से दूध ले कर आओ मेरे लिए वायग्रा मिला कर. आज तो रात भर छोड़ना चाहता हू तुम्हे मई.

मा: शरमाते हुए: जाओ आप इंतज़ार करो मैं आई.

तो दोस्तो इश्स कहानी को यही रोख़्ता हूँ इसको पढ़िए और एंजाय करिए. बहुत ही जल्द मैं इसका अगला पार्ट ले कर अवँगा जहा आप पढ़ेंगे की अगले दिन वापिस शहेर जाने से पहले मैं उनको सुहग्रत पर कितना छोड़ूँगा. बस तोड़ा सा इंतज़ार करिए और मेरी कहानी पढ़ के एंजाय करिए जब तक शुखरिया.

पढ़ कर ज़रूर बताए की मेरी कहानी कैसी लगी मुझे कॉमेंट पर या मेरी एमाइल ईद पर बताए ब्लोवतीओर्ल्ड@याहू.कॉम तब तक के लिए शुखरिया.

यह कहानी भी पड़े  पंजाबी जाट ने मेरी जबरदस्त चुदाई की


error: Content is protected !!