मा के मादक जिस्म का भरपूर मज़ा लिया

मा- उउम्म्ममहुहह..हुहह.. ऐसे ही तूने पहली बार मेरे जिस्म को च्छुआ था मेरी जान. कितने सालो बाद टुउने मुझे औरत होने का सुख दिया था..हुहह..हुहह…इतने सालो बाद किसी मर्द ने मेरे जिस्म को ऐसे च्छुआ थाअ..हुहह….उउम्म्म्म..

मई- हुहह..हुहह… (मा का मुलयूं पेट और ज़ोर से जोश मे नोचते हुए)…हुहह… इतने साल हो गये मा तू अभी भी कितनी जवान है. तेरा ये पेट अभी तक कितना मुलयूं है. मॅन करता है तुझे कक्चा खा जाो…हुहह…हुहह…

मा- आअहह..उम्म्म्ममम….और ज़ोर से नोच ले मेरी जान. मेरा ये जिस्म अब तेरा ही तो है, गत्री तो अब तेरी है बस. (अपने नाभि को मसालते हुए) मेरे बाकछे ये जवानी तो तेरे पास रहने से आई है. जब तू मेरे जिस्म को चबा कर खा जाता है मई और जवान हो जाती हू. बस मुझे ऐसे ही अपनी रखेल बना कर जितना मॅन करे कक्चा चबा कर ख़ान लेना..उम्म्म्ममम..

मा का बाहर निकला हुआ निपल और कड़क हो गया और उसकी गरम फूली हुई च्चती पर मेरे दांतो के गड़े हुए निशान उभर कर लाल पद गये. वो इतनी गरम हो चुकी थी की मा के निपल से दूध टपकने लगा और ब्लाउस मे गिरने लगा.

मा का मुलयूं पेट मसल कर मई आधा पागल हो रहा था की तभी उसने मेरा हाथ फिर से पकड़ कर अपनी च्चती पर र्ख दिया और…

मा- हुहह…हुहह…..उउंम्म.. देख मेरी च्चती मेरी जान, देख कैसे तूने मुझे निशान दिए है, एक वादा कर मेरी जान…

मई- (माधोसही भारी आवाज़ मे)…हुहह..हुहहूऊंम्म..बोल मेरी जान..

मा- (मेरा हाथ अपने ब्लाउस के अंदर घुसा कर..) हुहह…उम्म्म्म.. वादा कर की तेरी ये हवस मेरे लिए कभी कम्म नही होगी. ृर रोज अपनी इश्स गत्री के जिस्म पर अपनी हवस की आग बुझाएगा, बोल मेरी जान..वादा कर मुझसे…

मा ने मेरा लंड पकड़ लिया था और मैने भी उसका बाहर निकला हुआ निपल देख लिया. मा ने देखा तो अपना ब्लाउस खिच दिया और दूसरा निपल भी बाहर कर दिया…हुहह…भेंचो इतने गोरे चुचे और गुलाबी निपल! मेरी लाल आँखे गत्री का निपल घूर्ने लगी और मैने अपने नाख़ून मे मा का निपल बुरी तरह नोच कर पीस दिया. गेयटी काप गयी पर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी.

मई- (हवस भारी आवाज़ मे) हन..मेरी रखेल गत्री. भेंकीलोड़ी तू देखियो अब रोज तेरे जिस्म पर अपनी हवस का नंगा नाच नही करा तो मेरा नाम भी सुनील नही!

मा- आहहुऊम्म्म्मममम..हन…ऐसे ही…उम्म्म्म..

गत्री खड़े खड़े वी नंगी हो गयी और मेरा लंड भी त्नन था. आँख बंद करके गत्री ने अपने गुलाब जैसे होंठ मेरे मूह मे डाल दिए और अपनी गीली क्सि हुई छूट पर मेरा लंड मसालने लगी. और कुछ ही सेकेंड बाद गत्री की कमर पकड़ कर्क खड़े खड़े मैने उसकी छूट मे एक झटके के साथ लंड घुसेड डाला.

गेयटी काप गयी, खड़े खड़े ही उसकी छूट एक ही झटके मे खुल गयी, सास तेज हो गयी.

मा- हुहह..हुहहाआहह..हुहह..हहुहह..हुहह..

गत्री के होंठ मेरे मूह थे जिनको मई छहुउस नही रहा था बलकी कचा चबा कर काट रहा था.

स्सपप्रर..कककच…कककच..कक्च…उउम्म्म्म..उउंम्म…उम्म्म..ससपरर..स्पपररर..ससपरर..कककच..कक्च्छ..कककच..उउम्म्म्मममममममममम…

पपकचह..प्पउक्च..उम्म्म्म..ससपरर.कक्च…कककचूंम्म्मममममम..स्सपप्रर कककच…कककच..कक्च…उउम्म्म्म..उउंम्म…उम्म्म..ससपरर..

स्पपररर..ससपरर..कककच..कक्च्छ..कककच..उउम्म्म्मममममममममममम…पपकचह..प्पउक्च..उम्म्म्म..ससपरर.कक्च…कककचूंम्म्मममममम…

रब्बर की तरह उसके गुलाब जैसे गुलाबी होंठ मैने चबा कर खून निकल दिया और उसका खून भी पीने लगा. और नीचे गत्री की गरम क्सि हुई छूट मे मेरा लंड अंदर तक फस्सा हुआ था. जिसको गत्री ने अपनी कक्षसी हुई छूट से पकड़ र्खा था.

ये चुदाई नही कुछ और था. गत्री को अपनी छूट मे मेरे लंड का पानी मेरा वीरये चाहिए था. ठीक बिल्कुल कुछ साल पहले की तरह जब पहली बार मा ने चुदाई नही बलकी मेरा लंड खड़ा करके पहली बार सिद्धा अपनी गुलाबी छूट मे मेरा वीरये भर कर अपने रिश्ते की शुरुआत करी थी.

ठीक वैसे ही आज मा ने मुझे कासके पकड़ लिया और मैने भी अपनी छूट को मा और आयेज करके मेरा पानी निकलने का वेट करने लगी. कुछ ही सेकेंड बाद गत्री की क्सि हुई गरम छूट ने मेरे लंड से मेरा वीरये चूस लिया. एकबार नही 3 बार भर कर मेरा वीरये मा की छूट मे भर गया और गत्री को बहोट सुकून मिला.

इतने सालो बाद हुमारे रिश्ता के दूउसरा पड़ाव आ गया था. हम दोनो 10 मिनिट तक ऐसे ही चिपके रहे. मेरे वीरये की एक बूँद भी मा ने बाहर नही गिरने दी और अपनी छूट को भर लिया पूरा. फिर हम दोनो वी ज़मीन पर लेट गये. मा ने मेरा लंड ज़रा भी बाहर नही निकलने फिया. और मुझे अपने उपर सुला कर लेट गयी…उम्म्म्ममम..क्या सीन था क्या सुकून था.

1 घंटे तक हम ऐसे ही लेते रहे. 1 घंटे बाद हम आराम से उठे फिर साथ नहाने गये और सहेर के लिए रेडी होने लगे. एक लाल कोलूर की सारी पह्न कर गत्री रेडी हो गयी…भेंचोड़ लाल सारी मे देख कर मेरा मूड बनने लगा. क्या करू अब मई जानता था अभी भी गत्री किी गुलाबी छूट मे मेरा वीरये भरा पड़ा है.

लेकिन उसका गोरा दूध जेसा जिस्म यूयेसेस लाल सारी मे देखा ना. वो ड्रेसिंग टेबल के सामने रेडी हो रही थी. साइड से उसकी चिकनी कमर उसका मुलयूं पेट जब मैने देखा यूयेसेस लाल सारी मे तो मेरा लंड भी भूल गया की अभी भी उसका पानी इश्स औरत की गुलाबी चिकनी छूट मे है.

मेरा लंड खड़ा होने लगा. और गत्री एक को खाबर नही थी वो बस मेरा साथ जाने के लिए साज रही थी. उसको पता नही था की उसका ये जिस्म लाल सारी मे उसके मर्द को एकबार फिर पागल कर रहा है. तभी उसने एक क्रीम निकली और अपने पेट और कमर पर मसालने लगी.

उउम्म्म्मम….भेंचो…मेरी आँखे और खुल गयी और लंड लोहे से भी ज़्यादा कड़क होने लगा.

उसकी नंगी बाहे और गुलाबी होंठ. तभी उसकी नज़र साइड मे पड़ी की मई खड़ा होके उसके जिस्म को घूर रहा हू. वो शर्मा कर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराती हुई मेरे पास आई.

वो बहोट महेक रही थी उसके जिस्म और पर्फ्यूम की ख़ुसाबू मेरी हवस और ब्दाने लगी. मेरे पास आई मेरी आँखो मे हवस देख कर वो मुस्कुरा दी. वो जानती थी की बेशक मेरे लंड का पानी निकल गया है पर मेरी हवस शांत नही हुई है. और अब वो बहोट रग़ाद कर चूड़ने वाली है.

कसम से कहता हू गत्री एकदम मेकप करके रेडी हो चुकी थी और उसको ऐसे देख कर मेरी हवस का मीटर उपर जेया रहा था. और तभी-

मा- (माशोसही भारी आवाज़ मे)…बहोट भूक लगी है मेरे बचे को…?

और इतना बोलते ही मा ने अपना पल्लू गिरा दिया. और अपने यूयेसेस क्रीम वाले पेट पर मेरा हाथ रख दिया. मेरा खून एकदम खोल गया और मैने आव देखा ना ताव सिद्धा गत्री को दीवार पर धक्का दिया और कक्चह.. पूरी ताक़त से उसके यूयेसेस मुलयूं पेट मे मूह दबा कर उसके यूयेसेस मुलयूं पेट को मूह मे चबा कर पूरी जान से काट लिया.

गत्री बहोट बुरी तरह काप गयी थी पर वो ज़रा भी नही चिल्लाई उपर से मेरा मूह और अंदर दबा दिया और प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी.

वो बस मुझे महसूष करना च्चती थी मेरे दिए हुए घाव. बस मुस्कुरा कर मुझे अपने पेट को चबाने दे रही त्िी और मई कुत्ते की तरह उसके पेट को चबा कार.

स्पप्रर कककच…कककच..कक्च…उउम्म्म्म..उउंम्म…उम्म्म..ससपरर..स्पपररर..ससपरर..कककच..कक्च्छ..कककच..उउम्म्म्ममम…

पपकचह..प्पउक्च..उम्म्म्म..ससपरर.कक्च…कककचूंम्म्मममममम..स्पप्रर कककच…कककच..कक्च…अयू..

स्पपररर..ससपरर..कककच..कक्च्छ..कककच..उउम्म्म्मममममममममममम..पपकचह..प्पउक्च..उम्म्म्म..ससपरर.कक्च…कककचूंम्म्मममममम..

गत्री का पेट क्रीम लगा कर और भी सॉफ्ट हो गया था जिसको मैने और चबा कर खाया. 30 मिनिट तक.. यूयेसेस दिन मैने गत्री का चबा कर छहुउसा. वो 1 बार झड़ भी गयी थी. उसका मुलयूं पेट पूरा लाल नीला पद गया था. पेट पर कुछ जघ खून तपाक रहा था और बाकी जघ दांतो के घाव उसके पेट पर हो गये थे.

अपनी हवस का ये नज़र देख कर मई बहोट खुश हुआ. अपना पेट देख गत्री ने मुस्कुरा कर अपनी सारी खोल दी और मेरा लंड अपनी छूट पर रगड़ने लगी. वो भी पागल हो चुकी थी.

तभी मैने मा की मंडी पकड़ी उसको उल्टा घुमाया और दीवार पर घोड़ी बना दिया. उम्म्म्मम..नंगी गोरी कमर और मोटी गोल गांद. नंगी गत्री के बाल मैने खिच कर पकड़ लिए और उसकी गीली छूट पर लंड मसालते हुए..

स्साआटतत्त्ताआआआआआआआआआआआआआआक्ककककक…एक ज़ोर दार हवस से भारी ताक़त मे लंड अंदर तक चीरता हुआ घास गया. उसकी टाँग काप गयी और एक छुपी के बाद..

मा- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहह..मेरा पानी…

मई- भेंचोड़!! तूऊ गयी आज साली गत्री…!

और उसके बाल खिच कर मैने लंड अंदर छोड़ डाला और एक झननाआआअतए डााआआर तपद गत्री की गांद और कमर पर दे मारा. और 10-20 थप्पड़ बरसा डाले. वो गिरने को हो गयी पर मैने उसके बाल खिच कर.

चह…फचह…फच…फच..फचह..घप्प्प्प..घप्प्प्प..घपाआ..आआआआआआआआआआआआआहह….मरड़चोड़…..आओउम्म्म्ममम..

ग्घहप्पा….घपाआ..घप्प्प्प..घप्पाा..ग्घहप्प्प्प…घपाा…घप्प्प्प्प…ग्घहपाआ..फफच..फच..फच..फच्छ….धप्पाआ..द्धप्प्प..

चह…फचह…फच…फच..फचह..घप्प्प्प..घप्प्प्प..घपाआ..आआआआआआआआआआआआआहह….साली…कुटिया….आआआआवउम्म्म्ममममममम..

ग्घहप्पा….घपाआ..घप्प्प्प..घप्पाा..ग्घहप्प्प्प…घपाा…घप्प्प्प्प…ग्घहपाआ..फफच..फच..फच..फच्छ….धप्पाआ..द्धप्प्प….धप्प्पाा…द्धप्प्प्प…

चह…फचह…फच…फच..फचह..घप्प्प्प..घप्प्प्प..घपाआ..ग्घहप्पा….घपाआ..घप्प्प्प..घप्पाा..ग्घहप्प्प्प…घपाा…घप्प्प्प्प…ग्घहपाआ..

फफच..फच..फच..फच्छ….धप्पाआ..द्धप्प्प….धप्प्पाा…द्धप्प्प्प…

मई पागल हो रहा था. कितने रौंद हो गये पर गत्री को वैसे ही दीवार पर कमर झुका कर घोड़ी बना कर मई पागलो की तरह छोड़ता रहा. गत्री की कसी हुई छूट से मेरा वीरये बाहर निकलने लगा. उसकी छूट सूउज गयी पर मई रुका नही जब तक खुद नही हाफ़ गया.

गत्री काप्ते रही काप्त रही, चीखती रही.

मा- आआआआआआआआआआआआअहह…..आआआआाअगग…आअहह..आआआआआआआआहह….और छोड़ मुझे…….आआआआआआआआआआव म्‍म्म्ममममममममममममम..मेरा पानी….आआआआआआहह…

गत्री की वो प्यारी क्सि हुई गुलाबी छूट सूउज गयी और ना जाने कितनी बाद पानी छ्चोड़ चुकी थी. बहोट दोनो बाद मई ऐसे पागल हुआ था. मुझे याद नही रह गया क्ब मई उसको छोड़ते छोड़ते हाफ्ते हुए यूयेसेस लिपट कर सो गया.

लेकिन जब आँख खुली तो रात अंधेरा था. मेरे साइड मे बेड पर मा लेती हुई थी और साइड मे उसकी रेड कलर की सारी और ब्लाउस पड़े थे. पूरे जिस्म पर मेरे दांतो के घाव, निपल च्बाया हुआ बुरी तरह और छूट सूज़ी हुई थी. वो किसी ताकि हुई जान निकली हुई मादक औरत की तरह सो रही थी. जिसके जिस्म को कासके रग़ाद रग़ाद कर खूब छोड़ा गया है.

मई मॅन ही मॅन बहोट खुश हुआ. जिसस मादक गत्री के जिस्म को च्छुने के लिए बाहर के सारे मर्द तड़प्ते है. जिसके पल्लू मे चमकते हुए उसके मुलयूं पेट और कमर को देख कर सब लंड मसालने लगते है. वो गत्री मेरे बिस्तर की रंडी है रखेल है मेरी बीवी है मेरी जान है. जिसको मई जब चाहे जितना मर्ज़ी रग़ाद कर मसल कर निचोड़ कर छोड़ छोड़ कर चबा कर नोच कर खा सकता हू.

अपनी गत्री को ऐसा देख कर मैने उसको प्यार से चुऊँ लिया और पानी पीने उठ गया. गाओ की रात की तन्ड़ मे मैने बाहर जाके बेर पीने लगा और फिर एक सिग्ग्रेतटे पीक आराम से अपनी हवस भारी चुदाई याद करके मुसकरुआता हुआ खेतो की तरफ टहलने च्ला गया.

अगले कुछ दिन तक हुँने रॅली नही मा का जिस्म तोड़ा ठीक हुआ. उसके घाव थोड़े से कम्म हुए लेकिन अभी भी सॉफ दिख रहे थे. सहेर जाने का प्रोग्राम तोड़ा सहिफ्ट हो गया. पहले मा को गाओ मे स्पीच देनी थी उसके बाद ह्मने सहेर जाने का प्लान बनाया.

अब स्पीच के दिन क्या क्या होता है और कितने लोग मा के जिस्म का मज़ा लेते है, नेक्स्ट पार्ट मे पढ़िए जल्द ही.

यह कहानी भी पड़े  मोहल्ले के लड़कों के मां को चोदने के प्लान की कहानी


error: Content is protected !!