मा चुद गयी सब्जी वाले से

तो कहानी शुरू होती है, मेरी मा का नाम जमीला है. अब्बू का नाम उस्मान है, हम चल मई रहते है. जहा हम रहते है वाहा हुमारा घर सबसे आखरी है उसके बाद जॅंगल, पहाड़ी शुरू होती है आयेज.

पापा एक कार्पंटर है सो बहुत मेहनत का काम करते है वो दिन बेर दुकान पेर ही रहते है, डुफेर को दुकान से एक लड़का आके डब्बा लेके जाता है पापा सीधा रात को 9 बजे ही दुकान बंद कर आते है.

गली ज़्यादा बड़ी नही है, अंदर सिर्फ़ बिके आसक्ति है, इसलिए सब्जी वाला गली के बहेर ही खड़ा रहता है और वाहा से ही चला जाता है. सुअभ मा को पापा के डब्बे की घई रहती है इसलिए बहेर नही जाना जमता.

तो बहुत बार सब्जी वेल को तोड़ा लाते आने को बोला या गली के अंदर आजाए कुछ सब्जिया लेके. वो सब घूमकर जाते वाक़त बची कूची सब्जी थैली मई लेके आने लगा था हुमारे घर, अपनी हाथगाड़ी बहेर लगा कर.

मा एक दूं नाम की तरह थी. जो देखे उसे जाम का नशा चढ़ जाए. मा का नशा जाम से भी बुरा, मा भी दिन भर घर पेर बैठ बैठ बोर हो जाती है. हुमारा खाना होने के बाद मई और मा डुफेर को सोते है मई 12 बजे तक स्कूल से आ जाता हू.

अब मई 15 साल का हो गया था पेर मा मुझे डुफेर को अपनी गोदी मई लेके ही सोती थी. मुझे मा ने उनके दूधु पीने का नशा सा लगा दिया था. जी हन डुफेर को सोते वाक़त मा मुझे बहो मई भर लेती है. फिर थोड़ी देर बाद निघट्य से माममे बहेर निकल मुझे चूसने को कहती है.

मई जब मस्ती से चूस्ता हू तो मा का हाथ अपने आप नीचे जाता है, निघट्य उठती है. पैर हवा मे फैला क्र उंगिल्या डालने लगती है. मुझे सब दिखता है मा मुझसे शरमाती नही लेकिन मैने कभी उसके आयेज बढ़ा नही, और मा ने भी कुछ कहा नही करने को. बस बहो मई लेके मूह मे माममे थमा देती है चूसने. फिर झड़ने वाली हो तो मुझे मम्मो को काटने बोलती है. मेरा नूनन्ू लंड हो गया था. 6 इंच तक खड़ा होता था.

एक दिन ऐसे ही चल रहा था अचानक खिड़की खुली सब्ज़ीवला चिल्लय भाबी जी सब्जी. और ह्यूम ऐसे देखता रहा. मा दरवाजा बंद करती है, खिड़की भूल गयी थी शायद उस दिन. मई मा के मामे चूस रहा था और मा छूट मई उंगली कर रही थी, उसे देख मा झट से निघट्य नीचे की, डूडू अंदर दल दरवाजा खोला और उसे गली देने लगी.

बोली क्या रे भद्वे, संजता नही तेरे को दूसरो के घरो मे झकता है, छिनाल के.

तो वो दर गया, बोला माफ़ करो जी, ग़लती हो गयी. अब हुमारा कार्यक्रम थोड़ी देर से होने लगा. वो सब्जी दे जाने के बाद 5-7 दिन मई नॉर्म्ल हो गया था.

मा उससे हसके बात करती थी. वो भी मज़ाक मस्ती करता. एक दिन वो मा को चढ़ा रहा था, आप इतनी खूबसूरत कैसे हो, एक बाकछे की मा होकर भी नही लगती, ऐसा लगता है आपका भाई है छोटा.

मा हासणे लगी बोली कुछ भी बोलता है क्या? चल सब्जी दे. तो उसने मूली लाई थी. अम्मा को बोला ये लीजिए भाभी जी, लंबी लंबी मूली.

मेरी मा उसको देखने लगी वो डबल मीनिंग बात कर रहा था. इसको खलीजेया तो ठंडक आज्एगी दिल मे. क्या बोला रे भद्वे?! ऐसा मा बोली तो वो अरे बीबी जी गुस्सा क्यू हो रही है, गाव से हुमारे खेतो की मूली ख़ाके तो देखिए.

और बतो बतो मे बोल गया जिससे सारा महॉल चेंज हो गया. इस मूली से मेरा मुला बड़ा और ज़्यादा है, खाएगी क्या, कब तक बाकछे को और हाथ को थाकाएगी, आज़मए बंदे को.

मा चुप रह कर उसे बस देख रही थी. गली देने ही वाली थी की उसने पंत की चैन खोल लंड बहेर निकाला और मा के हाथ मे दिया. मा ने इतना बड़ा लंड हाथ मे देख साँसे तेज करदी.

उसे छोड़ दिया झट से बोली, अरे गन्दू संजता नही क्या तुझे ऐसे खुल्ले मैदान मे कुछ भी करता है. मदरचोड़ अगर आइन्दा ऐसा काइया तो इसके अब्बू को बोलके खाल उधेड़ दूँगी समझा.

वो चला गया उस दिन मा ने मुझे से माममे नही चुस्वाए. खुद उंगली करने लगी. मा दिन भर शायद उसी के लंड के बारे मे सोच रही थी, ख़यालो मे दुबई थी.

दूसरे दिन वो आया तो मा सब्जी लेने के बहाए झुकी तो माममे दिखने लगे. मा वैसे ही उसे माममे दिखा रही थी. उसने यहा वाहा देख सीधा मा को दबोचा मम्मो को मसलने लगा.

मा ने उसे झापड़ मारना चालू काइया. बोली पागल हो गया है क्या गन्दू, बाकचा है घर मे. सुन आधे घंटे मे आईओ वापस अपना मुला लेके मई उसको सुला देती हू.

वो हसके बहेर गया. मा भी खुश दिख रही थी, मैने जब मा के माममे चूसने चालू किए मा की धड़कने तेज हो गयी थी. मुझे महसूस हो रहा था.

मा मुझे सुलने लगी और मा ने मेरे अप्पर चदडार डाल दी. थोड़ी देर मई दरवाजा बजा, मा उठी दरवाजा खोला और वो अंदर आया. मा ने कुंदज लगाई और वो मा के अप्पर झपक पड़ा.

मुझे दिखाई तो नही दे रहा था लेकिन आवाज़ आ रही थी मा की चदिओ की. उसने मा को उठा के मेरे साइड मे सुलाया और अप्पर चढ़ गया मा के.

मा उसको बोली आइस्ता बाकचा सो रहा है, उसको मत जगाओ. और दोनो चालू हुए उनके चुम्मचती की आवाज़ घर भर गूँज रही थी. वो मा को निघट्य उतरने बोल रहा था तो मा माना कर रही थी. आख़िर उसने मा की निघट्य उतरी और खुद भी नंगा हुआ.

मैने मा को बोलते हुए सुना. ये क्या आफ़त है बे, आदमी का ही है ना या गढ़े का लगाया है1 साले तेरी बीबी तो मारजति होगी इसे लेके. वो बोला उसे आदत हो गयी है अब इसकी, इससे चूसे बिना नींद नही आती उसे. जैसे आपको नही आएगी आज के बाद से.

उसे मा को चूसने बोला. मा के मूह मे लंड पेल रहा था तो खोप खोप औखोप की आवाज़ आ रही थी. वो बोला क्या मस्त बदन है आपका, अगर ऐसी औरत मुझे मिली होती मई तो दिन भर उसे खुश रखता घर से बहेर ही नही जाता.

हा हा चल. देखते है ना तुझ मई कितना दूं है ऐसे मा बोली.

वो मा को छोड़ने वाला था लेकिन मा उसको बोली पहले छूट गीली कर छत के. अब वो शायद छूट छत रहा था. मा उसको बता रही थी. हन अप्पर तोड़ा, बीच मे, अया बस वही. अंदर डाल जिब, घुमा ना, आआआ, सस्स्सस्स..

फिर मा ने पैर फैलाए और वो छोड़ने लगा. उसका आधा लंड गया था तो मा चीक रही थी, आबे साले फाड़ देगा क्या छूट, निकल बहेर.. वो सुन नही रहा था और मा की निघट्य मूह मे डाल के मूह को बंद काइया और छोड़ने लगा.

मा की आवाज़ दबी थी पेर सुनाई दे रही थी उम्म्म्ममम, क़ााआआ, ओह, उसने धक्को की स्पीड बढ़ा दी थी. रूम मई पच पच की आवाज़ आ रही थी.

उसने मा को बोला कहा निकालु तो मा बोली बहेर निकल अंदर मत डाल. तो उसने मा के अप्पर माल गिराया शायद. और कपड़े पहें के चला गया.

मा को चलने मे दिक्कत हो रही थी. रात को पापा ने पूछा तो बोली गांद जल रही है तीखा खाने के वज से. लेकिन असली बात मुझे ही मालूम थी.

दूसरे दिन से तो ये आम हो गया. वो डुफेर को आता, मई सोने का नाटक करता और वो मा को छोड़ के चले जाता.

अब तो वो ज़्यादा देर बैठता, छाई-पानी करके जाता, अब मेरे सामने भी मा को कंबल मे छोड़ देता. मुझे सामने टीवी देखने बैठा कर पीछे दोनो चुदाई करते थे.

मई टीवी के चॅनेल चेंज कर कर जब ब्लॅक स्क्रीन आती उसमे पीछे का नज़ारा देखता. साला मा को रंडी की तरह छोड़ देता. मा भी कभी उससे मज़े से चुड़वति.

कम से कम अब इस घटना को 6-7 महीने हो गये थे. अब तो जैसे घर का सदस्या बन गया था. आता हम तीनो खाना खाते फिर सोने के बहाने से मा को छोड़ता, बैठ के छाई पानी करके जाता.

अब वो मा से पैसे माँगने लगा था. मा ने पहले 1-2 बार दिए लेकिन एक बार उसने गुस्से मे आकर मा को मारा तब से मा ने उसको धमकी दे दी अगर गॅली मे दिखा तो अपने शोहार को बोल कर कटवा दूँगी. उसके बाद वो नही आया.

लेकिन मा का बदन गडरिला करके गया. पपीते जैसे माममे, गांद निकली हुई. मई भी अब बड़ा हो गया था. अब मेरी नज़रे मा पेर थी जल्दी मैने मा को पटाया और छोड़ना चालू काइया. मा की छूट शांत करनी थी, अब कोई लंड नही था तो मई ही सही. मा भी मुझसे मज़े से चुड़वति.

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