मा-बेटे के बीच दोबारा रोमॅन्स

आप सभी को धन्यवाद मेरी स्टोरी पढ़ने के लिए. जब लास्ट स्टोरी लिखी थी, तब ये नही पता था कोई आयेज भी पार्ट लिखूंगा. स्टोरी लिखने के बाद कॉमेंट में काफ़ी लोगों से बात की. काफ़ी लोगों का क्न्सर्न था मुझे सुषमा को ऐसे जाने नही देना चाहिए. एक ने सजेस्ट किया था की मुझे सुषमा से बात कर देना बंद कर देना चाहिए, जिससे वो खुद बात करने लग जाएगी.

तब मेरा मॅन था की बात करना नही छ्चोढ़ सकता सुषमा से. फिर तोड़ा सोचा की एक ट्राइ कर सकता हू. मैने 25 फेब से उससे बात करना बंद कर दिया. उसको ब्लॉक कर दिया हर जगह से. मैने बात करना छ्चोढ़ दिया. उसका रूबी को कॉल आता. मुझसे बात करने के लिए बोलती है. मैं 2 मिनिट में रख देता हू, कुछ ज़्यादा जवाब नही देता.

उन दीनो मैं अपनी स्टोरी ही पढ़ता रहता था. कॉमेंट भी देखे. तब अनॅलिसिस किया ये सेक्स स्टोरी ना होके एक लोवे स्टोरी ज़्यादा थी. इस बार ये स्टोरी में कुछ अपनी तरफ से आड करूँगा. मीन्स पूरी स्टोरी रियल नही होगी. मान के चलना 80 पर्सेंट रियल, 20 पर्सेंट फॅंटेसी. फॅक्ट्स इन्सिडेंट रियल होंगे. उसमे एक्सट्रा सेक्स आंड फॅंटेसी आड कर दूँगा. चलो स्टोरी पर आते है-

मैने बाते करना बंद कर दिया था. तब मॅन ऐसे हो रहा था आज बात कर लू. मैं मॅन को समझता. जैसे पहले स्टोरी में बताया था मुझे समझ नही आ रहा था सुषमा (मों) ने हमारे सेक्स रीलेशन को क्यूँ ख़तम किया. उसने कभी सही से रीज़न नही दिया था.

मों सोन का सेक्स रीलेशन बहुत कॉंप्लिकेटेड होता है. आप लोगों में से कोई इन्सेस्ट है तो वो मेरी बात समझ सकता है. तुम किसी को बता नही सकते. साथ में दोनो फीलिंग भी सही से एक-दूसरे के साथ शेर नही कर सकते. जैसे मेरे साथ था. ना तो मों ने कभी सारी फीलिंग बताई, ना मैने, क्यूंकी हम एक-दूसरे की केर करते थे.

एक की वजह से दूसरे की लाइफ बहुत एफेक्ट हो जाती. जैसे वो ये फीलिंग बताती की वो हमेशा मेरे साथ रहना चाहती है, तो सुषमा ने सोचा होगा मेरी लाइफ खराब ना हो जाए. तो वो ये फीलिंग नही बता पाई. ये सोच मेरे एक रीडर से कॉमेंट पर बातें करते हुए समझ आई.

जब हम अपनी आगे के किसी लड़के या लड़की से प्यार करते है, तब फीलिंग खुल कर शेर कर देते है. इस रीलेशन में हमने अपनी फीलिंग कभी खुल कर शेर ही नही की. दर्र लगा रहता एक-दूसरे की वजह से लाइफ रूयिन ना हो जाए दोनो की या फॅमिली वालो की. एक फीलिंग जो हमे शेर करनी चाहिए थी, हम एक-दूसरे के बिना नही रह सकते.

हम दोनो रियल लोवे करते है एक-दूसरे से. हम शेर कर देते मैं शादी ना करता. शायद कन्विन्स कर लेता पापा को ना शादी करने को. मों और सोन का सेक्स रीलेशन किसी का भी हो, सभी अपने दिल की फीलिंग खुल कर शेर करना. बाद में बहुत मुश्किल हो जाएगी.

मैने सुषमा से मार्च, एप्रिल पूरा महीना बात नही की. मे में रूबी के भाई का रिश्ता पक्का हो गया. शादी 10 जून की फिक्स हो गयी. अब हमे इंडिया आना ही था. ये सब एक-दूं से कैसे हुआ समझ नही आया. कभी-कभी किस्मत कुछ और ही कर देती है. मेरा प्लान ये नही था. फिर से 2011 वाली सिचुयेशन आ गयी जब मैने सुषमा से बात करना छ्चोढ़ दिया था.

उस वक़्त वो मेरी गफ़ या बीवी नही थी. आज थी. मगर ये नही पता था इस बार क्या रिक्ट रहेगा. वो नॉर्मल बिहेव करेगी या गुस्सा. गुस्सा करेगी तो क्या बन के? फ्रेंड, या गफ़, या बीवी बन कर. मैने पापा से बात की. हम 20 मे को आ रहे थे. भैया को बोल दिया 20 मे को आ रहा था. मम्मी से रूबी ने बात कर ली. भैया बोले वो शादी वाले दिन ही आ जाएँगे देल्ही. तभी 1 वीक की चूतिया ले लेंगे.

पापा ने बताया 12 मे को उत्तराखंड में चार धाम यात्रा जेया रहे थे दोस्तों के साथ, 20 मे तक आ जाएँगे. मेरी टेन्षन भाड़े जेया रही थी, की कैसे फेस करूँगा सुषमा को.

20 मे को हम देल्ही आ गये. रूबी वही से ही अपने घर चली गयी. मैं रात को टॅक्सी लेके अपने घर की तरफ निकल लिया. पापा से बात हो गयी थी 19 को ही की. उन्होने बताया इस बार भीड़ बहुत ज़्यादा थी, तो 23 से पहले नही आ पाएँगे. एक रीज़न ये भी था मैं रूबी के साथ उसके घर नही गया.

हमारा प्लान ये था की मैं सुबा निकलता उसके घर से अपने घर के लिए. जब जेया रहा था दिल की धड़कन बढ़े जेया रही थी. रात को 2 बजे घर पहुँचा. सुषमा ने गाते खोला. मैने तोड़ा सा नखरा दिखा कर बाग रखा, और अपने रूम में चला गया. वो पीछे-पीछे रूम तक आई.

मों: आपके लिए खाना लगा डू.

मैं: भूख नही है, फ्लाइट में ही खा लिया था. मैं सोने जेया रहा हू, तक गया हू.

मों नाराज़ होके चली गयी. मैने रूम बंद किया और सोने लगा. तब ऐसे मॅन हो रहा था सुषमा को जाके किस कर डू. मॅन बहुत सोच रहा था. नींद नही आ रही थी उस चक्कर में. तोड़ा दिमाग़ तक गया, तो पता नही कब सो गया. फिर 8 बजे उठा. जल्दी से नहा धो के 8:30 ड्रॉयिंग रूम में बैठ गया. थोड़ी देर बाद मों आई खाना ले कर. मैने खाना खाया. फिर उसके बाद वो बोली-

मैं: कैसे हो?

मों: ठीक हू.

मैं: पापा तो परसो आएँगे.

मों: हा.

कुछ देर मैं चुप रहा, और वो भी. थोड़ी देर बाद.

मों: क्या बात हुई थी, बात क्यूँ नही कर रहे थे इतने दीनो से?

मैं: तू बता तू क्यूँ नही बात कर रही सही से 5 साल से?

मों: कर तो रही थी. और कैसे करू?

मैं: अछा पहले भी ऐसे ही बात करती थी? कुछ चेंज नही हुआ?

मों: मैं आपका पस्त हू, रूबी प्रेज़ेंट ओर फ्यूचर. मैं वैसी बातें नही करना चाहती.

मैं: तू ही मेरा प्रेज़ेंट है, फ्यूचर भी. तुझे एक दिन भी याद नही आती मेरी? पुराने दीनो की? कैसे एक-दूसरे से प्यार करते थे, सब भूल गयी?

मों: मुझे याद तो आती है मगर कुछ नही हो सकता.

मैं: क्या नही हो सकता. कम से कम 1.5 से 2 साल में इंडिया आता हू, तब तो कर ही सकते है. फोन पर भी कर सकते है सेक्स छत. तुम समझ क्यूँ नही रही?

मों: आप नही समझ रहे. रूबी ही है आपका फ्यूचर.

मैं: मुझे तू चाहिए.

मों: क्या बच्चो वाली ज़िद्द कर रहे हो. अब बच्चे नही रहे.

मैं: वही तो कह रहा हू अब तेरा बच्चा नही तेरा पति हू.

मों: क्या आप भी बातों को कहा मोड़ देते हो.

इस बार मों की टोने गुस्से वाली नही थी. मैं समझ गया था यही मौका था कुछ इनिशियेटिव लेने का. मुझे पता लग गया था पिछले 3 महीनो में बात ना करने से वो तोड़ा सॉफ्ट हो गयी थी.

मैं उठा और उनके पास जाके बैठ गया. हाथ को गर्दन के पीछे से शोल्डर पर रख दिया.

मैं: बात को क्या मोड़ा, जो सच है वो बोल रहा हू.

मों: क्या सच है? अपने को पति मानते हो, मेरे को ऐसे बोलते हो की इस लंड के मज़े के लिए प्यार किया है मैने आपसे. और इसके मज़े लेके आपको छ्चोढ़ दिया.

मैं: तू उस बात को लेके बैठी है. उस लड़ाई के बाद तो इंडिया भी आ चुका हू. तुझे छोड़ भी कर चुका हू. अब पुरानी बात को लेके गुस्सा.

मों: देखा मैं कह रही थी ना मुझे पत्नी ही नही मानते हो. आप कुछ करो. मैं गुस्सा ना भी हो. मैं किसी भी बात पर गुस्सा हू मेरा हक़ है. पत्नी का हक़ है गुस्सा होना है. पति को उसको मानना. गुस्सा हू तो 3 महीनो से बात नही करोगे. पता है कैसे अकेली सी हो गयी थी?

मैने सुषमा को उठाया, और बेडरूम की तरफ ले जाने लगा.

मों: मुझे नही जाना अंदर.

मैं: सुषमा अब ज़िद्द ना करो.

मों मगर बेडरूम में आ ही गयी.

मैं: सच्ची बताओ सुषमा कभी नही याद आई इस रूम को देख के? मैं तुझे छोड़ता था. हम दोनो न्यूड पड़े रहते थे इस रूम मे.

मैं धीरे;धीरे उसकी सारी उतार रहा था. अब सुषमा धीरे-धीरे कंट्रोल में आ रही थी.

मैं: तुझे कभी गुरगाओं की याद नही आई? वाहा हम कैसे मज़े करते थे. मेरे तो सब से यादगार दिन थे वो.

मों: मेरे भी.

मैने उसकी सारी उतार दी. अब वो पेटिकोट और ब्लाउस में थी. मुझे खुद यकीन नही हो रहा था मैं ये सब कर रहा था. मुझे लगा इस बार भी कुछ नही मिलेगा. मगर शायद वो दर्र गयी क्या पता मैं अब कभी बात ना करू. इसलिए रेज़िस्ट नही कर रही थी.

मैने पेटिकोट ओर ब्लाउस उतार दिया.

मैं: याद है कैसे पहली बार तेरी ब्रा-पनटी उतरी थी, नंगा किया था?

मों: वो दिन तो मैं कभी नही भूल सकती.

मैने उसकी ब्रा पनटी उतार कर नंगा कर दिया. फिर खुद भी नंगा हो गया.

उसको खींच के मिरर के सामने ले गया.

मैं: देखो इस मिरर में हम दोनो को. इस दुनिया के बेस्ट कपल. तू न्यूड ही अची लगती है मेरे साथ.

फिर मैने उसकी छूट पर हाथ रख दिया. वो शर्मा सी रही थी.

मैं: पहली बार थोड़ी रखा है हाथ यहा पर. शर्मा रही हो?

मों: शरमाना क्या, पति के साथ हू.

सुषमा 63 की हो चुकी थी. उसको 5.5 साल बाद न्यूड देख रहा था. 5.5 साल पहले 55 तो 60 के पास वेट होता था उसका, अब 65 तो 70 हो चुका था. मतलब 7 से 8 क्ग वेट बढ़ चुका था. उसकी गांद पर भी तोड़ा सा फट आ गया था.

मैं: तेरी गांद थोड़ी मोटी हो गयी है.

मों: इसको बेइज़्ज़ती समझू या तारीफ?

मैं: बेइज़्ज़ती क्यूँ तारीफ है.

मैं सुषमा के पीछे गया नीचे घुटनो के उपर बैठा. फिर गांद देखते हुए बोला-

मैं: सुषमा तुझे पता है मोस्ट ब्यूटिफुल थिंग जो मैने लाइफ में देखी है, वो क्या है पता है तुझे-

मों: आप ही बता दो.

मैं: तेरी पानी की तरह ये गांद. इससे ज़्यादा टेस्टी कुछ नही. जब तू चलती है ना, पानी के लहरों की तरह हिलती है.

मैने सुषमा की गांद से कंपॅरिज़न बहुतो से किया. सुषमा की गांद अलग ही है. जब वो चलती है. नंगी गांद तो बता नही सकता पानी की तरह हिलती है.

मैने उसकी गांद को हाथ से खोला और उसमे मूह दे दिया. उसके अंदर घुस गया, साँस भी नही आ रही थी. थोड़ी मोटी होने की वजह से अब और मज़ा आ रहा था खाने में. 5 से 6 मिनिट मैने मा की गांद खाई.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. मेरी एमाइल ईद

यह कहानी भी पड़े  मा को चुदसी बनाने की सेक्सी स्टोरी

error: Content is protected !!