मा और बेटे की बढ़ती नज़दीकिया

पिछला पार्ट: मा-बेटे की दोस्ती और प्यार

पिछले पार्ट मे आप सबने पढ़ा की कैसे निमी आंटी ने मों को मेरे करीब भेज दिया था. जिसके बाद मेरा काम आसान हो गया था. अब बस ज़रूरत थी तो वो ये की मई मों को अपने करीब लाउ. और उन्हे फील करऔ की मई उनका बेटा होने के साथ-साथ उनका दोस्त भी हू.

अब आयेज..

जब नींद खुली तो शाम के 5 बाज रहे थे. और हॉल से टीवी की आवाज़ आ रही थी. जब मई उठ के हॉल मे गया तो देखा की मों किचन मे कुछ बना रही है. इसलिए मई पिच्चे से जाके मों को पकड़ लिया. मैने जैसे ही मों को पिच्चे से जाके दबोचा तो उनके मूह से..

मों- आओऊउककच.. तूने तो मुझे डरा ही दिया.

मई- पेर आप डारी ही क्यू?

मों- अरे मुझे लगा कों है. जो मुझे ऐसे पकड़ रहा है.

मई- डरने की क्या बात है? वैसे भी मेरे और दाद के अलावा आपको ऐसे कों पकड़ सकता है.

मों- हन बात तो तू सही कह रहा है. पेर अचानक से करेगा तो दर तो जौंगी ही.

मई- मों को तोड़ा और टाइट हग करते हुए.. लोवे योउ मों.

मों- मेरे गाल से अपना गाल सताते हुए.. आज बड़ा प्यार आ रहा अपनी मों पे.

मई- हन मों. आप कितना कुछ करते हो मेरे लिए. और मई आप को बिल्कुल भी टाइम भी नही दे पता हू.

मों- मई तेरा ख़याल रखने के लिए ही तो हू यहा. वरना तेरे दाद के साथ मई भी बाहर ना चली जाती?

मई- ई नो मों.. और मई मों की कमर को ज़ोर से जाकड़ लिया. अब से मई भी आपका ख़याल रखूँगा.

मों- अच्छा तू मेरा ख़याल रखेगा. वो कैसे?

मई- अब आपको रोज अपनी बिके पे घूमने और शॉपिंग करने ले जौंगा और अपना खाली टाइम बस आप के साथ ही बिठौँगा. ई नो दाद के ना रहने से आप अकेलापन फील करती हो.

मों- हन वो तो है.. (मों थोड़ी देर सोचने के बाद) क्या तू सच मे मेरे लिए इतना सब करेगा?

मई- हन मों.. मई वो सब करूँगा जिसे मेरी मों को खुशी मिले. क्यू की मई अपनी स्वीतू मों को कभी उदास नही देख सकता.. और मई मों के गाल पे किस कर लिया.

मों- मेरे भी मेरे गाल पे किस करते हुए. फिर तो मई आज ही टिनडर से अपना अकाउंट डेलीट कर दूँगी.

मई- तोड़ा चौकते हुए.. मों आप टिनडर पे हो?

मों- हन बेटा.. मई कब से एक अच्छा फ्रेंड ढूंड रही हू पेर वाहा तो सब के सब हवासी ही बैठे हुए है. एक भी आदमी ऐसा नही मिला जिसे दोस्ती कर साकु.

मई- ठीक है.. फिर आज से हम दोनो ही एक दूसरे के दोस्त बन जाते है.

मों- ठीक है तो फिर आज से हुमारी दोस्ती पक्की.. और मों मेरी तरफ घूम के मुझे गले लगा ली.

मई- मों को अपनी बाहों मे ऐसे जाकड़ लिया. जैसे की वो मेरी गफ़ हो. कुछ देर ऐसे रहने के बाद. चलो मों आज हम दोनो साथ मे कहीं घूम के आते है.

मों- ठीक है बेटा.. मई तैयार होके आती हू. तो आज हम तोड़ा शॉपिंग करने चलते है.

मई- ठीक है मों.. आप आराम से तैयार हो जाओ. आज हम डिन्नर भी बाहर ही करेंगे.

अब मों मुझे एक कप छाई देके और खुद तैयार होने चली गयी. मई भी छाई ले कर अपने रूम मे जेया कर कपड़े बदल लिया. और फिर हॉल मे बैठ के मों का इंतेज़ार करने लगा. कुछ ही देर बाद जब मों आई तो उन्हे देखते ही मेरे मूह से वाउ की आवाज़ निकल गयी.

मई- वाउ मों.. बहुत खूबसूरत लग रही हो यार.

मों- स्माइल करते हुए.. थॅंक योउ. पेर पहले ये डोरी बाँध दे.

और मों मेरी तरफ अपनी पीठ कर के मेरे बगल मे बैठ गयी. मों जो ब्लाउस पहनी थी वो काफ़ी हद तक बॅकलेस ही था. मों की पूरी पीठ नंगी थी. जिससे ये पता लग रहा था की मों ब्रा भी नही पहनी है. ये सोच के मेरा लंड एक दूं से टाइट हो गया.

मई- मों की पीठ को हल्का-हल्का सहलाते हुए.. आप की डोरी बहुत कमज़ोर है. कही टूट गयी तो?

मों- नही टूटेगी. तू बस प्यार से उसे बाँध दे.. और मों मेरी तरफ पलट के मुझे आँख मार दी.

मई- डोरी बाँधते हुए. मों अपने बालों को तोड़ा हटाओ तो फिर अच्छे बढ़ पाएगी ये डोरी.

मों- अपने बालों को हटते हुए.. तू बाँध इन्हे अपनी मों के साथ नॉटी हरकते मत कर.

मई- थोड़ी देर सोचते हुए.. मई अपनी मों के साथ नही अपनी दोस्त के साथ कर रहा हू.

मों- फिर ठीक है (मों का ये जवाब मेरे लिए बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड था) इसे पहले की मई कुछ बोलता मों ही बोल पड़ी.. देख 6 बजाने वेल है. अब ह्यूम निकलना चाहिए. वरना लौटने मे बहुत लाते हो जाएगा.

मई- हन मों.. चलो निकलते है.

अब हम मा-बेटे एक दूसरे का हाथ पकड़ के बाहर निकले. और फ्लॅट के मैं गाते को लॉक कर दिए. जैसे हम नीचे पहुँचे तो मैने देखा की बहुत से लड़के मुझे और मेरी मों को देख रहे है. पेर मई बिना संकोच के मों को बिके पे बिताया और निकल गया.

कुछ ही देर मे हम दोनो देल्ही के एक माल मे पहुच गये. जहाँ जाते ही मों शॉपिंग पे एक दूं से टूट पड़ी. मों शॉपिंग करते हुए बेहद खुश थी. और मई बस मों को ही देखे जेया रहा था. जब मों ढेर सारी शॉपिंग कर ली तो वो मेरे पास आके बोली..

मों- तुझे भी कुछ चाहिए हो तो लेले बेटा.

मई- मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिल गया मों. आप शॉपिंग करो मुझे यहा से कुछ नही चाहिए.

मों- क्या चाहिए था तुझे जो बिना खरीदे ही मिल गया?

मई- मुश्कूराते हुए.. मुझे आपके चेहरे पे ये खुशी चाहिए थी. जो मिल गयी मुझे.

मों- मुझे एक नॉटी सी स्माइल देते हुए (इस तरह की मुस्कान अक्सर गर्लफ्रेंड्स अपने बाय्फरेंड्स को देती है). चल उस सामने वेल शोरुम मे चलते है. मुझे वाहा से ब्रा-पनटी और एक निघट्य लेना है.

मई- आप जाओ. वाहा मेरा क्या काम?

मों- चल मेरे लिए कलर पसंद कर देना. आजतक मई तेरे दाद के ही पसंद का पहनती आई हू.

मई- पेर मुझे आपका साइज़ नही पता है. मई कैसे पसंद करूँगा?

मों- मेरा हाथ पकड़ते हुए.. तू पहले चल तो सही.

अब हम दोनो उस शोरुम मे गये. ये बहुत ही नामी शोरुम था. जिसमे काफ़ी महँगे और डिज़ाइनर टाइप के ब्रा पनटी दिख रहे थे. यहा मों ने मेरी पसंद के एक ब्रा-पनटी का सेट और एक निघट्य खरीदी. अब मई एक पिंक कलर की ट्रॅन्स्परेंट निघट्य मों को दिया..

मई- ये लो मों.. मुझे ये कलर बहुत पसंद है.

मों- जब तुझे पसंद है तो ये मुझपे ज़रूर अच्छी लगेगी.. और मों उसका बिल करने के लिए काउंटर पे दे दी.

मई- एक बार ट्राइ तो कर लेती मों.

मों- चल घर पे ट्राइ करके दिखौँगी. यहा पे ट्राइ करूँगी तो तुझे दिखा नही पौँगी.. वैसे भी यहा पे सब ह्यूम ही घूर रहे है.

मई- ठीक है मों.. आप जैसा ठीक समझो.

अब हम अपना समान लेके शोरुम से निकल गये. फिर हम दोनो एक रेस्टोरेंट मे गये. जहा हुँने खाना खाया. इस दौरान मों बेहद खुश लग रही थी. आज उनके चेहरे पेर एक अलग ही खुशी और आँखों मे एक अलग चमक थी. जो मई पहली बार देख रहा था.

खाना खाने के बाद हम घर के लिए निकालने लगे. तब मों ज़िद करने लगी की वो अभी घर नही जाएँगी. तो मई उन्हे लेके एक पार्क मे चला गया. जहाँ मों मुझसे एकद्ूम चिपक के बैठ गयी. जैसे की वो अपने बेटे के साथ नही बाय्फ्रेंड के साथ बैठी हो.

मुझे भी मों का स्पर्श बेहद अच्छा लग रहा था. और मई भी इस पल को एंजाय करने लगा. तभी बगल की झड़ी से एक अजीब सी आवाज़ आने लगी. जैसे की कोई चुदाई कर रहा हो. थोड़ी देर मे हुमारा ये भ्रम भी डोर हो गया. क्यू की वाहा साची मे चुदाई चल रही थी.

छोड़ो यार ऐसे ही शॉट मरते रहो आहह बहुत मज़ा आ रहा है. तुम्हारा लंड बहुत ही अंदर तक जा रहा है. मेरे पति का तो एकद्ूम छ्होटा और पतला है. साथ ही ठप-ठप की आवाज़ भी आ रही थी. ये आवाज़ सुनने के बाद मई और मों दोनो एक दूसरे को देखने लगे.

मों- हे भगवान आजकल लोग पार्क मे भी ये सब करने लगे है.

मई- चलो मों हम यहा से चलते है. ये जगह मुझे सही नही लग रही.

मों- हन बेटा. चल हम कही और छलके बैठते है.

अब हम दोनो पार्क मे घूम-घूम के अपने बैठने की जगह देखने लगे. लेकिन पूरे पार्क मे बस चुम्मा छाती और चुदाई ही चल रहा था. ये सब देखने के बाद मेरा लंड एकद्ूम टाइट हो गया था. और मों का चेहरा शरम के मारे एकद्ूम से लाल हो गया था.

अब चलते-चलते मों बार-बार मेरी ओर देख रही थी. और मई अपने टाइट लंड के कारण ठीक से चल भी नही पा रहा था. इसलिए मई पार्क एक ही चेर पे जाके बैठ गया. और मों को भी इशारा कर के अपने पास बुला लिया. काफ़ी देर चुप रहने के बाद मों बोली..

मों- कितना टाइम हो रहा बेटा?

मई- 10 बजने वेल है मों.. ये कहते हुए मैने मों की गोद मे अपना सिर रख दिया.

मों- मेरे बालों मे अपना हाथ फेरते हुए.. हम यहा से 11 बजे निकल चलेंगे.

मई- क्या हुआ मों आपको यहा अच्छा नही लग रहा है क्या?

मों- अच्छा तो लग रहा है. पेर यहा महॉल बहुत देर तक रुकने लायक नही लग रहा.

मई- अरे मों आपको परेशन होने की ज़रूरत नही है. ये सब मई बहुत बार पार्क मे देख चुका हू.

मों- अच्छा.. तो तू यही सब देखने पार्क मे जाता है?

मई- अरे नही मों. वो तो अचानक से दिख जाता है. जैसे की आज दिख गया.

मों- अच्छा. मतलब अब मेरा बेटा बड़ा हो गया है और वो अब सब समझता है.

मई- हसते हुए.. हन मों. मई सब समझता हू.

अब मई मों की गोद मे सिर रख के उनसे ऐसी ही बाते करने लगा. साथ ही मई मों के पेट. पीठ और कमर को भी सहला रहा था. जिससे की मों को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था. शायद अब मों मुझे पूरी तरह से अपना दोस्त मान चुकी थी. इसलिए वो मेरे स्पर्श को एंजाय कर रही थी. और मुझसे खुलके बाते कर रही थी.

बातों-बातों मे कब 11 बाज गये पता ही नही चला.
तभी पार्क का गौरड़ आके सबको पार्क से नकालने लगा. ये देख के मई और मों खुद ही उठ गये. और हम घर के लिए निकल गये. अब मों बिके पे मुझसे काफ़ी चिपक के बैठी थी. जिसस कारण उनका बूब्स मेरी पीठ से डब रहा था. और उनके निपल भी चुभ रहे थे.

अब मई समझ गया की पार्क वाली चुदाई देख के सिर्फ़ मेरा लंड ही नही मों का निपल भी टाइट हो गया है. अब मों भी मुझसे बिना शरमाये अपने बूब्स को बार-बार मेरी पीठ पे रग़ाद रही थी. और जिस सुख से वो सालो से डोर थी. वो अपने बेटे से ले रही थी.

लगभग 20-25 मिनिट के बाद हम दोनो घर अपने पहुँच गये. घर पहुँचते ही मों सारा समान सोफे पे रख के बातरूम मे चली गयी. मई भी अपने रूम मे जाके मों के निकालने का वेट करने लगा. 10 मिनिट बाद जब मों बाहर आई. तो वो काफ़ी रिलॅक्स लग रही थी. शायद मों छूट से पानी निकल के आई थी.

अब मों मुझे गुड नाइट बोल के अपने रूम मे चली गयी. और मई भी मों को गुड नाइट बोलके बातरूम मे चला गया. अब मई मों के बूब्स की रग़ाद और उनके जांघों की गर्मी को याद करके मूठ मरने लगा. लगभग 20 मिनिट के बाद मेरा माल निकल गया. और फिर मई अपने रूम मे जाके सो गया.

आयेज क्या हुआ? उसे जानने के लिए आप लोगो इस कहानी का नेक्स्ट पार्ट पढ़ना होगा. इस कहानी को अच्छे से समझने के लिए पिच्छाले पार्ट को ज़रूर पढ़िएगा. मिलते है अगले पार्ट मे. तब तक के लिए बाइ..

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