Lund Ke Swad ka Chaska

फिर चाचा ने धीरे धीरे अपनी कमर हिलाई और अपना लंड मेरी जांघों के बीच में चलाने लगे, और उन्होने मेरी पीठ पर मेरी स्कर्ट के सारे बटन खोल दिये और मेरे एक कंधे से मेरी बाजू आस्तीन से बाहर निकाल दी।

वो ये सब काम ऐसे कर रहे थे जैसे वो रोज़ ये सब मेरे साथ करते हों और मेरी पूरी मंजूरी उनको हो।

चाचा ने मेरी चूची चूसी
आस्तीन निकालने के बाद उन्होंने मेरी एक चूची भी बाहर निकाल ली और मेरी चूची का निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।

सच में, अब तो मैं भी पूरी मस्त हो गई थी, अब सच में मेरी पूरी मंजूरी चाचा को थी, चाहे तो वो मुझे चोद भी दें तो मुझे कोई ऐतराज नहीं था।

मगर चाचा मुझे वैसे ही चूसते रहे, मेरे होंठ गाल सब चूमे, चाटे!
फिर उन्होने दुबारा मेरी टांग ऊपर उठाई और अपना लंड मेरी दोनों टाँगों से निकाल लिया।

मेरे मुँह में लंड घुसेड़ दिया
मैं करवट ले कर लेटी थी, मुझे सीधा करके लेटाया, अपना पाजामा और कच्छा दोनों उतार दिये और मेरे सर के पास आकर बैठ गए, मेरे सर को अपनी तरफ घुमाया, अपना अंगूठा मेरी ठोड़ी पे रख कर मेरा मुँह थोड़ा सा खोला और अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।

बहुत ही गंदा सा मगर नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में लगा।

मैंने झट से अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया, मगर चाचा ने फिर से मेरा मुँह अपनी तरफ घुमा लिया और अपना लंड पकड़ कर मेरे होंठों पर रगड़ने लगे, फिर दोबारा से मेरा मुँह खोला अपना लंड फिर से मेरे मुँह में डाल कर, अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरा पकड़ लिया।

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मैं क्या करती, मैं अपने मुँह में उनका लंड लिए लेटी रही, वो अपनी कमर हिलाने लगे, उनका लंड मेरे मुँह में आगे पीछे होने लगा, और धीरे धीरे मैं खुद अपना मुँह खोलने लगी और उनका लंड अपने मुँह में लेने लगी।

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करीब आधा लंड उनका मेरे मुँह में था, जिसे मैं चूस तो नहीं रही थी, मगर मुँह में लेकर लेटी थी।

फिर चाचा ने मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरी चड्डी उतार दी।
मुझे लगा, क्या चाचा अब मुझे चोदेंगे, मैंने तो आज तक अपनी चूत में कुछ नहीं लिया, इनका इतना मोटा लंड तो मेरी जान निकाल देगा।

मगर मेरी चड्डी उतार कर चाचा उल्टा घूम गए, वो नीचे लेट गए और मुझे अपने पेट पर लेटा लिया और मेरी दोनों टाँगें खोल कर अपना मुँह मेरी कुँवारी चूत से लगा दिया।

मैं तो एकदम से तड़प उठी, इतनी गुदगुदी हुई मुझे, चूत चटवाने में इतना मज़ा आता है, मुझे तो पता ही नहीं था।

मगर चाचा ने मुझे संभाला और फिर से अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया और अपनी जीभ से चाटने लगे।
न सिर्फ चूत को ही चाटा, बल्कि पोट्टी वाली जगह भी चाट गए, ऊपर से नीचे तक उन्होने मेरे पूरी जगह पर अपनी जीभ फिराई।

मैं तो जैसे पागल हुई जा रही थी, कब मैंने चाचा का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और कब उसे खुद ही चूसने लगी… मुझे याद नहीं। चाचा चाटते रहे और मैं चूसती रही।

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और फिर मेरा बदन अकड़ गया, मैंने चाचा का लंड अपनी पूरी ताकत से अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और शायद दाँत से काट भी खाया, मगर मुँह से नहीं निकाला।

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