जब थोड़ा शांत हुई तो मैंने चाचा का लंड अपने मुँह से निकाला, मगर चाचा ने फिर से मेरा मुँह अपने लंड से लगा दिया, और मैं फिर से चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद चाचा ने एकदम से मेरा मुँह अपने लंड से हटवा दिया और उनके लंड से वीर्य की धारें बह निकली, मैं देख तो नहीं सकी, मगर मुझे अपने हाथ पर गर्म गर्म और गीला गीला महसूस हुआ।
उसके बाद चाचा भी शांत हो गए।
थोड़ी देर बाद फिर से चाचा के खर्राटे सुनाई देने लगे, मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी, रह रह कर मुझे चाचा का लंड याद आ रहा था, पता नहीं क्यों मगर मेरा फिर से दिल कर रहा था कि मैं एक बार और चाचा का लंड चूसूँ।
मगर यह संभव न हो सका।
उसके बाद तो कभी भी नहीं।
लंड चूसने का चस्का
मगर चाचा की इस हरकत ने मेरी जवानी की कली को फूल बना दिया।
इसका नतीजा यह हुआ कि कुछ दिनों बाद ही मेरी ही क्लास का एक लड़का मेरा बॉय फ्रेंड बन गया। जिसके साथ मैंने सबसे पहला काम जो किया, वो था उसका लंड चूसना, बल्कि उसने अपना वीर्य भी मेरे मुँह के अंदर ही छुड़वाया, कुछ तो मैंने पी भी लिया।
और उसके बाद के सात आठ साल तो मेरे बहुत ही रंगीन निकले, मुझे खुद याद नहीं कि मेरे कितने लड़कों से संबंध रहे, बहुत लंड चूसे मैंने, बहुत वीर्य पिया।
लंड का स्वाद ऐसा लगा मेरे मुँह को के आज भी मैं हर वक़्त किसी का भी लंड चूसने को तैयार रहती हूँ।