हैलो दोस्तो,.. मेरा नामे मनीष है.. मैं आसाम के एक रईस परिवार से हूँ, मेरी उम्र 20 साल है। मेरे लण्ड का साइज़ 6 इंच है और ये गोलाई में 2.5 इंच मोटा है।
मैंने अन्तर्वासना पर सेक्स कहानियाँ अभी पढ़ना शुरू ही किया था.. पर मुझे सेक्स के बारे में कुछ पता नहीं था।
यह मेरी पहली सच्ची कहानी है, यह घटना आज से लगभग चार महीने पहले की है।
मेरे घर में कई नौकर-नौकरानी काम करते थे और कभी-कभी उनकी बेटियाँ भी मेरे घर पर काम करने आती थीं।
ऐसे ही एक बार मेरी नौकरानी की बेटी कई दिन से घर पर काम करने आ रही थी.. तो मेरी उस पर नज़र पड़ गई।
हालांकि वो सुन्दर तो नहीं थी.. दिखने में भी औसत सी थी.. लेकिन वो बड़े साफ सुथरे ढंग से रहती थी और थोड़ा बहुत स्टाइल भी मारती थी।
मैंने अभी जवानी में कदम रखा ही था और वो भी जवान हो चली थी.. तो मैंने सोचा क्यूँ ना उस पर ट्राई मारा जाए।
उसकी उम्र भी यही कोई 18-19 साल की थी। उसका कद लगभग 5 फीट था.. उसकी चूचियाँ यही कोई 28-30 इंच की रही होंगी। थोड़ी कसरती किस्म का जिस्म वाला फिगर था उसका.. लेकिन थी बड़ा टाइट माल..
मैं उससे पटाने की सोचने लगा कि कैसे उसे अपने नीचे लिटाया जाए।
इसके लिए मैं उससे ज़्यादा से ज़्यादा बात करने लगा, उसे कुछ ना कुछ देने लगा.. उसके बहाने खेतों पर जाने लगा.. ताकि उससे मेलजोल बढ़ सके।
इस तरह वो मुझसे काफ़ी घुलमिल गई थी। वो भी उगती जवानी में मेरी तरह उठती चुदास से भरी हुई थी।
ऐसे ही एक दिन वो बर्तन धो रही थी.. तो मैंने 6 बजे शाम को खेतों में मिलने के लिए.. उसे दूर से इशारा किया।
उसने भी मुस्कुरा कर ‘हाँ’ कर दिया।
दोस्तो, मेरा परिवार काफ़ी बड़ा है। इस लिए घर में मिलना बड़ा मुश्किल था। उस दिन शाम को हम खेतों में मिले और अरहर के खेतों के बीच में चले गए.. ताकि कोई देख ना सके और फिर मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोला.. तो उसने भी मुझे ‘आई लव यू’ बोला। फिर मैंने उसे किस किया और उसने भी मुझे चुम्मी दी।
मैं तो उसे चोदने के मूड में गया था.. पर समझ में नहीं आ रहा था कि शुरूआत कैसे करूँ।
कुछ देर चूमाचाटी के बाद वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर ले गई और मेरे हाथों से से अपने मम्मों को दबा दिए। बस फिर मैं समझ गया कि इसकी चूत में भी चुदने के आग लगी है।
फिर क्या था.. मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
वो बोली- आह्ह.. धीरे दबाओ.. दर्द होता है।
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फिर मैंने अरहर के कुछ पौधे तोड़कर ज़मीन पर बिछाए और उससे बोला- अपनी समीज़ उतारो।
उसने उतार दी.. तो उसकी समीज़ को नीचे बिछा कर उसे उसी पर लिटा दिया और शाम के धुंधलके में कुछ दिख तो रहा नहीं था। बस करते जाओ.. जो भी करना है।
हमारे पास समय कम था.. तो मैंने सीधा अपना तना हुआ लण्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया।
वो बोली- हाय.. इतना मोटा..!
मैंने कहा- सबका ऐसा ही होता है।
वो बोली- मुझे क्या पता.. पर ठीक है।
फिर मैंने उसे मुँह में लेने को बोला.. तो वो लण्ड मुँह में लेकर चाटने और चूसने लगी जिससे मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया।
वो मेरे लण्ड को चूस रही थी, तब तक मैं उसकी चूचियां दबा और सहला रहा था.. साथ ही एक हाथ से उसकी चूत को भी सहला रहा था।