लाला और उसके दोस्तो ने कुतिया बना कर चोदा

तो जब लाला के रचे खेल मे जीतना का इनाम था की लाला और उसके दोस्त रात भर मुझे अपनी सेक्स साल्वे बना कर रखेंगे. जानिए एक 6 मंत प्रेग्नेंट औरत को हालत ने क्या करने पर मजबूर कर दिया.

ही दोस्तो इस कहानी के पिछले पार्ट्स को इतना प्यार दिखाने के लिए बहुत सूकरिया. तो बिना टाइम वेस्ट किए कहानी पर आते है.

तो लाला ने रूबी और साना दोनो को एक दो दिन का रॅशन देकर गोदाम से निकल दिया. मई काफ़ी डारी हुई थी. दर्र के मारे थरथरा रही थी. तभी पीछे से समीर साहब ने पीछे से मुझे ज़ोर से पाकारा बोले
समीर(मुस्कुराते हुए): डरो मत हम सब कुछ नही होगा तुम्हे.

मई उनकी मुस्कुराहट देख कर ही बता सकती थी की मेरे साथ आयेज क्या होने वाला है. तब मेरे मॅन मई एक ही ख़याल था की “कही ना कही मुझे ये सब आज जो मेरे साथ जो हो रहा था वो मेरी ही ग़लती है. ना मई भाग के बिना सोचे समझे शादी करती ना मेरी फॅमिली मुझे बेदखल करती और ना मई यहा इश्स हाल मई होती”. मैने भी फिर हालत को अपना नसीब समझ के अपना लिया और शांत हो गयी.

फिर लाला और उसके दोस्तो ने मेरे गले मई एक कुत्ते का पत्ता लगाया और मुझे कुट्टिया के तरह उनके चेर के सामने बैठने तो कहा.

मई: नही साहब इश्स हालत मई मुझे कुट्टिया की तरह नही बैठा जाएग. वैसे नही आप लोगो ने मेरी बहुत चुदाई की है आज.

राजवीर साहब: ये कुट्टिया ऐसे नही मानेगी. इसका इलाज है मेरे पास.

वो झट से गये और अपने जीप से एक बॉक्स लेकर आए. जब उन्होने बॉक्स खोला तो मई दर गयी. उस बॉक्स मई ब्दसम का समान था. बहुत से तौरचेर डिवाइस थे. उसमे से उन्होने एक तासेर निकाला.

तासेर एक स्टिक जैसे होती है जिससे बहुत ज़ोर का करेंट निकलता है. उससे उन्होने मेरे बूब्स पे टच किया. उनके टच करते ही मई दर्द से चीख उठी. उस दर्द को मई बैयाँ भी नही कर सकती. उन्होने दुबारा तासेर को मेरी तरफ कर के कुटिया जैसे बैठने का इशारा किया. मई मजबूरन एक कुटिया की तरह उनके पाओ के पास बैठ गयी. उन्होने फिर मेरे सिर पर हाथ पेरा और बोले.

राजवीर साहब: तुझ जैसे कुटिया को काबू मई करना आता है मुझे. बोल की तू हमारी कुटिया है.

मई(रोते हुए): मई एक कुटिया हू.

फिर चारो हेस्ट हुए टेबल के चारो और बैठ गये और शराब पीने लगे. मई नंगी गले मई पत्ता लगाए कुटिया की तरह उनके पाओ पर पारी थी. लगभाज 1 बाज गये चारो ने काफ़ी शराब पी ली थी.

फिर समीर साहब लड़खरते हुए खरे हुए और कही जा ही रहे थे की मुझसे टकरा कर गिर गये. उसके बाद क्या था वो आग बाबूले हो गये. उससे दबे से एक पतली सी चारी निकली और मुझे उससे मरने लगे.

पतली चारी अंदर तक चोट नही देती मगर दाग चोर जाती है और दर्द भी बहुत होता है. उन्होने एक बार मई लगभग 20-25 बार मुझे चारी से मारा. मई बस माफी माँगते रह गयी मगर उनपर कोई असर नही हुआ. आख़िर कार वो कहरी टूट गयी तब जा कर वो रुके.

मई शरीर पर हर एक कहरी के दाग काउंट हो सकते थे. मई दर्द से रोए जा रही थी. उसके बाद उन्होने टेबल के सारे समान गिरा दिए और मुझे बाल पकड़ कर उठाया और टेबल पर लिटा दिया और मेरे हाथ पाओ भी फयला दिए.

फिर उन्होने अपना लंड निकाला और सीधा मेरी छूट पर सेट कर के ज़ोर ज़ोर से मुझे छोड़ने लगे. मेरा पूरा शरीर हिल रहा था.

मई: आअहह… मलिक माफ़ करदो मई पेट से हू आराम से छोड़ लो मई कही नही जा रही.

समीर साहब से मेरी मूह पर दो तपद लगाए.

समीर साहब: चुप साली कुटिया. मुझे गिरने की तेरी हिमात कैसे हुई.

मे: आहह…. साहब….धीरे… साहब ऐसे तो मेरी छूट फटत जाएगी…. ह

मगर वो कहा सुनने वेल थे फिर उन्होने मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से मसालने लगे. बीच-बीच मई मेरे चुचि को पकड़ ज़ोर से दबा दे रहे थे. अब तो मैने रहम की भीक माँगना भी चोर दिया था, सिर्फ़ दर्द सहे जा रही थी.

लाला: सब तुम्ही कर लोगे क्या…. ह्यूम भी मौका दो.

लाला ने समीर साहब को हटाया और मेरी दोनो लड़खरते हुए मेरी दोनो जंगो को पाकारा और दो-दो तपद मेरे दोनो जंगो पर लगाया, फिर एक तपद मेरी छूट पर लगाया और फिर मेरी छूट चाटने लगे. जल्द ही मई मोन करने लगी. लाला कमाल का छूट चट्टा था. 10 मीं के अंदर ही मई झाड़ गयी.

फिर लाला ने मेरी गंद उठाई और मेरी गंद के छेड़ मई थूका.

मई: नही लाला गंद मत मॅर मेरी गंद मई ऐसे ही दर्द है.

लाला कुछ नही बोला सीधा तासेर उठाया और मेरी छूट पर सता दिया. मई दर्द से तिलमिला उठी. फिर लाला मेरे गंद छोड़ने लगा. लाला ने यूयेसेस ब्दसम के डब्बे मई से दो क्लिप निकले और मेरी चुचियो पर सेट कर दिया. उन क्लिप्स से बस्हूट दर्द हो रहा था. लाला ने भी मेरी गंद लगभग आधे गाँते ताज अकचे से छोड़ी.

फिर आए दोनो भाई राजवीर और रुद्रवीर साहब. राजवीर साहब मुझे टेबल से हटा कर खुद लेट गये और मुझे उनपद चाड़ने को कहा. मई धीरे धीरे चाड ही रही थी की राजवीर साहब ने तासेर से मेरे शरीर पर 2-3 जगह टच कर दिया मई दर्द से वही फर्श पर गिर गयी.

राजवीर साहब: उठ जल्दी साली कुटिया नाटक मत कर…

ऐसे कहते हुए और 2-3 जगह सता दिए हेर बार बेसुमर दर्द होता. मैने सोचा ये नही रुकने वेल तो फिर वैसे ही दर्द मई जैसे तैसे मई उपेर चाड गयी. फिर उन्होने अपना लंड मेरी छूट मई सेट किया और मई उपेर नीचे उछालने लगी. तभी पीछे से रुद्रवीर ने मेरी गंद पर लंड सेट किया और मेरी गंद का छेड़ इतना ढीला हो चुका था की उनका लंड हल्के पुश मई अंदर चला गया.

दोनो मिलकर एक वक़्त पर मेरी छूट और गंद मरने लगे. तभी आयेज से गोपाल साहब आए और अपन्द लंड को मेरे मूह मई दे दिया. मई एक वक़्त पे 3 लोगो को संभाल रही थी. तभी फिचे से समीर सिर भी आए और अपने लंड को भी किसी तरह मेरी छूट मई डालने की कोशिश करने लगे.

मई: नही साहब… ऐसा मत करो उघ….

गोपाल साहब ने आधे बात पर ही दुबारा लंड मेरे मूह मई डाल दिया.

गोपाल: चुप छाप लंड चूस साली कुटिया… तुझाई बोलने का हक़ किसने दिया.

समीर साहब जैसे तैसे जगह बना कर मेरी छूट मई लंड डाल दिया. मई दर्द से तिलमिला रही थी. मेरा पूरा शरीर लाल हो चुका था. मगर मई ठीक से छिला भी नही पा रही थी क्यू की मूह मई भी लंड था.

तभी लाला भी उठ कर आया और मेरे मूह मई अपना लंड देने लगा, जबकि ऑलरेडी मूह मई एक लंड था ही. ज़बरदस्ती उसने भी लंड मूह मई डाल ही दिया.

तो सीन कुछ ऐसा था की एक वक़्त पे 5 लोग मुझे किसी ना किसी जगह से छोड़ रहे थे. फिर 1 ह्र्स तक पाँचो जगह बदल बदल कर मुझे छोड़ते रहे. फिर एक वार मई ही पाँचो ने अपना अपना लंड मुझ मई से निकल दिया. मेरा बदन खाली खाली सा लग रहा था.

उसके बाद वो लोग दुबारा शराब पीने लगे और मई कुटिया बन कर उनके पाओ की पास पड़ी थी.

फिर जिसका जब मॅन आया बरी – बरी से मुझे छोड़ने आए और अपना पसंद का छेड़ छोड़ के मेरे मूह मई माल ग़ैरा दिया और मई सब माल छत गयी उपेर से उनका लंड भी चूज़ कर सॉफ किया.

ऐसे करते करते सब झाड़ गये. फिर उन सब ने मुझे घेर कर मुझ पर पीसाब करने लगे. मई इतना तक चुकी थी की रिक्ट करने के हालत मई भी नही थी.

सब एक साथ: आज से तू हुमारी कुटिया है. फ्री मई ह्यूम सुख देना तेरा काम है.

मैने सिर हिला कर हामी भारी. थोरी देर मई सुबा हो गयी. लाला ने मेरे फटे कापरे मुझप्र फेके और मुझे घर जाने को बोला.

लाला: जा एक बोरी अनाज तेरे घर पहुच जाएगा.

मई: बहुत तक गयी हू लाला… तोरा यही फर्श पर ही आराम करने दो.

फिर लाला ने तासेर उठा कर मेरे बदन पर सताया और बोला-

लाला: जा अपने घर जा कर आराम कर… अब तुझाई अभू के लिए काम निकल गया है.

लाला ने मुझे नंगे ही बाहर निकल दिया बाहर अभी भी अंधेरा था. मगर बाहर ही सोने वेल मजदूर ने मुझे देख लिया. मैने जैसे तैसे कापरे पहने और घर को चला गयी.

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