कहानी जिसमे लड़के ने मा-बहन के साथ संबंध बनाया

तो दोस्तों कैसे हो आप सभी. ई आम शुवर सब बढ़िया ही होंगे. तो चलिए पहले आपका इंट्रो करवाता हू मेरी फॅमिली से.

मेरी फॅमिली में केवल हम 3 लोग ही है.

मेरी मों की शादी मेरे दाद से बहुत कम आगे में हो गयी थी. और फिर जल्दी-जल्दी ही हम इनके बच्चे भी हो गये.

हमारे होने के कुछ ही टाइम बाद एक रोड आक्सिडेंट में मेरे दाद की डेत हो गयी. तब से हम टीन जान ही घर में बचे हुए थे. मेरे दाद एक बॅंक में मॅनेजर थे. और उनके जाने के बाद वही जॉब मों को मिल गयी. साथ में दाद के इन्षुरेन्स का बहुत सारा पैसा भी मिला.

इससे हमारी लाइफ बहुत ही अची हो गयी. अब हमारे घर में किसी भी चीज़ की कोई कमी नही थी. हम भी एक मिड्ल क्लास से थोड़े अप्पर क्लास में आते है. मों जॉब करती है, और मैं और मेरी बेहन पढ़ाई करते है.

अब आते है इंट्रो पर.

राकेश सिंग: ये मेरे दाद है, जो अब नही रहे है.

कमला देवी: ये मेरी मों है. जिनकी आगे 35 है. इनके फिगर के क्या कहने. अपने आप को बहुत ही मेनटेन करके रखती है आज भी. इनका फिगर 38-26-38 है, और जब उन्हे मैं देखता हू तो मेरा क्या हाल होता है मैं बता नही सकता. ये हमेशा सारी ही पहनती है. बस जब घर पर होती है, तब ये मॅक्सी वग़ैरा में ही रहती है.

शेवता: ये मेरी बेहन है. ये मुझसे पुर 2 साल बड़ी है. इसकी आगे 20 है. ये फिलहाल कॉलेज के फर्स्ट एअर में है, और इसका फिगर 36-26-36. बहुत ही कमाल का फिगर है उसका. ये हमेशा सलवार-सूट ही पहनती है, और काफ़ी समझदार भी है. हमेशा लड़कों से डोर ही रहती है. उसके पीछे पता नही कितने ही लड़के पागल हुए जेया रहे है. लेकिन ये किसी को भी ज़रा भी भाव नही देती है. अपने काम से काम रखती है.

सन्नी: ये हुए मैं. मेरी आगे इसी महीने 18 हुई है. और फिलहाल मैं 12त क्लास में पढ़ता हू. मैं एक तरह से बहुत ही सुलझा हुआ लड़का हू. मेरे ना ज़्यादा दोस्त है, ना ही कोई गफ़. सिर्फ़ मेरा एक ही बेस्ट फ्रेंड है, जिसका नाम है सूर्या. ये मेरे साथ ही मेरी ही क्लास में पढ़ता है. मेरे लंड का साइज़ है 7.5″ और लगभग 3″ मोटा है.

सूर्या: ये मेरा दोस्त है. उसके परिवार में इसकी मों दाद ही है. इसकी कोई बेहन नही है. ये भी हमारी ही तरह एक मिड्ल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करते है. उसके दाद इनकम टॅक्स ऑफीस में काम करते है, और इसकी मों हाउस वाइफ है.

दोस्तों इनका ज़्यादा रोल नही है, बस तोड़ा सा ही है. अब स्टोरी पर आते है.

हम बेसिकली भोपाल के रहने वाले है.

मैं अब 18 का हो चुका था, और सभी लड़कों की तरह मुझे भी लड़की की ज़रूरत महसूस होने लगी थी. मैं चाहता था की मेरी भी कोई गफ़ हो, जिसको मैं प्यार करू, और बाकी का मुझे ज़्यादा कुछ पता नही था, की आगे और क्या करना होता है.

मेरी क्लास में काफ़ी लड़किया थी. जिनमे से मुझे 1 पसंद भी थी. लेकिन उस लड़की के ऑलरेडी 2 ब्फ थे. और ये मैने खुद पता किया था उसका पीछा करके. इस वजह से मेरा दिल तोड़ा टूट सा गया था.

मेरी क्लास में जितनी भी लड़किया थी, लगभग सभी की सेट्टिंग चल रही थी किसी ना किसी से. और जो 1-2 बची हुई थी, वो ये सब में टाइम बर्बाद नही करती थी. जिस वजह से में भी अकेला ही रह गया था. मैं और सूर्या दोनो ही सिंगल ही थे. लेकिन हमे इस बात का ज़्यादा अफ़सोस नही था.

हमे लगता था की एक ना एक दिन हमारी भी गफ़ ज़रूर बनेगी. और जो भी बनेगी, वो सिर्फ़ हमारी ही होगी. ना की हमे धोखा देके किसी और की सेट्टिंग भी बन के रहेगी. इसलिए हम लोग मस्त रहते थे.

एक दिन स्कूल से वापस आते टाइम सूर्या ने मुझे बताया-

सूर्या: यार कल रात मोबाइल पर मैने कुछ देखा. और उसको देखने के बाद मेरे अंदर कुछ ज़्यादा ही हॉर्मोन लोचा हो रहा है.

मैं: ऐसा क्या देख लिया तूने, जो इतना उतावला हो रहा है?

सूर्या: दरअसल कल मैने एक साइट देखी देसीकाहानी2.नेट

मैं: इस पर क्या है?

सूर्या: इस पर बहुत सी स्टोरीस है. और इसमे सारी की सारी सेक्स स्टोरीस है. जिन्हे पढ़ के मेरे अंदर पता नही क्या-क्या हो रहा है.

मैं: अछा? ज़रा दिखा तो.

सूर्या ने मुझे वो साइट दिखाई तो मैने उसको अपने मोबाइल में सवे कर लिया. फिर सोचा बाद में फ़ुर्सत से पढ़ुंगा. ऐसे ही हम घर आ गये. रात में डिन्नर करके मैं अपने रूम में चला गया, और सोचा अब पढ़ता हू ऐसा क्या ख़ास है उसमे.


और फिर मैं मोबाइल में उस साइट में स्टोरी को खोल कर पड़ने बैठा गया. उस पूरी रात मैं स्टोरी पढ़ता रहा, और यकीन मानिए मैने कम से कम 4-5 बार मूठ मारी. इतनी सेक्सी स्टोरीस थी उसमे, और उसमे ज़्यादातर इन्सेस्ट स्टोरीस थी.

और उस दिन से मुझे इस साइट का चस्का लग गया. हालाकी मैने इसके बारे में सूर्या को भी नही बताया. क्यूंकी मेरे बारे में एक ख़ास बात ये थी, की मैं अपने घर की कोई भी बात किसी से भी शेर नही करता, फिर चाहे वो अची बात हो या फिर बुरी.

हालाकी कुछ बातें मैं सूर्या से शेर कर लेता हू. लेकिन ज़्यादा नही. मेरी आदत दिन बा दिन बढ़ती ही जेया रही थी, और मुझे ये सब करने में बहुत मज़ा भी आता था. ख़ास कर इन्सेस्ट स्टोरीस पढ़ने के बाद जब झाड़ता था, तो ऐसा लगता था की जैसे सच में मेरी मों ने या फिर मेरी बेहन ने ही मेरा पूरा पानी निकाला हो.

दिन बा दिन मेरी नीयत बिगड़ने लगी थी अपनी ही बेहन और मों पर. एक दिन मैं दोपहर में मों के कमरे में गया. मों वाहा नही थी. वो ऑफीस गयी थी, और मेरी बेहन भी नही थी, वो कॉलेज गयी थी. मैं अकेला था.

फिर मैं पहले मों के कमरे में गया, और सीधा उनके बातरूम में घुस गया. वाहा मुझे जॅकपॉट मिल गया. क्यूंकी बातरूम में मेरी मों की ब्रा और पनटी दोनो डाली हुई थी. वो भी सूखी. जो धुलने के लिए वाहा पर रखी थी.

मैने पनटी को उतहाया और उसको सूँघा, तो मैं खुश हो गया. क्यूंकी उसमे से मुझे सीधे खुसबु आ रही थी मों की छूट की. फिर मैं उसको चाटने लगा और एक हाथ में ब्रा को लेके अपने लंड पर मसालने लगा.

मैं उस पनटी को चाट-ते हुए काफ़ी एक्शिटेड हो गया था. फिर मेरा पानी निकल गया मों की ब्रा पर. जैसे ही मेरा पानी निकला मेरा पूरा जोश उडद गया, और मैने तुरंत ही उस पनटी और ब्रा को वापस वैसे का वैसा ही रख दिया, और बाहर आ गया.

शाम को मुझे तोड़ा दर्र भी लग रहा था, की कही मों को पता नही चल जाए की मैने उनकी ब्रा में अपना पानी छ्चोढा था. क्यूंकी वो मों है, उन्हे समझने में ज़रा भी देर नही लगेगी की ये सब किया धारा मेरा ही था.

लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ. अब ये मेरी आदत सी बन गयी. मैं रोज़ दोपहर में मों की पनटी को सूंघटा और उनकी ब्रा में अपना पानी छ्चोढने लगा. दिन बा दिन मेरा दर्र निकलता गया. क्यूंकी मों ने अभी तक कोई ऑब्जेक्षन ही नही उतहाया था.

शायद उन्होने अभी तक गौर नही किया था. या फिर वो जान-बूझ कर अंजान बन रही थी. पता नही. एक रात मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था, की मों मेरे कमरे में आई.

पहले उन्हे देख कर मैं चौंक गया, और तोड़ा दर्र भी गया. लेकिन फिर हिम्मत बढ़ा कर उनको बोला.

मैं: मों आप यहा? कुछ काम था क्या?

मों: नही, तुमसे कुछ बात करनी थी.

मैं: क्या बात बोलिए?

मों: दरअसल मैं कुछ दीनो से कुछ नोटीस कर रही हू. उसी के बारे में बात करनी थी.

मेरी सॉलिड फटत रही थी, लेकिन मैं अपने चेहरे पर वो भाव आने नही दे रहा था. मैं जान-बुझ कर अंजान बनते हुए उनसे बात कर रहा था.

मैं: क्या मों?

मों: देखो बेटा ये सब तुम जो कर रहे हो, उसमे कुछ ग़लत तो नही है. ये आगे ही ऐसी है. लेकिन जिस पर तुम कर रहे हो, वो ग़लत है.

मैं: मों मुझे मच समझ में नही आ रहा है आप क्या बोल रही है.

मों: अछा तो तुझे मैं सॉफ-सॉफ बताती हू. मेरी ब्रा में तू रोज़ अपना स्पर्म गिरा रहा है. मैं उसकी बात कर रही हू.

मों के मूह से ये बात सुन के मेरे दिल की धड़कन एक-दूं से बढ़ गयी. इतनी तेज़ की शायद मों को भी सुनाई देने लगी होगी. और मेरा मूह पूरा बंद, क्यूंकी मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही. इसलिए मैने अपना सिर झुका लिया.

मों: देख, ये सब करना बंद कर दे. ये अची बात नही है. मैं तुझे केवल समझने आई हू.

मैं: मों सॉरी, लेकिन क्या करू? आज कल मैं बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड रहता हू. और उसी में ये सब हो जाता है. मैं आपको देख कर तो और भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो जाता हू. मेरे से कंट्रोल ही नही होता है.मैं: मों मुझे मच समझ में नही आ रहा है आप क्या बोल रही है.

मों: अछा तो तुझे मैं सॉफ-सॉफ बताती हू. मेरी ब्रा में तू रोज़ अपना स्पर्म गिरा रहा है. मैं उसकी बात कर रही हू.

मों के मूह से ये बात सुन के मेरे दिल की धड़कन एक-दूं से बढ़ गयी. इतनी तेज़ की शायद मों को भी सुनाई देने लगी होगी. और मेरा मूह पूरा बंद, क्यूंकी मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही. इसलिए मैने अपना सिर झुका लिया.

मों: देख, ये सब करना बंद कर दे. ये अची बात नही है. मैं तुझे केवल समझने आई हू.

मैं: मों सॉरी, लेकिन क्या करू? आज कल मैं बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड रहता हू. और उसी में ये सब हो जाता है. मैं आपको देख कर तो और भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो जाता हू. मेरे से कंट्रोल ही नही होता है.

मों: देख एग्ज़ाइटेड होना कोई ग़लत बात नही है. लेकिन अपनी ही मों पर एग्ज़ाइटेड होना ग़लत है. तू एक काम कर, एक गफ़ बना ले, उसके बाद ये सब नही होगा.

मैं: मों मैने ट्राइ किया था, लेकिन अब मुझे कोई भी लड़की आपके मुक़ाबले जचती ही नही है. आप ही मेरी गफ़ बन जाओ ना.

मों: ये क्या बोल रहा है तू? देख ये नही हो सकता. मैं तेरी मों हू.

मैं: मों प्लीज़ मों.

मों: तुझसे बोला ना एक बार, ये नही हो सकता. बेटा ये समाज ऐसे लोगों को कभी नही अपनाता है. उल्टा हमारी कितनी बदनामी होगी वो तो सोच. की अगर किसी को ज़रा भी भनक लग गयी तो क्या होगा. और दूसरे को छ्चोढो अगर श्वेता को पता चला तो वो क्या सोचेगी मेरे बारे में? इसलिए ये नही हो सकता.

मों: रही बात बाहर जाने की, तो मैं आपकी कसम ख़ाके कहता हू की ये बात मरते दूं तक मेरे अंदर ही रहेगी. मैं किसी को कुछ नही बोलूँगा. और रही बात शेवता की, तो उसको हम बाद में हॅंडल कर लेंगे. लेकिन प्लीज़ मों मेरी हेल्प करो ना. वरना मैं शायद पागल हो जौंगा.

मों: तू मेरी बात समझ क्यू नही रहा है?

मैं: जहा तक मेरा ज्ञान कहता है, आपको भी किसी आदमी की ज़रूरत है. लेकिन आप कहती नही हो. तो इससे हम दोनो का काम आसान हो सकता है. और किसी को कानो-कान खबर भी नही होगी. जो आपके चेहरे पर ये उदासी रहती है ना दिन भर, उसको मैं डोर कर सकता हू हमेशा के लिए. और ये बात हमारे अंदर ही रहेगी.

मों: तू बड़ा आया मेरी मुस्कान वापस लाने वाला.

मैं: मों अब मैं बड़ा हो गया हू. और आपके चेहरे को देख कर ही समझ जाता हू, की आपको क्या प्राब्लम है.

मों: देख तू मेरा बेटा है. और मेरा ज़मीर ऐसा करने को मान नही रहा है.

मैं: एक बार एक मा बनके नही बल्कि एक औरत बनके सोचिए. आपको सारे सवालो के जवाब खुद मिल जाएँगे. प्लीज़ मों.

मों: ठीक है, मैं तेरी खुशी के लिए सोचूँगी. अगर मेरा ज़मीर मान गया तो कोई बात नही. और अगर नही माना, तो ई सब्जेक्ट पर फिर कभी कोई चर्चा नही होगी.

मैं: डन मों.

उसके बाद मों वाहा से चली गयी. हमे नही मालूम था, की हमारी बातें दी भी सुन रही थी. इस बात को आज 3 दिन हो गये थे, और मैं रोज़ की तरह मों की ब्रा में मूठ मारता था. और इससे फिलहाल मों की कोई ऑब्जेक्षन नही था.

एक दिन मों ऑफीस गयी थी, और मैं और शेवता घर पर ही थे. मैं अपने कमरे में बैठा वही स्टोरीस पढ़ रहा था, की तभी शेवता मेरे कमरे में आई. मेरा लंड मेरे लवर में तंबू बनाए हुए था जिसका उभार सॉफ दिख रहा था. वो सीधे मेरे पास आई और बोली-

दी: क्या कर रहा है तू?

मैं: कुछ नही टाइम पास.

दी: वो तो दिख ही रहा है. तेरे लोवर पर. क्या ब्फ देख रहा है ना?

मैं: आपसे मतलब.

दी: मतलब है. मैं तेरी बड़ी बेहन हू. सच-सच बता.

मैं: नही स्टोरीस पद रहा था.

दी: ऐसी कों सी स्टोरीस पढ़ रहा था, जिसमे ये हाल हो गया?

मैं: आप यहा क्यू आई हो, ये बताओ ना?

दी: दरअसल मैने परसो रात को कुछ सुना था तेरे कमरे के बाहर. उसी के बारे में बात करनी है.

ये सुन के मैं सॉलिड चौंका.

मैं: क्या सुना था?

दी: वही, जो तुम और मों बातें कर रहे थे.

ये सुन के तो मेरी हालत ही पतली हो गयी. लेकिन ज़्यादा नही क्यूंकी वो करेगी भी क्या.

मैं: तो अब क्या चाहती हो?

दी: मैं चाहती हू, की तू मुझे भी अपनी गफ़ बना ले.

ये सुन के मैं एक टक्क दी को देखता रह गया.

मैं: ये क्या कह रही हो आप?

दी: वही जो तू सुन रहा है. देख मैं भी तेरी तरह बहुत जल रही हू जवानी की आग में. लेकिन मैं बाहर किसी भी लड़के के साथ जाने में डरती हू. मुझे दर्र लगता है की कही वो मेरा ग़लत फ़ायदा ना उठा ले. इस वजह से मैं किसी को भी लिमिट क्रॉस नही करने देती हू. लेकिन जब मैने तेरी और मों की बातें सुनी, तो मुझे एक उम्मीद नज़र आई. और मैं तुझसे बात करने आ गयी. अब बोल क्या कहता है?

मैं: देखो दी, मुझे तो कोई प्राब्लम नही है. बल्कि मेरे लिए तो अछा ही है. अगर मों मान जाए तो हम तीनो के मज़े हो सकते है. तीनो दिल खोल कर एंजाय कर सकते है.

दी: वही तो मैने भी सोचा था. इसलिए तो कह रही हू. लेकिन अगर मों नही मानी तो?

मैं: दी नेगेटिव क्यूँ सोच रही हो? मों ज़रूर मानेगी देख लेना. और अगर मान जाती है, तो मेरे पास एक मस्त आइडिया है जिससे हम अपनी पहली रात को यादगार बना सकते है.

दी: अछा, क्या आइडिया है?

फिर मैने दी को पूरा आइडिया बताया जिसे सुन के मेरे तो लंड ने लोवर में ही पानी छ्चोढ़ दिया. और सेम हाल दी का भी था, क्यूंकी वो भी अपनी जांघों को कसने लगी थी.

मैं: निकल गया अमृत?

दी: हा, जब सुन कर इतना मज़ा आया, तो करके कितना आएगा.

मैं: इसीलिए तो कैने ये बोला है. अछा अब आप मेरे लिए गिफ्ट दीजिए.

दी: हा बोल ना क्या चाहिए? मैं सब देने को रेडी हू.

मैं: आपकी जो पनटी अभी गीली हुई है, वो मुझे चाहिए अभी.

दी: क्या?

मैं: हा.

दी: ठीक है, मैं बातरूम में से निकाल कर लाती हू.

मैं: नही अभी मेरे सामने ही निकालो.

दी: मुझे शरम आएगी.

मैं: अर्रे अभी जब इतना शर्मा रही हो, तो उस रात क्या करोगी? एक बार ट्राइ तो करो.

मेरे बार-बार कहने पर दी मान गयी, और उन्होने मेरे सामने ही अपनी सलवार को खोल दिया. मैं उनको आज पहली बार नीचे से न्यूड देख रहा था. लेकिन अभी भी उनका सूट उनको कवर किए हुए था.

उन्होने उसी का फ़ायदा उठा का अपनी पनटी को नीचे उतार दिया, और मुझे दे दी. फिर फ़ौरन ही सलवार पहन कर अपने कमरे में भाग गयी. मैं उन्हे जाते हुए देखता रहा.

उसके बाद मैने उनकी पनटी को उठाया, और उसको सूंघने लगा. क्या माधमस्त खुश्बू आ रही थी. मैं पूरा मदहोश हो गया और उसको चाटने लगा. फिर मैं एक हाथ से अपने लंड को मसालने लगा, और थोड़ी ही देर में मेरा पानी फिर से निकल गया.

मैने फिर उस पनटी को अपनी अलमारी में रख दिया. उसके बाद अगले दिन सनडे था, तो हम सभी घर पर ही थे. मैं अपने कमरे में ही बैठा था, की तभी मों मेरे कमरे में आई.

मैं: मों आइए.

मों: कैसे हो बेटा?

मैं: एक-दूं बढ़िया. आप बताइए क्या सोचा फिर आपने?

इसके आयेज क्या हुआ, वो जानने के लिए आपको अगले पार्ट की वेट करनी पड़ेगी.

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